नौ माह के लंबे इंतज़ार के बाद अब शिशु आपके सामने है। आप नए-नए माता-पिता बने हैं तो इस पहले हफ्ते में जितनी खुशियां होंगी उतनी ही अधिक जिम्मेदारियां भी। जहां आपको शिशु से संबंधित नए अनुभव होंगे वहीं उसके विकास की चिंता भी होगी। इस पहले हफ्ते में शिशु के विकास से जुड़ी निम्न चीजें दिखाई दे सकती हैं -

  • जन्म के समय शिशु के शरीर पर एक वैक्स की परत होती है जिसे वर्निक्स कसोसा कहते हैं। इसे शिशु के शरीर से न हटाएं बल्कि कोशिश करें कि शिशु की त्वचा उसे स्वयं सोख ले। 
  • जन्म के 24 से 48 घंटों में शिशु का मल तार की तरह होता है। यह बेहद सामान्य है। 
  • शिशु दिन भर में 18 घंटे सोएगा। इस दौरान वह दूध के लिए बीच-बीच में उठेगा। 
  • यदि यह आपका पहला बच्चा है तो आपको स्तनपान करवाने की तकनीक सीखने में भी एक हफ्ते का समय लगेगा। हालांकि यह समय के साथ ठीक हो जाएगा। 
  • शिशु जिस दौरान स्तनपान सीख रहा है और उसके शरीर से अतिरिक्त द्रव्य निकल रहे हैं उस समय तक  शिशु का वजन जन्म के समय से दस प्रतिशत तक घटेगा, यह बिल्कुल सामान्य है। हालांकि अगर वजन में बदलाव असामान्य है तो डॉक्टर को इस के बारे में बताएं।

इस हफ्ते में आपको और आपके पार्टनर को शिशु के सोने की जगह (यह एक पालना होना चाहिए और यह आपके कमरे में ही होना चाहिए ताकि रात को दूध पिलाने और डायपर बदलने में आसानी हो) का पता लगाना होगा। आप दोनों को इस दौरान एक दूसरे का हेल्पिंग हैंड बनना होगा। आप दोनों को बैठ कर यह निश्चित करना पड़ेगा कि बच्चे का डायपर कौन बदलेगा और कौन बच्चे को स्पंज बाथ देगा। इस समय आपको एक दूसरे से बातचीत करनी है क्योंकि बेबी ब्लूज (शिशु के जन्म के बाद अत्यधिक उदास रहना या रोना) कई सारी महिलाओं को होते हैं और कभी-कभी पुरुषों को भी।

इन सभी के बारे में जानकारी से आप खुद को तैयार कर पाएंगे। इसलिए यह सलाह है कि शिशु जन्म के हफ्ते से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण सवालों के जवाब आप पढ़ लें ताकि आप खुद को तैयार कर लें।

  1. कोलोस्ट्रम क्या है? यह मेरे शिशु के क्यों जरूरी है? - Colostrum kya hai? yeh bacche ke liye kyu jaruri hai
  2. नियमित रूप से दूध कब आएगा? - Breast se lagatar doodh kab aega
  3. क्या शिशु को उठाने से पहले हर बार हाथ साफ करना जरूरी है? - Kya bacche ko hath me lene se pahle hath dhone hain
  4. शिशु के कूल्हों पर मेकोनियम को चिपकने से कैसे बचाएं? - Shishu ke sharer par meconium ko lagne se kaise bachaye
  5. मेरे बच्चे की आंखें चिपचिपी क्यों हैं? - Bacche ki aankehein chipchipi kyu hain
  6. मेरा बच्चा रात को क्यों नहीं सोता है? - Baccha raat ko kyu nahi sota hai
  7. मेरा एक हफ्ते का शिशु क्या-क्या कर सकता है? - Ek hafte ka shishu kya kya kar skata hai
  8. क्या मुझे अपने बच्चे के लिए पालना खरीदने की जरूरत है? - kya shishu ke liye palna lena jaruri hai
  9. मेरा बच्चा बहुत ज्यादा क्यों रोता है? - mera baccha jyada kyu rota hai
  10. मेरे बच्चे को ज्यादा उल्टियां क्यों हो रही है?

कोलोस्ट्रम शिशु जन्म के बाद मां के स्तन से निकला पहला दूध है। यहां इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि शिशु का जन्म वजाइनल डिलीवरी से हुआ है या सिजेरियन डिलीवरी से। आमतौर पर यह डिलीवरी के दो से तीन दिन बाद तक आता है। इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होता है लेकिन इसमें वसा की कमी होती है जिससे शिशु की पाचन क्रिया इसे आसानी से पचा लेती है। 

कोलोस्ट्रम में हल्का लैक्सेटिव प्रभाव होता है जिससे शिशु का पहला मल (मेकोनियम) निकलने में मदद मिलती है। कोलोस्ट्रम अत्यधिक बिलीरुबिन निकालने में भी मदद करता है और पीलिया से बचाने में भी मदद करता है। बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं का एक अपशिष्ट पदार्थ है। कोलोस्ट्रम में मौजूद एंटीबॉडीज गले, फेफड़ों आंतों में बनी म्यूकस मेम्ब्रेन को बचाने में मदद करता है। इसके अलावा ये शिशु को वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से भी बचाता है।

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यदि आप पहली बार मां बनी है तो दूध आने में तीन से चार दिन का समय लगेगा। अगर यह आपका पहला बच्चा नहीं है तो दूध आने की इस प्रक्रिया में कम समय लगेगा। जब नियमित दूध आएगा तो आपके स्तन भारी और भरे हुए महसूस होंगे।

नवजात शिशुओं को कोई भी संक्रमण बहुत जल्दी लगता है तो अपने शिशु को इनसे बचाने का सबसे सही तरीका है कि आप जब भी उसे उठाएं तो हाथ धो लें। बच्चे के डायपर बदलने से पहले, उसे खिलाने से पहले या अन्य कोई भी क्रिया करने से पहले हाथ अच्छे से धो लें। शिशु को हाथ में लेने से पहले अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से भी हाथ साफ करने को कहें।

डॉक्टर आमतौर पर शिशु की त्वचा पर कोई भी स्किन केयर प्रोडक्ट लगाने से मना करते हैं। लेकिन बेबी का पहला मल जिसे मेकोनियम कहा जाता है उसके मामले में शायद राय अलग है। ऐसा इसलिए क्योंकि मेकोनियम चिपचिपा होता है और शिशुओं के डायपर में त्वचा की बहुत तहें (त्वचा का वह भाग जो जुड़ा हुआ महसूस होता है) होती है। 

ऐसे में शिशु की त्वचा की हर तह से मल निकाला जा सके इसमें यह तरीका काम आ सकता है -

जब आपको लगे बच्चा पॉटी करने वाला है तो उसके कूल्हों पर वैसेलिन लगाएं इससे मेकोनियम शिशु की त्वचा पर नहीं चिपकेगा और आप इसे आसानी से साफ कर पाएंगी।

यदि वैसेलिन लगने से पहले ही शिशु पॉटी कर देता है तो चिंता न करें। एक मुलायम कपड़े पर वर्जिन ओलिव आयल लगाकर शिशु का पिछला हिस्सा साफ करें। जब आप उसे साफ कर रहे हैं तो त्वचा की साड़ी तहों को ठीक तरह से साफ करें। शिशु की त्वचा को पूरी तरह से सूखा दें और इसके बाद वहां वैसेलिन लगा दें। जन्म के दो तीन बाद तक शिशु यह बिना बदबू वाला मेकोनियम करेगा।

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जन्म के कुछ हफ्तों बाद तक शिशु की आंखों से हल्का चिपचिपा पदार्थ निकलता रहता है। ऐसे में शिशु की आंखों को साफ पानी में गीला करे हुए एक मुलायम कपड़े से साफ करेंगे। शिशुओं में चिपचिपी आंखें आमतौर पर अश्रु नलिकाओं के अवरुद्ध होने के कारण ही होती हैं। हालांकि अगर शिशु की आंखें ज्यादा लाल दिखाई देती हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं। 

 

जन्म के पहले हफ्ते में शिशु 16 से 18 घंटे सोता है इस दौरान वह थोड़ी-थोड़ी अवधि के लिए सोता है और बीच-बीच में भूख के लिए उठता है। इस समय पर शिशु को दिन और रात का अंतर नहीं पता होता है। इस समय शिशु रात में आठ घंटे और दिन में आठ से नौ घंटे तक सो सकता है। 

दूसरे हफ्ते से आप शिशु का बेड टाइम रूटीन बना सकती हैं ताकि उसे दिन और रात का अंतर पता चले और सोने से संबंधित अच्छी आदतें विकसित हों।

आपका शिशु इस समय थोड़े बहुत हाथ-पैर चला सकता है जैसे चीजें पकड़ने की कोशिश करना। इस समय उसे तेज आवाजें ज्यादा आकर्षित करेंगी। रात के समय शिशु तेजी से हाथ-पैर भी हिला सकता है। और हां ! बेशक इस समय शिशु को हिचकी आएंगी, वह खाएगा, सोएगा, डायपर गीला करेगा और इस हफ्ते में बस यही चलता रहेगा।

इस समय शिशु गर्भ के बाहर की दुनिया में सामंजस्य बिठाने का प्रयास कर रहा है। इस पहले हफ्ते में आपका बच्चा बड़ा हो रहा है, हाथों को सीधा करने की कोशिश कर रहा है और नई-नई तकनीकें सीख रहा है जैसे चूसना, पाचन और इम्युनिटी बनाना सीख रहा है।

इस समय तक शिशु को 25 सेंटीमीटर से दूर का दिखाई नहीं देता है तो उसकी तरफ दूर से हाथ हिलाने के बजाय आप उसे आवाज़ दें और हल्के से उसका माथा सहलाएं ताकि वह कोई प्रतिक्रिया दे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय वह सबसे ज्यादा आवाज और छुअन पर निर्भर है।

जन्म के बाद पहले महीने में शिशु की आंखें तिरछी ही नजर आएंगी क्योंकि वह इस समय दृष्टि को केंद्रित करना सीख रहा है।

डॉक्टर से पूछें कि शिशु का टमी टाइम कब शुरू करना है। आमतौर पर यह जैसे ही आप अस्पताल से घर आते हैं तभी शुरू करने के लिए कह दिया जाता है। शिशु को उसके पेट के बल कुछ मिनट तक लिटा दें। टमी टाइम से शिशु के गले और बांह की मांसपेशियों के विकास में मदद मिलती है।

हाँ ! बिल्कुल। अगर आपने अभी तक पालना नहीं खरीदा है तो जल्दी से जल्दी खरीदें। एक पालना या अन्य किसी भी तरह का बेसिनेट लें जिनसे शिशु के सोने की सुरक्षा संबंधी साड़ी शर्तें पूरी हो रही हों क्योंकि इससे सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम का खतरा भी कम हो जाता है। किसी भी स्थिति में शिशु को अपने साथ बेड पर न सुलाएं। अगर आप लेट कर शिशु को स्तनपान करवा रही हैं तो ध्यान रखें कि आप सोएं नहीं क्योंकि इससे शिशु के फंसने की आशंका हो जाती है। (और पढ़ें - बच्चे को दूध पिलाने का तरीका)

जन्म के कुछ हफ़्तों में शिशुओं को एपनिया हो सकता है। एपनिया में शिशु कुछ सेकेंड के लिए सांस नहीं ले पाता है। ये थोड़े खतरनाक लग सकते हैं लेकिन यह सामान्य है क्योंकि शिशु इस समय सांस लेना सीख रहा है और उसके फेफड़े मजबूत हो रहे हैं। हालांकि आपका जागरूक होना बहुत जरूरी है क्योंकि शिशु की श्वसन प्रणाली बहुत छोटी है और आसानी से अवरुद्ध हो सकती है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिशु वयस्कों से अधिक तेजी से सांस लेता है और एक मिनट में 30 से 60 बार सांस ले सकता है। लेकिन यह भिन्न भी हो सकती है। उदाहरण के लिए शिशु जब सो रहा है तो वह एक मिनट में बीस बार ही सांस लेगा। यदि शिशु 20 सेकेंड के लिए सांस लेना बंद कर दे या फिर हर एक सांस के बाद घुर्राने जैसी आवाज निकाल रहा है तो जल्दी से डॉक्टर को बुलाएं।

शोधों के अनुसार बहुत से नवजात शिशु दिन भर में दो से तीन घंटे तक सोते हैं। यदि आपका शिशु तीन घंटे से अधिक रोता है तो उसे डॉक्टर के पास ले कर जाएं। शिशु के रोने के आमतौर पर निम्न कारण होते हैं -

  • शिशु को भूख लगी है
  • डायपर गीला है
  • शिशु को ठंड लग रही है या गर्मी लग रही है
  • शिशु चाहता है कि आप उसे गोद में लें
  • शिशु थका हुआ है

जैसे-जैसे शिशु खाना सीख रहा है इसलिए इस दौरान थोड़ा बहुत दूध मुंह  देना निकाल देना सामान्य है। दूध पीते समय शिशु कुछ हवा भी निगल जाते हैं यही हवा जब वापस आती है तो इसमें थोड़ा बहुत दूध भी आ सकता है। इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। ध्यान रखें कि शिशु को हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिला दें। इस समय हाथ में एक मुलायम कपड़ा रखें और शिशु जो भी मुंह से बाहर निकालता है उसे तुरंत साफ कर दें। 

हालांकि अगर शिशु अधिक मात्रा में उल्टी कर रहा है तो कोशिश करें कि दूध पिलाते समय उसे सीधा पकड़ें और दूध पी लेने के बाद वह ठीक तरह से डकार ले। बहुत से बच्चे खाते-खाते सो जाते हैं अगर ऐसा होता है तो भी डकार दिलाना न भूलें। 

शिशुओं में एसिड रिफ्लक्स एक अलग स्थिति है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है। शिशु ज्यादा उल्टी कर रहा है और आप इसके बारे में चिंतित हैं तो डॉक्टर को बताएं। ध्यान से यह चेक करवा ले कि ऐसा किसी दवा के साइड इफ़ेक्ट से न हो रहा हो।

संदर्भ

  1. Adam, R. Skin Care of the Diaper Area. Pediatric Dermatology, 2008; 25:427-433
  2. World Health Organization, United Nations Population Fund and UNICEF [Internet]. Pregnancy, childbirth, postpartum and newborn care: A guide for essential practice (3rd edition), 2015
  3. National Rural Health Mission. Ministry of Health and Family Welfare, Government of India [Internet]. Home Based Newborn Care: Operational Guidelines.
  4. Colson E.R., Bergman D.M., Shapiro E., Leventhal J.H. Position for Newborn Sleep: Associations with Parents' Perceptions of Their Nursery Experience. Birth, 20 December 2001; 28(4): 249-53
  5. Cooke A., et al.
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