सेहतमंद रहने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। बेहतर नींद लेने पर आप एक्टिव रहते हैं। साथ ही बीमारियों का खतरा भी कम होता है, लेकिन इसके विपरीत कम नींद आपको बीमार बना सकती है। एक मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि जिन लोगों की रात में नींद बीच में टूटती है, उनमें सिरदर्द या माइग्रेन की समस्या बढ़ जाती है।

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि किस प्रकार नींद में आई कमी माइग्रेन की समस्या को बढ़ा सकती है -

  1. क्या कहती है रिपोर्ट?
  2. कैसे की गई रिसर्च?
  3. विशेषज्ञों की राय
  4. घर पर माइग्रेन के दर्द से कैसे निपटें?
  5. डॉक्टर की राय
  6. सारांश
नींद में खलल पड़ने से हो सकता है माइग्रेन, जानें इससे निपटने के उपाय के डॉक्टर

ये रिसर्च अमेरिका में ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल द्वारा की गई थी, जिसे जरनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित किया है। शोधकर्ताओं की टीम ने रिसर्च के दौरान अनिद्रा और माइग्रेन के बीच संबंधों को जानने की कोशिश की। अध्ययन के बीच शोधकर्ताओं ने पाया कि माइग्रेन से पीड़ित, आधे से ज्यादा मरीजों ने नींद खराब होने पर सिरदर्द होने की समस्या के बारे में रिपोर्ट की।

अध्ययनकर्ताओं ने आंकलन और एक्टिग्राफी के तहत देखा कि नींद में खलल पड़ने के बाद (नींद खराब होने की स्थिति में बिस्तर पर लेटे रहना) अगले दिन माइग्रेन की समस्या से लोगों को जूझना पड़ा था। 

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नींद में खलल के बाद माइग्रेन के नतीजों को जानने के लिए, बर्टिस्क उनके साथियों ने एपिसोडिक माइग्रेन वाले 98 वयस्कों का एक प्रोस्पेक्टिव कोहोर्ट (एक बीमारी से ग्रस्त लोगों की अलग-अलग आदतों को लेकर रिसर्च) अध्ययन किया। इसमें वे लोग शामिल थे, जिन्हें कम से कम दो बार माइग्रेन का सिरदर्द हुआ, लेकिन उनमें प्रतिमाह 15 दिन से कम सिरदर्द हुआ था।

  • इसके बाद अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों ने दिन में दो बार इलेक्ट्रॉनिक डायरी पूरी की। जिसमें उन्होंने 6 हफ्तों तक अपनी नींद, सिरदर्द और स्वास्थ्य आदतों की पूरी रिपोर्ट दर्ज की।
  • इस दौरान, सभी लोगों के नींद से जुड़े पैटर्न या तरीके को व्यवस्थित रूप से जानने के लिए सोते समय उनकी एक कलाई पर एक्टिग्राफ (शरीर की गतिविधियों को ट्रैक करने वाली एक मशीन है) पहनाई गई थी।
  • अध्ययनकर्ताओं की टीम ने माइग्रेन बढ़ने के दूसरे आंकड़ों को इकट्ठा किया, जिसमें लोगों के डेली रूटीन की आदतें शामिल थी। जैसे- शारीरिक गतिविधियां और तनाव  
  • 6 सप्ताह का पूरा कोर्स होने के बाद, 870 प्रतिभागियों ने सिरदर्द की समस्या बताई। जिनकी सोने की अवधि रात के समय साढ़े 6 घंटे या उससे भी कम थी। ऐसे लोगों में खराब नींद के कारण माइग्रेन की समस्या तुरंत बाद या उसके अगले दिन से जुड़ी नहीं थी।
  • हालांकि, अध्ययन में बताया गया है कि नींद में खलल पड़ने का संबंध दोनों तरह के लोगों में (जिन्होंने डायरी और एक्टिग्राफी से अपनी रिपोर्ट दर्ज की थी) माइग्रेन की समस्या से जुड़ा था, जो कि अगले ही दिन से लोगों के लिए समस्या बना। 

(और पढ़ें - अच्छी और गहरी नींद आने के घरेलू उपाय)

अमेरिका में बेथ इजरैल डेकोनेस मेडिकल सेंटर के अध्ययनकर्ता सुज़ैन बर्टिस्क का कहना है कि नींद बहुआयामी होती है और जब हम नींद से जुड़े कुछ पहलुओं को देखते हैं तो हमने पाया कि नींद के खराब होने (जब आप जल्दी उठ जाते हैं और फिर सोने की कोशिश करते हैं) के चलते तुरंत माइग्रेन की समस्या नहीं होती, लेकिन अगले दिन इसका असर दिखाई देता है। 

(और पढ़ें - सिरदर्द से छुटकारा पाने के उपाय)

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माइग्रेन के अटैक से असहनीय सिरदर्द हो सकता है, जिससे निपटना मुश्किल होता है। हालांकि, कुछ घरेलू उपचार हैं जो माइग्रेन के अटैक और सिरदर्द से निपटने में मददगार हो सकते हैं, जैसे- 

  • माइग्रेन के दर्द से राहत पाने के लिए पुदीना और लैवेंडर के तेल का इस्तेमाल करें। इनके चिकित्सीय प्रभाव हैं और सिरदर्द होने पर विशेष रूप से सहायक हो सकते हैं। 
  • तुलसी का सेवन, तंत्रिका तंत्र पर बहुत शांत प्रभाव डालता है। यह आपके मस्तिष्क को आराम देती है और माइग्रेन को कम करती है। दिन में दो बार तुलसी की चाय में एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं।  
  • मालिश सिरदर्द की समस्या को हल करने के लिए एक बहुत ही असरदार तरीका है। मालिश, मस्तिष्क में दर्द के संकेतों को रोक कर दर्द को दूर करने में मदद करता है।

(और पढ़ें - पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को क्यों होता है माइग्रेन)

myUpchar से जुड़ी डॉक्टर शहनाज़ ज़फर के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति पहले से तनाव या स्ट्रेस के कारण माइग्रेन की समस्या से ग्रसित है तो रात के समय में नींद का टूटना, माइग्रेन के अटैक की वजह बन सकता है। जो काफी गंभीर होता है। 

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रिपोर्ट के आधार पर देखा जाए तो नींद का टूटना और दोबारा नींद नहीं आना माइग्रेन को बढ़ाने का कारण हो सकते हैं। जैसे कि डॉक्टरों ने भी बताया है। इसलिए नींद टूटने की वजहों से बचें। इसके अलावा, ऐसी स्थिति में घरेलू उपचार का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

Dr. Vinayak Jatale

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