मेटाबोलिक सिंड्रोम - Metabolic Syndrome in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

August 27, 2018

January 31, 2024

मेटाबोलिक सिंड्रोम
मेटाबोलिक सिंड्रोम

मेटाबॉलिक सिंड्रोम समस्याओं का एक झुंड होता है, मुख्य रूप से इसमें ब्लड प्रेशर बढ़ना, ब्लड शुगर बढ़ जाना, कमर के आस-पास चर्बी बढ़ जाना और कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड का स्तर असामान्य होना जाने जैसी समस्याएं शामिल होती हैं। मेटाबॉलिक सिंड्रोम में ये समस्याएं एक साथ होती हैं जिससे स्ट्रोक, डायबिटीज व हृदय संबंधी समस्याएं होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। 

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल के लक्षण)

यदि आपको इन समस्याओं में से कोई एक है तो इसका मतलब ये नहीं है कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम है। हालांकि इनमें से कोई भी एक समस्या किसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ा देती है। यदि इन समस्याओं में से एक से अधिक समस्याएं एक साथ हो गई है तो आपके जोखिम और अधिक बढ़ जाते हैं।

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यदि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम या इससे होने वाली समस्याएं हैं तो इसकी रोकथाम करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने चाहिए। क्योंकि मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने पर अगर जीवनशैली में तुरंत कुछ बदलाव कर लिए जाएं तो इससे होने वाली गंभीर समस्याओं को कुछ समय के लिए या स्थायी रूप से रोका जा सकता है। 

मेटाबोलिक सिंड्रोम के लक्षण - Metabolic Syndrome Symptoms in Hindi

मेटाबॉलिक सिंड्रोम से कौन से लक्षण हो सकते हैं?

मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े ज्यादातर विकारों में किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते। हालांकि कमर के आस-पास की चर्बी बढ़ना इसका एक संकेत हो सकता है। यदि आपका ब्लड शुगर अधिक बढ़ गया है तो आप में डायबिटीज के लक्षण विकसित होने लग सकते हैं जैसे अधिक प्यास लगना, अधिक पेशाब आना, थकान व धुंधला दिखाई देना आदि।

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी कोई भी समस्या महसूस हो रही है तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर के पास जाकर आपको इस बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम व उससे होने वाली समस्याओं के लिए टेस्ट करवाने की आवश्यकता है या नहीं।

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मेटाबोलिक सिंड्रोम के कारण - Metabolic Syndrome Causes & Risk Factor in Hindi

मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्यों होता है?

मेटाबॉलिक सिंड्रोम अधिक वजन बढ़ने, मोटापे और निष्क्रियता (शरीर गतिशील ना होना) जैसी स्थितियों से काफी बारीकी से जुड़ा होता है। 

यह इन्सुलिन रेजिस्टेंस (इन्सुलिन प्रतिरोध) नामक स्थिति से भी जुड़ा होता है। आमतौर पर आपकी पाचन प्रणाली आपके खाए गए भोजन को शुगर (ग्लूकोज) में परिवर्तित कर देती है। इन्सुलिन आपके अग्न्याशय द्वारा बनाया जाने वाला एक हार्मोन होता है जो शुगर को कोशिकाओं के अंदर प्रवेश में मदद करता है। कोशिकाएं शुगर को ईंधन के रूप में उपयोग करती हैं।

जिन लोगों को इन्सुलिन रेजिस्टेंस होता है, उनकी कोशिकाएं इन्सुलिन पर सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं देती जिससे शुगर कोशिकाओं के अंदर आसानी से प्रवेश नहीं कर पाता। इसके परिणामस्वरूप पीड़ित के खून में लगातार ग्लूकोज (शुगर) का स्तर लगातार बढ़ता रहता है, हालांकि शरीर लगातार अधिक से अधिक इन्सुलिन सोंख कर खून में मौजूद शुगर के लेवल को कम करने की कोशिश करता है।

(और पढ़ें - इन्सुलिन क्या होता है)

मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का जोखिम कब बढ़ जाता है?  

कुछ ऐसे कारक जो मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने के जोखिम का बढ़ाते हैं, जैसे

  • उम्र: 
    उम्र के साथ-साथ मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने के जोखिम भी बढ़ जाते हैं।
     
  • मोटापा: 
    शरीर का अत्यधिक वजन होना भी मेटाबॉलिक सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ाता है, खासकर यदि पेट की चर्बी या वजन अधिक है तो मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकसित होने के जोखिम और अधिक बढ़ जाते हैं। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के उपाय)

    क्या आप भी मोटापे से परेशान है लाख कोशिशों के बाद भी वजन काम नहीं कर पा रहे है तो आज ही myUpchar आयुर्वेद मेदारोध वेट लॉस जूस को इस्तेमाल करना शुरू करे और अपने वजन को नियंत्रित करे।
     
  • डायबिटीज: 
    यदि आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज (Gestational diabetes) था तो आप में मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकसित होने के जोखिम बढ़ सकते हैं। अगर टाइप 2 डायबिटीज आपकी पारिवारिक समस्या (परिवार में एक से अधिक लोगों को होना) है तो भी आप में मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकसित होने के जोखिम बढ़ सकते हैं। (और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज)
     
  • अन्य रोग: 
    यदि आपको वर्तमान में या फिर पहले कभी नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या हृदय संबंधी रोग हुए हैं तो आप में मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने के जोखिम बढ़ सकते हैं। 

मेटाबोलिक सिंड्रोम का परीक्षण - Diagnosis of Metabolic Syndrome in Hindi

मेटाबॉलिक सिंड्रोम का परीक्षण कैसे किया जाता है?

कुछ संस्थाओं में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का परीक्षण करने के मानदंड होते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ) के दिशा निर्देशों के अनुसार यदि आपको निम्न में से तीन या उससे ज्यादा लक्षण महसूस हो रहे हैं या आप उनको कंट्रोल करने की दवाएं ले रहे है तो आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम हो सकता है। 

  • कमर की परिधि अधिक होना:
    महिलाओं में सामान्य कमर का साइज 35 इंच (89 सेंटीमीटर) और पुरूषों में 40 इंच (102 सेंटीमीटर) माना जाता है। 
     
  • ट्राइग्लिसराइड का स्तर अधिक होना: 
    यह एक प्रकार की वसा होती है जो खून में 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) या 1.7 मिलीमोल्स प्रति लीटर (mmol/L) या फिर इससे अधिक मात्रा में पाई जाती है।
     
  • हाई डेनसिटी लेपोप्रोटीन (HDL) कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होना: 
    पुरुषों में 40 मिलीग्राम / डीएल (1.04 mmol/L) से कम और महिलाओं में 50 मिलीग्राम / डीएल (1.3 mmol/L) से कम एचडीएल की मात्रा कोलेस्ट्रॉल के लिए सही होती है। (और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय)
     
  • ब्लड प्रेशर बढ़ना: 
    ब्लड प्रेशर का स्तर 130/85 मिलीमीटर या उससे अधिक होना। (और पढ़ें - बीपी कम करने के उपाय)
     
  • फास्टिंग ब्लड शुगर का स्तर बढ़ना: 
    100 मिलीग्राम / डीएल (5.6 mmol/L) या उससे अधिक होना। (और पढ़ें - एचबीए1सी टेस्ट क्या है)
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मेटाबोलिक सिंड्रोम का इलाज - Metabolic Syndrome Treatment in Hindi

मेटाबॉलिक सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

मेटाबॉलिक सिंड्रोम जोखिम कारकों का एक समूह है जिसमें हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर असामान्य होना शामिल है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम के उपचार मुख्य रूप से इस सिंड्रोम से होने वाली समस्याओं से निपटने पर केंद्रित होता है। उपचार का मुख्य लक्ष्य धमनियों की बीमारी, हृदय के रोग और डायबिटीज का इलाज करना होता है। 

ज्यादातर मामलों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का इलाज आपके साथ ही होता है। इस स्थिति का इलाज करने के लिए डॉक्टर आपको आदतों में सुधार करने के लिए कहते हैं जैसे स्वस्थ भोजन करना और अधिक एक्सरसाइज करना आदि। कुछ अच्छी आदतों को अपनाने से आप अपने जोखिम कारकों को पूरी तरह से हटाने में सक्षम हो सकते हैं। 

जीवनशैली में ये बदलाव करें

  • अधिक एक्सरसाइज करना: 
    वजन घटाने के लिए एक्सरसाइज करना सबसे बेहतर तरीका है, लेकिन यदि आपको वजन कम होता महसूस नहीं हो रहा तो एक्सरसाइज बीच में नहीं छोड़नी चाहिए। यदि एक्सरसाइज से एक किलो वजन भी कम नहीं हुआ है तो भी एक्सरसाइज करते रहना चाहिए। क्योंकि एक्सरसाइज करने से ब्लड प्रेशर कम होता है, कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार होता है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति में भी सुधार होता है। (और पढ़ें - वजन कम करने के एक्सरसाइज)

    यदि आपके शरीर का आकार अधिक बढ़ा हुआ है तो आपको धीरे -धीरे एक्सरसाइज धीरे-धीरे शुरू करना चाहिए। अधिक चलने की कोशिश करें। दिन में अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियां करने की कोशिश करें। यदि आप पैदल कहीं जा रहे हैं तो छोटे रास्ते से जाने की जगह लंबे रास्ते से जाने की कोशिश करें ताकि आप थोड़ा अधिक चल सकें। (और पढ़ें - पेट कम करने के लिए एक्सरसाइज)

    जब तक आप किसी शारीरिक गतिविधि को सप्ताह में कई बार नहीं करने लग जाते तब तक उस गतिविधि को दिन में कई बार करें। लेकिन बहुत महत्वाकांक्षी भी ना बनें। यदि आप किसी ऐसी एक्सरसाइज को करने का प्रयास कर रहे हैं तो कि बहुत कठिन है तो आप इससे हार मान सकते हैं। आपको अपने लिए एक्सरसाइज का ऐसा स्तर निर्धारित करना होगा जो आपके शरीर के लिए फिट बैठता हो। (और पढ़ें - कमर करने के लिए एक्सरसाइज)
     
  • स्वस्थ आहार खाएं: 
    स्वस्थ आहार आपके कोलेस्ट्रॉल, इन्सुलिन रेजिस्टेंस और ब्लड प्रेशर में सुधार कर सकता है, चाहे आपका वजन ज्यों का त्यों बना रहे। स्वस्थ आहार संबंधी सलाह के लिए डॉक्टर से या किसी अच्छे डाइटीशियन से बात करें। यदि आपको हृदय संबंधी रोग या डायबिटीज है तो आपको किसी विशेष आहार प्लान की आवश्यकता पड़ सकती है। (और पढ़ें - संतुलित आहार चार्ट)

    सामान्य तौर पर जिस आहार में सेचुरेटेड फैट, अनसेचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल और नमक की मात्रा कम पाई जाती है और सब्जियां, फल, लीन प्रोटीन, बीन्स, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद और साबुत अनाज खूब मात्रा में पाए जाते हैं वे इस स्थिति के लिए स्वस्थ आहार माने जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों हृदय संबंधी रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए काफी मददगार माना गया है। (और पढ़ें - वजन घटाने के लिए क्या खाएं)

    इसके अलावा डॉक्टर ऐसा भोजन करने की सलाह देते हैं जिनमें अच्छी वसा (जैसे जैतून के तेल में पाया जाने वाला मोनोअनसेचुरेटेड फैट) और कार्बोहाइड्रेट्सप्रोटीन पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो। (और पढ़ें - weight loss diet chart in hindi)

    क्या आप भी मोटापे से परेशान है लाख कोशिशों के बाद भी वजन काम नहीं कर पा रहे है तो आज ही myUpchar आयुर्वेद मेदारोध वेट कंट्रोल टैबलेट को इस्तेमाल करना शुरू करे और अपने वजन को नियंत्रित करे।
     
  • थोड़ा बहुत वजन घटाना: 
    जाहिर तौर पर वजन घटाने के लिए अक्सर एक्सरसाइज करना और स्वस्थ भोजन करना इन दोनों प्रक्रियाओं की एक साथ जरूरत पड़ती है। लेकिन यदि आपका वजन अधिक है या आप अधिक मोटे हैं तो यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण लक्ष्य हो सकता है। वजन घटाना मेटाबॉलिक सिंड्रोम के हर पहलू में मदद कर सकता है। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट)
     
  • यदि आप धूम्रपान करते हैं तो इसे छोड़ दें: 
    धूम्रपान को मेटाबॉलिक सिंड्रोम विकसित करने वाला जोखिम तो नहीं माना जाता, फिर भी अत्यधिक धूम्रपान करना आपकी हृदय व धमनियों के रोग विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। 

(और पढ़ें - सिगरेट पीने के नुकसान)

मेटाबोलिक सिंड्रोम की जटिलताएं - Metabolic Syndrome Complications in Hindi

मेटाबॉलिक सिंड्रोम से कौन-कौन सी समस्याएं पैदा हो सकती हैं?

  • डायबिटीज: 
    यदि आप अपने अधिक बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए जीवनशैली में बदलाव नहीं करते तो इससे इन्सुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है और आपके ग्लूकोज का स्तर बढ़ता चला जाता है। ऐसी स्थिति में डायबिटीज विकसित होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। (और पढ़ें - डायबिटीज डाइट चार्ट)
     
  • हृदय संबंधी रोग: 
    कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने या ब्लड प्रेशर बढ़ने से आपकी धमनियों में प्लाक जमने लग जाता है। यह प्लाक जमने से धमनियों के अंदर की जगह कम होने लगती है और वे कठोर बनने लग जाती हैं, जिस कारण से स्ट्रोक और हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - हार्ट अटैक आने पर क्या करें)


संदर्भ

  1. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Metabolic syndrome.
  2. American Heart Association, American Stroke Association [internet]: Texas, USA AHA: About Metabolic Syndrome
  3. National Health Service [Internet]. UK; Metabolic syndrome.
  4. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]: U.S. Department of Health and Human Services; Metabolic Syndrome.
  5. Kaur J. A comprehensive review on metabolic syndrome. Cardiol Res Pract. 2014;2014:943162. PMID: 24711954

मेटाबोलिक सिंड्रोम के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव
Dr. Tanmay Bharani Dr. Tanmay Bharani एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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मेटाबोलिक सिंड्रोम की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Metabolic Syndrome in Hindi

मेटाबोलिक सिंड्रोम के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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