डिमेंशिया (मनोभ्रंश) - Dementia in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

June 28, 2017

January 30, 2024

डिमेंशिया
डिमेंशिया

डिमेंशिया या मनोभ्रंश क्या है? - Dementia meaning in Hindi

डिमेंशिया सामान्य रूप से मानसिक क्षमता में आई कमी को कहते हैं, जिसमें सोचने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे दैनिक जीवन में काफी प्रभाव पड़ता है।

डिमेंशिया एक बीमारी नहीं है बल्कि एक सिंड्रोम है (किसी रोग में कईं लक्षणों का एक साथ होना), जिसके लक्षण कई मस्तिष्क रोगों में आम होते हैं। इसके लक्षणों में स्मरण शक्ति में कमीं, सोचने में कठिनाई, समस्याओं को ना सुलझा पाना और शब्दों के चुनाव में कठिनाई शामिल हैं। यह रोज की गतिविधियों को करने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता को कम कर देती है। डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के मूड व व्यवहार में बदलाव हो जाता है। सामान्य रूप से यह उम्र बढ़ने के बाद इसके होने की संभावना बढ़ती जाती है।

(और पढ़ें - मानसिक रोग दूर करने के उपाय)

अंत में डिमेंशिया रोज की जाने वाली गतिविधियों को पूरा करने की क्षमता को पूरी तरह से खत्म कर देता है, जैसे कि ड्राइविंग, घर के कामकाज और यहां तक ​​कि व्यक्तिगत देखभाल जैसे स्नान करना, कपड़े पहनना और खाना भी इसमें शामिल है। डिमेंशिया से पीड़ित होने की संभावना उम्र के साथ बढ़ जाती है। डिमेंशिया ज्यादातर 65 वर्ष के बाद होता है। 

डिमेंशिया के कुछ प्रकार उपचार करने पर काफी या पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। इसके ठीक होने के परिणाम अक्सर इस बात पर निर्भर करते हैं कि कितनी जल्दी इसके होने के कारण का पता किया गया है और इसका इलाज शुरू किया गया है। दूसरे प्रकार के डिमेंशिया अपरिवर्तनीय होते हैं, जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता और इसका सबसे आम प्रकार अल्जाइमर रोग है।

डिप्रेशन के लक्षण बिलकुल डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण की तरह हो सकते हैं जिसका इलाज एंटीडिप्रेस्सेंट दवाओं से किया जाता है।

(और पढ़ें - मानसिक रोग का कारण)

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के प्रकार - Types of Dementia in Hindi

डिमेंशिया के लक्षण और इसका बढ़ना इस बात पर निर्भर करता है कि किस व्यक्ति को कौन से प्रकार का डिमेंशिया है। 

कुछ सामान्य रूप के डिमेंशिया जिसका निदान किया जा सकता है, उसमें निम्नलिखित शामिल है -

  1. अल्जाइमर रोग
    अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। 60 से 80 प्रतिशत मामलों में अल्जाइमर रोग होता है। यह आम तौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है। इसके निदान के बाद व्यक्ति सामान्यतः 4 से 8 वर्षो तक जिन्दा रहता है, मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इसके निदान के बाद करीब 20 साल तक जिन्दा रहते हैं। अल्जाइमर रोग होने का कारण दिमाग में परिवर्तन होता है जिसमें कुछ प्रोटीन का निर्माण होता है जो तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता हैं।
     
  2. लेवी बॉडीज डिमेंशिया
    यह डिमेंशिया का एक रूप है जो कोर्टेक्स में प्रोटीन के एकत्र होने के कारण होता है। याददाश्त में कमी और भ्रम के अलावा, लेवी बॉडीज डिमेंशिया कुछ अन्य स्थिति भी पैदा कर सकता है, जैसे कि-
    • नींद संबंधी परेशानियां,
    • वहम,
    • असंतुलन,
    • अन्य गतिविधियों में कठिनाई इत्यादि।
       
  3. वैस्कुलर डिमेंशिया:
    वैस्कुलर डिमेंशिया, जिसे पोस्ट स्ट्रोक या मल्टी-इन्फर्क्ट (multi-infarct) डिमेंशिया भी कहा जाता है। यह डिमेंशिया के लगभग 10 प्रतिशत मामलों में होता है। यह रक्त वाहिकाओं के रूक जाने के कारण होता है इसके अलावा स्ट्रोक या मस्तिष्क में अन्य किसी प्रकार की चोट लगने के कारण भी ऐसा हो सकता है।
     
  4. पार्किंसंस रोग
    पार्किंसंस रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव अवस्था (ऐसी स्थिति जिसमें तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुँचती है) होती है जो डिमेंशिया पैदा कर सकती है और बाद के चरणों में अल्जाइमर के जैसे भी काम कर सकती है। इस बीमारी के कारण अन्य गतिविधियों और गाड़ी आदि चलाने में कठिनाई होने लगती है। मगर इसके कारण कुछ लोगों को डिमेंशिया भी हो जाता है।
     
  5. फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया:
    फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया, इसके एक समूह को दर्शाता है जो अक्सर व्यक्तित्व और व्यवहार में परिवर्तन का कारण होता है। इससे भाषा समझने या बोलने में भी कठिनाई हो सकती है। पिक रोग (Pick's Disease) और प्रगतिशील सुपरन्यूक्लियर पाल्सी (Progressive Supranuclear Palsy) सहित कई परिस्थितियों के कारण फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया हो सकता है।
     
  6. मिश्रित डिमेंशिया:
    यह एक ऐसे प्रकार का डिमेंशिया है जिसमें कई प्रकार के अन्य डिमेंशिया शामिल होते हैं, जिससे मस्तिष्क में असामान्यताएं पैदा हो जाती हैं। यह सबसे अधिक अल्जाइमर और वैस्कुलर डिमेंशिया में होता है, लेकिन इसमें अन्य प्रकार के डिमेंशिया भी शामिल रहते हैं।
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डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के चरण - Stages of Dementia in Hindi

डिमेंशिया के चरण क्या होते हैं?

डिमेंशिया के 7 चरण होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं -

  • स्टेज 1: कोई संज्ञानात्मक कमी नहीं
    चरण 1 में, व्यक्ति सामान्य रूप से कार्य करता है, इसमें कोई मानसिक हानि नहीं होती है, वह मानसिक रूप से स्वस्थ होते है। जिन लोगों को डिमेंशिया नहीं होता है उन्हें इस चरण में रखा जाता है। 
     
  • स्टेज 2: बहुत हल्की संज्ञानात्मक कमी
    स्टेज 2 में सामान्य भूलने की बीमारी होती है, जिसे उम्र के साथ जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, नामों को भूलना और परिचित वस्तुओं को भूलना। आमतौर पर इसके लक्षण प्रियजनों, परिवार या रोगी के डॉक्टर के सामने भी स्पष्ट नहीं होते हैं।
     
  • स्टेज 3: हल्की संज्ञानात्मक कमी
    इस चरण में भूलने की बीमारी बढ़ जाती है, साथ ही ध्यान देने में कठीनाइयां और काम के प्रदर्शन में कमी होना भी इसमें शामिल है। इस चरण में लोग अक्सर चीज़ों को भूलते रहते हैं और सही शब्दो का चुनाव भी नहीं कर पाते हैं। इस स्तर तक पहुंचने के बाद रोगी के प्रियजनों और परिवार को इससे जुड़ी समस्याओं का तब पता चलता है जब वह कहीं नए स्थान पर जाते है। ध्यान दे कि शोधकर्ता इस चरण को या तो पहले चरण में या फिर तीसरे चरण के पहले चरण में (प्रारंभिक, मध्यम या गंभीर स्टेजिंग सिस्टम) में शामिल करेंगे।
     
  • स्टेज 4 मध्यम संज्ञात्मक कमी
    इस स्थिति में डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, उन्हें हाल में हुई घटनाएं याद नहीं रहती और पैसे आदि प्रबंध करने के मामलों में, अकेले नए स्थानों पर यात्रा करने जैसे कामों में कठिनाई आती है। संबंधित लोगों को जटिल कार्यों को पूरा करने में परेशानी होती है क्योंकि उनकी मानसिक क्षमता इसे इंकार कर देती हैं। ऐसे लोग खुद को इस कारण दोस्तों और परिवार वालो से दूर रखना शुरू कर देते हैं क्योंकि सामाजिकता उनके लिए मुश्किल होने लगती है। डॉक्टर मरीज के इंटरव्यू के दौरान उसके बोलने के तरीके, शारीरिक परीक्षण एवं डिमेंशिया के टेस्ट लेकर उसकी बीमारी का पता लगा सकते हैं।
     
  • स्टेज 5: मध्यम गहन संज्ञानात्मक कमी
    चरण 5 के लोगो में याददाश्त की बहुत ज्यादा कमी होना शुरू हो जाती हैं जिससे उनको अपनी गतिविधियों को पूरा करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी पड़ती है (उदाहरण के लिए, ड्रेसिंग, स्नान, भोजन बनाना)। इसमें याददाश्त में कमी होना ही प्रमुख कारण होता है और आगे जाकर इसमें याददाश्त खोना जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, जैसे ग्रसित व्यक्ति को अपना पता याद ना होना या फ़ोन नंबर याद नहीं रहना और ऐसा भी हो सकता की उन्हें दिन या टाइम या फिर वो वर्तमान में कहाँ है यह भी याद नहीं रहता है।
     
  • स्टेज 6: गंभीर संज्ञानात्मक कमी (मध्यम पागलपन)
    इस चरण के लोगों में, खुद कपड़े पहनने जैसी दैनिक गतिविधियों को पूरा करने के लिए व्यापक सहायता की आवश्यकता होती है। ऐसे में मरीज अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम तक भी भूलना शुरू कर देते हैं और ताजा हुई घटनाओं के बारे में भी बहुत ही कम याद रख पाते हैं। कुछ रोगियों को बस अपने पहले जीवन का विवरण याद रहता है। उन्हें 10 से नीचे की गिनती गिनने में भी कठिनाई होती है। इस चरण में मूत्र असंयमिता (मूत्राशय या आंतों के नियंत्रण में कमी) भी एक समस्या है। सही बोलने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। व्यक्तित्व में बदलाव में, वहम (कुछ ऐसी चीज़ को सच समझना जो हो ही नहीं), विवशता (एक काम को बार-बार दोहराना, जैसे सफाई) या चिंता और उत्तेजना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
     
  • स्टेज 7: बहुत गंभीर संज्ञानात्मक कमी
    इस स्तर के लोग वास्तव में बोलने या बातचीत करने की क्षमता खो देते हैं। उन्हें सारे सामान्य दैनिक गतिविधियां (जैसे शौचालय का उपयोग करना, खाने) को पूरा करने के लिए सहायक की आवश्यकता होती है। वे अक्सर मनोप्रेरणात्मक कौशल खो देते हैं, उदाहरण के लिए, चलना या कुर्सी पर बैठने की क्षमता आदि।

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के लक्षण - Dementia Symptoms in Hindi

डिमेंशिया के लक्षण क्या होते हैं?

डिमेंशिया से पीड़ित लोगो को नीचे बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण अनुभव हो सकता है, ज्यादातर मस्तिष्क में क्षति के कारण होते हैं - इनमें में कुछ लोग अपने लक्षण को खुद ही देख सकते हैं -   

  • हाल ही में याददाश्त खोना - इसका संकेत ये होगा कि बार-बार एक ही सवाल का पूछना।
  • घरेलू कार्यों को पूरा करने में कठिनाई - उदाहरण के लिए, चाय या कॉफी बनाना या खाना बनाना। 
  • बातचीत करने में समस्या - भाषा के साथ कठिनाई; सरल शब्दों को भूलना और उसके जगह गलत शब्दो का उपयोग करना। 
  • भटक जाना - किसी पुरानी जानी-पहचानी गली या सड़क को भूल जाना 
  • संक्षेप में सोचने की समस्या - उदाहरण के लिए, पैसो का लेन देन। 
  • चीजों को रखकर भूलना - उदाहरण के लिए, उन स्थानों को भूलना जहाँ पर रोज इस्तेमाल करने वाले सामान रखे हो जैसे की चाभी या पर्स। 
  • मूड या व्यवहार बदलना - दृष्टिकोण या स्वभाव में अचानक परिवर्तन आना। (और पढ़ें - मूड अच्छा बनाने के लिये क्या खाएं)
  • व्यक्तित्व में बदलाव - जैसे कि चिड़चिड़ा, संदिग्ध या भयभीत होना। 
  • पहल करने में झिजक - किसी चीज़ को शुरू करना में या फिर कहीं जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाना।

(और पढ़ें - डर का इलाज)

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के कारण और जोखिम कारक - Dementia Causes & Risk Factors in Hindi

डिमेंशिया क्यों होता है?

डिमेंशिया आमतौर पर सेरेब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral Cortex) में गड़बड़ी के कारण होता है, जो मस्तिष्क का एक हिस्सा होता है। यह विचार करने, निर्णय लेने और व्यक्तित्व को कायम रखने का भी काम करता है। जब इन हिस्सों में मस्तिष्क कोशिकाएं नष्ट हो जाती है तो यह संज्ञानात्मक दोष का कारण बन जाता है, जो डिमेंशिया की विशेषता है।

डिमेंशिया के कुछ ऐसे कारण जिससे इसके होने का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे -

डिमेंशिया के दो प्रमुख कारक हैं अल्जाइमर रोग (तंत्रिका कोशिकाओं में लगातार नुकसान होना जिसके कारण का स्थायी रूप से पता न होना) और वैस्कुलर डिमेंशिया (लगातार छोटे स्ट्रोक्स के कारण दिमाग के कार्यों में नुकसान होना) -

  1. अल्जाइमर रोग
    अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम रूप होता है, जिसके लक्षण अपरिवर्तनीय होते हैं। अल्जाइमर, मस्तिष्क में असामान्य रूप से प्रोटीन जमा होने के कारण, मस्तिष्क कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। जिनका काम मस्तिष्क के क्षेत्र में मानसिक कार्यों को नियंत्रित करना होता है।
     
  2. वैस्कुलर डिमेंशिया
    यह डिमेंशिया का दूसरा सबसे बड़ा प्रकार है। यह डिमेंशिया एथेरोस्क्लेरोसिस (जिसमे वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थ आर्टरी की परत के अंदर और बाहर जम जाता है)। इन रुकावटों के वजह से मस्तिष्क में खून का प्रवाह रुक जाता है, जिसकी वजह से कई स्ट्रोक आने की संभावना रहती है। 

    वैस्कुलर डिमेंशिया को आमतौर पर हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, ह्रदय रोग, शुगर की बीमारी (डायबिटीज) आदि से संबंधित माना जाता है। इन बीमारियों का इलाज करने से वैस्कुलर डिमेंशिया को बढ़ने से रोका जा सकता है लेकिन इसके कारण से मस्तिष्क की रूकी हुई कार्यप्रणाली को फिर से चलाना संभव नहीं है।​

अन्य कारण
अन्य अपरिवर्तनीय चिकित्सा स्थिति भी डिमेंशिया (बहुत कम दर पर) पैदा कर सकती हैं, जिसका उदाहरण पार्किंसंस रोग है। 

डिमेंशिया होने के जोखिम कारक क्या होते हैं?

  1. उम्र बढ़ना
    उम्र डिमेंशिया के लिए सबसे मजबूत जोखिम कारक माना जाता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही डिमेंशिया बढ़ने की संभावना बढ़ रहती है। उम्र बढ़ने से जुड़े जोखिम कारक हैं -
    • हाई बीपी, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाना
    • मध्य जीवन के बाद तंत्रिका कोशिकाओं, डीएनए, सेल संरचना में परिवर्तन और सेक्स हार्मोन में कमी आना
    • शरीर की प्राकृतिक आरोग्य प्रणाली का कमजोर हो जाना
    • प्रतिरक्षा प्रणाली में परिवर्तन
       
  2. लिंग
    पुरुषों और महिलाओं को डिमेंशिया होने का समान जोखिम होता है। वैस्कुलर डिमेंशिया का जोखिम पुरुषो में महिलाओं की तुलना में थोड़ा अधिक होता है। इसका कारण यह है कि पुरुषों में स्ट्रोक और हृदय रोग होने की संभावना अधिक होती है, जो वैस्कुलर और मिक्स्ड डिमेंशिया पैदा कर सकता है।
     
  3. जेनेटिक्स
    डिमेंशिया के विकास में जीन की भूमिका अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन हाल के वर्षों में शोधकर्ताओं ने काफी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की हैं।
     
  4. जातीयता
    ऐसे कुछ सबूतों के तौर पर, कुछ नस्लीय समुदायों के लोगों को दूसरों की तुलना में डिमेंशिया का ज्यादा जोखिम होता है। उदाहरण के तौर पर जैसे कि दक्षिण एशिया के लोग।
     
  5. लाइफस्टाइल कारक
    • शारीरिक आलस्य - यह डिमेंशिया विकसित करने के लिए सबसे प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। इससे हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते खतरों से भी जोड़ा गया है।
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    • अत्यधिक शराब - नियमित रूप से अल्कोहॉल पीने से एक व्यक्ति में डिमेंशिया का जोखिम बढ़ जाता है। जिसमे अल्जाइमर रोग और वैस्कुलर डिमेंशिया के होने का जोखिम शामिल है। 
    • धूम्रपान - धूम्रपान मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं सहित फेफड़ों और संवहनी वैस्कुलर सिस्टम को अत्यधिक हानि पहुंचाता है। धूम्रपान करने से बाद के जीवन में कभी भी डिमेंशिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है, खासकर अल्जाइमर रोग के विकसित होने का। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)
    • सिर की चोट - सिर पर एक गंभीर वार, विशेष रूप से सिर पर पटका जाना या सिर के बल गिर जाना - ऐसी स्थिति में आगे जीवन में किसी भी समय डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से बचाव - Prevention of Dementia in Hindi

डिमेंशिया होने से कैसे रोक सकते हैं?

डिमेंशिया से बचने के लिए कोई टीका नहीं है।

फिर भी स्वस्थ जीवनशैली के विकल्प जैसे - स्वास्थ्य आहार, व्यायाम, बौद्धिक और सामाजिक गतिविधि आदि, डिमेंशिया होने के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते है। हालांकि, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ये रोकथाम के उपाय हर व्यक्ति के लिए काम करेंगें। इनमें से किसी की भी  वैज्ञानिक रूप से पुष्टि नहीं मिल पाई है।

1. आहार / पोषण -

शोध के अनुसार, 'स्वस्थ-मस्तिष्क' संबंधी आहार के सेवन से डिमेंशिया होने के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके तहत फल, सब्जियां, साबुत अनाज, अन्य मिश्रित कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर और मैग्नीशियम का ज्यादा सेवन करें। सप्लिमेंट्स जैसे विटामिन बी 12, विटामिन सी, विटामिन ई और फोलेट, एक स्वस्थ दिमाग बनाए रखने में मदद करते हैं। अगर संभव हो तो ऐसे भोजन का सेवन करें जिनसे सीधे इन पोषक तत्वों की प्राप्ति हो। 

2. व्यायाम -

नियमित रूप से व्यायाम करना और उसकी आदत बनाएं रखना, जीवनशैली में बदलाव लाता है। जब मस्तिष्क के स्वास्थ्य की बात आती है तो बहुत ज्यादा व्यायाम करने की जरूरत नहीं होती और ज्यादा लाभ के लिए ज्यादा समय लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह नियमित आधार पर किया जाना चाहिए (जैसे, अधिकतर लोगों के लिए प्रति दिन 30 मिनट बेहतर परिणाम के लिए पर्याप्त है।)

कार्डियोवास्कुलर व्यायाम (Cardiovascular exercise- वह व्यायाम जो आपके दिल की पम्पिंग बल को मजबूत करता है, जैसे कि तैरना, पैदल चलना, दौड़ना और साइकिल चलाना) और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Resistance training; जैसे कि वजन उठाना जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है) ये स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर व्यायाम में से एक हैं।

व्यायाम काफी फायदेमंद होते है क्योंकि यह मस्तिष्क तक पहुंचने वाले रक्त प्रवाह को बढ़ाते हैं और वास्कुलर डिमेंशिया होने के जोखिम को कम करते हैं। नियमित शारीरिक व्यायाम हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है, जो मस्तिष्क सेल के अस्तित्व को बनाए रखने वाले जरूरी रसायनों को उत्तेजित करता है। इस प्रकार, यह डिमेंशिया को शुरु होने से रोक सकता है।

(और पढ़ें - फिट रहने के लिए एक्सरसाइज)

3. मानसिक गतिविधि -

मानसिक व्यायाम करने से अल्जाइमर होने के जोखिम को कम किया जा सकता है। मस्तिष्क को सक्रिय रखने से मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच संपर्क को मजबूत किया जा सकता है और साथ ही मानसिक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।

मानसिक रूप से सक्रिय रहने के लिए आजीवन सीखने के विचार का होना महत्वपूर्ण है। इसका मतलब यह है कि हमेशा नई चीजें सीखे, पुराने कार्यों को दोबारा करने के बजाय कुछ नया करने का अनुभव करना चाहिए। अलग-अलग और नई चीज़े दिमाग को तेज रखती हैं और स्वस्थ मस्तिष्क की तरफ बढ़ावा देती हैं।

(और पढ़ें - दिमाग तेज करने के तरीके)

4. सामाजिकता से जुड़ना -

घर परिवार के लोगों के साथ घुल-मिल कर रहना और दोस्तों के साथ भी अपना संपर्क बनाएं रखना, ऐसा करने से डिमेंशिया होने के जोखिम कम हो जाते हैं। जैसे कि, परिवार और दोस्तों के नेटवर्क में हमेशा भाग लेना चाहिए, जो डिमेंशिया के लक्षण को कम कर सकते हैं।

सामाजिक संपर्क भी दिमाग के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच संपर्क को उत्तेजित करता है। शोध के मुताबिक सामाजिक गतिविधियां जो शारीरिक और मानसिक गतिविधि को जोड़ती हैं, डिमेंशिया को रोकने में सबसे ज्यादा प्रभावी होती हैं। 

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का परीक्षण - Diagnosis of Dementia in Hindi

डिमेंशिया का परीक्षणनिदान कैसे किया जाता है?

1. डिमेंशिया मस्तिष्क स्कैन (Dementia brain scans)

मस्तिष्क स्कैन का उपयोग अक्सर डिमेंशिया के निदान के लिए किया जाता है। उन्हें अन्य संभावित समस्याओं के प्रमाण की जांच करने की जरूरत होती है जो किसी व्यक्ति के लक्षणों, जैसे कि एक प्रमुख स्ट्रोक या मस्तिष्क ट्यूमर को दर्शाता है। इसके तहत सीटी स्कैन (CT Scan) और एमआरआई स्कैन (MRI Scan) किया जाता है जो स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर के लक्षण की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

स्कैन से रक्त वाहिकाओं के खराब होने की (अगर खराब हैं तो) पूर्ण जानकारी मिल जाती है, जो वास्कुलर डिमेंशिया होने के कारण खराब होती हैं। इसके साथ ही इस जाँच से यह भी पता किया जाता है कि मस्तिष्क का कोई भाग सिकुड़ तो नहीं रहा है। फ्रोंटोटेम्पोरल डिमेंशिया में, दिमाग के फ्रंटल और टेम्पोरल लोब मुख्य रूप से सिकुड़ना शुरू कर देते हैं। कुछ मामलों में, इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG) किया जा सकता है जो मस्तिष्क के विद्युत संकेतों (मस्तिष्क गतिविधि) का रिकॉर्ड रखता है। 

2. डिमेंशिया के लिए रक्त परीक्षण

जिन लोगों में डिमेंशिया का संदेह हो रहा है उन लोगों में स्वास्थ्य की पूर्ण जांच के लिए रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) किया जाता है। इस ब्लड टेस्ट में अन्य प्रकार कि स्थितियों का पता भी चला जाता है, जैसे कि थाइरॉयड हार्मोन और विटामिन बी 12 के स्तर आदि।

3. मिनी मानसिक स्थिति परीक्षा (Mini mental state examination)

एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला परीक्षण मिनी मानसिक स्थिति परीक्षा (एमएमएसई - MMSE) है।

एमएमएसई (MMSE) विभिन्न मानसिक क्षमताओं की स्थिति का जांच करता है, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • लघु और दीर्घकालिक याददाश्त
  • ध्यान केंद्रित रखने की सीमा 
  • ध्यान केंद्रित रखना (और पढ़ें - ध्यान लगाने की विधि)
  • भाषा और बातचीत करने का कौशल
  • योजनाएं बनाने की क्षमता
  • निर्देशों को समझने की क्षमता
  • एमएमएसई (MMSE) डिमेंशिया का निदान करने के लिए परीक्षण नहीं है। हालांकि, मानसिक विकृति के स्तर का आकलन करने के लिए यह उपयोग किया जाता है जो डिमेंशिया पीड़ित व्यक्ति को हो सकता है।

4. संज्ञानात्मक डिमेंशिया परीक्षण (Cognitive dementia test)

संज्ञानात्मक डिमेंशिया परीक्षण का उपयोग डिमेंशिया के संकेतों का पता करने का एक विश्वसनीय तरीका माना जाता है।

4.1 मानसिक परीक्षण स्कोर

संक्षिप्त मानसिक परीक्षण स्कोर में कुछ ऐसे प्रश्न होते हैं, उदाहरण के लिए-

  • आपकी उम्र क्या है?
  • समय क्या है?
  • साल क्या है?
  • आपकी जन्मतिथि क्या है?

प्रत्येक सही जवाब पर एक अंक मिलता है, जिसमें दस में से छह या उससे कम अंक हासिल होने पर उस व्यक्ति में संज्ञानात्मक हानि का पता चलता है।

4.2 जनरल प्रैक्टिशनर असेसमेंट ऑफ कॉग्निशन (GPCOG) टेस्ट

जनरल प्रैक्टिशनर असेसमेंट ऑफ कॉग्निशन (GPCOG) के परीक्षण के दौरान रिश्तेदारों और देखभालकर्ताओं की मरीज के प्रति उनकी निगरानी या देखभाल का अवलोकन किया जाता है। यह परीक्षण डॉक्टरों के लिए बनाया गया है, इस तरह की जांच एक व्यक्ति की मानसिक क्षमता का पहला औपचारिक मूल्यांकन कर सकता है और परीक्षण के दूसरे भाग में रोगी के किसी करीबी व्यक्ति की जांच होती है और इसमें यह जानने के लिए सवाल किए जाते हैं -

  • हाल की घटनाओं या बातचीत को याद करने में दिक्कत,
  • सही शब्दों का चुनाव न कर पाना और उसकी जगह पर गलत शब्दों का इस्तेमाल करना, 
  • पैसे या दवाओं को गिनने या रखने में कठिनाई होना,
  • बाहर जाने के समय अधिक सहायता लेने की आवश्यकता इत्यादि।

यदि ये सवाल याददाश्त की कमी को दर्शाते है, तो मानक जांच का सुझाव दिया जाता है, जैसे नियमित रूप से खून की जांच और मस्तिष्क सीटी स्कैन जैसा कि ऊपर बताया गया है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट)

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का इलाज - Dementia Treatment in Hindi

डिमेंशिया का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। अधिकांश डिमेंशिया का जिसमें अल्जाइमर रोग भी शामिल है का कोई इलाज नहीं है, जो इन्हे बढ़ने से रोक सके। लेकिन कुछ ऐसी दवाइयां हैं जो अस्थायी तौर पर इनके लक्षणों में सुधार कर सकती हैं। जो दवाइयां अल्जाइमर रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है, कभी-कभी ऐसी ही दवाओं का प्रयोग अन्य प्रकार के डिमेंशिया के लक्षणों में मदद करने के लिए भी किया जाता है। कुछ ऐसे उपचार भी हैं जिसमें दवाओं का उपयोग नहीं किया जाता है, जो इसके लक्षणों में काफी मददगार होते हैं। 

अधिकांश प्रकार के डिमेंशिया को ठीक नहीं किया जा सकता है। पर कुछ ऐसे रास्ते हैं जिससे मरीज के लक्षणों में सुधार लाया जा सकता है। 

1. दवाएं 

नीचे बताई गई दवाओं का सेवन करने से डिमेंशिया के लक्षणों में सुधार किया जा सकता है -

  • कोलीनेस्टेरेस इनहिबिटर्स (Cholinesterase inhibitors) - इन दवाओं में डॉनेपेजिल अरिसेप्ट (Donepezil Aricept), राइवस्टिगमिन (एक्सेलॉन- Exelon),गैलेंटामीन (Galantamine) शामिल हैं, जो मष्तिष्क के रासायनिक घटकों के स्तर को बढ़ाकर याददाश्त और निर्णय लेने की शक्ति को मजबूत करता है। हालाँकि, ये दवाएं अल्जाइमर रोग के इलाज में काम आती हैं, पर इन दवाओं को, अन्य डिमेंशिया का इलाज करने के लिए भी निर्धारित किया जा सकता है, जिनमें- वैस्कुलर डिमेंशिया, पार्किंसंस डिमेंशिया और लेवी बॉडी डिमेंशिया शामिल है। 
  • मैंमेनंटाइन (Memantine) - मैंमेनंटाइन, नंमेंडा (Memantine namenda)) ग्लूटामेट की गतिविधि के क्रम में काम करता है। कुछ मामलों में, मैंमेनंटाइन (Memantine) को कोलीनेस्टेरेस इनहिबिटर्स (Cholinesterase inhibitors) के साथ निर्धारित किया जाता है।
  • अन्य दवाएं - आपके चिकित्सक अन्य लक्षण जैसे की अवसाद, नींद न आना या बेचैनी आदि के इलाज के लिए अन्य दवाएं लिख सकते हैं-
    • साइकोट्रॉपिक दवाएं (Psychotropic Drugs) - मनोचिकित्सक दवाओं (Psychotropic drugs) का उपयोग डिमेंशिया में होने वाले स्वभाव-संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए सहायक माना जाता है। उदाहरण के लिए, एंटीसाइकोटिक दवाएं (Antipsychotic medications/ आमतौर पर सिज़ोफ्रेनिया जैसी विकारों का इलाज के लिए इस्तेमाल होता हैं), जो मरीज की लगातार बढ़ती उत्तेजनाओं को नियंत्रित करती हैं। यह उन मरीजों के लिए भी प्रभावित हो सकती हैं जो नॉन-फार्मेकोलोजिकल (Non-Pharmacological) दवाइयों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। ऐसी स्थिति में भी इन दवाइयों का प्रयोग किया जाता है, जहां रोगी का स्वयं या दूसरों को नुकसान पहुंचाने का खतरा होता हो। हालांकि, इस तरह की स्थिति में क्रम अनुसार इलाज करने की बजाय कम अवधि का इलाज किया जाना चाहिए। 
    • चिंता निवारक दवाएं - आमतौर पर चिंता निवारक दवाएं, चिंता विकारों का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं) इनका प्रयोग मरीज की उत्तेजना और बैचेनी जैसी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसी तरह एंटीडिप्रेस्सेंट दवाएं अवसाद के लक्षणों को कम करने के लिए निर्धारित की जाती हैं। इसमें अवसाद के लक्षणों का इलाज विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अवसाद के वजह से डिमेंशिया वाले व्यक्तियों को चीजें याद रखने में और जीवन का आनंद लेने में काफी कठिनाई होती है। अवसाद के कारण उनमें किसी दूसरे व्यक्ति की बहुत ज्यादा देखभाल करने समस्या भी हो जाती है। अवसाद के इलाज से मरीज में महत्वपूर्ण सुधार किए जा सकते हैं, जिससे रोगी के मूड और अन्य गतिविधियों में भाग लेने की क्षमता में सुधार किया जा सकता है।

सामान्य तौर पर, डिमेंशिया के मरीजों को दवाएं बहुत सावधानीपूर्वक और प्रभावी खुराक दी जानी चाहिए, ताकि उनमें दवाओं के दुष्प्रभावों की संभावना कम हो। आमतौर पर दवा लेने के समय मरीज की देख-रेख रखना आवश्यक है। इनमे से प्रत्येक दवा के साथ, साइड इफेक्ट्स और अन्य कई जोखिम जुड़े हुऐ हैं। इसलिए, सावधानीपूर्वक जोखिम- लाभों का मूल्यांकन, इलाज शुरू करने से पहले और इलाज के दौरान नियमित रूप से किया जाना चाहिए। हालांकि, यह ध्यान में रखना चाहिए कि ये दवाएं डिमेंशिया का इलाज नहीं कर सकती हैं और ना ही लक्षणों को कम या खत्म कर सकती हैं। इसका कोई सबूत नहीं है कि इन दवाओं के लेने से किसी का जीवन लंबा हो सकता है। लेकिन, ये दवाएं कुछ मरीजों के गतिविधि को लंबी अवधि के लिए बेहतर बना सकती हैं।

कृपया कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

2. अन्य चिकित्सा

नीचे लिखे तकनीकों से डिमेंशिया वाले लोगों में उत्तेजना को कम करने और उनको राहत का अनुभव कराने में मदद मिल सकती है।

  • संगीत थैरेपी, जिसमें शांतिदायक संगीत सुनना शामिल है।
  • पेट थैरेपी, जिसमें पशुओं को पाला जाता है, जैसे कि कुत्ते को पालना और उसके साथ घूमने निकलना, इससे डिमेंशिया ग्रस्त लोगों के मूड और व्यवहार को सुधारने में मदद मिल सकती है। 
  • अरोमाथैरेपी, जिसमे सुगंधित पौधे के तेलों का उपयोग किया जाता है।
  • मालिश थैरेपी, जिसमें मालिश की सहायता से मरीज की बेचैनी जैसी समस्याओं से राहत दी जाती है।
  • आर्ट थेरेपी, जैसे कला बनाना, जिसमें परिणाम की बजाय प्रक्रिया पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है।
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डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की जटिलताएं - Dementia Complications in Hindi

डिमेंशिया से क्या जटिलताएं पैदा हो सकती हैं?

 कुछ ऐसी संभावित जटिलताएं हो सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • पहले की तुलना में कार्यो को करने में कम क्षमता महसूस होना जैसे खुद के लिए कोई काम करने या अपनी देखभाल करनें में कमी, 
  • पहले की तुलना में दूसरों के साथ बातचीत करने के क्षमता में कमी आना,
  • जीवनकाल में कमी आना,
  • शरीर के भीतर संक्रमण का बढ़ना। 

जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, अतिरिक्त जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे -

  • एक समय में एक से अधिक कार्य करने में कठिनाई,
  • समस्याओं को सुलझाने में कठिनाई,
  • कठिन गतिविधियां को करने के लिए अधिक समय लगना,
  • भाषा के प्रयोग की समस्या,
  • चीज़ो को भूलना,
  • जाने-माने रास्तों पर खो जाना, 
  • व्यक्तित्व में परिवर्तन और सामाजिक कौशल की कमी,
  • उन चीजों में रुचि खोना जिसमे पहले मज़ा आता था,
  • नींद की आदतों में बदलाव, अक्सर रात में जागना,
  • पढ़ने या लिखने में कठिनाई,
  • निर्णय लेने की क्षमता और खतरों को पहचानने की क्षमता में कमी,
  • गलत शब्द का प्रयोग करना, शब्दो का उच्चारण सही से न करना, बेमतलब की बातें करना,
  • मतिभ्रम, बहस करना, हड़बड़ी करना और हिंसक व्यवहार,
  • भ्रम, अवसाद, उत्तेजना,
  • सामान्य काम करने में कठिनाई,
  • खाद्य पदार्थ और तरल पदार्थ दोनों को निगलने में कठिनाई,
  • असंयमिता (पेशाब या शौच पर नियंत्रण में कमी आना),
  • आसानी से किए जाने वाले काम करने में कठिनाई होना, जैसे कि -
    • चेकबुक का इस्तेमाल करना या पढ़ना 
    • जटिल खेल खेलना जैसे कि पुल
    • नई जानकारी लेना या रूटीन बनाना इत्यादि।

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) में परहेज - What to avoid during Dementia in Hindi?

डिमेंशिया रोगियों द्वारा निम्नलिखित चीजों को टाला जाना चाहिए -

  1. धूम्रपान
    यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इसे तुरंत ही छोड़ दें, यह बेहतर होगा कि धूम्रपान को जितना जल्दी हो सके बंद कर दिया जाए (या फिर धूम्रपान कभी शुरू ही ना किया जाए)।  
     
  2. तला हुआ भोजन / प्रोसेस्ड मांस
    विशेष रूप से नाइट्राइट और नाइट्रेट्स, जो प्रोसेस्ड मीट में काफी मात्रा में होता हैं, जो नाइट्रोसामाइन कंपाउंड होता है से बचाना। 
     
  3. MSG (मोनो-सोडियम ग्लूटामेट) युक्त खाद्य पदार्थ
    पैक्ड और बाहर का तैयार खाना, जिसमें चिप्स, सलाद (चटनी/सॉस), फ्रिज में रखा रात का खना और अन्य मोनोसोडियम ग्लूटामेट आदि जिसको MCG के रूप में जाना जाता है, जिनका उपयोग पैक और तैयार खाद्य पदार्थों में किया जाता है। इसके उपयोग से खाद्य पदार्थ लंबे समय तक खराब नहीं होते और उनका स्वाद भी बढ़ जाता है। लेकिन, इसके सेवन से अल्जाइमर रोग होने के जोखिम और लक्षण बढ़ जाते हैं।
     
  4. वजन बढ़ना / मोटापा
    शारीरिक रूप से आलसी होना डिमेंशिया के लिए एक सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक बन सकता है। (और पढ़ें - वजन कम करने के आसान उपाय और मोटापा कम करने के घरेलू उपाय)

    डाइट कर के और एक्सरसाइज कर के थक चुके है और वजन काम नहीं हो पा रहा है तो myUpchar आयुर्वेद मेदारोध फैट बर्नर जूस का उपयोग करे  इसका कोई भी  दुष्प्रभाव नहीं है आज ही आर्डर करे और लाभ उठाये।
     
  5. तनाव / डिप्रेशन
    जब कोई व्यक्ति 60 या उससे अधिक उम्र में होता है, तो उसके लिए जोखिम कारकों की बजाय इस उम्र में तनाव डिमेंशिया का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है।
     
  6. उच्च रक्तचाप और हृदय रोग
    इन कार्डियोवास्कुलर स्थितियों और रक्तचाप को डिमेंशिया से जोड़ा जाता है। इसका कारण यह है कि मस्तिष्क में पर्याप्त खून नहीं पहुँच पाता है जो वैस्कुलर डिमेंशिया होने का कारण बनता है। (और पढ़ें - हाई बीपी कम करने के उपाय)
     
  7. ज्यादा शराब पीना
    नियमित रूप से और ज्यादा मात्रा में अल्कोहल के सेवन से डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - शराब छोड़ने के उपाय)

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Dementia in Hindi?

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) में क्या खाएं?

डिमेंशिया में हमें भूमध्य आहार का सेवन करना चाहिए, जैसे की थोड़ा लाल मांस और हर प्रकार के अनाज, फल और सब्जियां, मछली और नट्स, जैतून का तेल भी इसमें काफी लाभदायक होता है।

डिमेंशिया से ग्रसित मरीजों के लिए आहार संबंधी सलाह कुछ इस प्रकार हैं -

  • हरी पत्तियों वाली सब्जियां - पालकपत्ता गोभी, सरसों के पत्ते (सरसों का साग), ये पत्तियां फोलेट और विटामिन बी 9 से परीपूर्ण होती हैं जो मरीज की अनुभूति में सुधार लाती हैं और अवसाद व तनाव को कम करती हैं।
  • पत्तेदार सब्जियां - ब्रोकली, फूलगोभी, ब्रसल स्प्राउट्स आदि में काफी मात्रा में फोलेट होता है। इसके साथ ही इनमें कार्टेनोइड भी होता है जो होमो-सिस्टिन (Homo-Cysteine) के स्तर को निम्न बना कर रखता है। होमो-सिस्टन एक प्रकार का अमीनो एसिड होता है जिससे संज्ञात्मक जोखिम जुड़े होते हैं।
  • सेम और फलियां - इन खाद्य पदार्थों में बहु मात्रा में फोलेट जैसे, आयरन, मैग्नीशियम और पॉटैशियम पाया जाता है, जो सामान्य शरीर के कार्यों और न्यूरॉन फायरिंग (Neuron Firing) में मदद करता है।  
  • साबुत अनाज - इसमें क्विनोआ, कैमट और ग्लूटेन फ्री ऑट्स शामिल हैं (रोटी, ब्रैड या आटा से बनी चीजें शामिल नहीं हैं)
  • जामुन और चेरी - इन फलों में एंथॉसायनिन होता है जो, ्शरीर में मुक्त राडिकल्स (Free radicals) से आगे होने वाली हानियों से मस्तिष्क की रक्षा करता है। इसमें शरीर में सूजन से लड़ने वाले कई प्रकार के गुण हैं, इसके अलावा इनमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और विटमिन ई और सी पाए जाते हैं।
  • सीताफल, स्क्वैश, शतावरी, टमाटर, गाजर और चुकंदर - ये सब्जियां अगर ज्यादा पकाई हुई ना हो तो इनमें विटामिन ए, फोलेट और आयरन शामिल होते हैं जो मस्तिष्क को अनुभूति देने में मदद करते हैं। 
  • ओमेगा 3 - जिन लोगों के आहार में नियमित रूप से हर रोज ओमेगा 3एस शामिल होता है। उन लोगों को में मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं के होनें के 26% तक कम संभावनाएं होती हैं, उन लोगों की तुलना में जो नियमित रूप से ओमेगा 3S का सेवन नहीं कर पाते। ये वसामयी अम्ल मस्तिष्क को सही आकार में रहने में मदद करते हैं। आमतौर पर ओमेगा 3S के स्त्रोत मछली, अलसी के बीज, जैतून का तेल (सूरजमुखी का तेल का नहीं) और कुछ अच्छी किस्म के ओमेगा 3S के सप्लिमेंट्स होते हैं।
  • बादाम, काजू, अखरोट, मूंगफली, पिकेन नट - इनमें ओमेगा 3एस, ओमेगा 6एस, विटामिन ई और विटामिन बी 6, मैग्निशियम और फोलेट काफी मात्रा में पाए जाते हैं। 
  • कद्दू और सूरजमुखी के बीज - इन बीजों में जिंक, कोलीन और विटामिन ई होता है।
  • दालचीनी, हल्दी और जीरा - ये सभी प्रकार के मसाले मस्तिष्क के प्लॉक को तोड़ने और मस्तिष्क में आई सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिस कारण से मस्तिष्क में यादाश्त सबंधित समस्याएं होती हैं। इसके अलावा आप उन बीमारियों के जोखिम को भी कम कर सकते हैं। जिसका प्रभाव आपके मस्तिष्क पर पड़ता है, जैसे मोटापा, ह्रदय संबंधित रोग, डायबिटिज, हाई ब्लड प्रेशर आदि।

(और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज और डायबिटीज डाइट चार्ट)



संदर्भ

  1. EL Cunningham et al. Dementia. Ulster Med J. 2015 May; 84(2): 79–87. PMID: 26170481
  2. National Institute on Aging. What Is Dementia? Symptoms, Types, and Diagnosis. U.S Department of Health and Human Services. [Internet]
  3. Adrianne Dill Linton. Introduction to Medical-Surgical Nursing. Elsevier Health Sciences, 2015. 1408 pages
  4. Health On The Net. What causes dementia?. [Internet]
  5. Alzheimer's Association. Alzheimer's and Dementia in India. Chicago, IL; [Internet]
  6. National institute of neurological disorders and stroke [internet]. US Department of Health and Human Services; Dementia Information

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Dementia in Hindi

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।