दूध से एलर्जी - Milk Allergy in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

August 07, 2018

June 14, 2023

दूध से एलर्जी
दूध से एलर्जी

दूध से एलर्जी क्या है?

दूध से एलर्जी​ बच्चों में सबसे आम एलर्जी होती है। जिन बच्चों को दूध​ से एलर्जी होती है उन्हें दूध और उसके सभी उत्पादों से बचना चाहिए। यद्यपि दूध से एलर्जी अधिकतर शिशुओं और बच्चों में होती है, यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। ये पहले बिना किसी समस्या के खाये गए खाद्य पदार्थों के कारण भी हो सकती है।

दूध से एलर्जी दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति रिएक्शन होता है। आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली दूध के प्रोटीन से प्रभावित होती है और विभिन्न प्रकार के लक्षणों को ट्रिगर करती है। चकत्ते, दस्त, और पेट दर्द दूध से एलर्जी के लक्षण हो सकते हैं।

(और पढ़ें - त्वचा पर चकत्तों के उपाय)

दूध से एलर्जी लैक्टोज इनटोलरेंस (असहिष्णुता) के समान नहीं है। लैक्टोज इनटोलरेंस लैक्टोज (जो कई डेयरी उत्पादों में पाया जाता है) को पचाने में असमर्थता होती है ।

डॉक्टर आपसे आपके या आपके बच्चे के चिकित्सा इतिहास और लक्षणों की शुरुआत, अवधि और तीव्रता के बारे में पूछेंगे। वह एलर्जी की जांच के लिए त्वचा परीक्षण या ब्लड टेस्ट भी कर सकते हैं।

दूध से एलर्जी का प्राथमिक उपचार दूध और दूध के उत्पादों का सेवन न करना है। ज्यादातर बच्चों में दूध से एलर्जी समय के साथ खुद खत्म हो जाती है। जिन बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता उन्हें दूध से बने उत्पादों से बचने की आवश्यकता हो सकती है। दूध से एलर्जी एनाफिलेक्सिस का कारण भी बन सकती है - जो एक गंभीर और जानलेवा रिएक्शन है।

दूध से एलर्जी के लक्षण - Milk Allergy Symptoms in Hindi

दूध से एलर्जी के लक्षण क्या हैं?

हर व्यक्ति के लिए दूध से एलर्जी के लक्षण अलग होते हैं। और ये दूध पीने या दूध के उत्पाद खाने के कुछ मिनट या कुछ घंटे बाद नज़र आते हैं।

दूध से एलर्जी के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

अन्य लक्षण जो हो सकते हैं:

डॉक्टर को कब दिखाएं?

अगर आप या आपके बच्चे को दूध पीने के तुरंत बाद दूध से एलर्जी के लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। यदि संभव हो तो एलर्जी प्रतिक्रिया के दौरान ही डॉक्टर को दिखाएं जिससे परीक्षण करने में मदद मिल सके। यदि आपको या आपके बच्चे को एनाफिलैक्सिस के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत इलाज कराएं।

दूध से एलर्जी के कारण - Milk Allergy Causes in Hindi

दूध से एलर्जी क्यों होती है?

खाद्य एलर्जी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (जो आमतौर पर संक्रमण से लड़ती है) से संबंधित होती है। जब कोई किसी विशेष भोजन के प्रति एलर्जिक होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली उस भोजन में प्रोटीन के प्रति रिएक्ट करती है। सभी तरह की एलर्जी की तरह दूध से एलर्जी भी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के खराब होने के कारण होती है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली दूध के प्रोटीन को ख़तरा मान लेती है, जबकि वास्तव में वह हानिरहित होता है।

यद्यपि दूध से एलर्जी अधिकतर नवजात शिशुओं और बच्चों में होती है, यह किसी भी उम्र में हो सकती है। पाउडर मिल्क पीने वाले और स्तनपान करने वाले शिशुओं में किसी को भी दूध के प्रति एलर्जी हो सकती है। हो सकता है स्तनपान करने वाले शिशु स्तन के दूध के माध्यम से जाने वाले गाय के दूध के प्रोटीन के प्रति एलर्जिक हो जाएं किन्तु जब तक वे गाय का दूध सीधा नहीं पीते तब तक एलर्जी न हो। कई शिशुओं को बचपन में दूध से एलर्जी होती है, लेकिन बड़े होते हुए ये ठीक हो जाती है।

(और पढ़ें - स्तनपान के फायदे)

दूध से एलर्जी होने की आशंका किन कारकों से बढ़ जाती है?

  • आयु: बच्चों के लिए दूध के प्रति एलर्जी होना आम बात है।
  • अन्य एलर्जी: दूध से एलर्जिक बच्चे अन्य एलर्जी से भी ग्रस्त हो सकते हैं। दूध से एलर्जी सबसे पहले होने वाली एलर्जी होती है।
  • एक्जिमा: जिन बच्चों को एक्जिमा होता है उन्हें खाद्य एलर्जी होने की आशंका ज़्यादा होती है।
  • पारिवारिक इतिहास: यदि माता-पिता में से किसी को भोजन संबंधित एलर्जी या अन्य प्रकार की एलर्जी होती है जैसे हे फीवर, एक्जिमा या अस्थमा तो दूध से एलर्जी होने का जोखिम अधिक होता है।

दूध से एलर्जी से बचाव - Prevention of Milk Allergy in Hindi

दूध से एलर्जी को कैसे रोकें?

दूध से एलर्जी को रोकने का कोई रास्ता नहीं है क्योंकि ये जन्म से ही होती है। अधिकांश लोग दूध के प्रति एलर्जिक सिर्फ तब होते हैं जब वे शिशु होते हैं और बड़े होते-होते एलर्जी अपने आप खत्म हो जाती है। कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो वयस्क होने पर भी दूध के प्रति एलर्जिक होते। दूध से एलर्जी आमतौर पर वयस्कों को नहीं होती है।

हालांकि आप दूध से होने वाली एलर्जी को रोकने के लिए निम्न सावधानियां बरत सकते हैं :

  • खाद्य पदार्थों का लेबल पढ़ें ताकि आप यह जान सकें कि उनमें दुग्ध सामग्री है कि नहीं।
  • हो सके तो किसी पोषण विशेषज्ञ से बात करके यह समझने कि कोशिश करें कि कौन से खाद्य पदार्थों में दूध हो सकता है। वे आपको दूध रहित विकल्प खोजने में भी मदद करेंगे जो आपको महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, विटामिन डी, और प्रोटीन प्रदान करते हैं जो हम आम तौर पर दूध से प्राप्त करते हैं।
  • दूध-युक्त खाद्य पदार्थों और सामग्री के सेवन से बचें जैसे कि दूध, ​दही, ​घी, ​मक्खन, ​छाछ, ​पनीर, ​चीज़, क्रीम, कस्टर्ड
  • जब आप किसी होटल या रेस्तरां में खाना खाएं तो सावधान रहें। अपने वेटर को बताएं कि आपको दूध से एलर्जी है और ऑर्डर करने से पहले हर आइटम की सामग्री के बारे में हमेशा पूछें।
  • बाहर का खाना जितना हो सके उतना कम खाएं, या बिलकुल न खाएं। मुमकिन हो तो बाहर जाते समय हमेशा घर का बना भोजन साथ लेकर जाएँ।

दूध से एलर्जी का परीक्षण - Diagnosis of Milk Allergy in Hindi

दूध से एलर्जी का परीक्षण कैसे होता है?

खाद्य एलर्जी में यह निर्धारित करना हमेशा मुश्किल होता है कि कौन सा खाद्य पदार्थ इसका मूल कारण है। यह जांचने के लिए कि क्या आपको या आपके बच्चे को दूध से एलर्जी है, डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछ सकते हैं, आपका शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं और आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछ सकते हैं।

समस्या निर्धारण के लिए निम्न परीक्षण किये जा सकते हैं :

सबसे आम एलर्जी टेस्ट स्किन प्रिक टेस्ट और ब्लड टेस्ट होते हैं।

1. रक्त परीक्षण: 

इसका उपयोग इम्यूनोग्लोबुलिन ई (IgE) एंटीबॉडी की उपस्थिति को जांचने के लिए किया जाता है, जो तब होता है जब आपका शरीर ऐसे पदार्थ के संपर्क में आता है जिसके प्रति वो संवेदनशील होता है। ये एंटीबॉडी एलर्जी करने वाले रसायनों का संचार करते हैं जिससे एलर्जी के लक्षण नज़र आते हैं।

2. स्किन टेस्ट: 

इस परीक्षण में, आपकी त्वचा में एक छोटा सा कट लगाया जाता है और दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन की थोड़ी मात्रा डाली जाती है। यदि आप एलर्जिक हैं, तो आपकी त्वचा पर पित्ती हो जाएगी।

दूध से एलर्जी का इलाज - Milk Allergy Treatment in Hindi

दूध से एलर्जी का इलाज क्या है?

दूध कई खाद्य पदार्थों का एक आम घटक होता है इसलिए पूरी तरह से डेयरी पदार्थों से बचना बहुत मुश्किल है।

मान लीजिये आप कभी गलती से दूध युक्त आहार खाते हैं और उससे से रिएक्शन होता है तो ऐसी सूरत से बचने के लिए डॉक्टर आपको एपिनेफ्रीन इंजेक्शन साथ रखने की सलाह दे सकते हैं। 

एलर्जी के लक्षणों से बचने के लिए आप अपने साथ एंटीहिस्टामाइन भी रख सकते हैं।

प्राकृतिक उपाय

  • सेलेनियम और विटामिन ई: ये हमारे शरीर में मुक्त कणों को खत्म करते हैं क्योंकि ये एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं। एलर्जी के लक्षणों का सामना करने के लिए प्रति दिन 50 से 100 माइक्रोग्राम विटामिन ई और सेलेनियम लें। ये वयस्कों में दूध से एलर्जी के इलाज में बहुत प्रभावी होते हैं।
  • मैग्नीशियम और कैल्शियम: ये एलर्जी के लक्षणों से छुटकारा पाने में भी मदद करते हैं और तंत्रिका तंत्र को भी शांत करते हैं। ये प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी फायदेमंद हैं। आप इन्हें सप्लीमेंट या प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त कर सकते हैं जैसे केले, ताजा सब्जियों या अंडे
  • गाजर का रस: दूध से एलर्जी और अन्य खाद्य एलर्जी के लक्षणों के इलाज के लिए अनार और चुकंदर के रस के साथ गाजर के रस का उपयोग किया जाता है। ये दूध के प्रति शरीर की सहनशक्ति में वृद्धि करते हैं। इन रसों को सुबह मिला कर पियें।
  • अदरक: अदरक स्वास्थ्य लाभ के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है और दूध की एलर्जी इलाज में भी बहुत प्रभावी होती है।
  • शहद: शहद का उपयोग मौसमी एलर्जी सहित कई बीमारियों के लिए किया जाता है। इसका उपयोग दूध से एलर्जी के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। नाश्ते से पहले सुबह में एक चम्मच शहद लें।
  • हल्दी: यह दूध से होने वाली एलर्जी के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। इसमें सूजनरोधी गुण होते हैं जो एलर्जी के लक्षणों से छुटकारा दिलाते हैं। रोज़ हल्दी वाला भोजन करें।

दूध से एलर्जी की जटिलताएं - Milk Allergy Complications in Hindi

दूध से एलर्जी की जटिलताएं क्या हैं?

1. विटामिन डी की कमी

दूध विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत है। यदि आप एलर्जी के कारण दूध नहीं पी पाते हैं तो आपको विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए सप्लीमेंट लेने पड़ सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रोटीन पाउडर के फायदे)

2. एलर्जिक शॉक का जोखिम

दूध से एलर्जी एनाफिलेक्सिस (एलर्जिक शॉक) का कारण बन सकती है, जो एक जानलेवा रिएक्शन है जिससे वायुमार्ग संकुचित हो जाता है और सांस रुक सकती है। एनाफिलेक्सिस एक आपात स्थिति है और इसमें एपिनेफ्राइन (एड्रेनालाईन) शॉट और आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है। इसके लक्षण दूध पीने के तुरंत बाद दिखने शुरू हो जाते हैं जिनमें निम्न हो सकते हैं, जैसे:

  • अत्यधिक खुजली होना 
  • बीपी कम होना (और पढ़ें - लो बीपी के उपाय)
  • गले की सूजन के साथ-साथ वायुमार्गों की सिकुड़न, जो सांस लेने में मुश्किल पैदा करती है