लुपस एंटीकोआगुलेंट एक ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट में शरीर की अपनी कोशिकाओं के विरुद्ध बन रहे एंटीबॉडीज की मौजूदगी की जांच की जाती है। ये एंटीबॉडीज विशेषकर फॉस्फोलिपिड को और कोशिकाओं की ऊपरी परत कोशिका झिल्ली को लक्षित करते हैं। ये सामान्य ब्लड क्लॉटिंग की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं, जिसके कारण असामान्य ब्लड क्लॉट बनने लगते हैं।

एलएसी एक इनटेक्ट (सही) धमनी या नस में ब्लड क्लॉट के खतरे को बढ़ा देते हैं इससे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) हो जाता है जो कि सामान्य तौर पर टांगों की नसों को अधिक प्रभावित करता है। इन ब्लड क्लॉट से रक्त वाहिकाएं अवरुद्ध हो सकती हैं, जिससे हार्ट अटैक, पल्मोनरी एम्बोलिस्म या स्ट्रोक हो सकता है। ये बार-बार मिसकैरेज होने का भी कारण माना जाता है। इससे गर्भनाल की वाहिकाएं अवरुद्ध हो सकती हैं, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।

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  1. लुपस एंटीकोआगुलेंट (एलएसी) टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Lupus Anticoagulant (LAC) test in Hindi
  2. लुपस एंटीकोआगुलेंट (एलएसी) टेस्ट से पहले - Before Lupus Anticoagulant (LAC) test in Hindi
  3. लुपस एंटीकोआगुलेंट (एलएसी) टेस्ट के दौरान - During Lupus Anticoagulant (LAC) test in Hindi
  4. लुपस एंटीकोआगुलेंट (एलएसी) टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - What does Lupus anticoagulant (LAC) test result mean in Hindi?

एलएसी टेस्ट निम्न के कारणों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है

  • सामान्य धमनी या नस में अत्यधिक क्लॉट
  • यदि एक महिला को बार-बार मिस्कैरेज होता है
  • यदि एक व्यक्ति को हार्ट अटैक या स्ट्रोक हुआ है
  • यदि किसी व्यक्ति को लम्बे समय से पार्शियल थ्रोम्बोप्लास्टिन टाइम (पीटीटी) है

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एलएसी टेस्ट व्यक्ति में डीवीटी के लक्षण दिखाई देने पर किया जाता है, जिसमें निम्न शामिल हैं

  • पैरों में दर्द, प्रभावित टांग में कोमलता
  • प्रभावित क्षेत्र में अत्यधिक दर्द
  • प्रभावित टांग में सूजन
  • क्लॉट की जगह का गर्म होना
  • प्रभावित टांग का रंग बदलना

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एलएसी टेस्ट पल्मोनरी एम्बोलिस्म के लक्षणों का संदेह होने पर किया जाता है, जिसमें निम्न शामिल हैं

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एलएसी टेस्ट अन्य टेस्टों के साथ भी किया जाता है जैसे कार्डियोलिपिन एंटीबॉडीज और एंटी-बीटा-2-ग्लाइकोप्रोटीन आई जो कि एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम का पता लगाने के लिए किए जाते हैं। इसके अलावा यह फैक्टर वी लीडेन, एंटीथ्रोम्बिन, प्रोटीन सी टेस्ट और प्रोटीन एस टेस्ट के साथ भी किया जाता है जो कि थ्रोम्बोफिलिया के परीक्षण के लिए किए जाते हैं।

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एलएसी टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती।

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एलएसी टेस्ट एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें पांच मिनट से भी कम का समय लगता है। डॉक्टर आपके बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड की एक थोड़ी सी मात्रा टेस्ट ट्यूब में ले लेंगे। नस में सुई लगने से कुछ सेकेंड तक दर्द हो सकता है।

इस टेस्ट में हल्का खतरा दर्द, चक्कर आने और इंजेक्शन लगी जगह पर नील पड़ने का होता है। हालांकि, ज्यादातर ये लक्षण जल्दी ही गायब हो जाते हैं। कभी-कभार सैंपल ली गई जगह पर कोई संक्रमण हो सकता है।

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एलएसी टेस्ट आमतौर पर पीटीटी के स्तर की जांच के साथ या पीटीटी की जांच के बाद किया जाता है। सामान्य पीटीटी का मतलब है कि व्यक्ति के शरीर में एलएसी नहीं है, जबकि प्रोलोंग्ड या लंबे समय से पीटीटी मौजूद होने का मतलब है कि एलएसी की जांच करने की जरूरत है।

सामान्य परिणाम -

टेस्ट में एलएसी न मिलने का मतलब है कि रिजल्ट सामान्य है। इसका मतलब है कि पीटीटी के बढ़े हुए स्तर ऑटोएंटीबॉडीज के कारण नहीं है, इसका कारण कुछ और हो सकता है जैसे कोआगुलेशन फैक्टर की कमी।

एलएसी टेस्ट को आमतौर पर केवल एक ही बार नहीं किया जाता और ना ही एक बार करने से एलएसी रोग की पुष्टि हो पाती है। इसको हर बारह हफ्तों के अंतराल में कई बार किया जाता है और यदि टेस्ट के परिणाम दो से अधिक बार पॉजिटिव आते हैं तो इसका मतलब होता है कि व्यक्ति को एलएसी है।

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असामान्य परिणाम -

एलएसी की उपस्थिति इस बात की तरफ संकेत करती है कि परिणाम असामान्य हैं। जिसका मतलब है कि डीवीटी, वीटीई या वेनस थ्रोम्बोएम्बोलिस्म के जो संकेत और लक्षण दिखाई दे रहे हैं वे एलएसी के कारण ही हैं।

प्रोलोंग्ड पीटीटी के मामलों में एलएसी के परीक्षण की पुष्टि के लिए अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं। इस टेस्ट में कम्पलीट ब्लड काउंट भी शामिल है जो कि लो प्लेटलेट लेवल (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) के बारे में बताता है, ऐसा एलएसी में देखा जाता है। इसके साथ कोएगुलेशन फैक्टर असे (फाइब्रिनोजन की तरह) कोएगुलशन फैक्टर डेफिशिएंसी को अलग करने के लिए किया जाता है जो कि पीटीटी और थ्रोम्बिन टाइम के स्तर को बढ़ा सकता है। पीटीटी के स्तर हेपरिन थेरेपी के द्वारा भी बढ़ सकते हैं। कोएगुलेशन फैक्टर असे इस कारण को अलग करने में मदद करता है।

एलएसी के परिणाम कुछ विशेष मामलों में गलत तरह से भी पॉजिटिव आ सकते हैं, जैसे यदि किसी व्यक्ति ने हेपरिन थेरेपी करवाई है तो परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। ये उन लोगों में भी पॉजिटिव आ सकते हैं, जिन्हें ऑटोइम्यून डिजीज, एचआईवी संक्रमण, कुछ विशेष प्रकार के कैंसर हों। इसके अलावा पेनिसिलिन, हाइड्रालेजाइन, क्विनिडाइन और फेनोथिजाइन जैसी दवाओं के कारण भी टेस्ट के रिजल्ट गलत तरह से पॉजिटिव आ सकते हैं।

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संदर्भ

  1. Pennstate Hershey. [Internet] Milton S Hershey Medical Center, U.S. Antiphospholipid syndrome - APS
  2. ARUP Consult, ARUP Laboratories.[Internet] Salt City, UT, U.S.Hypercoagulable States - Thrombophilia
  3. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]: U.S. Department of Health and Human Services; Antiphospholipid Antibody Syndrome
  4. ARUP Consult, ARUP Laboratories.[Internet] Salt City, UT, U.S.Antiphospholipid syndrome
  5. APS foundation of America INC. [Internet] U.S. Antiphospholipid Syndrome (APS)
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