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सेक्स करने की क्रिया को उम्र बढ़ने के साथ कम नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमारी मन की इच्छाओं का संबंध उम्र के साथ कतई नहीं हैं। आज के दौर में चिकित्सा विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति के कारण लोग अधिक लम्बा, स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताते हैं, ऐसे में सेक्सुअली सक्रिय रहना शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के लिए बेहतर होता है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि सेक्स का अधिक या कम होने का उम्र के साथ कोई ताल्लुक नहीं हैं। उम्र के अलग-अलग पड़ावों पर सेक्स को लेकर हमारा व्यवहार बदलता रहता है। आइए जानते हैं, अलग-अलग उम्र के लोगों की सेक्स को लेकर क्या प्राथमिकताएं रहती हैं। 

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  1. पुरूषों में उम्र के अनुसार सेक्स में फर्क - Purson me umar ke anusar sex me fark
  2. महिलाओं में उम्र के अनुसार सेक्स में फर्क - Mahilaon me umar ke anusar sex me fark
  3. 20 से 35 की उम्र में सेक्स - 20 se 35 ki umar me sex
  4. 35 से 50 की उम्र में सेक्स - 35 se 50 ki umar me sex
  5. 50 के बाद सेक्स - 50 ke baad sex
  6. बुढ़ापे में भी रहें जोशीले - Budhape me bhi rahe joshile
  7. सेक्स बढ़ाता है उम्र - Sex badhata hai umar
यौन रोग के डॉक्टर

लोगों में उम्र के साथ सेक्स करने के तरीकों में भी बदलाव होता रहता है। किशोरों में तेरह वर्ष से प्रजननता की शुरूआत होती है और अठारह वर्ष आते-आते उनके अंदर मर्दानगी पूरी तरह से आ जाती है। चालीस की आयु होने के बाद पुरुषों की सेक्सुअल सक्रियता में धीरे-धीरे कमी आने लगती है। जबकि, पचास की उम्र के बाद स्खलन व लिंग में कठोरता कम हो जाता है। ये शारीरिक बदलाव होने पर भी आप पूरी तरह से स्वस्थ दिनचर्या का पालन करके अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बना सकते हैं।

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लड़कियों में तेरह वर्ष की आयु तक प्रजनन शक्ति के लक्षण आना शुरू हो जाते हैं, लेकिन शरीर के अंदर जीवन भर कुछ न कुछ बदलाव होते ही रहते हैं। बढ़ती उम्र में तेजी से हार्मोन में बदलाव होने लगते हैं। जिससे सेक्स करते समय कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। बढ़ती उम्र में महिलाओं की योनि की त्वचा में चिकनाई कम हो जाती है और त्वचा भी बेहद पतली हो जाती है। मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) की स्थिति महिलाओं में चालीस से पचास की आयु के बीच आती है। इसके बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता खत्म मानी जाती है।

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यह उम्र हर किसी की जिंदगी में खास होती है। इस आयु में लड़के दिन में कई बार सेक्स के सपने देखते हैं। वहीं लड़कियां सामान्य तरीके से कुछ हटकर सेक्स करने के बारे में सोचती हैं। लड़कियां अन्य लड़कियों के साथ ही सेक्स करने के बारे में विचार करने लगती है।

एक सर्वे में इस बात का पता चला है कि 20 वर्ष की उम्र की करीब 75 से 76 फीसदी महिलाएं ऑर्गेज्म (चरम अवस्था) को महसूस करती हैं। इस उम्र के युवा सेक्स के दौरान नए-नए प्रयोग व पोजिशन को अपनाना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके आलवा इस उम्र की महिलाओं को सेक्स की तीव्र इच्छा होती है और वह चाहती है कि उनका साथी उनके मन की बात को अपने आप समझें। इतना ही नहीं शादी के बाद कई महिलाएं प्रेग्नेंसी को लेकर भी काफी उत्साहित रहती हैं।

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30 की आयु तक अधिकतर दंपत्ति बच्चों को जन्म दे चुके होते हैं, इसलिए इनकी सेक्स में रुचि थोड़ी कम हो जाती है। जानकार बताते है कि तीस से ज्यादा आयु वाली करीब 90 प्रतिशत महिलाएं ऑर्गेज्म को महसूस कर चुकी होती हैं। बच्चा हो जाने के बाद महिला व पुरुष का पूरा ध्यान बच्चों पर लगना शुरू हो जाता है।

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इस उम्र के बाद लोगों में सेक्स के प्रति रुचि धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस उम्र में महिला और पुरुष की सेक्स के प्रति सोच भावानात्मक व मानसिक जुड़ाव की ओर रुख कर लेती है। इस उम्र में बौद्धिक और भावनात्मक स्तर पर जुड़ने के बाद ही दंपत्ति सेक्सुअल इच्छाओं के बारे में विचार करते हैं। इस उम्र में सोच यौवन की सोच से काफी अलग होती है।

इस उम्र में दोनों ही सेक्स और साथी की इच्छाओं के बारे में अच्छी तरह से समझ चुकें होते हैं, इसलिए वह अपने साथी को पूरी तरह से संतुष्ट कर पाते हैं। इतना ही नहीं इस उम्र में महिलाएं भी आपने साथी के साथ किसी प्रकार की झिझक महसूस नहीं करती हैं।

यह भी सच है कि इस उम्र में परिवार और घर के कामों के चलते महिला और पुरुष दोनों ही सेक्स के बारे में कम विचार करते हैं और जैसै-जैसे उम्र 40 से ऊपर जाती है, दोनों ही साथियों की सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है। चालीस की आयु के बाद पुरुषों में स्तंभन दोष से जुड़ी कई परेशानियां सामने आने लगती है। इसकी वजह से भी वह सेक्स से दूरी बनाने लगते हैं।

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इस उम्र के बाद अधिकतर दम्पति सेक्स के बारे में बात करने तक से कतराते हैं। उनको ऐसा लगता है कि इस उम्र में सेक्स के बारे में सोचना या सेक्स करना उनके लिए ठीक नहीं होगा। ऐसा वह समाजिक दबाव के कारण करते हैं। इस उम्र में अधिकतर दम्पति अपने बच्चों की शादी के बारे में विचार करने लगते हैं। जिससे वह खुद को बुजुर्ग समझने लगते हैं। ऐसे में उनका पूरा ध्यान बच्चों और परिवार के ऊपर रहता है। इसके अलावा 50 की उम्र के बाद सेक्सुअल स्टेमिना भी कम हो जाता है। जिसके चलते कई लोग ठीक से सेक्स न कर पाने के डर से भी इसके बारे में सोचना छोड़ देते हैं।

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भले ही, हमारे समाज में सेक्स को सिर्फ जवानी का साथी माना जाता हो, लेकिन ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जो यह साबित करते हैं कि सेक्स के मामले में आदमी कभी बूढ़ा नहीं होता। बूढ़े होने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप अपनी सेक्सुअल क्रियाएं बंद कर दें। बल्कि आप बुढ़ापे में भी सेक्स से उतनी ही खुशी और रोमांचित महसूस कर सकते हैं, जितना कि आप जवानी के दिनों में करते थे। इसके लिए बस आपको अपने दिमाग को शरीर में आने वाले बदलावों के साथ तालमेल करना होगा। सेक्स इंसान के लिए बेहद जरूरी है, फिर उम्र चाहे जो भी हो। भारत में ज्यादातर पुरुष पारिवारिक परेशानियों की वजह से अपनी सेक्सुअल जरूरतों को दबा देते हैं।

हमारे देश में ज्यादातर बड़े उम्र के लोगों को सेक्सुअली गतिविधियों में शर्म आती है। उन्हें लगता है कि अगर वे अब भी सेक्सुअली गतिविधियों में रहेंगे, तो पता नहीं उनके शादीशुदा बच्चे उनके बारे में क्या सोचेंगे। यही वजह है कि बड़ी उम्र में ज्यादातर महिलाएं खुद को धर्म-कर्म के कार्यों में व्यस्त कर लेती हैं, तो पुरूष आलसी हो जाते हैं, जबकि असलियत में यह पूरी तरह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपनी सेक्सुअल क्रियाओं को कब तक गतिपूर्ण रखना चाहते हैं। अगर आप दिल से जवान हैं, तो सेक्स के मामले में आपको कभी दिक्कत नहीं होगी।

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बुढ़ापे में आता है शरीर में बदलाव - Budhape me aata hai sharir me badlav

इसमें कोई दो राय नहीं है कि उम्र के साथ शरीर में कुछ बदलाव आते हैं, जिनकी वजह से सेक्सुअली सक्रिय रहना मुश्किल हो जाता है। ये बदलाव पुरुष और महिला दोनों के शरीर में आते हैं। महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान लुब्रिकेशन के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं की सक्रियता कम हो जाती है। नतीजतन उन्हें सेक्स के लिए तैयार होने में ज्यादा वक्त लगता है।

हॉर्मोनल बदलावों की वजह से ज्यादा उम्र में लोगों को सेक्स में थोड़ी समस्या आने लगती है। 50 की उम्र के बाद पुरुषों में इरेक्शन (लिंग में तनाव) की समस्या होती है। बढ़ती उम्र की वजह से इरेक्शन पहले की तरह सामान्य नहीं रहता और इजैकुलेशन (वीर्यपात) की गति भी कम हो जाती है। पहले की तरह इरेक्शन नहीं होने से पुरुष परेशान हो जाते हैं और पत्नी को निराश करने की बजाय सेक्स से ही दूर भागने लगते हैं। 

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बुढ़ापे में ऐसे करें बेहतर सेक्स - Budhape me aise kare behtar sex

उम्र के साथ-साथ शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। ऐसे में, सेक्स करने के तरीके में भी बदलाव लाना चाहिए। जाहिर है, बुढ़ापे में सिर्फ शारीरिक रूप से मिलन पर ही जोर नहीं देना चाहिए। 40 की उम्र तक आते-आते दिमाग भी सेक्स पर ध्यान केंद्रित करना बंद कर देता है।

दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई मनोवैज्ञानिक बदलाव भी आते हैं। ऐसे में आप कुछ और तरीकों से ऑर्गेज्म हासिल कर सकते हैं। इसके लिए आप एक दूसरे के साथ वक्त बिता सकते हैं। एक-दूसरे को छूने से भी सोई हुई सेक्सुअल भावनाएं जाग जाती है। ध्यान रहें कि उम्र बढ़ने के बावजूद इंसान के भीतर सेक्सुअल जरूरतें मौजूद रहती हैं, बस उसे जगाने की जरूरत होती है। 

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बुढ़ापे में सेक्स से संबंधित किताबें पढ़ना - Budhape me sex se sambandhit kitabe padhe

यौन विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक मानते हैं कि बुढ़ापा उम्र का सबसे सही वक्त होता है, जब सेक्स से संबंध रखने वाला साहित्य आपके काम आ सकता है और आप उसका सही इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल करने से आप उम्मीद से भी पहले सेक्स के लिए तैयार हो जाएंगे। इसलिए यौन साहित्य का इस्तेमाल कीजिए और बढ़ती उम्र के दबाव में अपनी सेक्सुअल जरूरत को खत्म न करें।

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बुढ़ापे में कृत्रिम उत्तेजक पंप का करें प्रयोग - Budhape me kritim uttejak pump ka kare prayog

लिंग में तनाव लाने के लिए पर आप सक्शन पंप ले सकते है। यह पंप तनाव की समस्या को दूर करने में आपकी सहायता करता है। महिलाओं के लिए भी इस तरह की दवाई बनाने पर कार्य चल रहा है। इसके अलावा वाईब्रेटर की मदद से लिंग में तनाव लाया जा सकता है।

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बुढ़ापे में यौन सक्रिय रहने के लिए स्वस्थ आहार खाएं - Budhape me yaun sakriye rehne ke liye swasth aahaar khaye

जवानी में आपकी खराब दिनचर्या आपकी सेक्सुअल जिंदगी को प्रभावित करती है। युवावस्था से ही आपको इसका फायदा लेने के लिए नियमित रूप से स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। इसके अलावा सिगरेट व शराब से दूरी बनाना बेहतर होगा। 

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बुढ़ापे में सेक्स पोजिशन पर दें ध्यान - Budhape me sex position par de dhyan

बुढ़ापे में पीठ दर्द, डायबिटीज, आर्थराइटिस, हृदय रोग व दूसरी बीमारियां होना आम बात है। इन सभी रोगों के अलावा हड्डियों से संबंधित रोग ठीक से सेक्स कर पाने में बाधा पैदा करते हैं। अगर आपको इन रोगों की वजह शारीरिक दिक्कत या कमी हो तो आप सेक्स करना छोड़ना की बजाय सेक्स पोजिशन को बदलने पर विचार करें। अपने और अपने साथी के लिए सही सेक्स पोजीशन खोजें और उस पोजीशन में ही सेक्स करें।

(और पढ़ें - डायबिटीज में आहार)

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प्यार और शादी के रिश्ते में एक पड़ाव शारीरिक संबंध भी होता है। भले ही हम इसको शारीरिक जरूरत से जोड़कर देखते हों, लेकिन इससे हमारी उम्र पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आप अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं तो आप अपनी इस क्रिया से कई कैलेरी कम कर सकते हैं। ऐसा नियमित रूप से करने से आप अपनी जिदंगी के करीब दस साल तक आसानी से बढ़ा सकते हैं। सेक्स पर किए गए कुछ अध्ययन इस बात को साबित करते हैं कि इससे आपके हार्मोन स्तर को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही हृदय व दिमाग सही तरह से काम करता है और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा होता है।

  • संतुष्टि का एहसास - सेक्स पर किए गए शोधों में पता चला है कि इसको करते समय ऑर्गेज्म का अनुभव करने से तनाव जल्दी ही दूर होता है। इससे संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाओं में इजाफा होता है। वहीं यह भी देखा गया है कि जो शादीशुदा जोड़े अपनी जिंदगी खुशहाल तरिके से बिता रहें हैं उनकी उम्र तनाव में रहने वाले साथियों के मुकाबले कहीं अधिक होती है। सेक्स के दौरान नियमित ऑर्गेज्म का अनुभव करने वाले पुरुष और महिलाओं में बीमारियों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। जिससे उनकी उम्र में बढ़ोतरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - तनाव से बचने के उपाय)
  • रोमांटिक पल - अपने साथी के साथ रोमांटिक पल साथ में गुजारने से यह आपके साथी को सेक्स के दौरान सहज महसूस करने में मदद करते हैं। इससे ऑक्सीटोसिन की मात्रा में इजाफा होता है। इस हार्मोन को कामोन्माद से जोड़कर देखा जाता है। साथी को प्यार भरी मसाज करना या उनको छूना भी ऑक्सीटोसिन की मात्रा में इजाफा करता है। (और पढ़ें - पुरुषों से क्या चाहती हैं महिलाएं)
  • मूड को सही करके ही सेक्स करें - आप किसी भी काम को तब ही अच्छा समझ सकते हैं जब आप अंदर से आनंदित महसूस करें। अगर आपका सेक्स के लिए मन नहीं करता है, तो इसका सीधा संबंध आपके एसिटाइकोलिन, डोपामाइन, सिरोटॉनिन और जीबीए रसायनों की कमी के कारण होता है। यह सभी रसायन आपकी एकाग्रता, सतर्कता, आत्मविश्वास व खुशी का एहसास कराने वाले होते हैं। (और पढ़ें - मूड को अच्छा बनाने के उपाय)
  • कसरत की तरह ही फायदेमंद - नियमित कसरत करने से आपकी मांसपेशियां ठीक रहती है और शरीर में खून का प्रवाह भी ठीक रहता है। इससे हमारे उम्र को बढ़ाने वाले कारक धीमी गति से कार्य करते हैं। सेक्स से भी आपको कसरत की ही तरह ही फायदा मिलता है। माना जाता है कि उम्र बढ़ जाने पर महिला व पुरुषों में सेक्स के प्रति रूचि कम हो जाती है, लेकिन अगर आप सेक्स को किसी रोमाचंक पल की तरह देखेंगे या उसमें कुछ नयापन लाएंगे तो आपको सेक्स से होने वाले फायदे नियमित रूप से मिलते रहेंगे। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
  • ज्यादा है, तो बेहतर है - सप्ताह में एक बार शारीरिक संबंध बनाने से आपके शरीर का हार्मोन लेवल ठीक रहने के साथ ही हृदय और मस्तिष्क भी नियंत्रण में रहता है। सप्ताह में तीन या अधिक बार सेक्स करने वाले पुरुष को हृदय संबंधी समस्याओं की संभावनाएं आधी रह जाती हैं। वहीं इसको करने से शरीर के अंदर होने वाली रासायनिक क्रिया से तनाव तेजी से दूर होता है और आप पहले से बेहतर महसूस करते हैं। (और पढ़ें - हृदय रोग का उपचार)

ये सभी कारण बताते हैं कि सेक्स करने से बढ़ती उम्र पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। हर कार्य को सही, सुरक्षित और निश्चित सीमा में करने से वह फायदा देता है।

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