जन्‍म के तुरंत बाद शिशु का अपगार टेस्‍ट किया जाता है। इस टेस्‍ट के निर्माता एनेस्थेटिस्ट वर्जिनिआ अपगार ने सबसे पहले इसे सन् 1952 में प्रकाशित किया था और उन्‍हीं के नाम पर अपगार टेस्‍ट का नाम पड़ा है। नवजात शिशु के जन्‍म के तुरंत बाद पहले पांच मिनट में शिशु की संपूर्ण सेहत की जांच के लिए सबसे पहले ये दर्द रहित टेस्‍ट किया जाता है। इस टेस्‍ट से डॉक्‍टर को भी ये जानने में मदद मिलती है कि शिशु को तुरंत किसी उपचार की जरूरत है या नहीं।

आमतौर पर ये टेस्‍ट दो बार किया जाता है - पहले जन्‍म के एक मिनट के अंदर और दूसरा जन्‍म के पांचवे मिनट पर। इस टेस्‍ट में शिशु का हार्ट रेट (दिल की धड़कन), किसी हिस्‍से या अंग को छूने पर प्रतिक्रिया देना और मांसपेशियों में तनाव की जांच की जाती है।

अगर कोई असामान्‍य रीडिंग नोट की जाती है तो जन्‍म के बाद पहले 10 मिनट में तीसरा अपगार टेस्‍ट किया जाता है।

  1. कैसे किया जाता है अपगार टेस्‍ट - Kaise hota hai Apgar test
  2. अपगार टेस्‍ट से क्‍या पता चलता है - Apgar test se kya pata chalta hai
  3. अपगार टेस्‍ट को लेकर सलाह - Apgar test se jude sujhav
अपगार स्‍कोर के डॉक्टर

अपगार टेस्‍ट में शिशु के बारे में पांच बातों का पता लगाया जाता है:

  • त्‍वचा की रंगत :
    एस्फिक्सिया (शारीरिक अंगों में ऑक्‍सीजन की कमी) के संकेतों को देखने के लिए त्‍वचा की रंगत चैक की जाती है। यदि एस्फिक्सिया का समय पर इलाज न किया जाए तो ये मस्तिष्‍क, फेफड़ों, किडनी और अन्‍य अंगों को प्रभावित कर सकता है। इससे शिशु में विकलांगता, किसी अंग के फेल होने और मृत्‍यु तक का खतरा हो सकता है।
     
  • हार्ट रेट : 
    डॉक्‍टर स्‍टेथोस्‍कोप की मदद से शिशु का हार्ट रेट चैक करते हैं।
     
  • छूने पर प्रतिक्रिया देना :
    इसे रिफलेक्‍सेस भी कहा जाता है और इससे शिशु की सेहत का पता चलता है। आमतौर पर डॉक्‍टर हल्‍के से शिशु की पीठ पर चुटकी भरते हैं जिससे शिशु में रिफलेक्‍सेस का पता चलता है।
     
  • मांसपेशियों में तनाव :
    इसमें इस बात का पता लगाया जाता है कि शिशु की मांसपेशियां काम कर रही हैं या नहीं। एस्फिक्सिया की स्थिति में शिशु का पूरा शरीर ढीला पड़ जाता है।
     
  • श्‍वसन क्रिया :
    शरीर के सभी अंगों तक ऑक्‍सीजन की पर्याप्‍त आपूर्ति के लिए जन्‍म के समय शिशु का ठीक तरह से सांस लेना बहुत जरूरी है। अगर शिशु स्‍वस्‍थ नहीं है तो उसकी सांस लेने की गति धीमी होगी और उसे रूक-रूक कर सांस आएगी।

इनमें से हर एक बिंदु को जीरो से दो तक स्‍कोर किया जाता है। अगर किसी शिशु को 2 स्‍कोर दिया गया है तो इसका मतलब है कि वो पूरी तरह से स्‍वस्‍थ है। इन पांचों स्‍तरों को मिलाकर हैल्‍थ स्‍कोर 10 बनता है।

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    नॉर्मल रिजल्‍ट :
    अधिकतर बच्‍चों का स्‍कोर 7 से 10 के बीच आता है। इस स्‍कोर का मतलब है कि आपका शिशु      स्वस्थ है और उसे सामान्‍य मेडिकल केयर के अलावा और किसी भी अतिरिक्‍त इलाज या                 उपचार की जरूरत नहीं है।
 

       एब्‍नॉर्मल रिजल्‍ट :
      इसमें 7 से कम स्‍कोर दिया जाता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आपका शिशु अस्‍वस्‍थ        है या उसे आगे चलकर कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या हो सकती है। इस स्‍कोर से सिर्फ ये पता चलता है        कि शिशु को ठीक तरह से सांस लेने और किसी अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के लिए तुंरत मेडिकल          इलाज की जरूरत है।
 

        सांस लेना :

  •  अगर शिशु को इसमें जीरो स्‍कोर दिया जाए तो इसका मतलब है कि शिशु जन्‍म के समय ठीक तरह से सांस नहीं ले पा रहा है।
  • ​1 स्‍कोर तेज या रूक-रूक कर सांस लेने पर दिया जाता है।
  • दो स्‍कोर तब दिया जाता है जब शिशु को सांस लेने में कोई दिक्‍कत न हो। आमतौर पर यह स्‍कोर तब दिया जाता है जब शिशु जन्‍म के बाद रोता है।


        हार्ट रेट :

  • 0 – दिल की धड़कन का कम या न होना
  • 1 - एक मिनट में 100 बार दिल का धड़कन
  • ​2 – अगर हार्ट रेट प्रति मिनट 100 से ज्‍यादा हो


      त्‍वचा की रंगत : 

  • 0 – यदि जन्‍म के दौरान शिशु का रंग नीला या पीला हो
  • 1 – हाथ-पैर नीले हों लेकिन पूरे शरीर का रंग गुलाबी हो
  • 2 – नवजात शिशु की त्‍वचा सामान्‍य या गुलाबी हो

    मांसपेशियों में तनाव :
     
  • 0 – मांसपेशियां ढीली हैं
  • 1 – कुछ मांसपेशियां चल रही हैं
  • 2 – मांसपेशियां ठीक तरह से काम कर रही हैं

    रिफ्लेक्‍सेस :
     
  • 0 – शिशु का कोई प्रतिक्रिया न देना
  • 1 – रिफ्लेक्‍सेस के दौरान शिशु का मुंह बनाना
  • 2 – इस स्‍कोर का मतलब है शिशु का छींकना, तेज रोना या खांसना

प्रीमैच्‍योर (नौ महीने से पहले पैदा हुए), सी-सेक्‍शन या प्रेगनेंसी में किसी तरह के खतरे से ग्रस्‍त शिशु को जन्‍म के तुरंत एक मिनट बाद के अपगार टेस्‍ट में सामान्‍य से कम स्‍कोर मिलना सामान्‍य बात है।

अगर पांच मिनट बाद किए गए अपगार टेस्‍ट में भी स्‍कोर ठीक नहीं होता है तो डॉक्‍टर शिशु की सेहत में सुधार के लिए अच्‍छी तरह से जांच करते हैं।

लो अपगार स्‍कोर वाले शिशु को सांस लेने में मदद (ब्रीदिंग सपोर्ट) या हार्ट रेट को ठीक करने के लिए फिजीकल स्‍टिमुलेशन (शारीरिक रूप से उत्तेजित करना) दिया जाता है। इसके बाद दोबारा से अपगार टेस्‍ट किया जाता है।

अपगार स्‍कोर से नवजात शिशु में जन्‍म के तुरंत बाद किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या का पता लगाया जाता है। ये स्‍कोर हार्ट रेट, सांस लेने, रिफलेक्‍सेस, त्‍वचा की रंगत और मांसपेशियों में तनाव पर दिया जाता है। इन पांच चीजों में जितना ज्‍यादा स्‍कोर मिलेगा, उतना ही ज्‍यादा शिशु स्‍वस्‍थ माना जाएगा। कम या ज्‍यादा अपगार स्‍कोर से शिशु को भविष्‍य में होने वाली किसी भी स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति का पता नहीं चलता है।

Dr. Mayur Kumar Goyal

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संदर्भ

  1. What does your baby’s Apgar score mean?. UT Southwestern Medical Center, Dallas
  2. Lan SJ et al. [The study of Apgar score and infant birth weight in the central Taiwan].. Gaoxiong Yi Xue Ke Xue Za Zhi. 1991 Jun;7(6):318-22. PMID: 1856890
  3. Your Child’s First Test: The APGAR. American Pregnancy Association. internet
  4. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Apgar Score
  5. U.S. Department of Health & Human Services. Trial to Evaluate a Specified Type of APGAR (TEST-APGAR). USA; [internet]
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