आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि मैदा (सफेद आटा) और इससे बने उत्पाद हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हैं। हालांकि, मैदा और इससे बनी चीजों का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में तेजी से बढ़ रहा है। कभी घर में हम ब्रेड और अन्य चीजों के तौर पर इसका सेवन करते हैं तो कभी बाहर फास्ट फूड के तौर पर।

  1. मैदे के नुकसान - Maide ke Nuksan

इसे 'सफेद जहर' के रूप में जाना जाता है जो हम सब की रोजमर्रा की जरूरत बनता जा रहा है लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित करता है। इसलिए, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि यह हमारे लिए बुरा क्यों है और यह हमें कितना नुकसान पहुंचा सकता है ताकि हम अपनी खाने की आदतों में सुधार लाएं। तो आइये जानते हैं इससे होने वाले नुकसान के बारे में:

मैदा से हो सकता है डायबिटीज - Maida ho sakta hai diabetes ka karan

जब भी आप मैदे से बनी चीजें खाते हैं तो यह आपकी रक्त नलिकाओं (Blood Stream) में तेजी से शर्करा (Sugar) का स्राव करता है। मैदे में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) अधिक होने के कारण शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ने से अग्न्याशय (Pancreas) को पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन छोड़ने के लिए जरूरत से ज्यादा सक्रिय होना पड़ता है। यदि मैदे का सेवन कभी-कभी किया जाए तो अग्न्याशय इसे ठीक से पचाने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका बहुत अधिक सेवन हो तो इंसुलिन का उत्पादन धीरे-धीरे कम हो जाएगा और डायबिटीज के मरीज हो जाएंगे।

(और पढ़ें - डायबिटीज कम करने के घरेलू उपाय)

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मैदा खाना कोलेस्ट्रॉल के लिए नुकसानदेह - Maida khane ke nuksan cholesterol ke liye

अधिक मात्रा में मैदे के सेवन से कई दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इनमें से एक है हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का बढ़ना। इसके कारण वजन बढ़ने, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और चित्त में अस्थिरता (मूड स्विंग) की शिकायत हो सकती है।

मैदा और इससे बनी चीजों का अधिक मात्रा में सेवन आपको मोटापे की ओर ले जा सकता है। इसके अलावा, इसके सेवन से आपको अधिक भूख महसूस होती है और मीठा खाने की तलब बढ़ जाती है।

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मैदे के सेवन से हो सकती है एसिडिटी - Maida khane se ho sakti hai acidity

मैदे के सेवन से एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। मैदे की परिष्करण प्रक्रिया के दौरान, सभी पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं जिसके कारण इसकी तासीर अम्लीय (एसिडिक) हो जाती है। शोध के मुताबिक मैदे से बने पिज्जा, पास्ता बर्गर जैसे एसिडिक आहार संतुलान बनाये रखने के लिए हड्डियों से कैल्शियम अवशोषित कर लेते हैं जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। 

(और पढ़ें - एसिडिटी में क्या खाना चाहिए)

अधिक एसिडिटी कई बड़ी और लम्बे समय तक बनी रहने वाली बीमारियों की वजह बन सकती है जिनमें स्थाई सूजन, गठिया और अन्य बीमारियां भी शामिल हैं।

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अपच का कारण बनता है सफेद आटा - Apach ka karan banta hai safed aata

मैदे को "आंत का गोंद" कहते हैं। आज के दौर में मोटे अनाज का चलन बेहद कम है और अधिकतर चीजें जैसे नाश्ते में खाई जाने वाली चीजें, पास्ता, ब्रेड, स्नैक और ढेरों ऐसी चीजें मैदे से बनती हैं। और ये सब आंतों में चिपक जाते हैं। इसमें फाइबर नहीं होता जिससे पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है और फलस्वरूप चयापचय प्रक्रिया सुस्त पड़ जाती है जिससे अपच की समस्या होने लगती है। इसके अलावा यह मोटापे, तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन का कारण भी बन सकता है।

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मैदा से हो सकती है एलर्जी - Maida se ho sakti hai allergy

खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी में गेहूं से होने वाली एलर्जी प्रमुख है। इसकी ठीक-ठीक वजह का पता नहीं है लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की आधुनिक किस्मों में ग्लूटेन की ज्यादा मात्रा, एलर्जी की वजह हो सकती है।। ग्लूटेन, गेहूं सहित कई अनाजों में पाया जाने वाला प्रोटीन है जो हवा के बुलबुलों को अपने में समा कर और मुलायम स्वरूप पैदा कर लोई (Dough) को आसानी से फैलने-सिकुड़ने (प्रत्यास्थता) लायक बनाता है।

(और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)

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