जिस तरह छोटे बच्चों की सेहत का ध्यान रखना जरूरी है ठीक उसी तरह ज्यादा उम्र हो जाने पर परिजनों की सेहत का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी हो जाता है। उम्र के इस पड़ाव पर आकर लोगों को कई तरह की छोटी-बड़ी बीमारियां हो जाती हैं। ऐसे में अल्जाइमर होना बहुत ही आम बात है। अभी हम तंदुरुस्त हैं पर हो सकता है कि भविष्य में हमें या हमारे अपनों को इसका सामना करना पड़े। ऐसे में समय रहते हर बीमारी के जरूरी लक्षणों और उपचारों के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए। अल्जाइमर के क्षेत्र में ऐसी ही एक खोज की गई है। 

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वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर से जुड़ी खास रिसर्च की है। लोगों तक इस रिसर्च के फायदे पहुंचने में अभी दो साल तक का वक्त और लग सकता है।

चूहों पर की जा रही है रिसर्च
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने टैल टेल डिमेंशिया प्लैक (किसी खास प्रोटीन का जमाव) को चूहों के दिमाग से हटाने का रामबाण इलाज खोज निकाला है।

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डिमेंशिया में हुए प्लैक
प्लैक प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली प्रोटीन अमायल्यॉड बीटा और प्रोटीन टाउ के टैंगल्स के बनने से बनते हैं। दोनों साथ में मिलकर न्यूरोडिजनरेशन को बढ़ावा देते हैं और संज्ञानात्मक प्रभावों को कम करते हैं। जब टीके को चूहों पर लगाया गया तो उनमें अमायल्यॉड बीटा और टाउ कम हो गए, जिससे प्लैक्स नहीं बने।

प्रोटीन टाउ का पता लगाना
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर दिमाग को स्कैन कर टाउ प्रोटीन को समय रहते ढूंढ लिया जाए तो अल्जाइमर को उसके लक्षण दिखने से पहले ही खत्म किया जा सकता है।

डिमेंशिया सभी मेमोरी डिसऑर्डर्स का जनक है। अकेले यूके में डिमेंशिया 8,50,000 लोगों को प्रभावित कर चुका है। वहीं 62 प्रतिशत डिमेंशिया के मरीजों को अल्जाइमर होने का खतरा रहता है। अल्जाइमर एसोसिएशन स्टैट्स के अनुसार यूएस में 58 लाख लोग अल्जाइमर के साथ जी रहे हैं। नेशनल हेल्थ रिपोर्ट्स अमेरिका के अनुसार इस बीमारी पर कोई पुख्ता रिसर्च नहीं की गई है। कम रिसर्च की वजह से इस बीमारी से बचने का सही तरीका नहीं खोजा गया था।

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प्रोटीन के साथ किए गए एक्सपेरिमेंट
अल्जाइमर में ट्रायल के दौरान अमायल्यॉड बीटा और टाउ प्लैक को टारगेट किया गया, जिससे अल्जाइमर में दिखने वाले लक्षण देरी से दिखाई देने लगे। जानवरों पर की गई रिसर्च से पता चला कि इन दोनों प्रोटीन्स पर हमला करने से डिमेंशिया को होने से रोका जा सकता है। ये दोनों प्रोटीन इंसानों में कॉग्नेटिव यानि संज्ञानात्मकता में गिरावट ला सकते हैं।

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जैब पर किया गया एक्सपेरिमेंट
डिमेंशिया पर नियंत्रण पाने के लिए चूहों में दो जैब AV-1959R और AV-1980R का बीटा और टाउ प्लैक के साथ टेस्ट किया गया। अल्जाइमर रिसर्च और थेरेपी में छपा है कि बीटा और टाउ को कम कर शरीर में ज्यादा स्तर के इम्यून सिस्टम से लड़ने वाल प्रोटीन बनता है। इस जांच से दो टीकों की खोज को बढ़त मिलेगी।

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दुनिया में बढ़ रहे डिमेंशिया के केस
2050 आते-आते 152 मिलियन (15 करोड, दो लाख) लोगों को डिमेंशिया होने का अंदाजा लगाया गया है। यह आंकड़ा पिछले साल के 50 लाख लोगों से 204 प्रतिशत ज्यादा है। सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों ने 32 अल्जाइमर मरीजों पर उनकी बीमारी के पहले चरण में रिसर्च की। उनके दिमाग में अम्यल्यॉड बीटा और प्रोटीन थे, जिन्हें दो साल तक ट्रैक किया गया। वैज्ञानिकों को लगता है कि टाउ को ट्रैक कर भविष्य में मरीजों में उनके ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी।

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