अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के एक अध्ययन के अनुसार, अनिद्रा (नींद न आना) से ग्रस्त लोगों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (धमनी की बीमारी), हार्ट फेल और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। एएचए के शोधकर्ताओं ने इस शोध में लगभग 13 लाख स्वस्थ और हृदय रोग से ग्रस्त दोनों तरह के लोगों को शामिल किया था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने जींस के आधार पर उन लोगों की पहचान की जो अनिद्रा की चपेट में आ सकते थे।

स्वीडन के स्टॉकहोम में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में कार्डियोवस्कुलर एंड न्यूट्रिशनल एपिडेमियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक सुसैन लार्सन ने कहा कि 'अनिद्रा के मुख्य कारणों को समझकर उनका उपचार करके स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है। लार्सन एट अल द्वारा किया गया यह अध्ययन "जेनेटिक लायबिलिटी टू इनसोम्निया एंड कार्डियोवस्कुलर डिजीज" में प्रकाशित हुआ था।

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  1. भारत में अनिद्रा की स्थिति
  2. नींद और दिल की सेहत
  3. अच्छी नींद सोने के टिप्स
  4. सारांश
क्या है हृदय रोग और अनिद्रा में संबंध के डॉक्टर

मई 2017 में, कोलकाता के एक अस्पताल में एक अध्ययन किया गया था, जिसमें कुल 390 प्रतिभागी शामिल थे। 28 दिन तक चले इस अध्ययन में पाया गया कि भारत में लगभग 45% वयस्क किसी न किसी रूप में अनिद्रा से ग्रस्त हैं। इसके अलावा, कोलकाता के एक अस्पताल में प्रीवैलेंस ऑफ क्रोनिक इनसोम्निया पर किए गए अध्ययन में भी हृदय रोग और अनिद्रा, मधुमेह और अनिद्रा व हाई बीपी और अनिद्रा के बीच संबंध पाया गया।

वर्तमान समय में, भारत में प्रति 100,000 में से करीब 272 लोगों की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो सकती है। वैश्विक स्तर पर ये आंकड़ा प्रति 100,000 लोगों पर करीब 235 है। हृदय रोग के साथ-साथ मल्टीमॉर्बिडिटी (एक व्यक्ति को एक से ज्यादा बीमारी होना) के कारणों को समझ कर डॉक्टरों को इसके उपचार के लिए बेहतर विकल्प मिल सकते हैं।

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दुनिया में लगभग 10 से 30 फीसदी लोग अनिद्रा से ग्रसित हैं। इस बीमारी में नींद न आने की समस्या होती है साथ ही यदि नींद आ भी जाए तो रात में किसी कारण से नींद खुल जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति को दोबारा सोने में दिक्कत आती है। अनिद्रा के कुछ मामलों में व्यक्ति को कम समय के लिए नींद आती है। 

वैज्ञानिकों का मानना है कि स्वस्थ रहने के लिए शरीर को हर दिन कम से कम सात घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। यदि पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो सिरदर्द, गुस्सा, सुस्ती, एकाग्रता में कमी और चिड़चिड़ापन हो सकता है, जबकि कुछ गंभीर मामलों में हृदय रोग भी हो सकता है। लार्सन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि "अच्छी आदतों और तनाव को नियंत्रित कर के नींद में सुधार लाया जा सकता है।

कुछ लोगों को रोजमर्रा के तनाव की वजह से अनिद्रा की समस्या हो सकती है। ज्यादा सोचने के कारण या दिमाग में कुछ न कुछ चलते रहने की वजह से भी ये समस्या उत्पन्न होती है। इन मनोवैज्ञानिक कारणों के अलावा साइनसाइटिस, हाइपरथायरायडिज्म और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग की वजह से भी रात को नींद नहीं आ सकती है। 

यहां कुछ तरीके बताए गए हैं, जिन्हें अनिद्रा से ग्रस्त लोगों को अपनाना चाहिए -

  • सोने का एक निश्चित समय तय कर लें। कोशिश करें कि कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें
  • रात में शराबनिकोटीन और कैफीन का सेवन न करें 
  • दिन में सोने से बचें वरना रात में नींद आने में परेशानी हो सकती है 
  • बिस्तर आरामदायक होना चाहिए 
  • सोने से पहले लाइट बंद कर दें
  • जितना हो सके, शोर वाली जगहों से दूर सोएं
  • सोने से पहले बहुत ज्यादा खाने या पीने से बचें
  • रोजाना थोड़ा व्यायाम करना फायदेमंद होता है
  • सोने से ठीक पहले अपने फोन का इस्तेमाल न करें
  • तनाव को कम करने के लिए ध्यान और योग करें
  • यदि आपको फिर भी नींद आने में मुश्किल हो, तो डॉक्टर से मिलें

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रात को ठीक से नींद न आने, कम आने या बिल्कुल न आने को अनिद्रा कहा जाता है। अनिद्रा के चलते कई तरह के स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें हृदय रोग भी शामिल है और ऐसा वैज्ञानिक रिसर्च में साबित हुआ है। अनिद्रा के चलते हृदय रोग के साथ-साथ डायबिटीज और हाई बीपी की भी समस्या हो सकती है। इसलिए, रात में पर्याप्त नींद लेने की जरूरत है।

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Dr. Farhan Shikoh

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