भारत में करीब 12 प्रतिशत लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं। इस बीमारी को शुगर की समस्या भी कहते हैं। यह एक ऐसा रोग है, जिसमें खून में मौजूद शुगर या ग्लूकोज का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। खाना खाने से हमें ग्लूकोज मिलता है और इंसुलिन नामक हॉर्मोन इस ग्लूकोज को शरीर की सभी कोशिकाओं त​क भेजने में मदद करता है, जिससे शरीर को ताकत मिलती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में वर्ष 2017 तक अनुमानित 7 करोड़ 20 लाख लोग इस समस्या से पीड़ित थे। एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक छह भारतीयों में से एक प्री-डायबिटिक से ग्रसित है। इसी से पता चलता है कि भारत जैसे देश में डायबिटीज के प्रति सज्ज व सावधान रहना कितना जरूरी है।

  • प्री-डायबिटिक उस स्थिति को कहते हैं जब किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल सामान्य से थोड़ा अधिक या 100 और 125 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर के बीच होता है। फिलहाल, कोई प्री-डायबिटिक हो या डायबिटिक दोनों ही स्थितियों में कुछ निश्चित व्यायाम के जरिए इस समस्या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। व्यायाम से रक्त संचार बढ़ता है और यह तनाव व वजन को कम करने में सहायक है।

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डायबिटीज के लिए व्यायाम के डॉक्टर

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, नियमित व्यायाम करने से खून में ग्लूकोज के स्तर को मैनेज करने के साथ डाय​बिटीज और प्री-डायबिटीज वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस एसोसिएशन के अनुसार डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को हर 30 मिनट में हल्के व्यायाम करने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से खराब खानपान के दुष्प्रभाव और मोटापे की समस्या नहीं होने पाती है।

बेशक डायबिटीज का खतरा व्यक्ति के उम्र, लिंग और फैमिली हिस्ट्री पर भी निर्भर करता है, लेकिन यह भी सच है कि जीवनशैली, उचित आहार और स्वस्थ शरीर कई प्रकार के जोखिमों को कम करने में मदद करते हैं। इनके माध्यम से जीन या फैमिली हिस्ट्री को बदला जा सकता है।

यही कारण है कि डायबिटीज के लक्षणों के प्रबंधन के खिलाफ व्यायाम को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है और शरीर में मौजूद शुगर को ऊर्जा में परिवर्तित करके ब्लड शुगर के स्तर को विनियमित करने में मदद करता है।

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  • इंसुलिन के कार्य में सुगमता : खराब जीवन शैली के कारण युवा आबादी तेजी से टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे की चपेट में आ रहे हैं। नियमित व्यायाम शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इससे शरीर में इंसुलिन का कार्य सुचारू रूप से चलता रहता है, जिसके फलस्वरूप शरीर को ऊर्जा मिलती है।
     
  • हृदय रोग को रोकने में सक्षम : दैनिक व्यायाम करने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह टाइप 2 डायबिटीज के स्वास्थ के लिए लाभकारी है, इसके जरिए ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और यह दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे को भी कम करता है।
     
  • वजन बढ़ने से रोकना : अनियंत्रित रूप से वजन बढ़ना या मोटापे की समस्या डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से एक है। नियमित व्यायाम करने से स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा मिलता है और यह शरीर के वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। अतिरिक्त वसा को कम करने के साथ-साथ मांसपेशियों में भी वृद्धि करता है।
     
  • मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव : नियमित शारीरिक गतिविधि करने से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा यह शरीर में एंडोर्फिन का उत्पादन करके तनाव, चिंता और अवसाद से भी राहत दिलाता है।

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन ने डायबिटीज रोगियों के लिए तीन अलग-अलग प्रकार के व्यायामों का सुझाव दिया है :

  • एरोबिक : यह "माइटोकॉन्ड्रियल घनत्व" को बढ़ाता है। माइटोकॉन्ड्रिया का उच्च घनत्व ग्लूकोज का उपयोग करने की क्षमता को बढ़ाता है और इसलिए ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने नहीं पाता है। नियमित कार्डियो व्यायाम जैसे कि दौड़ना, साइकिल चलाना और तैरना भी इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने, वजन घटाने और फेफड़ों की कार्यक्षमता और प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है।
     
  • प्रतिरोधक अभ्यास : यह ताकत और मांसपेशियों को बेहतर बनाता है। इसके अलावा चयापचय के कार्य को बढ़ावा देने, वजन कम करने और शरीर को स्वस्थ रखने में सहयक होता है।
     
  • लचीलापन और संतुलन अभ्यास : जो व्यायाम शरीर में लचीलापन और सुतंलन को बनाए रखने में मदद करते हैं डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को ऐसे व्यायाम करने से फायदा पहुंचता है। यह गिरने के जोखिम को काफी कम करता है, न्यूरोपैथी के लक्षणों से राहत देता है और मूड में सुधार करता है।

निम्नलिखित विभिन्न प्रकार के व्यायाम हैं जो डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों को कुशलता से प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।

  • चलना
  • साइकिलिंग
  • स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
  • तैराकी
  • टीम स्पोर्ट्स
  • योग
  • डांस
  • सीढ़ी चढ़ना

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चलना
दिन में कम से कम 30 मिनट तेज गति से चलना स्वास्थ्य को बेहतर रखता है व तनाव के स्तर को भी नियंत्रण रखने का एक शानदार तरीका है। कई बार हम एक ही स्थान पर कई घंटे तक लगातार बैठकर काम करते हैं, ऐसे में यदि समय निकालकर चलने की आदत डाली जाए तो यह रीढ़ की हड्डी से जुड़े कई प्रकार के जोखिमों से बचा सकता है। इसके अलावा स्थिर गति से चलने से दिल को शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पंप करने में मदद मिलती है।

दक्षिण भारत में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि छह महीने तक एक हफ्ते में कुल 2.5 घंटे चलने से उपवास और खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर काफी कम हो गया। हालांकि, इससे वजन घटाने पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों में ज्यादातर 40-60 आयु वर्ग की महिलाएं थीं।

साइकिलिंग
घर के अंदर या बाहर, लंबे समय तक मध्यम गति से साइकिल चलाना डायबिटीज के खिलाफ एक प्रभावी एरोबिक गतिविधि है। हालांकि, इसे एक कम प्रभाव वाला व्यायाम भी माना जाता है, लेकिन डायबिटीज की वजह से उत्पन्न जोड़ों में दर्द से भी यह राहत दिलाता है और यह दौड़ने की तुलना में अधिक आसान भी है।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
डायबिटीज के लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक प्रभावी तरीका है। यह मांसपेशियों का विकास करता है और शरीर के वजन को विनियमित या कम करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शरीर में संक्रमण व बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह हड्डियों के घनत्व में सुधार करने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।

तैराकी
हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में तैराकी महत्वपूर्ण होती है। यह जोड़ों की तकलीफ से निजात दिलाने के लिए कारगर है। इसके अलावा यह अधिक उम्र या मोटे लोगों के लिए भी सुविधाजनक होता है। 2017 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि तैराकी से ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। यह उतना ही फायदेमंद है, जितना कि टाइप 2 डायबिटीज वाले वयस्कों में एरोबिक एक्सरसाइज होता है।

टीम स्पोर्ट्स
ऐसे खेल जिन्हें टीम में रहकर खेला जाता है जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, अल्टिमेट फ्रिसबी, बास्केटबॉल, टेनिस और बैडमिंटन शरीर के लिए एक व्यायाम की तरह होता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने और टाइप 2 डायबिटीज के प्रभाव को कम करने का एक शानदार तरीका है। इसके अलावा किसी खेल में सक्रिय रहने से इंसान मानसिक तौर पर खुश रहता है। यह व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है और दूसरों के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।

योग
नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से डायबिटीज के लक्षणों को कम किया जा सकता है। यह तनाव और ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रण करने, फेफड़ों के कार्य में सुधार, बेहतर नींद और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।

डांस
2015 में अमेरिकन जर्नल ऑफ हेल्थ बिहेवियर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि टाइप 2 डायबिटीज या अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित जिन महिलाओं ने 16 सप्ताह तक ज़ुम्बा का अभ्यास किया, ऐसे लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया।

सीढ़ी चढ़ना
लिफ्ट की जगह सीढ़ियां चढ़ना बहुत ही लाभदायक हो सकता है। घर पर या ऑफिस या शॉपिंग सेंटर पर सीढ़ियों का प्रयोग करने से हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।

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दिन में कम से कम 30 मिनट तेज गति से चलना स्वास्थ्य को बेहतर रखता है व तनाव के स्तर को भी नियंत्रित रखने का एक शानदार तरीका है। कई बार हम एक ही स्थान पर कई घंटे तक लगातार बैठकर काम करते हैं ऐसे में यदि समय निकालकर चलने की आदत डाली जाए तो यह रीढ़ की हड्डी से जुड़े कई प्रकार के जोखिमों से बचा सकता है। इसके अलावा स्थिर गति से चलने से दिल को शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पंप करने में मदद मिलती है।

दक्षिण भारत में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि छह महीने तक एक हफ्ते में कुल 2.5 घंटे चलने से उपवास और खाने के बाद ब्लड शुगर का स्तर काफी कम हो गया। हालांकि, इससे वजन घटाने पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों में ज्यादातर 40-60 आयु वर्ग की महिलाएं थीं।

व्यायाम शुरू करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज या इसके लक्षणों से पीड़ित है।

  • डॉक्टर की अनुमति और सलाह : व्यायाम शुरू करने से पहले चिकित्सक या प्रोफेशनल्स को इस बारे में बताएं। डॉक्टर मरीज की फैमिली हिस्ट्री के आधार पर बताते हैं कि मरीज के लिए किस प्रकार का शारीरिक प्रशिक्षण बेहतर रहेगा।
     
  • नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करना : कुछ मामलों में भारी एक्सरसाइज करने से अचानक ब्लड शुगर का स्तर प्रभावित हो सकता है। ऐसे में व्यायाम शुरू करने से पहले डॉक्टर को सूचित करें।
     
  • बेस्ट एक्सरसाइज का करें चुनाव : सही व्यायाम का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है। यह व्यक्ति को स्वस्थ रहने के प्रति प्रेरित करता है। व्यक्ति की शारीरिक स्थिति यह तय करती है कि वह कौन-से व्यायाम करने में सक्षम है अथवा नहीं। ऐसे में प्रोफेशनल्स से बात करें।
     
  • आपात स्थिति में कुछ खाने के लिए रखें : ब्लड शुगर का स्तर अचानक गिर सकता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति के पास एनर्जी बार (एनर्जी देने वाली चीजें जैसे कुछ प्रकार के चॉकलेट), फल या कुछ नमकीन खाने के लिए उपलब्ध हो।
     
  • स्ट्रेंथ ट्रेनिंग : स्ट्रेंथ ट्रेनिंग ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में लाभकारी होता है। यहां तक कि बॉडीवेट एक्सरसाइज भी फायदेमंद होता है।
     
  • उचित जूतों का करें प्रयोग : नौकरी के लिए अच्छे व आरामदायक जूते पहनने चाहिए। अच्छी तरह से फिट होने वाले जूते पहनने से व्यक्ति को असुविधा नहीं होती है। ब्रांडेड जूतों में मौजूद कपड़े पसीने को सोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा बेहतर तरीके से सांस लेने में भी यह मदद करते हैं।
     
  • खुद को करें हाइड्रेट : हर समय अपने पास में पानी की बोतल रखें, खासकर किसी भी फिटनेस गतिविधि को करते समय ऐसा जरूर करें।
     
  • अपनी क्षमता को पहचानें : यदि आप थका हुआ महसूस कर रहे हैं या कहीं दर्द हो रहा है, तो ऐसे में थोड़ी देर के लिए रुक जाना बेहतर होता है। दर्द में लगातार व्यायाम करने से चोट भी लग सकती है। कई बार यह चोटें इतनी दर्दनाक होती हैं फिटनेस कार्यक्रम पर असर पड़ सकता है। नतीजतन आपको एक्सरसाइज छोड़ना पड़ सकता है।

(और पढ़ें - शुगर का आयुर्वेदिक इलाज)

डायबिटीज गंभीर रूप से व्यक्ति को दुर्बल कर सकती है, लेकिन इसके लक्षणों को समय पर दवा, स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। डायबिटीज रोगियों पर व्यायाम का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। क्योंकि, नियमित फिटनेस गतिविधि करने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है और शरीर का वजन संतुलित रहता है।

Dr. Narayanan N K

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एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani

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एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
19 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

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  2. Misra A., Alappan N.K., Vikram N.K., Goel K., Gupta N., Mittal K., Bhatt S., Luthra K. Effect of supervised progressive resistance-exercise training protocol on insulin sensitivity, glycemia, lipids, and body composition in Asian Indians with type 2 diabetes. Diabetes Care, July 2008; 31(7):1282-7. PMID: 18316394.
  3. Sukla P., Shrivastava S.R. and Shrivastava P.S. A longitudinal study to assess the impact of exercise on clinical, biochemical, and anthropometric parameters among the type 2 diabetes patients of South India. Avicenna Journal of Medicine. January-March 2015; 5(1):16-20. PMID: 25625085.
  4. V. Gopichandran et al. Diabetes self-care activities: A community-based survey in urban southern India. The National Medical Journal of India, 2012; 25(1): 14-17.
  5. Rhee E.J. Diabetes in Asians. Endocrinology and Metabolism (Seoul). September 2015; 30(3): 263-9. PMID: 26435131.
  6. Gujral U.P., Pradeepa R., Weber M.B., Narayan K.M. and Mohan V. Type 2 diabetes in South Asians: similarities and differences with white Caucasian and other populations. Annals of the New York Academy of Sciences. April 2013; 1281(1): 51-63. PMID: 23317344.
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