शरीर के किसी भी हिस्से को होने वाले नुकसान को चोट कहते हैं। यह चोटें छोटी से लेकर जानलेवा तक हो सकती हैं। अक्सर यह चोटें किसी एक्सीडेंट, लड़ाई, गिरने, केमिकल के संपर्क में आने, हथियार चलाने की वजह से लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल 58 लाख से अधिक लोग चोट की वजह से अपनी जान गंवाते हैं। चोटों के सामान्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

किसी तरह का घाव होना भी चोट है। इसमें त्वचा और शरीर के अन्य ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। घावों के सामान्य कारणों में कट, छिलना और खरोंच शामिल हैं। यह आमतौर पर किसी दुर्घटना के परिणामस्वरूप होता है। कई बार सर्जरी और सर्जिकल टांके भी घाव का कारण बनते हैं। कई चोटें किसी धारदार चीज से लग जाती हैं, यह काफी दर्दनाक होती हैं और इन्हें तत्काल चिकि​त्सा की जरूरत होती है।

ये चोटें आमतौर पर मोटर वाहन टकराव, खेल, प्राकृतिक आपदा, बंदूक और विस्फोट के कारण लगती हैं। इसके अलावा टूटी हुई हड्डियां, फेफड़ों का खराब होना, रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर, जलन, बिजली से चोट लगना, अव्यवस्थित या टूटे हुए जबड़े और मस्तिष्क पर चोट भी दर्दनाक चोटों के उदाहरण हैं।

चोट का उपचार स्थान और इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। हड्डियां टूटने जैसे गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है।

होम्योपैथिक उपचार न केवल चोटों को ठीक करता है, बल्कि चोटों से जुड़े मनोवैज्ञानिक लक्षणों को भी ठीक करता है। होम्योपैथिक डॉक्टर मरीज की दवा निर्धारित करने से पहले शारीरिक, मानसिक स्थिति और बीमारी के लक्षणों की जांच करता है। यही कारण है कि होम्योपैथी ट्रीटमेंट को एक व्यक्तिगत उपाय माना जाता है और प्रत्येक व्यक्ति को एक अनूठा उपाय दिया जाता है।

विभिन्न प्रकार की चोटों के उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ होम्योपैथिक उपचारों में अर्निका मोंटाना, बेलिस पेरेनिस, कैलेंडुला ऑफिसिनालिस, हैमामेलिस वर्जिनिआना, रस टॉक्सीकोडेंड्रोन, लेडम पस्ट्रे, हाइपरिकम पर्फोरेटम एंड सिम्फाइटम ऑफिसिनेल शामिल हैं।

  1. चोट के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Chot (Injury) ke liye homeopathic medicine
  2. होम्योपैथी के अनुसार चोट के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - Chot (Injury) ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. चोट के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Chot (Injury) ke liye homeopathic medicine kitni effective hai
  4. चोट के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान और जोखिम - Chot (Injury) ke liye homeopathic medicine ke nuksan
  5. चोट के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Chot (Injury) ke liye homeopathic treatment se jude tips

अर्निका मोंटाना
सामान्य नाम :
लीपर्ड बेन
लक्षण : यह उपाय दर्दनाक चोटों, खिंचाव और किसी अंग का अत्यधिक प्रयोग करने पर लगने वाली चोट के लिए किया जाता है। यह अंदरूनी चोट, गिरने, मवाद से होने वाले संक्रमण के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करने में मदद करता है :

  • किसी चोट के कारण स्तन के ऊतकों में सूजन
  • शरीर में उनींदापन और दर्द महसूस होना
  • सिर में तेज दर्द होना
  • आंख में चोट लगना और दर्द होना
  • नाक से खून आने के साथ खांसी
  • बाईं कोहनी में तेज दर्द
  • पीठ और अंगों में दर्द, इसमें रोगी को ऐसा लगता है जैसे उस हिस्से में छाले हो गए हों
  • अ​त्यधिक थकान के कारण बाहों और पैरों में दर्द
  • श्रोणि में दर्द जिसके कारण चलना लगभग असंभव हो जाता है

प्रभावित हिस्से को हिलाने या छूने पर, ठंड और नम वातावरण में लक्षण बिगड़ जाते हैं। रोगी तब बेहतर महसूस करता है जब वह लेट जाता है।

बेलिस पेरेनिस
सामान्य नाम :
डेजी
लक्षण : बेलिस पेरेनिस स्तनों पर चोट की वजह से नीला पड़ना और शरीर में खिंचाव के लिए एक प्रभावी उपाय है। यह पेल्विक में दर्द को कम करने में भी मदद करता है। इस उपाय का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करने में किया जाता है :

  • सिर में तेज दर्द
  • महिलाओं में पेट की मांसपेशियों में कमजोरी व साथ में दर्द
  • गर्भाशय की दीवारों में दर्द
  • जोड़ों में दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • बाहों और पैरों में मोच
  • त्वचा पर द्रव से भरे घाव
  • त्वचा में सूजन, जो छूने में संवेदनशील होती है
  • वैरिकोज नसों में दर्द व उनका नीला पड़ना

ठंडी हवाओं के संपर्क में आने, शरीर के बाएं हिस्से के बल लेटने से लक्षण बिगड़ जाते हैं।

कैलेंडुला ऑफिसिनेलिस
सामान्य नाम :
मैरीगोल्ड
लक्षण : कैलेंडुला ऑफिसिनेलिस उन लोगों में अच्छी तरह से काम करता है, जिनमें ठंड लगने की प्रवृत्ति होती है, खासकर नम मौसम में। इसे घाव, ऑपरेशन व दर्दनाक चोट के लिए एक उत्कृष्ट उपाय माना जाता है। यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों को प्रबंधित करने में भी मदद करता है :

  • खोपड़ी में गहरा कट या फटने का निशान
  • आंख की चोट जिसमें मवाद बन जाता है
  • लार ग्रंथियों (सबमैक्सिलरी ग्रंथियों) में सूजन, जिसे छूने पर भी दर्द होता है
  • नाक के अंदरूनी परत में सूजन व ​हरे रंग का डिस्चार्ज होना
  • ग्रोइन में दर्द, ग्रोइन पेट के निचले हिस्से और जांघ के बीच के भाग को कहते हैं
  • हल्की जलन
  • एरीसिपेलस (जीवाणु संक्रमण के कारण त्वचा पर बड़े व लाल धब्बे)
  • खुले घाव
  • अल्सर

नम और बादल के मौसम में यह लक्षण बिगड़ जाते हैं।

हमामेलिस वर्जिनिआना
सामान्य नाम :
विच हेजल
लक्षण : विच-हेजल उन लोगों को दिया जाता है जो प्रभावित हिस्सों में दर्द का अनुभव करते हैं। यह चोट से बने उन घावों का इलाज करता है, जिनसे अधिक मात्रा में खून बहता है। इस उपाय का प्रयोग निम्नलिखित लक्षणों के उपचार में भी किया जाता है :

  • नाक से अधिक मात्रा में खून बहना
  • बवासीर जिसमें अधिक मात्रा में खून निकलता है
  • त्वचा पर दर्दनाक अल्सर
  • वैरिकोज नसों में दर्द
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
  • त्वचा में जलन
  • इकीमोसिस (नीला पड़ना)
  • फ्लीबाइटिस (नसों में सूजन)

यह लक्षण नम और गर्म हवा में बिगड़ जाते हैं।

रस टॉक्सीकोडेंड्रोम
सामान्य नाम : 
पॉइजन-आइवी
लक्षण : रस टॉक्सीकोडेंड्रोम उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है, जिन्हें टियरिंग पेन (बेचैन और असहज होने की तेज अनुभूति जिसमें फटने जैसा दर्द) होता है। यह खिंचाव, नीला पड़ना, मोच और दर्दनाक चोटों से राहत प्रदान करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों से भी राहत दिलाता है:

  • मवाद व आंखों में सूजन
  • आंखों में पुरानी चोट
  • कानों से खून और मवाद निकलना
  • चबाने के दौरान जबड़े में दरार
  • जबड़े का अपनी जगह से ​हट जाना
  • पीठ के निचले हिस्से में अकड़न और दर्द
  • जोड़ों में सूजन और दर्द
  • अंगों में कठोरता और लकवा
  • ठंडी हवा के संपर्क में आने पर त्वचा में दर्द
  • लसीका ग्रंथि में सूजन

ठंड और बरसात के मौसम में, सोते समय और आराम करने के दौरान और दाहिनी तरफ या पीठ के बल लेटने से यह लक्षण बिगड़ जाते हैं। गर्म सिकाई करने, टहलने, गर्म और सूखे की स्थिति, प्रभावित हिस्से को रगड़ने से इन लक्षणों में सुधार होता है।

लेडम पस्ट्रे
सामान्य नाम :
मार्श-टी
लक्षण : यह उपाय उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है, जिनके शरीर में गर्मी की कमी है। यह काटने या किसी तेज-नुकीली वस्तु से लगे घावों के उपचार में उपयोगी है। इस उपाय से जिन अन्य लक्षणों का इलाज किया जा सकता है उनमें शामिल हैं :

  • चोट के बाद त्वचा का रंग लंबे समय के लिए रंग बदल जाना
  • नील पड़ना
  • क्रेपिटस (जोड़ों में दरार), जो कि गर्म बिस्तर में लेटने के बाद बिगड़ जाते हैं
  • हाथ पैर में चुभन वाला दर्द, खासकर छोटे जोड़ों में
  • टखनों में सूजन
  • मुंह और नाक के आस-पास गड्ढा हो जाना

यह लक्षण रात में खराब हो जाते हैं, जबकि ठंडे वातावरण और एक पैर को ठंडे पानी में डालने से इन लक्षणों में सुधार होता है।

हाइपरिकम पर्फोरेटम
सामान्य नाम :
सेंट जॉन-वॉर्ट
लक्षण : इस उपाय का उपयोग नील पड़ने और नसों में चोट के इलाज के लिए किया जाता है। यह चोट के बाद एंजाइटी और अवसार को भी ठीक करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करने में फायदेमंद है :

  • मांसपेशियों में मरोड़ और ऐंठन
  • मुंह में लंबे समय से छाले व अल्सर
  • चोट वाली जगह पर बालों का झड़ना
  • जोड़ों पर नीला पड़ना
  • कंधों में तेज दर्द
  • बाहों और टांगों में चुभन वाला दर्द
  • हाथ पैर की उंगलियों, नाखूनों में चोट

यह लक्षण नम व ठंड के मौसम में, धुंधले वातावरण में और प्रभावित हिस्से को छूने पर बिगड़ जाते हैं। रोगी जब अपने सिर को पीछे की ओर झुकाता है तो उसे बेहतर महसूस होता है।

सिम्फाइटम ऑफिसिनेल
सामान्य नाम : 
कॉम्फ्रे-निटबोन
लक्षण : यह उपाय नॉन यूनियन फ्रैक्चर (फ्रैक्चर पर अधिक जोर पड़ने से होने वाली एक गंभीर स्थिति, जिसमें खून की आपूर्ति सही से नहीं होती है) के इलाज में बहुत लाभदायक है। यह खिंचाव, आंखों में नीला पड़ना और मोच को ठीक करने में भी मदद करता है।

इस उपाय का उपयोग अक्सर घावों को भरने के लिए भी किया जाता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करता है:

  • हड्डियों में सूजन व लालिमा 
  • आंखों में दर्दनाक चोट
  • टेंडन और लिगामेंट यानी स्नायुबंधन में चोट
  • हड्डियों का संवेदनशील होना और उनमें फ्रैक्चर होने का खतरा होना
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होम्योपैथिक उपचार को अत्यधिक घुलनशील रूप में तैयार किया जाता है। ऐसे में विभिन्न आहार और जीवन शैली कारक इन दवाइयों के असर को प्रभावित कर सकती है। होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. हैनिमैन ने होम्योपैथिक चिकित्सा से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देशों के बारे में बताया है :

क्या करना चाहिए

  • यदि चोट लंबे समय से लगी है तो ऐसे में लेनिन के कपड़े पहनें, सक्रिय जीवन शैली को अपनाएं और अपने आस-पास साफ सफाई बनाए रखें।
  • अचानक लगी चोट के मामले में कमरे के तापमान को अपनी सहूलियत के अनुसार रखें और अपनी इच्छा के अनुसार खानपान करें।

क्या नहीं करना चाहिए

  • लंबे समय से लगी चोट के मामले में, उन सब्जियों और जड़ी-बूटियों का सेवन न करें, जिनमें औषधीय गुण होते हैं।
  • जड़ी-बूटियों और हर्बल वाली चाय न पिएं या ऐसा कोई भी पेय पदार्थ न लें, जिसमें तेज गंध होती है।
  • अधिक मात्रा में मसालेदार और शर्करा युक्त भोजन न करें।
  • सुगंधित इत्र या पानी का उपयोग न करें।

होम्योपैथी एक ऐसी विद्या है जो प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट करती है। होम्योपैथिक उपचार न सिर्फ चोटों से संबंधित लक्षणों से छुटकारा दिलाती है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ में भी सुधार करती है। इसके अतिरिक्त, ये उपाय पाचन, नींद की गुणवत्ता, ऊर्जा के स्तर और मनोदशा जैसे शारीरिक कार्यों को भी नियंत्रित करता है।

इस उपचार के जरिये मामूली कट और घावों का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा इन दवाइयों को सर्जरी से पहले और बाद में भी रिकवर होने के लिए दिया जा सकता है।

इसी संबंध में (चोट पर होम्योपैथी उपचार के असर का मूल्याकंन करने के लिए) इजरायल में एक शोध का आयोजन किया गया था। अध्ययन में ऐसे 15 लोगों को शामिल किया गया था, जो कंस्ट्रक्शन साइट पर चोटिल हुए थे। आघात के 24 घंटों के अंदर दो चरणों में उपचार शुरू किया गया था। सभी रोगियों को अर्निका मोंटाना 200CH की खुराक दी गई। नौ मरीजों को एकोनाइट 200CH, तीन लोगों को ओपियम 200CH, दो लोगों को इग्नाटिया 200CH और एक मरीज को आर्सेनिकम एल्बम 200CH दिया गया। यह सभी दवाइयां एंजाइटी के प्रकार के आधार पर दी गई थी।  

अगले दिन, 89 प्रतिशत रोगियों में चिंता में कमी पाई गई, 58 प्रतिशत मरीजों ने सुधार के बारे में जानकारी दी, 61 प्रतिशत मरीजों ने महसूस किया कि होम्योपैथिक उपचार फायदेमंद था और अधिकांश रोगियों ने दर्द कम होने की सूचना दी।

चूंकि होम्योपैथिक उपचार खनिज और जड़ी-बूटियों जैसे प्राकृतिक अवयवों का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं, इसलिए इनका उपयोग सुरक्षित माना जाता है। इन उपायों का उपयोग किए जाने से पहले इन्हें घुलनशील रूप दिया जाता है और इन्हें बहुत कम मात्रा में लिया जाता है। इसीलिए होम्योपैथिक दवाओं से एलर्जी या दुष्प्रभाव के मौके न्यूनतम होते हैं।

वास्तव में, होम्योपैथिक उपचार बच्चों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं सभी में सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, होम्योपैथिक उपचार के पूर्ण लाभों का अनुभव करने के लिए आपको योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेना बहुत जरूरी है।

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चोट मामूली से लेकर गंभीर तक हो सकती है। यह दर्दनाक होने के अलावा व्यक्ति को अक्षम बना सकती है। हल्के मामलों में पारंपरिक और प्रमाणित उपचार लाभकारी होता है, जबकि गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है। लेकिन पारंपरिक दवाओं की तुलना में होम्योपैथिक उपचारों को अधिक सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इनका लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

इन दवाइयों से न तो किसी तरह की एलर्जी की जानकारी मिली है और न ही इनकी आदत पड़ती है। होम्योपैथिक उपचार का उपयोग किसी कट, नीला पड़ना, जलन और अन्य मामूली मामलों के इलाज के लिए आसानी से किया जा सकता है। हालांकि, कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से बात करना सबसे अच्छा उपाय है।

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia. [Internet] US National Library of Medicine; Wounds and Injuries
  2. The George Institute for Global Health. Injury. Australia; [Internet]
  3. UF Health. [Internet] University of Florida Health, Florida, U.S. Traumatic Injury
  4. UCSF health: University of California [internet]; Facial Injury Treatment
  5. The European Comittee for Homeopathy. Benefits of Homeopathy. Belgium; [Internet]
  6. Oscar E. Boericke. Repertory. Médi-T; [lnternet]
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