एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में लाल रक्‍त कोशिकाओं (आरबीसी) की कमी हो जाती है। इस वजह से शरीर की ऑक्‍सीजन की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। गंभीर रूप से रक्‍त की हानि या कमी या आरबीसी के खत्‍म होने पर एनीमिया हो सकता है।

निम्‍न स्थितियों के कारण एनीमिया हो सकता है :

एनीमिया के सामान्‍य लक्षणों में थकान, कमजोरी, पीली त्‍वचा, भूख में कमी, दिल की धड़कन अनियमित होना, बार-बार सिरदर्द होना, ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत, परेशान रहना, सांस लेने में दिक्‍कत, जीभ फटना और बैठने या लेटने से उठने पर अचानक ब्‍लड प्रेशर गिरना शामिल हैं।

इन लक्षणों को नियंत्रित करने और एनीमिया के इलाज में जो होम्‍योपैथिक दवाएं मदद कर सकती हैं, उनका नाम है - पल्सेटिला प्रेटेंसिस, फेरम मेटालिकम, कैलोट्रोपिस जिजैंटिया, पिक्रिकम एसिडम, साइक्‍लैमेन यूरोपियम, नेट्रम म्‍यूरिएटिकम, फॉस्‍फोरस, कैल्केरिया फास्फोरिका और आर्सेनिकम एल्‍बम।

  1. एनीमिया की होम्योपैथिक दवा - Anemia ki homeopathic dawa
  2. होम्योपैथी में एनीमिया के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Anemia ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. खून की कमी की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Khoon ki kami ki homeopathic dava kitni faydemand hai
  4. खून की कमी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Anemia ki homeopathic dawa ke nuksan aur jokhim karak
  5. एनीमिया के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Khoon ki kami ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

एनीमिया के इलाज में निम्‍न होम्‍योपैथिक दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है :

  • पल्सेटिला प्रेटेंसिस (Pulsatilla Pratensis)
    सामान्‍य नाम :
    विंड फ्लॉवर (Wind flower)
    लक्षण : पल्सेटिला प्रेटेंसिस प्रमुख तौर पर चिड़चिड़ापन, ठंड लगने और श्‍लेष्‍मा झिल्लियों (अंगों की अंदरूनी लाइनिंग) के लक्षणों जैसे कि एनीमिया में होने वाले अल्‍सर के इलाज में उपयोगी है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों का भी इलाज किया जा सकता है :
    • सिरदर्द
    • शाम के समय ठंड लगना
    • अल्‍सर के कारण पेट दर्द
    • पेट और पीठ दर्द
    • आयरन की कमी
    • फटे होंठ खासतौर पर नीचे वाले होंठ का बीच का हिस्‍सा
    • प्‍यास न लगने पर भी मुंह सूखना
    • मल में खून और म्‍यूकस (चिपचिपा पदार्थ) आना
    • नसों में दर्द
    • थकान

गर्मी, वसायुक्‍त पदार्थों और बाईं करवट लेटने पर लक्षण और खराब हो जाते हैं। शाम के समय और खाना खाने के बाद भी लक्षण बढ़ सकते हैं। खुली हवा, ठंड और ठंडी चीजें खाने व पीने पर लक्षण बेहतर होते हैं।

  • फेरम मेटालिकम (Ferrum Metallicum)
    सामान्‍य नाम :
    आयरन (Iron)
    लक्षण : ये दवा उन लोगों को सबसे ज्‍यादा फायदा पहुंचाती है जिनमें कमजोरी, आयरन की कमी वाला एनीमिया और पीली त्‍वचा की परेशानी होती है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • आसपास हल्‍का-सा शोर होने पर भी चिड़चिड़ापन होना
    • सिरदर्द
    • अनियमित माहवारी
    • चेहरे के कुछ हिस्‍सों का सफेद, पफी (फूलना) और खून से रहित होना
    • नाक की त्‍वचा का पीला पड़ना
    • भूख में कमी
    • दिल की धड़कन तेज और अनियमित होना (टैकीकार्डिया)
    • कूल्‍हों के जोड़, एड़ी और टांग के निचले हिस्‍से में दर्द
    • लंबे समय तक माहवारी आना और अधिक खून निकलना
    • हाथ-पैरों में ठंड लगना
    • थकान
    • आयरन की कमी

आधी रात, पसीना आने, कुछ ठंडा लगाने और खड़े रहने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। व्‍यक्‍ति को धीरे चलने पर बेहतर महसूस होता है।

  • कैलोट्रोपिस जिजैंटिया (Calotropis Gigantea)
    सामान्‍य नाम :
    मदार की छाल (Madar bark)
    लक्षण : सिफलिस के कारण हुए एनीमिया के इलाज में मदार की छाल असरकारी दवा है। ये रक्‍त प्रवाह को बढ़ाती है और कुछ अन्‍य लक्षणों का भी इलाज करती है,  जैसे कि :
  • पिक्रिकम एसिडम (Picricum Acidum)
    सामान्‍य नाम :
    पिक्रिक एसिड (Picric acid)
    लक्षण : पिक्रिक एसिड आयरन की कमी के कारण होने वाले एनीमिया और परनिशियस एनीमिया (जब शरीर विटामिन बी12 को अवशोषित नहीं कर पाता है) को नियंत्रित करने में उपयोगी है। ये नीचे बताए गए लक्षणों के इलाज में भी मदद कर सकती है :

बारिश के मौसम और सोने के बाद लक्षण और बढ़ जाते हैं। ठंडी हवा और ठंडा पानी पीने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • साइक्‍लैमेन यूरोपियम (Cyclamen Europaeum)
    सामान्‍य नाम :
    सो-ब्रेड (Sow-bread)
    लक्षण : इस दवा का इस्‍तेमाल प्रमुख तौर पर आयरन की कमी के कारण होने वाले एनीमिया को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। ये गर्भाशय की विभिन्‍न स्थितियों के कारण हुए एनीमिया का इलाज करती है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है :

शाम के समय, खुली हवा में जाने, लंबे समय तक बैठने या खड़े होने और ठंडा पानी पीने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। नींबू पानी पीने और चलने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • नेट्रियम म्‍यूरिएटिकम (Natrium Muriaticum)
    सामान्‍य नाम :
    क्‍लोराइड ऑफ सोडियम (Chloride of sodium)
    लक्षण : एनीमिया, कमजोरी और आयरन की कमी के इलाज में नेट्रियम म्‍यूरिएटिकम मदद कर सकती है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों का भी प्रभावशाली उपचार किया जा सकता है :
    • अनियमित माहवारी और मासिक धर्म में ज्‍यादा खून आना
    • टांग में सुन्‍नता और झुनझुनाहट
    • जीभ में सूखापन महसूस होना
    • कमर दर्द
    • तेज सिरदर्द
    • वजन कम होना खासतौर पर गर्दन के आसपास
    • दिल की धड़कन तेज और अनियमित होना

लेटने पर, तेज गाने सुनने और मानसिक थकान होने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। ठंडे पानी से नहाने, खुली हवा में, टाइट कपड़े पहनने और दाईं करवट लेटने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • फॉस्‍फोरस (Phosphorus)
    सामान्‍य नाम :
    फॉस्‍फोरस (Phosphorus)
    लक्षण : लंबे, कम चौड़ी छाती वाले और गोरी रंगत वाले लोगों को फॉस्‍फोरस दवा सबसे ज्‍यादा असर करती है। टेरिटरी सिफलिस (सिफलिस का आखिरी चरण) से प्रभावित लोगों, जिन्‍हें अचानक तेज दर्द होता है, श्‍लेष्‍मा झिल्लियों में सूजन और कमजोरी से ग्रस्‍त लोगों पर भी ये दवा बेहतर असर करती है।
    खून बहने की वजह से हुए एनीमिया की स्थिति में भी ये दवा दी जाती है। फॉस्‍फोरस से ठीक होने वाले अन्‍य लक्षण इस प्रकार हैं :
    • लंबे समय से कफ जमने के कारण सिरदर्द और सिर में जलने वाला दर्द होना
    • दर्द और चेहरे की रंगत बीमार दिखना
    • पेट में खालीपन और कमजोरी महसूस होना
    • पीरियड्स लंबे समय तक रहना, लेकिन कम खून आना
    • आयरन की कमी
    • पीठ में जलने वाला दर्द
    • स्‍कंधास्थि (शोल्‍डर ब्‍लेड – कंधे के पीछे की त्रिकोणीय हड्डी) के बीच में गर्म महसूस होना
    • मामूली कट लगने पर भी घाव से बहुत ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना
    • थकान

मौसम बदलने, थकान (मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की थकान होने पर), गर्म चीजें खाने और पीने पर, दर्द वाले हिस्‍से से लेटने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। सोने के बाद, खुली हवा में जाने पर और ठंडी चीजें खाने के बाद व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

  • कैल्‍केरिया फास्‍फोरिका (Calcarea Phosphorica)
    सामान्‍य नाम :
    फास्‍फेट ऑफ लाइम (Phosphate of lime)
    लक्षण : कैल्‍केरिया फास्‍फोरिक एनीमिया से ग्रस्‍त उन बच्‍चों को दी जाती है, जिनकी फैट की वजह से त्‍वचा लटकी हुई होती है और चिड़चिडे रहने वाले एवं जिनके हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। इस दवा से कुछ अन्‍य लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है, जैसे कि :
    • सख्‍त मल आने के बाद ब्‍लीडिंग
    • सिर और गर्दन में अकड़न महसूस होना
    • बांह और टांगों में सुन्‍नता एवं ठंडा रहना
    • जोड़ों और हड्डियों में दर्द
    • सिरदर्द
    • मासिक धर्म जल्‍दी आने के साथ बहुत तेज पीठ दर्द

ठंडे मौसम और उमस में लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। गर्म और गर्मी के शुष्‍क तापमान में लक्षण बेहतर होते हैं।

  • आर्सेनिकम एल्‍बम (Arsenicum Album)
    सामान्‍य नाम :
    आर्सेनियम एसिड (Arsenious acid)
    लक्षण : आर्सेनियस एसिड आयरन की कमी के कारण होने वाले एनीमिया, परनिशियस एनीमिया, अत्‍यधिक खून निकलने की वजह से होने वाला एनीमिया, अनियमित मासिक धर्म और मलेरिया को नियंत्रित करने में उपयोगी है। इस दवा से एनीमिया के कुछ लक्षणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे कि :
    • थोड़ी मेहनत करने पर ही थकान होना
    • बेचैनी
    • सीने में जलन और दम घुटना
    • चिड़चिड़ापन और कमजोरी
    • सुबह के समय नब्‍ज तेज होना
    • बेहोशी (मस्तिष्‍क में कुछ समय के लिए खून न पहुंचने के कारण बेहोश होना)
    • दिल की धड़कन अनियमित और तेज होना
    • गर्दन में दर्द
    • हाथ-पैरों में अकड़न
    • तेज कमर दर्द

आधी रात के बाद और नमी वाले वातावरण में लक्षण बढ़ जाते हैं। ठंडी चीजें खाने और पीने पर भी स्थिति खराब हो जाती है। व्‍यक्‍ति को गर्मी, गर्म पेय पदार्थों और सिर को ऊंचा करके बैठने या लेटने पर बेहतर महसूस होता है।

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होम्‍योपैथिक दवाओं को बहुत पतली खुराक में तैयार किया जाता है इसलिए इन दवाओं के असर पर खानपान और जीवनशैली से संबंधित कुछ आदतें प्रभाव डाल सकती हैं। अगर आप होम्‍योपैथिक दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्‍टर आपको निम्‍न बातों का ध्‍यान रखने के लिए कह सकते हैं :

क्‍या करें

  • स्‍वस्‍थ और संतुलित आहार लें
  • निजी साफ-सफाई का ध्‍यान रखें और साफ वातावरण में रहें
  • हर मौसम में एक्टिव रहें (व्‍यायाम या कोई भी शारीरिक गतिविधि करते रहें)

क्‍या न करें

(और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपाय)

कई अध्‍ययनों में एनीमिया के अंतर्निहित कारणों के इलाज में होम्‍योपैथिक दवाओं को असरकारी पाया गया है।

ब्रिटिश होम्‍योपैथिक एसोसिएशन के अनुसार पल्‍सेटिला प्रेटेंसिस एनीमिया और इससे जुड़े लक्षणों जैसे कि ऐंठन वाला दर्द और माहवारी देर से एवं न आने के इलाज में उपयोगी है। ये एनीमिया को नियंत्रित करने के लिए लंबे समय तक लिए गए आयरन के टॉनिक के हानिकारक प्रभाव का इलाज करने में भी उपयोगी है।

(और पढ़ें - एनीमिया का आयुर्वेदिक इलाज)

एक चिकित्‍सकीय अध्‍ययन में आयरन की कमी वाले एनीमिया (जिसमें 5 से 10 साल के लड़के और लड़कियां शामिल थीं) से ग्रस्‍त 30 बच्‍चों को शामिल किया गया। इन्‍हें तीन महीने तक आयरन युक्‍त आहार के साथ दिन में तीन बार फेरम मेटालिकम की 2 गोलियां दी गईं।

इन बच्‍चों का हीमोग्‍लोबिन का लेवल 10.5 ग्राम/डीएल से कम था। निर्धारित अवधि के अंत तक कई प्रतिभागियों की स्थिति में सुधार पाया गया। इससे पता चलता है कि आयरन की कमी से हुए एनीमिया को नियंत्रित करने में फेरम मेटालिकम असरकारी है।

एनीमिया के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाली एलोपैथी दवाओं के लंबे समय तक उपयोग के दुष्‍प्रभाव होते हैं। हालांकि, होम्‍योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्‍वों से तैयार किया जाता है, इसलिए इनका महत्वपूर्ण लाभ मिलता है।

अगर होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक की देखरेख में होम्‍यापैथी दवाओं की सही खुराक ली जाए तो इनका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होता है और एलोपैथी ट्रीटमेंट के साथ ही आप होम्‍योपैथी उपचार भी ले सकते हैं।

होम्‍योपैथी दवाओं को जड़ी बूटियों, खनिज पदार्थों या पशु उत्‍पादों से तैयार किया जाता है और इन दवाओं को विषाक्‍त मुक्‍त बनाने के लिए बहुत ही ज्‍यादा पतला बनाया गया है। पतले होने की वजह से ही इन दवाओं के हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं लेकिन इनका चिकित्‍सकीय प्रभाव बना रहता है। गर्भवती महिलाएं, बच्‍चे और वृद्ध लोगों पर भी ये दवाएं असरकारी और सुरक्षित होती हैं।

हालांकि, कोई भी होम्‍योपैथिक उपचार शुरू करने से पहले होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक से सलाह लेना जरूरी है। होम्‍योपैथिक डॉक्‍टर को हर दवा की अच्‍छी जानकारी होती है। वे मरीज की मानसिक, शारीरिक और चिकित्‍सकीय स्थिति को ध्‍यान में रखते हुए सही दवा चुनकर देते हैं।

(और पढ़ें - एनीमिया के लिए योग)

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आरबीसी में महत्‍वपूर्ण गिरावट आने और शरीर के ऊतकों तक ऑक्‍सीजन की अपर्याप्‍त आपूर्ति के कारण एनीमिया होता है। इस स्थिति के कई कारक हो सकते हैं और इसकी वजह से ध्‍यान लगाने एवं सांस लेने में दिक्‍कत और दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।

एनीमिया के इलाज में उपयोगी एलोपैथी दवाओं को लंबे समय तक लेने पर दुष्‍प्रभाव देखने पड़ते हैं। होम्‍योपैथी दवाओं को प्रा‍कृतिक तत्‍वों से तैयार किया जाता है और अनुभवी चिकित्‍सक की देखरेख में लेने से इनका कोई दुष्‍प्रभाव भी नहीं होता है।

(और पढ़ें - बच्चों में खून की कमी कैसे दूर करें)

चिकित्‍सकीय स्थिति के अलावा व्‍यक्‍ति की कुछ स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के प्रति प्रवृत्ति के आधार पर होम्‍योपैथिक दवाओं की सलाह दी जाती है। इसलिए एनीमिया और इससे जुड़े लक्षणों को असरकारी तरीके से नियंत्रित करने में होम्‍योपैथिक दवाएं सुरक्षित रहती हैं और वैकल्पिक चिकित्‍सा के रूप में या एलोपैथी के साथ होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट ले सकते हैं।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में एनीमिया के कारण)

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Anemia
  2. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; Anaemia
  3. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Anaemia
  4. Oscar E. Boericke. Repertory. Repertory Médi-T; [lnternet]
  5. British Homeopathic Association. Pulsatilla (2001). London; [Internet]
  6. William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1 Homoeopathic Materia Medica
  7. H. Venkatesan. Statistical Assessment of the Effectiveness of Homoeopathic Medicine Ferrum metallicum 6X in Increasing the Haemoglobin Concentration of Thirty Paediatric Iron Deficiency Anaemia Patients Using Paired 't' Test International Journal of Health Sciences and Research, December 2018, Volume 8, Issue 12
  8. Wenda Brewster O’really PhD, Organon of the Medical Art by Dr Samuel Hahnemann, 1st edition 2010 , 3rd impression 2017, pg 227, 228 and 229, aphorisms 259, 261 and 263
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