स्वाइन फ्लू एक तरह का इन्फेक्शन है। यह एक वायरस द्वारा होता है। यह वायरस सुअरों में पाया जाता है। स्वाइन फ्लू के लक्षण मनुष्यों में अन्य प्रकार के फ्लू की तरह ही होते हैं। इस फ्लू में भी बुखार, कफ, गले का रुंधना, शरीर में दर्द, सिर में दर्द, ठंड लगने, थकान लगने जैसी समस्याएं होती हैं।

कुछ एंटीवायरल दवाइयां हैं, जिनका सेवन करके आप स्वाइन फ्लू का इलाज कर सकते हैं। स्वाइन फ्लू से सुरक्षा करने के लिए वैक्सीन भी हैं। ये वैक्सीन स्वाइन फ्लू से आपको सुरक्षित रखती हैं। इन दवाइयों से आप इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के जर्म्स को शरीर में फैलने से रोक सकते हैं।   

(और पढ़ें - इन्फ्लूएंजा टीका क्या है)

  1. स्वाइन फ्लू टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है - What do Swine Flu test results indicate in Hindi?
  2. स्वाइन फ्लू टेस्ट क्या है? - What is Swine flu test in Hindi?
  3. स्वाइन फ्लू टेस्ट क्यों किया जाता है? - What is the purpose of Swine flu Test in Hindi?
  4. स्वाइन फ्लू टेस्ट के दौरान - During Swine flu Test in Hindi
  5. स्वाइन फ्लू टेस्ट के क्या जोखिम हैं? - What are the risks associated with Swine flu test in Hindi?

नॉर्मल रिजल्ट : एच1एन1 की गैरमौजूदगी को नॉर्मल माना जाता है। इसका मतलब है कि मरीज में जो लक्षण दिख रहे हैं वो स्वाइन फ्लू के नहीं हैं।

निगेटिव रिजल्ट का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि एच1एन1 का कोई स्ट्रेन मौजूद नहीं है। कई बार वायरल लोड कम होने या सैंपल कलेक्शन में किसी तरह की त्रुटि का कारण भी निगेटिव रिजल्ट आ सकता है।

एबनॉर्मल रिजल्ट : रक्त में एच1एन1 एंटीजेन की मौजदूगी का मतलब है कि मरीज में दिख रहे लक्षणों का कारण स्वाइन फ्लू का वायरस ही है।

स्वाइन फ्लू का टेस्ट बच्चों, बुजुर्गों, ऐसे रोगियों जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो, पहले से ही फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों (जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और इंटरस्टीशियल लंग डिजीज) के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनके रोगग्रस्त होने की आशंका ज्यादा होती है। सेप्सिस, निमोनिया और एंसेफलाइटिस जैसे रोगों से पीड़ितों को स्वाइन फ्लू का खतरा काफी ज्यादा होता है।

इस रैपिड एंटीजेन टेस्ट की एक्यूरेसी यानी सटीकता सिर्फ 70 फीसद ही है। इसका मतलब यदि किसी का टेस्ट नेगेटिव भी आता है तो भी उसके स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में स्वाइन फ्लू एंटीजेन टेस्ट के साथ ही क्लिनल हिस्ट्री की जांच, कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) और चेस्ट एक्स-रे करवाना जरूरी हो जाता है।

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यह स्वाइन फ्लू नाम के संक्रमण की जांच के लिए किये जाने वाला टेस्ट है। इस जांच में स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने पर संक्रमित व्यक्ति का इलाज शुरू किया जाता है। 2009 में फैले स्वाइन फ्लू के वायरस को 'एच1एन1' नाम दिया गया। इसके 2 साल बाद स्वाइन फ्लू के एक नये वायरस का पता चला। इस वायरस को इन्फ्लूएंजा 'ए(एच3एन2)वी' नाम से जाना गया। शुरुआत में केवल कुछ लोगों में ही वायरस पाया गया। इस समय भी बहुत ज्यादा लोगों में 'एच3एन2वी' वायरस नहीं हैं। फ्लू से पीड़ित ज्यादातर लोगों में बीमारी के लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। अगर आपको क्रॉनिक रेस्पीरेटरी डिजीज है तो डॉक्टर आपको आपके लक्षणों को देखते हुए कुछ अतिरिक्त दवाओं की सलाह दे सकते हैं। 

एफडीए ने चार तरह के एंटीवायरस ड्रग का सुझाव दिया है। निम्नलिखित दवाएं संक्रमण के पहले-दूसरे दिन से ही लक्षणों पर रोकथाम करने के लिए देनी शुरु कर दी जाती हैं:

  • ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू)
  • ज़नामिविर (रीलेंज़ा)
  • पैरामिविर (रपीवब)
  • बैलॉक्सवीर (ज़ोफ़लुज़ा)

(और पढ़ें - वायरल इन्फेक्शन का इलाज)

स्वाइन फ्लू टेस्ट करने का मुख्य उद्देश्य शरीर में स्वाइन फ्लू वायरस की जांच करना होता है। हाल ही में 'एच3एन2वी' नाम का एक और वायरस सामने आया। इस वायरस के नाम में कोई भी 'वी' नहीं लगा है। यह 'एच3एन2वी' से अलग तरह का है। लेकिन एक बात जो देखी गई है, वह यह है कि इस सभी में 'एच1एन1' वायरस पाया जाता है। इन सभी में केवल एच या एन का अंतर है। इस टेस्ट की मदद से स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति का इलाज किया जाता है। 

(और पढ़ें - फ्लू के घरेलू उपाय)

इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपके कुछ शारीरिक परीक्षण करते हैं। इन परीक्षणों से वे पता करते हैं कि कहीं आपको भी स्वाइन फ्लू तो नहीं है। इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपको इन्फ्लूएंजा टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। फ्लू के कई टेस्ट होते हैं। लेकिन फ्लू से ग्रसित सभी व्यक्तियों को टेस्ट की जरूरत नहीं होती है। फ्लू के इलाज से पहले डॉक्टर आपको टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं अगर :

  • आप पहले से ही अस्पताल में हैं।
  • आपमें फ्लू होने और उनके जटील होने की बहुत अधिक संभावना है।
  • आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहते हैं जिनमें फ्लू की बहुत अधिक संभावना है।

निम्नलिखित लक्षणों को देखते हुए डॉक्टर आपको फ्लू टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं:

इन मामलों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला टेस्ट रैपिड इन्फ्लूएंजा टेस्ट है। इस टेस्ट में नाक या गले के पीछे एक स्वैब सैंपल की मदद से एंटिजन की जांच की जाती है। ये टेस्ट 15 मिनट में हो जाते हैं। हालांकि इसके रिजल्ट हमेशा सटीक नहीं होते हैं। डॉक्टर टेस्ट रिजल्ट के बजाय मरीजों के लक्षणों को देखते हुए इलाज कर सकते हैं।

(और पढ़ें - मस्तिष्क में संक्रमण का इलाज)

यह टेस्ट लक्षणों के आधार पर किया जाता है इसलिए इनमें कुछ खास नहीं हैं। हालांकि स्वाइन फ्लू के संक्रमण के कारण संक्रमित निम्नलिखित कुछ तरह के व्यक्तियों को समस्याएं आ सकती हैं। जैसे:

  • 65 साल से अधिक की उम्र के व्यक्ति में।
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चों में।
  • क्रॉनिक डिजीज से पीड़ित व्यक्ति में।
  • गर्भवती महिलाओं में।
  • लंबे समय से एस्परीन थेरेपी से गुजर रहे बच्चों में।
  • इम्यून सिस्टम से परेशान व्यक्तियों में। 

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संदर्भ

  1. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Influenza Signs and Symptoms and the Role of Laboratory Diagnostics
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Influenza Virus Testing Methods
  3. National Institute of Allergies and Infectious diseases [internet]: National Institute of Health. US Department of Health and Human Services; Influenza
  4. Pagana, Kathleen D. & Pagana, Timothy J. (2001). Mosby's Diagnostic and Laboratory Test Reference 5th Edition: Mosby, Inc., Saint Louis, MO.
  5. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, What To Do If You Get Sick: 2009 H1N1 and Seasonal Flu
  6. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Influenza Diagnostic Testing During the 2009-2010 Flu Season
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