जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, याददाश्त खोने के लक्षण दिखने लगते हैं। पहला लक्षण आमतौर पर होता है नामों को याद रखने में मुश्किल। इसका कारण यह है कि मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे कम कारगर होने लगती हैं। जो अधिक मानसिक काम करते हैं, और जो बहुत चिंता, तनाव आदि से पीड़ित होते हैं, वो जल्द ही अपनी स्मरणशक्ति खो देते हैं। इसलिए, कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे चिंता व तनाव जैसी समस्या से बचा जा सके और स्मरणशक्ति बेहतर बनी रहे। इस काम में योग से बेहतर और कुछ नहीं हाे सकता।

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आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि कमजोर याददाश्त को बेहतर करने के लिए योग किस प्रकार फायदेमंद है और कौन-कौन से योगासन करने चाहिए -

  1. कैसे याददाश्त बढ़ाने में लाभदायक है योग - How Does Yoga Help with Improving Memory?
  2. इन बातों का खास तौर से ध्यान रखें
  3. सारांश
कमजोर याददाश्त के लिए योग के डॉक्टर

स्मरण का मतलब है 'याद रखना'। यह अवचेतन मन का कार्य है। स्मरणशक्ति को विकसित करने के लिए अवचेतन मन के कामकाज का ज्ञान आवश्यक है। यह 24 घंटे काम करता है। यह अवचेतन मन ही है, जो आपको सुबह उठाता है। यह आपका सबसे वफादार सेवक है और सबसे अच्छा दोस्त भी। योग इसी अवचेतन मन के कामकाज में सुधार करने में मदद करता है। वास्तव में, योग सूत्र में पतंजलि कहते हैं, "योग चित्त वृत्ति निरोध" - यानी योग का उद्देश्य अवचेतन मन को स्थिर करना है। जब आपका चित्त स्थिर या संतुलित या नियंत्रण में होता है, तो आपकी स्मरण शक्ति में अपने आप सुधार होता है। योग में याददाश्त को बढ़ाने के 3 तरीके हैं -

  • आसन
  • प्राणायाम
  • त्राटक

आइए, इन तीनों तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

याददाश्त बढ़ाने के लिए करें सूर्य नमस्कार - Do Surya Namaskar to Improve Memory in Hindi

सूर्य नमस्कार 11 आसनों का मेल है, जो शरीर में विभिन्न अंगों और ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं। इसका अभ्यास आपको संपूर्ण रूप से स्वस्थ रखता है। सूर्य नमस्कार सुबह किया जाता है, जब वातावरण शांत होता है, जब आप ताजा होते हैं और तनाव में नहीं होते। यह शरीर के विभिन्न भागों और अंगों को सक्रिय करने और सांस को नियंत्रित करने के लिए और रक्त के संचलन में सुधार करने के लिए किया जाता है।

आपके तन और मान के स्वास्थ्य के लिए श्वास बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब आप नाराज, तनावग्रस्त या निराश होते हैं, तो आपकी सांस तेज गति से चलती है और जब आप तनावरहित व शांत होते हैं, तो श्वास गहरी और लंबी हो जाती है। वैज्ञानिक शोध से यह साबित हुआ है कि श्वास मस्तिष्क की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती है और श्वास के नियंत्रण के साथ, हम मन की स्थिति को बदल सकते हैं, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में तनाव के स्तर को कम कर सकते हैं। साथ ही शांति का अनुभव कर सकते हैं।

(और पढ़ें: सूर्य नमस्कार करने का तरीका और फायदे)

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प्राणायाम से बढ़ेगी याददाश्त - Pranayama will Improve Memory in Hindi

भ्रामरी प्राणायाम मस्तिष्क के दो गोलार्द्धों को संतुलित करता है। जब दो गोलार्द्ध संतुलित नहीं होते हैं, तो आप ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते, अध्ययन नहीं कर सकते और यहां तक कि जीवन में सफल नहीं हो सकते। इसके अलावा, मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्धों की संकायों को एकीकृत करने के लिए आपको नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।

(और पढ़ें: प्राणायाम करने का तरीका और फायदे)  

याददाश्त बढ़ाने के लिए करें त्राटक योग - Do Trataka Yoga to Improve Memory in Hindi

एकाग्रता के विकास के लिए त्रिकाकट सबसे प्रभावी अभ्यास है। एक मोमबत्ती जलायें और ऐसी जगह रखें ताकि लौ आंख के स्तर पर हो। आंखों को आधे मिनिट के लिए बंद करे बिना सीधा लौ को देखते रहें या फिर जब तक आप संभव हो, तभी तक देखें और फिर आंखें बंद कर लें। इसके बाद आंखों पर लौ की अंकित छवि को बंद आंखों से देखिए। जब छवि गायब हो जाए तब फिर से आंखें खोलें और फिर लौ पर दृष्टि केंद्रित करें। सोने से पहले 5 मिनट के लिए करें। कुछ दिनों में आप पाएंगे कि आप आसानी से पुरानी से पुरानी बातों को याद रख पा रहे हैं।

याददाश्त को बढ़ाने के लिए योग करते समय इन बातों को जरूर ध्यान में रखें -

  • याद रहे की योगाभ्यास से आराम निरंतर अभ्यास करने के बाद ही मिलता है और धीरे धीरे मिलता है।
  • आसन से जोड़ों का दर्द बढे नहीं, इसके लिए अभ्यास के दौरान शरीर को सहारा देने वाली वस्तुओं, तकियों व अन्य उपकरणों की सहायता जैसे ज़रूरी समझें वैसे लें।
  • अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न दें। अगर दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत योगाभ्यास बंद कर दें और चिकित्सक से परामर्श करें।

यह ज़रूर पढ़ें: बेसिक सुझाव जो हमेशा ध्यान में रखने चाहिए योग करने के लिए

योग का महत्व क्या है, यह आज के समय में हर किसी को पता है। इसलिए, योग करने वाली संख्या लगातार बढ़ रही है। योग करने से न सिर्फ शारीरिक रूप से स्वस्थ रहा जा सकता है, बल्कि मानसिक विकारों को भी कम किया जा सकता है। इससे तनाव व चिंता जैसी समस्याएं कम होती है और याददाश्त बेहतर होती है।

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Dr. Smriti Sharma

Dr. Smriti Sharma

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