साल 2020 का दूसरा महीना अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि देश में स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के 150 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि डॉक्टरों के हवाले से इस वायरस को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करने की बात भी कही जा रही है। इन डॉक्टरों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया भी शामिल हैं। उनका कहना है कि अब स्वाइन फ्लू का वायरस अधिकतर लोगों को सामान्य फ्लू की तरह प्रभावित कर पा रहा है, लिहाजा इससे डरने की नहीं, बल्कि सचेत रहने की जरूरत है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि यह वायरस करीब 90 प्रतिशत लोगों में आकर अपनेआप चला जाता है। उनकी मानें तो वैश्विक स्तर पर स्वाइन फ्लू का वायरस अब सामान्य फ्लू की तरह व्यवहार कर रहा है। हालांकि, जो लोग पहले से बीमार हैं, उन्हें इसे लेकर सचेत रहने की जरूरत है, खास तौर पर बुजुर्ग और बच्चों को। अगर इनमें फ्लू से जुड़ा कोई लक्षण दिखाई देता है तो उन्हें तुरंत इलाज मुहैया कराया जाना चाहिए ताकि समय पर उपचार किया जा सके। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में डॉक्टर गुलेरिया कहते है, 'अगर फ्लू के लक्षणों में सांस की तकलीफ या बलगम में रक्त जैसी समस्याएं दिखने लगें तो रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।'

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क्या है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन फ्लू एक दशक पहले महामारी के रूप में फैला था। जानकार बताते हैं कि इस वायरस की शुरुआत सूअर से फैले वायरस से हुई थी। इसके बाद यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैला। अगस्त 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया था। हालांकि अब एच1एन1 वायरस को एक सामान्य फ्लू वायरस की तरह ही माना जाता है। दुनियाभर में हर साल टीकाकरण करके स्वाइन फ्लू को रोका जा रहा है। स्वाइन फ्लू के लक्षण और उपचार, एक अन्य सामान्य फ्लू वायरस के जैसे ही होते हैं और उन्हीं की तरह फैलते हैं।

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स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के प्रभाव में आने के बाद एक से चार दिन में इसके शुरुआती लक्षणों का पता चल सकता है। ये लक्षण एक से दो सप्ताह तक बने रहते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से संक्रमित है तो यह अवधि बढ़ भी सकती है। स्वाइन फ्लू के लक्षण इन्फ्लुएंजा वायरस के सामान ही होते है, जैसे-

  • बुखार (100 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक)
  • खांसी (आम तौर पर सूखी खांसी का होना)
  • नाक बहना
  • अत्याधिक थकान महसूस होना
  • सिरदर्द होना

इसके अलावा कई संक्रमित रोगियों में गले में खराश, लाल चकत्ते, शरीर, मांसपेशियों में दर्द और  ठंड लगने के जैसे लक्षण पाए जाते हैं। इतना ही नहीं, कुछ रोगियों में सांस की तकलीफ जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं या उनके बलगम में रक्त आ सकता है।

भारत में क्या है स्वाइन फ्लू की स्थिति?
एम्स के डायरेक्टर भले ही स्वाइन फ्लू को अब 'कॉमन फ्लू' बता रहे हों, लेकिन बीते साल के आंकड़े बताते हैं कि यह वायरस अभी लोगों की जानें ले रहा है। साल 2019 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वाइन फ्लू से जुड़े कुछ तथ्य जारी किए थे। मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने यह आंकड़े प्रकाशित किए, जिनसे पता चलता है कि अक्टूबर 2019 तक देशभर में स्वाइन फ्लू से 27,000 से ज्यादा लोग संक्रमित थे। इनमें से 1,167 लोगों की मौत हो गई थी।

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स्वाइन फ्लू से कैसे बचें?
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए टीकाकरण करवाना चाहिए। यह टीकाकरण इन्जेक्शन और नेज़ल स्प्रे (नाक के ज़रिये दवा देने वाला स्प्रे) दोनों रूप में उपलब्ध है। इस स्प्रे को 2 से 49 साल तक के लोग और गैर-गर्भवती महिलाएं प्रयोग कर सकती हैं। गर्भवती महिला, 50 साल से अधिक उम्र के लोगों और 2 साल से कम उम्र के बच्चों को नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा भी कुछ उपाय हैं, जिनके द्वारा फ्लू से बचाव किया जा सकता है, जैसे-

  • अगर कोई व्यक्ति स्वाइन फ्लू से संक्रमित हैं तो इलाज होने के 24 घंटे बाद तक भी घर में ही रहें। 
  • शारीरिक साफ-सफाई बनाए रखें और इसके लिए हाथ जरूर धोएं। हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल जरूर करें।
  • खांसते या छींकते समय मुंह पर कोई साफ कपड़ा लगाएं
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