अपच गर्भवती महिलाओं में, विशेष रूप से गर्भावस्था के अंत में, होने वाली एक आम शिकायत है। इसे अक्सर छाती में जलन के रूप में जाना जाता है जो पेट से ऊपर गले की ओर बढ़ती जाती है। यह एक बहुत ही कष्टदायक अनुभव होता है और अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य और भलाई के बारे में चिंता का विषय है। ऐसा कुछ कारणों से होता है और इसके लक्षणों को करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकती हैं, जिन पर इस लेख में चर्चा की गयी है। इसे आम भाषा में बदहजमी और खट्टी डकार भी कहते हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में गैस के उपाय)

  1. गर्भावस्था में बदहजमी के लक्षण - Indigestion during pregnancy symptoms in Hindi
  2. गर्भावस्था में खट्टी डकार आने के कारण - Causes of indigestion in pregnancy in Hindi
  3. गर्भावस्था में अपच का इलाज - Ways to relieve indigestion during pregnancy in Hindi

अपच या डिस्पेप्सिया (Dyspepsia) उन गर्भवती महिलाओं में अधिक आम समस्या है जो गर्भावस्था का 27वां हफ्ता पार कर चुकी होती हैं। लगभग 80% गर्भवती महिलाएं इसका अनुभव करती हैं। गर्भावस्था हार्मोन शरीर में मांसपेशियों को आराम पहुंचाने का काम करते हैं और पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं, जिससे गर्भावस्था के दौरान अपच की समस्या हो जाती है। खट्टी डकार या अपच की समस्या निम्न संकेतों के साथ होती है:

  1. पेट या छाती में दर्द या असुविधा। (और पढ़ें - पेट में दर्द का इलाज)
  2. जलन का अनुभव। 
  3. पेट में भारीपन या प्रेशर महसूस करना। 
  4. ज़ोरदार डकारें आना। 
  5. सूजन। (और पढ़ें - सूजन के कारण और सूजन के उपाय)
  6. जी मिचलाना या उल्टी। (और पढ़ें - उल्टी के कारण और उल्टी रोकने के उपाय)
  7. ऐसा महसूस होना जैसे खाया हुआ भोजन बाहर आ जायेगा। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था में उल्टी के उपाय)

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जलन तब महसूस होती है जब पेट में मौजूद चीज़ें जो अम्लीय हो चुकी होती हैं, वो ऊपरी पाचन तंत्र के संवेदनशील अंगों के संपर्क में आती हैं जैसे भोजननली। जो एसिड, एकत्रित भोजन को पचाने का काम करता है, वो क्रिया करना और ऊपरी पाचन तंत्र की कोशिकाओं को उत्तेजित करना शुरू कर देता है। अपच, गर्भावस्था के दौरान अधिक प्रचलित समस्या है क्योंकि:

  1. बढ़ता भ्रूण, पेट पर दबाव डालता है और इस वजह से पेट में मौजूद खाद्य पदार्थ ऊपर की तरफ बढ़ाना शुरु कर देते हैं। 27 हफ़्तों का स्वस्थ भ्रूण, पेट पर इस तरह का दबाव डालने के लिए काफी बड़ा होता है।
  2. गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण। (और पढ़ें - गर्भवती होने के उपाय)
  3. पेट के शीर्ष पर मौजूद स्फिंक्टर (Sphincter) दबाने वाला यंत्र, जो पचाने वाली सामग्री को ऊपर की तरफ जाने से रोकता है, उसके गर्भावस्था में कम क्रियाशील होने के कारण पेट के अम्लीय पदार्थ ऊपर आने का प्रयास करते हैं।
  4. आपको गर्भावस्था से पहले अपच होने की सम्भावना होने के कारण।

(और पढ़ें - हार्मोन्स का महत्व महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए)

अपनी दिनचर्या में निम्न बदलाव लाकर आप गर्भावस्था में होने वाली बदहज़मी से राहत पा सकती हैं:

  1. भोजन करने के बाद सीधे बैठें अर्थात खाने के करीब एक घंटे बाद सोने के लिए लेटें। यह सीधी स्थिति पेट पर कोई अनुचित दबाव नहीं डालती। खाने के बाद थोड़ी देर घुटने मोड़कर बैठने से भोजन पचाने में मदद मिलती है।
  2. एक बार अधिक खाना खाने की बजाय कई बार लेकिन थोड़ी थोड़ी मात्रा में भोजन करें जिससे आपका पेट बिलकुल न भरे। ध्यान रखें कि आप स्वस्थ और संतुलित आहार खा रही हैं। ये पुरानी कहावत है कि "प्रेगनेंसी में महिला को दो लोगों का भोजन खाना चाहिए" लेकिन ये बिलकुल सही नहीं है, ऐसा न करें।
  3. कुछ खाद्य पदार्थों से भी अपच की समस्या हो सकती है। इस तरह के सभी खाद्य पदार्थों का रिकॉर्ड रखें और खाते समय ध्यान रखें कि आपको उनकी वजह से सीने में जलन न हो। आम तौर पर मसालेदार भोजन, जंक फ़ूड और वसा युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए। कुछ लोग तो चॉकलेट, खट्टे फल, और फलों के रस से भी दूर रहते हैं।
  4. खाने के दौरान तरल पदार्थों या पानी का सेवन सीमित मात्रा में करें क्योंकि इससे हार्टबर्न की संभावना बढ़ जाती है। खाने से पहले या बाद में पानी पीना बेहतर होता है। अगर खाने के साथ पानी पीना इतना ही ज़रूरी है तो सिर्फ छोटे छोटे सिप लें।
  5. कैफीन और अल्कोहल पीना सीमित या पूरी तरह से बंद करें। शराब का सेवन करने से मिसकैरेज और जन्म दोषों (Birth defects) की संभावना बढ़ जाती है। एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए कैफीन के सेवन को भी कम करें।
  6. धूम्रपान भी प्रेग्नेंसी में नहीं करना चाहिए, क्योंकि भ्रूण के लिए हानिकारक होने के अलावा, ये धूम्रपान करने वालों में पेट और भोजन नली (Esophagus) के बीच के वाल्व को निष्क्रिय या धीमा कर देता है जिससे अम्लीय चीज़ों का रिफ्लक्स (Reflux- आदान प्रदान) आसान हो जाता है। धूम्रपान के कारण समय से पहले जन्म, जन्म के समय वजन कम होना, पैदा हुए बच्चे की अचानक मृत्यु (Sudden Infant Death Syndrome) आदि जटिलताएं हो सकती हैं। (और पढ़ें - धूम्रपान छुड़ाने के उपाय)
  7. यदि आपको रात के समय बदहजमी होती है तो सोने से कम से कम 3 घंटे पहले रात का भोजन कर लें। ऐसा करने से आपके पेट को खाली होने का समय मिल जाता है मतलब भोजन पांच जाता है, जिससे अपच नहीं होती।
  8. ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें, विशेष रूप से कमर पर, जिससे बदहजमी पैदा करने वाला दबाव पेट पर उत्पन्न नहीं होता।

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चिकित्सकीय उपचार:

ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान अपच के लिए आप जो भी दवा ले रही हों, वह गर्भावस्था में उपयोग के लिए सुरक्षित हो और उसके ओवरडोज से बचने के लिए खुराक के निर्देशों का पालन करें। ध्यान रखें कि ऐन्टैसिड (Antacids) अन्य दवाओं के अवशोषण (Absorption) में दिक्कत कर सकते हैं, जिन्हें आप प्रेग्नेंसी के दौरान ले रही हैं।

  • ऐन्टैसिड (Antacids)- पेट में मौजूद एसिड के पीएच को न्यूट्रल (Neutral) करके काम करते हैं ताकि यह भोजन नली के म्यूकस को परेशान न करें।
  • एल्गिनेट्स (Alginates)- यह एक बैरियर की तरह काम करता है जो पेट की अम्लीय सामग्री को ऊपर जाने से रोकता है। आमतौर पर ये ऐन्टैसिड के संयोजन से तैयार किए जाते हैं ताकि ये दोनों रिफ्लक्स को रोकने के लिए मिलकर काम कर सकें।

यदि उपरोक्त 2 उपायों में से कोई एक प्रभावी ढंग से काम नहीं करता है, तो डॉक्टर एसिड के प्रभाव को कम करने वाली दवाएं लेने की सलाह देंगे:

  • रेनिटिडिन (Ranitidine)- इन गोलियों को आमतौर पर दिन में दो बार लेने की सलाह दी जाती है।
  • ओमेप्राज़ोल (Omeprazole)- आमतौर ये दवा दिन में एक बार लेने की सलाह दी जाती है। लगभग 5 दिनों के बाद लक्षणों को रोकने में सहायता मिल सकती है।

इन सबके बाद भी अगर मतली और उल्टी बंद नहीं हो रही है, वजन बढ़ने के बजाय आपका वजन कम हो रहा है, आपके पेट में अत्यधिक दर्द हो रहा है तो डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें।

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