बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट क्या है?

बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन एक प्रोटीन है जो कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के एक हिस्से की तरह कार्य करता है। यह उन सभी कोशिकाओं में मौजूद होता है जिनमें न्युक्लियस होता है। यह प्रोटीन समय-समय पर कोशिकाओं दवारा निकसित किया जाता है और शरीर के सभी द्रवों में संचारित होता है। रक्त में इसकी सबसे अधिक मात्रा होती है और यूरिन में इसकी केवल कुछ ही मात्रा पाई जाती है। 

बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन ग्लोमेरुली से निकलते हैं और फिर इन्हें रीनल प्रोक्सिमल ट्यूबल्स द्वारा पुनः सोख लिया जाता है। ग्लोमेरुली किडनी में रक्त को फिल्टर करने वाली प्रणाली होती है और रीनल प्रोक्सिमल ट्यूबल्स किडनी का वह भाग होता है जहां पानी, खनीज, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों को पुन: प्राप्त किया जाता है।

आमतौर पर यूरिन में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन का जमाव केवल एक मिनट तक ही रहता है। हालांकि, यदि रीनल ट्यूबल्स में किसी भी प्रकार की कोई क्षति हो गई है, तो यूरिन में बीटा-2 के स्तर बढ़ जाते हैं और किडनी द्वारा इन्हें दोबारा सोखा नहीं जा सकता। दूसरी तरफ, यदि ग्लोमेरुली क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन फ़िल्टर नहीं हो पाता जिसके परिणामस्वरूप रक्त में इसके स्तर बढ़ जाते हैं।

बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट यूरिन में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के स्तर की जांच करता है। इससे किडनी में हुई क्षति के बारे में पता चलता है।

  1. बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट क्यों किया जाता है - Beta-2 Microglobulin Urine Test Kyu Kiya Jata Jata Hai
  2. बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट से पहले - Beta-2 Microglobulin Urine Test Se Pahle
  3. बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट के दौरान - Beta-2 Microglobulin Urine Test Ke dauran
  4. बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Beta-2 Microglobulin Urine Test Result and Normal Range

बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह किडनी डैमेज की पहचान करने के लिए दे सकते हैं। बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट के साथ बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन ब्लड टेस्ट करवाने के लिए भी कहा जा सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्षति ग्लोमेरुली में हुई है या ट्यूबूलर में। रक्त में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के अधिक स्तर ग्लोमेरूलर डैमेज की ओर संकेत करते हैं वहीं यूरिन में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के अधिक स्तर ट्यूबूलर डैमेज की ओर संकेत करते हैं।

यदि आपके शरीर में किडनी डैमेज के निम्न लक्षण और संकेत दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इस टेस्ट को करवाने के लिए कह सकते हैं :

निम्न स्थितियों में भी यह टेस्ट करवाने के लिए भी कहा जा सकता है :

  •  रीनल फेलियर की अंतिम अवस्था वाले व्यक्ति में
  • किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्तियों में, किडनी रिजेक्शन के संकेतों की जांच करने के लिए
  • जो लोग मरक्यूरी या कैडमियम के साथ उच्च स्तरों तक संपर्क में होते हैं उनमें किडनी डैमेज के शुरुआती संकेतों की जांच करने के लिए
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बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी खास तैयारी की जरुरत नहीं होती। लेकिन सिस्प्लैटिन, लिथियम, जेंटामाइसिन और एमिनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक जैसे कुछ दवाएं बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं, जिससे परिणाम गलत आ सकते हैं। रेडियोग्राफिक कंट्रास्ट मीडिया और न्यूक्लियर मेडिसिन प्रक्रिया भी इस टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, यदि आप किसी भी तरह की दवाएं या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह टेस्ट दिन के किसी भी यूरिन सैंपल पर किया जा सकता है। डॉक्टर सैंपल लेने के लिए आपको एक कंटेनर देंगे। यूरिन सैंपल चौबीस घंटे में कभी भी लिया जा सकता है। यूरिन निम्न तरह से इकट्ठा किया जाना चाहिए :

  • कंटेनर पर अपने नाम का लेबल लगा लें। 
  • अपने हाथ और जननांगों को ठीक तरह से साफ करें। 
  • पेशाब करने के दौरान शुरुआती व अंतिम कुछ बूंदें न लें और बीच का “मिड स्ट्रीम” सारा यूरिन कंटेनर में जमा कर लें।
  • पेशाब करने के बाद कंटेनर का ढक्कन बंद करें और अपने हाथों को अच्छे से धो लें
  • सैंपल लैब टेक्नीशियन को दे दें। 

“मिड स्ट्रीम” यूरिन सैंपल में न तो शुरुआती न ही आखिरी की बूंदें ली जाती हैं। इस तरह से यूरिन सैंपल लेने में त्वचा के चारों-ओर होने वाले बैक्टीरिया से सैंपल दूषित नही हो पाता है।

यह एक सामान्य और सुरक्षित टेस्ट है जिसमें किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।

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बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन यूरिन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम

यूरिन में बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के सामान्य स्तर 0-0.3 mcg/mL (माइक्रोग्राम प्रति मिलीलीटर) है। आमतौर पर बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन की कम मात्रा यूरिन में मौजूद होती है जिसका मतलब है कि ट्यूबूलर ठीक तरह से कार्य कर रहा है।

असामान्य परिणाम

बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के उच्च स्तर किसी समस्या की ओर संकेत करते हैं लेकिन ये किसी विशेष बीमारी या विकार के बारे में नहीं बताते। बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन के उच्च स्तर निम्न की तरफ संकेत कर सकते हैं :

  • डायलिसिस से संबंधित एमाइलॉइडोसिस (एक विकार जिसमें हड्डियों और अन्य ऊतकों में अधिक बीटा-2 माइक्रोग्लोबुलिन का जमाव हो जाता है), यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से डायलिसिस पर हो
  • कैंसर जैसे ल्यूकेमियामल्टीपल मायलोमा और लिंफोमा
  • पेरीफेरल आर्टरी रोग
  • किसी व्यक्ति के किडनी ट्रांसप्लांट करवाने पर किडनी रिजेक्शन
  • प्रोक्सिमल रीनल ट्यूबूलर डैमेज जो कि निम्न कारणों से हो सकता है :
    • कैडमियम, लिथियम या मरक्यूरी की विषाक्तता
    • एमिनोग्लाइकोसाइड की विषाक्तता
    • पायलोनेफ्राइटिस (किडनी में संक्रमण)

टेस्ट के रिजल्ट आपके स्वास्थ्य से किस प्रकार संबंधित हैं, इस बारे में डॉक्टर आपको समझा देंगे।

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