बीटा-2 माइक्रोग्लोब्युलिन (बी2एम) टेस्ट क्या है?

बीटा-2 मइक्रोग्लोब्युलिन शरीर की अधिकतर कोशिकाओं पर पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। यह रक्त में कुछ मात्रा में लगातार रिसता रहता है, हालांकि यह बीटा लिम्फोसाइट (सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार) के द्वारा सबसे अधिक मात्रा में रिसता है। इसीलिए जब प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय होती है या फिर कोई ऐसा रोग हो जाता है, जिससे कोशिकाओं का उत्पादन व क्षति अधिक हो जाती है, तो बी2एम का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है।

बी2एम के स्तर उन लोगों में भी अधिक देखे जाते हैं जो मल्टीपल मायलोमा और लिंफोमा जैसे कैंसर आदि से ग्रस्त हैं। इसके अलावा कुछ इंफ्लेमेटरी विकार व एचआईवी से ग्रस्त लोगों में भी बी2एम का स्तर अधिक देखा जा सकता है।

यह टेस्ट सीरम में बीटा 2 माइक्रोग्लोब्युलिन के स्तर का पता लगाता है। रक्त से लाल रक्त कोशिकाओं को अलग करने के बाद बचे शेष भाग को सीरम कहते हैं। इससे कैंसर या ट्यूमर के बारे में जानने में मदद मिलती है।

जब रक्त किडनी द्वारा फ़िल्टर किया जाता है तो अधिकतर बी2एम किडनी के फ़िल्टर ग्लोमेरुलर मेम्ब्रेन द्वारा निकल जाते हैं लेकिन रीनल ट्यूब्स (किडनी का वह भाग जो पानी और पोषक तत्वों को फिर से अवशोषित करता है) में बच जाते हैं। आमतौर पर बी2एम की थोड़ी सी मात्रा ही यूरिन में निकलती है। इसीलिए यह टेस्ट किडनी की कार्य प्रक्रिया के बारे में जानने में मदद करता है।

  1. बी2एम टेस्ट क्यों किया जाता है - B2M Test Kyu Kiya Jata Jata Hai
  2. बी2एम टेस्ट से पहले - B2M Test Test Se Pahle
  3. बी2एम टेस्ट के दौरान - B2M Test Test Ke dauran
  4. बी2एम टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - B2M Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

बी2एम टेस्ट क्यों किया जाता है?

जिन लोगों में हाल ही में मल्टीपल मायलोमा पाया गया है उन्हें डॉक्टर बी2एम टेस्ट की सलाह एक फॉलो अप टेस्ट की तरह दे सकते हैं।

यह टेस्ट रोग की अवस्था का पता लगाने और ट्रीटमेंट की प्रभावकारिता के बारे में जानने में मदद करता है। यदि आपमें किडनी के क्षतिग्रस्त होने के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर यूरिन टेस्ट के साथ बी2एम टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं :

चूंकि बीटा2 माइक्रोग्लोब्युलिन के उच्च स्तर रीनल ट्यूब्स की क्षति के बारे में बताते हैं तो साथ में ये दोनों टेस्ट क्षति की सही जगह का पता लगाने में मदद करते हैं।

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बी2एम टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

यह एक सामान्य टेस्ट है, इसमें कोई भी विशेष तैयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

बी2एम टेस्ट कैसे किया जाता है?

डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर रक्त की थोड़ी सी मात्रा ली जाएगी। रक्त का सैंपल निकालने के लिए सबसे पहले बांह के ऊपरी हिस्से में इलास्टिक बैंड बांधा जाता है। ऐसा करने से नसें थोड़ी देर के लिए फूल जाती हैं और सुई लगाने में आसानी होती है। कभी-कभी एक से अधिक सुई लगाने की भी जरूरत पड़ सकती है। एक बार पर्याप्त रक्त मिल जाने पर बांह से बैंड हटा दिया जाता है।

इसके बाद आपको चक्कर आ सकते हैं। सुई लगी जगह पर आपको नील पड़ सकता है जो कि जल्दी ही ठीक हो जाएगा। हालांकि, यदि डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित तरीके अपनाए जाएं, तो इन खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल लेने के लिए, आपसे एक पूरे दिन के पेशाब का सैंपल जमा करने के लिए कहा जाएगा। इस दौरान डॉक्टर यूरिन कंटेनर किसी ठंडी जगह में रखने की सलाह देंगे। सैंपल जमा होने के बाद आप सैंपल को लैब में टेस्ट के लिए भेज सकते हैं।

सीएसएफ का सैंपल लेने के लिए निम्न प्रक्रिया का पालन किया जाएगा -

  • आपसे एक तरफ मुंह कर के लेटने को कहा जाएगा। डॉक्टर आपकी त्वचा को सुन्न करने के लिए एनेस्थीसिया दवा का उपयोग करेंगे ताकि आपको प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह का दर्द न हो।
     
  • डॉक्टर दो केशरुकाओं के बीच एक पतली और खोखली सुई लगाकर थोड़ी सी मात्रा में सीएसएफ ले लेंगे। इसके बाद सैंपल को टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को लंबर पंक्चर या स्पाइनल टैप कहा जाता है। इसमें 30-45 मिनट का समय लगता है।
     
  • इस प्रक्रिया के बाद आपसे एक घंटे के लिए कमर के बल लेटने के लिए कहा जाएगा ताकि टेस्ट के साइड इफ़ेक्ट से बचा जा सके जैसे सिरदर्द
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बी2एम टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है?

सामान्य परिणाम

सीरम में बी2एम की सामान्य वैल्यू 1.21 और 2.70 mcg/mL के बीच होती है। बी2एम के कम स्तरों को भी सामान्य माना जाता है।

असामान्य परिणाम

यदि रक्त में बी2एम के स्तरों में वृद्धि देखी जाती है तो इसे असामान्य परिणाम कहा जाता है। सीरम बी2एम लेवल रीनल डिसफंक्शन, वायरल संक्रमण या लंबे समय से सूजन आदि जैसी स्थितियों में भी बढ़ सकते हैं।

यदि यह टेस्ट कैंसर की अवस्था के बारे में जानने के लिए किया जाता है तो रिजल्ट का पता निम्न के अनुसार लगाया जाता है

  • मल्टीपल मायलोमा से ग्रस्त लोगों में सीरम बी2बी का <4 mce/mL स्तर बेहतर परिणाम का संकेत देता है।
  • यदि कैंसर ट्रीटमेंट की प्रभावशीलता के बारे में पता लगाया जा रहा है, तो बी2एम के बढ़े हुए स्तर का मतलब है कि कैंसर फैल रहा है। ऐसे ही सीरम बी2एम स्तर में गिरावट का मतलब है कि इलाज ठीक से काम कर रहा है।
  • यदि सीरम बी2एम न तो बढ़ा और न ही घटा है तो इसका मतलब है कि रोग की स्थिति पहले जैसी ही है।
  • यदि बी2एम के स्तर कम हो कर दोबारा बढ़े हैं तो इसका मतलब है कि आपको फिर से कैंसर हो गया है।

संदर्भ

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