2019 में राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक अध्ययन में विटामिन डी की कमी, हाई बीपी और डायबिटीज के बीच संबंध पाया गया। इस अध्ययन में 84.2 फीसदी टाइप 2 डायबिटीज और 82.6 फीसदी हाई बीपी के मरीजों में विटामिन डी की कमी पाई गई।

गैर-संचारित रोग (संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से न फैलने वाली बीमारी) भारत में लगातार बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि इस कारण देश में मॉर्बिडिटी (एक से अधिक रोग होना) और मोर्टेलिटी (मृत्यु दर) की संख्या बढ़ती जा रही है। गैर-संचारी रोग में टाइप 2 डायबिटीज और हाई बीपी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। 2019 में पूरे भारत में किए गए अध्ययन के लेखक पीजी तलवलकर, वैशाली देशमुख, एम.सी. दीपक और दिनेश अग्रवाल ने विटामिन डी की कमी का टाइप 2 डायबिटीज और हाई बीपी से गहरा संबंध पाया।

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भारत में, कई अध्ययनों से पता चला है कि 70 से 90 फीसदी लोगों में विटामिन डी की कमी है। इसके अलावा अध्ययन से ये भी पता चला है कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व या पश्चिम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में विटामिन डी की कमी के स्तर में कोई खास भिन्नता नहीं है, क्योंकि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में क्रमशः 88 फीसदी, 90 फीसदी, 93 फीसदी और 91 फीसदी विटामिन डी की कमी पाई गई है।

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मुंबई में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, शहरी वयस्कों में विटामिन डी की कमी 88 फीसदी पाई गई। विटामिन डी एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है जो शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करता है। ये हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा, विटामिन डी सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। विटामिन डी की कमी का संबंध हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और संक्रामक रोगों जैसे तपेदिक (क्षय रोग) से है। 

भारत में पर्याप्त धूप होने के बावजूद विटामिन डी की कमी के कई कारण हैं। यहां अधिकांश लोग आधुनिक जीवनशैली के कारण सूरज की रोशनी से पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं ले पाते हैं। आजकल लोग बंद कमरे के ऑफिस में काम करते-करते ही पूरा दिन निकाल देते हैं। भारत में विटामिन डी की कमी का एक अन्य कारण वायु प्रदूषण का उच्च स्तर भी है। 

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विटामिन डी की कमी को क्रोनिक डिजीज (ऐसी बीमारी, जो लंबे समय से बनी हुई हो) से भी जोड़ा जाता है। 2019 के अखिल भारतीय अध्ययन के लेखक पी.जी. तलवलकर ने विटामिन डी की कमी का टाइप 2 डायबिटीज और हाई बीपी से संबंध पाया। इस स्टडी में विटामिन डी की कमी से ग्रस्त लोगों का प्रतिशत 83.7 था। इसमें से 82 फीसदी लोग ऐसे थे जो हाल ही में इस समस्या का शिकार हुए थे।

इससे पता चलता है कि भारत जैसे देश में कितनी बड़ी मात्रा में टाइप 2 डाइबिटीज, हाई बीपी या इन दोनों परेशानियों से ग्रस्त रोगियों में विटामिन डी की कमी है, जिसका मूल कारण उनका लाइफस्टाइल है।

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