स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन (एसडीएफ) टेस्ट क्या है?

स्पर्म या शुक्राणु बच्चे में आधे में ज्यादा अनुवांशिक पदार्थ पहुंचाता है। यह अनुवांशिक पदार्थ डीएनए  है जो कि स्पर्म द्वारा ले जाया जाता है। एक सही डीएनए बढ़ते बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यदि शुक्राणु के अंदर डीएनए टुकड़ों में टूटा हुआ है तो इसे फ्रॅग्मेंटेड कहा जाता है। स्पर्म डीएनए का फ्रेगमेंटेशन (टूटना) पुरुष बांझपन का एक कारण हो सकता है। यह माना जाता है कि एसडीएफ को मिसकैरेज, गर्भ में बच्चे के धीमे विकास और गर्भवती होने जैसी समस्याओं के साथ संबंधित किया जा सकता है।

पुरुषों में प्रजनन क्षमता की जांच के लिए नियमित रूप से किए जाने वाले स्पर्म एनालिसिस टेस्ट में डीएनए की जानकारी नहीं मिल पाती। अब एसडीएफ टेस्ट पुरुषों की प्रजनन क्षमता की जांच के लिए ज्यादा अच्छा टेस्ट बन गया है। यह टेस्ट इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) जैसी महंगी प्रोसीजर करवाने से पहले किया जा सकता है। इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि इन प्रक्रियाओं के सफल होने की कितनी संभावना है। यह एक ऐसा टेस्ट है, भविष्य में जिसका उपयोग पुरुषों में प्रजनन क्षमता और बांझपन में अंतर करने के लिए प्रयोग किया जाएगा, क्योंकि यह देखा गया है कि सीमन एनालिसिस के सामान्य परिणाम होने पर भी पुरुष को एसडीएफ हो सकता है। इसीलिए यह टेस्ट बांझपन के लिए किए जाने वाले इलाज का एक सूचक हो सकता है।

  1. एसडीएफ टेस्ट क्यों किया जाता है - Sperm DNA Fragmentation Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. एसडीएफ टेस्ट से पहले - SDF Test Se Pahle
  3. एसडीएफ टेस्ट के दौरान - SDF Test Ke Dauran
  4. एसडीएफ टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - SDF Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

एसडीएफ टेस्ट किसलिए किया जाता है?

पुरुषों में निम्न स्थितियों में ये टेस्ट करवाने के लिए कहा जा सकता है:

  • वैरीकोसील (Varicocele):
    इसमें वृषणकोश की नसें बड़ी हो जाती हैं। ये एसडीएफ को बढ़ाकर पुरुषों की प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है।
     
  • बांझपन:
    एक व्यक्ति का वीर्य परीक्षण सामान्य आ सकता है लेकिन ऐसा हो सकता है कि फिर भी वो पिता न बन सके। सीमन एनालिसिस के सामान्य परिणाम होने के बाद भी कुछ मामलों में एसडीएफ के उच्च स्तर देखे गए हैं।
     
  • बार-बार गर्भपात होना:
    शुक्राणु में अनुवांशिक पदार्थ होते हैं। इसलिए कुछ मामलों में ऐसा भी हो सकता है कि शुक्राणु बाहरी रूप से सही कार्य कर रहे हों लेकिन उनके अनुवांशिक पदार्थ फ्रेग्मेंट हों। ऐसे मामलों में हो सकता है कि भ्रूण ठीक प्रकार से विकसित न हो पाए।
     
  • इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन प्रक्रियाओं (आईयूआई) का असफल होना:
    आईयूआई बांझपन से जुड़ी समस्याओं में मदद करने के लिए की जाती है। इसके अंतर्गत गर्भाशय में आर्टिफिशियल तकनीक द्वारा वीर्य डाला जाता है। स्पर्म में डीएनए के क्षतिग्रस्त या टूटे होने के कारण यह प्रक्रिया असफल हो सकती है।
     
  • आईसीएसआई और आईवीएफ प्रोसीजर का असफल होना:
    एसडीएफ के उच्च स्तर को आईसीएसआई और आईवीएफ के बाद हुए गर्भपात से जुड़ा देखा गया है। आईसीएसआई और आईवीएफ के बाद हुए गर्भपात के कारण की पहचान करने के लिए डॉक्टर एसडीएफ टेस्ट करवा सकते हैं।

जिन पुरुषों को प्रजनन संबंधी समस्या होती है, जो पुरुष धूम्रपान करते हैं या जो व्यक्ति आमतौर पर अपने काम के दौरान पॉलीक्लोरीनटेड बैफेनील्स जैसे कम्पाउंड के संपर्क में आते हैं उन्हें भी एसडीएफ टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है।

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एसडीएफ टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

जिस व्यक्ति का टेस्ट किया जाना है उसे टेस्ट से 2 से 5 दिन पहले शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। कुछ दवाएं और सप्लीमेंट टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं इसलिए यदि आप कोई भी दवा, विटामिन या हर्बल सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इनके बारे में डॉक्टर को बता दें। इसके साथ-साथ डॉक्टर द्वारा जो भी दवाएं अभी या पहले दी गई हैं उनके बारे में भी डॉक्टर को बताएं।

एसडीएफ टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह टेस्ट वीर्य के सैंपल में मौजूद शुक्राणुओं की जांच करता है। शुक्राणु का सैंपल क्लिनिक में एक गुप्त स्थान में सेल्फ-स्टीमुलेशन (जैसे मास्टरबेशन) द्वारा लिया जाता है। सैंपल को एक चौड़े सिरे वाली बोतल में जमा किया जाता है। कुछ लोग इस तरह से सैंपल लेने को धार्मिक कारणों से सही नहीं मानते। ऐसे मामलों में सैंपल डॉक्टर को लेने दें। शारीरिक संबंध बनाने के दौरान सीमन का सैंपल लेने के लिए डॉक्टर विशेष प्रकार का कंडोम देते हैं। घर पर लिए गए सैंपल को एक घंटे के भीतर ही लैब तक पहुंचाया जाना चाहिए। जब सैंपल पहुंचाया जा रहा है तो यह जरूरी है कि सैंपल को शरीर के तापमान में रखा जाए।

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एसडीएफ टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है?

सामान्य परिणाम:
रिजल्ट को कई यूनिट में मापा जाता है। हर लैब के मानक मूल्यों के अनुसार परिणाम अलग आ सकते हैं। एसडीएफ टेस्ट के सामान्य परिणाम का मतलब है कि डीएनए क्षतिग्रस्त या टूटा हुआ नहीं है और प्रजनन समस्या का कारण एसडीएफ नहीं है।

असामान्य परिणाम:
आमतौर पर सामान्य से अधिक वैल्यू को असामान्य या एब्नार्मल माना जाता है। असामान्य परिणाम का मतलब है कि स्पर्म में डीएनए बहुत अधिक फ्रेग्मेंट हो गया है जिसके कारण भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है इसके अलावा गर्भावस्था में अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। डीएनए का फ्रेगमेंटेशन बच्चे में अनुवांशिक विकारों का कारण भी बन सकता है।

डॉक्टर कुछ दवाएं या जीवनशैली से संबंधित कुछ बदलाव करने को भी कह सकते हैं जिससे कि स्पर्म डीएनए की गुणवत्ता को ठीक करने में मदद मिल सकती है। डॉक्टर कुछ ट्रीटमेंट करवाने को भी कह सकते हैं जैसे आईसीएसआई जिनमें स्पर्म सीधे वृषणों से लिए जाते हैं।

एसडीएफ टेस्ट के क्लिनिकल परीक्षणों में लाभ और प्रयोग पर अभी भी रिसर्च की जा रही है। कई शोधकर्ता इस टेस्ट को प्रजनन संबंधी समस्या से परेशान दम्पतियों के लिए एक लाभकारी टेस्ट मानते हैं। हालांकि, यह पुरुषों में प्रजनन क्षमता की जांच के लिए किया जाने वाला रूटीन टेस्ट नहीं है।

संदर्भ

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