मौजूदा समय में हमारी जरूरतों ने हमें अकेला कर दिया है। कभी हम उच्च शिक्षा के लिए परिवार से अलग दूसरे शहर जाते हैं तो कभी नौकरी की वजह से घर-बार छोड़ना पड़ता है। आज हमारे देश में ही लाखों लोग ऐसे हैं जो अपना घर छोड़ अन्य शहरों में अकेले रह रहे हैं। परिवार से अलग रहने पर अकेलापन मुफ्त में मिलता है और यही तन्हाई आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

ताजा रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि जो लोग अकेले रहते हैं, उन लोगों में मोटापे और धूम्रपान से होने वाले नुकसान जितना ही खतरा होता है। इतना ही नहीं, शोधकर्ता बताते हैं कि इस जोखिम के चलते ऐसे लोगों की उम्र बाकी लोगों के मुकाबले थोड़ी कम हो जाती है।

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क्या कहती है रिसर्च?
जरनल एजिंग एंड मेंटल हेल्थ में प्रकाशित ताजा रिसर्च के मुताबिक अमेरिका में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च की है। इसमें अध्ययनकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की है कि अकेला रहने वाला व्यक्ति इस वातावरण में कैसा महसूस करता है। रिसर्च के जरिए शोधकर्ताओं को अकेले रहने वाले लोगों में कई तरह के व्यक्तिगत और पर्यावरणीय कारकों का पता चला है।

गौरतलब है कि इससे पहले बढ़ती उम्र और उसके साथ सामाजिक रूप से लोगों से घुल-मिल ना पाना अकेलेपन के लिए प्राथमिक जोखिम कारकों में से एक था। मगर आज जरूरत के हिसाब से भी लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय
सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में मनोचिकित्सा विभाग में एक शोधकर्ता एलेजेंड्रा पारडेस ने बताया कि जब कुछ लोगों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पति या पत्नी में से किसी एक के छोड़कर जाने से अकेलापन घेरता है। वहीं बहन या भाई और दोस्त के जाने से भी अकेलापन महसूस होता है। कुछ लोगों ने कहा, नए दोस्त कैसे बनाएं? जिन पुराने दोस्तों के साथ वह बड़े हुए थे, नए दोस्त उनकी जगह नहीं ले सकते।

ना उम्मीदी से मिला अकेलापन
देखा गया है कि अकेलेपन की भावना जीवन में बिना किसी उद्देश्य से जुड़ी होती थी। इसलिए शोध के दौरान कई लोगों ने जीवन में किसी अन्य के साथ जुड़ा ना होने, किसी प्रकार की कोई उम्मीद और अर्थ नहीं होने और कुछ खोने को अपने अकेलेपन की वजह बताया।

लेकिन, अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्ञान और इसके साथ सहानुभूति अकेलेपन के कारकों को बढ़ने से रोकते हैं।

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कैसे की गई रिसर्च?
इस शोध के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 67 से 92 साल की उम्र के 30 व्यस्कों के एक व्यक्तिगत इंटरव्यू का आयोजन किया, जो कि सैन डिएगो में रहने वाले 100 वयस्कों के शारीरिक और मानसिक कार्यों का मूल्यांकन करने वाले एक पूरे अध्ययन का हिस्सा था।

सीनियर लेखक और यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में मनोचिकित्सक और न्यूरोसाइंस के सीनियर प्रोफेसर दिलीप वी. जेस्ट का कहना है “यह महत्वपूर्ण है कि हमने वरिष्ठ लोगों के अंदर अकेलेपन के बुनियादी कारणों पहचान की है। ताकि हम इसको हल करके बढ़ती उम्र वाली जनसंख्या या आबादी के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकें।

अकेलेपन को दूर करने के लिए क्या करें?
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर फतमा का कहना है कि अकेलापन व्यक्ति के अंदर एक नकारात्मक सोच पैदा करता है, जिसके कारण व्यक्ति खुद को असुरक्षित महसूस करने लगता है और इसी कारण डिप्रेशन की समस्या पैदा होती है। यहां ध्यान देने की जरूरत है कि हमारे देश में आत्महत्या के मामलों का एक प्रमुख कारण डिप्रेशन ही है। इसलिए अकेलापन जरूर एक गंभीर समस्या हो सकती है।

अकेलेपन का इलाज
डॉक्टर फतमा बताती हैं कि आमतौर पर अकेलेपन की समस्या बुजुर्गों में हो सकती है। इसलिए बुजुर्गों को परिवार के साथ जोड़कर रखें और उन्हें समय दें। साथ ही बुजुर्गों से बीतचीत करें।

  • इसके अलावा जो युवा घर से बाहर अकेले रहते हैं वो पार्क में जाएं और लोगों से घूले-मिले।
  • मोबाइल और लेपटॉप पर कम समय बिताएं और संभव हो तो दोस्तों के साथ थोड़ा घूमने का वक्त निकालें

कुल मिलाकर इस रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे अकेलापन आज बड़ी समस्या के साथ गंभीर बीमारियों में परिवर्तित हो रहा है, लेकिन डॉक्टर के बताए गए विकल्प के आधार पर आप इस समस्या से कुछ हद तक निजात पाने में सफल हो सकते हैं।

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