अभी तक आपने पढ़ा और सुना होगा कि कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर कैसे हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है। लेकिन इसके विपरीत अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल की कमी करना भी शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। एक नए शोध में यह जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक, कोलेस्ट्रॉल की अत्यधिक कमी की वजह से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। इससे मस्तिष्क को आघात पहुंचने का जोखिम बढ़ जाता है।

पत्रिका 'न्यूरोलॉजी' में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में हुए अध्ययनों से यह पता चलता है कि 70 और उससे कम स्तर के लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) की वजह से हेमरैजिक (रक्तस्राव) स्ट्रोक मतलब मस्तिष्काघात का अधिक जोखिम होता है। बता दें कि 70 एलडीएल सामान्य माना जाता है।

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क्या है हेमरैजिक स्ट्रोक?
मस्तिष्क की धमनी से खून का रिसाव हेमरैजिक स्ट्रोक कहलाता है। इस स्थिति में दिमाग की कोई कमजोर नस फट जाती है और उससे निकला रक्त मस्तिष्क में फैल जाता है। ऐसा होने पर मस्तिष्क की कोशिकाओं और टिशूज को नुकसान पहुंचता है।

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क्या कहते हैं अध्ययन?
चीन में किए गए एक न्यूरोलॉजी रिसर्च में 96,000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इसमें पाया गया कि लगभग 13 प्रतिशत लोगों का एलडीएल स्तर 70 या उससे कम था। वहीं, 28,000 महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि चार प्रतिशत महिलाओं का एलडीएल का स्तर 70 या उससे कम था। इन दोनों अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों का एलडीएल स्तर काफी कम था, उनमें हेमरैजिक स्ट्रोक यानी मस्तिष्क आघात के जोखिम की आशंका अधिक थी। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि बहुत कम कोलेस्ट्रॉल होने से रक्त वाहिका को नुकसान पहुंच सकता है। इससे नसों के फटने और खून बहने की अधिक आशंका होती है। 

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लो कोलेस्ट्रॉल से मस्तिष्क कैसे होता है प्रभावित?
myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक सामान्य कोलेस्ट्रॉल (वयस्कों के लिए 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम सामान्य स्तर है) हमारी धमनी और रक्त वाहिकाओं को सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन जब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम (70 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे) हो जाता है तो इस स्थिति में वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं। इससे मस्तिष्क पर किसी प्रकार की चोट लगने से हेमरैजिक स्ट्रोक की आशंका हो सकती है।

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