अमोनिया टेस्ट क्या है?

अमोनिया टेस्ट का उपयोग खून में अमोनिया के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से हेपेटिक एन्सेफ्लोपैथी जैसे मस्तिष्क संबंधी विकारों का पता लगाया जाता है। इस रोग के दौरान शरीर में अधिक मात्रा में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाने के कारण मस्तिष्क सामान्य रूप से काम करना बंद कर देता है।

आंत में मौजूद सूक्ष्म जीव प्रोटीन को अवशोषित करके अमोनिया बनाते हैं। इसके बाद अमोनिया को लिवर द्वारा यूरिया में परिवर्तित किया जाता है। हेपेटाइटिस या लिवर सिरोसिस जैसी किसी भी स्थिति के कारण लिवर अमोनिया को यूरिया में बदलना बंद कर देता है और परिणामस्वरूप शरीर में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है।

अमोनिया का बढ़ा हुआ स्तर रक्त के द्वारा मस्तिष्क में जा सकता है, जिस के कारण मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो जाती हैं जैसे, भटकाव, नींद आना, थकान, कोमा और यहां तक कि कुछ मामलों में मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। 

यूरिया चक्र विकार (Urea cycle disorders) के लिए अमोनिया ब्लड टेस्ट को एक उच्च दर्जे का माना जाता है। (यूरिया चक्र एक अनुवांशिक विकार है, जिसमें शरीर में एक एंजाइम की कमी हो जाती है जो अमोनिया को हटाने में सहायक होता है)

इसे ब्लड अमोनिया टेस्ट या एनएच 3 टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है।

  1. अमोनिया टेस्ट क्यों किया जाता है? - What is the Purpose of Ammonia test in Hindi
  2. अमोनिया टेस्ट से पहले - Before Ammonia test in Hindi
  3. अमोनिया टेस्ट के दौरान - During Ammonia test in Hindi
  4. अम्मोनिया टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Ammonia test results and normal range in Hindi

अमोनिया टेस्ट किसलिए किया जाता है?

अमोनिया टेस्ट की सलाह दी जाती है:

  • लिवर व मस्तिष्क संबंधी विकृति जानने के लिए 
  • लिवर के कार्यों की जांच करने के लिए
  • मानसिक उलझनों का पता लगाने के लिए
  • यह जानने के लिए कि लिवर का इलाज कितने अच्छे से काम कर रहा है
  • रेये सिंड्रोम को पहचानने के लिए 
  • रेये  सिंड्रोम के इलाज की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए
  • लिवर फेल होने के खतरे का पता लगाने के लिए

यदि बच्चों को निम्न समस्याएं हो रही हैं, तो उनके लिए भी यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जा सकती है:

जिन बच्चों को ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण एक हफ्ते या उससे अधिक समय से महसूस हो रहा है, तो यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा हैजा या चिकनपॉक्स से ग्रस्त बच्चों के लिए भी डॉक्टर यह टेस्ट करवाने को कहते हैं।

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अमोनिया टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

डॉक्टर टेस्ट करवाने से लगभग 8 घंटे पहले तक कुछ भी ना खाने की सलाह देते हैं और तब तक सिगरेट आदि पीने से भी मना करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर आपको टेस्ट से कुछ समय पहले तक किसी तरह का व्यायाम करने से भी मना कर सकते हैं।

यदि आप कोई दवा ले रहे हैं, तो उनके बारे में अपने डॉक्टर को जरूर बता दें। डॉक्टर आपकी कुछ दवाएं टेस्ट से पहले ही बंद कर देते हैं, क्योंकि कुछ प्रकार की दवाएं टेस्ट के रिजल्ट में बदलाव कर सकती हैं, इनमें एसिटाजोलामाइड, नशीली दवाएं, डाइयुरेटिक्स, वैल्प्रोइक एसिड जैसी दवाएं शामिल हैं।

अमोनिया टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक साधारण टेस्ट है जिसमे बांह की नस में सुई लगाकर खून का सैंपल लिया जाता है। ब्लड सैंपल को टेस्ट ट्यूब में निकाला जाता है, फिर आगे जांच के लिए भेजा जाता है। सुई लगाने से पहले उस जगह को एंटीसेप्टिक दवा के साथ साफ किया जाता है। सुई निकालने के बाद उस जगह पर रुई रख कर हल्का सा दबाव दिया जाता है। सुई के कारण आमतौर पर मरीज को हल्का सा दर्द या चुभन महसूस होती है।

इस दौरान बहुत ही कम मरीजों को चक्कर आना और इंजेक्शन वाली जगह पर निशान पड़ने जैसी समस्या होती है। इस स्थिति में संक्रमण होने का खतरा भी हल्का सा बढ़ जाता है।

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अमोनिया टेस्ट के रिजल्ट और नॉर्मल रेंज

अमोनिया टेस्ट के परिणाम उम्र, लिंग, मरीज के स्वास्थ्य संबंधी पिछली स्थिति और टेस्ट किस तरह से किया गया है आदि के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। डॉक्टर टेस्ट के रिजल्ट की जांच करते है और फिर उसके बारे में अच्छे से समझाते है।

सामान्य रिजल्ट :
उम्र के अनुसार अमोनिया का नॉर्मल रेंज भी अलग-अलग हो सकता है, जैसे :

  • वयस्क : 10-80 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर (mcg/dL) 
  • बच्चे 2 वर्ष से छोटे : 19-60 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर (mcg/dL)
  • नवजात शिशु (10 दिन से 2 वर्ष): 68-136 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर (mcg/dL)
  • उम्र (0 से 10 दिन): 170-341 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलिटर (mcg/dL)

असामान्य रिजल्ट :
टेस्ट के रिजल्ट का आमतौर पर मतलब होता है कि आपके शरीर में अमोनिया का स्तर बढ़ कर सामान्य से अधिक हो गया है। जो निम्न स्थितियों में हो सकता है:

  • लिवर फेल होना 
  • लिवर डिजीज (सिरोसिस और हेपेटाइटिस)
  • खून में पोटेशियम की कमी 
  • रेये सिंड्रोम 
  • हार्ट फेल 
  • किडनी खराब होना
  • सेलिसिलेट पाइजनिंग
  • जठरांत्र में रक्तस्राव - (आमतौर ऊपरी जठरांत्र पथ में)
  • यूरिया चक्र संबंधी अनुवांशिक बीमारी 
  • पैरेंट्रल न्यूट्रिशन (नसों के माध्यम से मिलने वाला पोषण)
  • हाइपरथर्मिया (शरीर के तापमान का अधिक होना )
  • किडनी रोग
  • मांसपेशियों का अधिक परिश्रम 
  • यूरेटरोसिग्मोइडॉस्टोमी (ऐसी स्थिति जिसमें मूत्र वाहिनी सिग्मोइड कॉलन के रूप में मुड़ जाती है)
  • प्रोटियस मिराबिलिस नामक बैक्टीरिया द्वारा मूत्र पथ में संक्रमण होना

बच्चों में अमोनिया की शिकायत एक अनुवांशिक यूरिया चक्र के एंजाइम की कमी होने के कारण भी हो सकती है। 

अमोनिया की मात्रा में कमी उच्च रक्तचाप (प्राइमरी या मालिग्नेंट) में देखी जाती है। प्राइमरी उच्च रक्तचाप का कोई कारण नहीं होता लेकिन मालिग्नेंट हाइपरटेंशन कई कारणों से हो सकता है जैसे नस संबंधी समस्याएं, किडनी संबंधी रोग होना या फिर उच्च रक्तचाप की दवाएं ना लेना।

संदर्भ

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  2. HealthlinkBC [internet] British Columbia; Ammonia Test Overview
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  8. Sleisenger and Fordtran's Gastrointestinal and Liver Disease. Reviewed by David H Adams Edited by Mark Feldman, Lawrence S Friedman, Lawrence J Brandt. Philadelphia: Saunders Elsevier, 2006, £180 (hardback), pp 1–1540 and 1541–2890. ISBN 1-4160-0245-6
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