जन्म के शुरूआती सालों में शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे विकसित होती है। इस दौरान बच्चे को वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा सबसे अधिक होता है और ऐसे छोटे बच्चों को बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों से बचाना बेहद जरूरी होता है।

रोगों से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए घर और बच्चे की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। दूषित माहौल की वजह से आपका बच्चा टाइफाइड सहित कई अन्य रोगों की चपेट में आ सकता है। अगर टाइफाइड का समय रहते इलाज न किया जाए तो यह बच्चे के लिए घातक हो सकता है।

टाइफाइड की गंभीरता को देखते हुए इस लेख में “बच्चों में टाइफाइड” के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें आपको बच्चों में टाइफाइड के लक्षण, बच्चों में टाइफाइड के कारण, बच्चों का टाइफाइड से बचाव और बच्चों के टाइफाइड का इलाज आदि के बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलेगा। 

(और पढें - टाइफाइड के घरेलू उपाय)

  1. बच्चों में टाइफाइड के लक्षण - Bacho me typhoid ke lakshan
  2. बच्चों में टाइफाइड के कारण - Bacho me typhoid ke karan
  3. बच्चों का टाइफाइड से बचाव - Bacho ka typhoid se bachav
  4. बच्चों के टाइफाइड का इलाज - Bacho ke typhoid ka ilaj

बच्चे में टाइफाइड के लक्षण एक या दो सप्ताह के अंदर दिखाई देने लगते हैं। टाइफाइड के बैक्टीरिया से संक्रमित आहार खाने और दूषित पानी को पीने से बच्चों को टाइफाइड होता है। इसके हल्के या गंभीर दोनों तरह के लक्षण करीब चार सप्ताह या उससे ज्यादा समय तक भी रह सकते हैं। बच्चों में टाइफाइड होने के लक्षणों को आगे विस्तार से बताया गया है-

बच्चे को डॉक्टर के पास कब लेकर जाएं

टाइफाइड होने पर बच्चे का परीक्षण और इलाज बेहद जरूरी होता है। अगर आपको बच्चे में नीचे बताए गए लक्षण दिखाई दें तो तुरंत उसको किसी डॉक्टर के पास लेकर जाएं-

(और पढ़ें - सुस्ती का इलाज)

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साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक बैक्टीरिया टाइफाइड का मुख्य कारण होता है। यह बैक्टीरिया केंद्रिय परिसंचरण तंत्र (Central circulatory system) को नुकसान पहुंचाते हैं और अपनी संख्या बढ़ाना शुरू कर देते हैं। टाइफाइड एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो तेजी से फैलता है। निम्नलिखित कारणों से बच्चों में टाइफाइड होता है:

  • आहार और पानी :
    हैजा की तरह ही टाइफाइड भी पानी और भोजन से ही फैलता है। दूषित भोजन व पानी को खाने या पीने से बच्चे को यह रोग हो जाता है। (और पढ़ें - हैजा का टीका)
     
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना :
    जब बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति या बैक्टीरिया के वाहक व्यक्ति (Carrier) अपने हाथ धोए बिना बच्चे को छूता है तो इससे बच्चा भी बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाता है। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  • भोजन तैयार करना :
     दूषित आहार व खाद्य पदार्थों को सही तरह से न रखने से भी बच्चे को टाइफाइड की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - टायफाइड में क्या खाना चाहिए)
     
  • मल :
    संक्रमित व्यक्ति के मल में टाइफाइड के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जब व्यक्ति मल त्याग करने के बाद बिना हाथ धोएं किसी चीज को छूता है, तो इससे घर के अन्य सदस्यों व बच्चों को भी टाइफाइड हो जाता है। (और पढ़ें - टाइफाइड फीवर डाइट चार्ट)

दो से पांच साल के बच्चों में टाइफाइड एक आम रोग माना जाता है, जबकि दो साल से कम आयु के बच्चे भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। दो साल से कम आयु के बच्चों में टाइफाइड के लक्षणों को बुखार समझ लिया जाता है। स्तनपान करने वाले बच्चों को टाइफाइड होने के मामले बेहद कम होते हैं, क्योंकि मां के दूध से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। 

(और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)

बीमारियों को कम करने के लिए बचाव ही बेहतर विकल्प होता है। टाइफाइड से बचाव के लिए टीके लगाए जाते हैं। बच्चों को टाइफाइड से बचाने के अन्य उपायों को नीचे बताया जा रहा है।

  • टाइफाइड का टीका :
    बच्चे को टाइफाइड से सुरक्षित रखने के लिए आप 9 से 12 माह तक के बच्चे को टीके की पहली खुराक दें। इसके बाद दो साल की आयु में बच्चे को दूसरी व चार से छह साल के बीच में बच्चे को तीसरी बूस्टर डोज दी जाती है। (और पढ़ें - टाइफाइड टीके की खुराक और उम्र)
     
  • साफ पानी :
    इस बात का ध्यान दें कि आपका बच्चा और घर के सदस्य साफ पानी ही पिएं। दूषित और गंदा पानी पीने से कई तरह के रोग होने की संभावना होती है। टाइफाइड से बच्चे को बचाने के लिए उसको उबला हुआ पानी ही पीने को दें। (और पढ़ें - 6 माह के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)
     
  • पोषक तत्व :
    इस बात का कोई सबूत मौजूद नहीं है कि मां के दूध से बच्चे को टाइफाइड हो सकता है। इसलिए आप अपने बच्चे को स्तनपान करना बंद ना करें। यदि आपका बच्चा छह माह से बड़ा है, तो आप उसको अलग-अलग तरह के पौष्टिक आहार दें। ऐसे में आप प्रोटीन, दूध से बनी चीजें, फल और सब्जियां बच्चे को ज्यादा से ज्यादा खिलाएं। बाहरी खाने से बच्चे को दूर रखें।
    (और पढ़ें - संतुलित आहार चार्ट)
     
  • स्वच्छता का ध्यान दें :
    घर के सभी सदस्यों को स्वच्छता पर पूरा ध्यान देना चाहिए। टाइफाइड या अन्य रोगों से बचने के लिए घर के सभी लोगों को खाना खाते समय, पालतू जानवरों को छूने, बच्चे के डायपर बदलने, टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद व खाना बनाने के पहले अपने हाथों को पानी और साबुन से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। बच्चे को कीटाणुओं से दूर रखने के लिए उसे रोजाना नहलाएं। इसके अलावा किचन को साफ रखें और खराब खाने को बाहर निकालें। (और पढ़ें - बच्चों की देखभाल)
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बच्चों के टाइफाइड का इलाज परीक्षण पूरा होने और रोग की पुष्टि के बाद शुरू होता है। टाइफाइड के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए कई तरह की एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। डॉक्टर के द्वारा बताई गई अवधि या दो सप्ताह तक टाइफाइड की दवाएं बच्चे को दी जाती है। इन एंटीबायोटिक दवाओं को खुद खरीद कर नहीं लेना चाहिए। डॉक्टर आपके बच्चे के वजन और आयु के अनुसार, उसके लिए सही प्रकार की एंटीबायोटिक को चुनते हैं।

(और पढ़ें - दो साल के बच्चे को क्या खिलाना चाहिए)

इलाज शुरू होने के दो से तीन दिनों के अंदर ही बच्चा बेहतर महसूस करने लगता है। यदि बच्चा बीमारी के कारण सही तरह से खाता या पीता नहीं हैं, तो ऐसे में बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाएं। ऐसे में डॉक्टर उसकी नसों में तरल के माध्यम से पोषण तत्व व इंजेक्शन से एंटीबायोटिक देते हैं।  

बच्चे के टाइफाइड का घरेलू इलाज

  • आवश्यकतानुसार भोजन और पानी :
    बुखार, उल्टी, पसीना व दस्त के कारण बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए बच्चे को शरीर की जरुरत के मुताबिक पानी पिलाएं। बच्चे को हर आधे घंटे में थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाते रहें। इस समय डॉक्टर बच्चे को ओआरएस घोल देने की सलाह देते हैं। ओआरएस बच्चे के शरीर में होने वाली पानी की कमी को दूर करता है।

    अस्वस्थ बच्चा सही तरह से खाना भी नहीं खाता है। लेकिन सभी पोषक तत्वों को लेने से बच्चे का ऊर्जा स्तर बना रहता है और वह जल्द ही ठीक हो पाता है। (और पढ़ें - शिशु के निमोनिया का इलाज)
     
  • बच्चे को आराम करने दें :
    जब तक टाइफाइड के लक्षण पूरी तरह से समाप्त नहीं होते हैं तब तक बच्चे को पर्याप्त आराम की आवश्यकता होती है। पर्याप्त आराम बच्चे को ठीक होने के लिए भी जरूरी होता है। (और पढ़ें - बच्चे को सुलाने के तरीके)
     
  • बच्चे को स्पंज बाथ दें :
    बीमारी के समय यदि आप बच्चे को रोजाना नहीं नहलाना चाहते हैं तो उसको दिन में कम से कम एक बार स्पांज बाथ जरूर दें। इसके साथ ही रोजाना बच्चे के कपड़े भी बदलें, ताकि वह खुद को तरोताजा महसूस करें। (और पढ़ें - नवजात शिशु को नहलाने का तरीका)

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