यदि आपको या आपके पार्टनर को गर्भधारण करने में दिक्कत हो रही है तो यह आपकी सिर्फ परेशान ही नहीं बल्कि गंभीर रूप से शोकग्रस्त कर देता है। इसमें कोई शक नहीं है कि आप गर्भधारण ना हो पाने के पीछे का कारण जानने की कोशिश करेंगे। 

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हालांकि गर्भधारण ना होने से जुड़ी समस्याएं सिर्फ महिलाओं में ही नहीं पुरुषों में भी मिल सकती है। प्रजनन क्षमता में कमी के आधे मामलों में प्रजनन क्षमता में कमी की समस्या पुरुषों में पाई जाती है। और क्योंकि पुरुषों में प्रजनन क्षमता में कमी अक्सर शुक्राणुओं की कमी के कारण होता है इसलिए डॉक्टर ऐसी स्थिति में अक्सर वीर्य की जांच करवाने का आदेश देते हैं।

(और पढ़ें - प्रजनन क्षमता में कमी के घरेलू उपाय)

  1. वीर्य की जांच क्या होता है? - What is Semen Analysis in Hindi?
  2. वीर्य की जांच क्यों की जाती है - What is the purpose of Semen Analysis in Hindi
  3. वीर्य की जांच से पहले - Before Semen Analysis in Hindi
  4. वीर्य की जांच के दौरान - During Semen Analysis in Hindi
  5. वीर्य की जांच के बाद - After Semen Analysis in Hindi
  6. सीमेन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल वैल्यू - Semen Analysis Result and Normal Value in Hindi

वीर्य विश्लेषण क्या होता है?

वीर्य की जांच को शुक्राणु की जांच और वीर्य विश्लेषण आदि कई नामों से जाना जाता है। इस टेस्ट में पुरुषों के शुक्राणुओं के स्वास्थ्य और उनकी जीवन क्षमता की जांच की जाती है। वीर्य पुरुषों में स्खलन के दौरान उनके लिंग से निकलने वाला द्रव होता है, जिसमें शुक्राणु होते हैं। शुक्राणुओं के साथ-साथ पुरुषों के वीर्य में शुगर व प्रोटीन जैसे अन्य पदार्थ भी होते हैं। वीर्य की जांच को मुख्य तीन कारकों के रूप में मापा जाता है:

  • शुक्राणुओं की गिनती
  • शुक्राणुओं का आकार
  • शुक्राणुओं की गतिशीलता (Sperm motility)

शुक्राणुओं के स्वास्थ्य के बारे में अच्छे से पता करने के लिए डॉक्टर अक्सर दो या तीन अलग-अलग शुक्राणु टेस्ट करते हैं। "अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द क्लिनिकल केमिस्ट्री" (AACC) के मुताबिक वीर्य की जांच तीन महीनों के अंदर सात बार और एक दिन में सिर्फ एक बार ही करवानी चाहिए। हर बार की गई वीर्य की जांच में शुक्राणुओं की संख्या भी अलग-अलग हो सकती है। जांच किये गए सभी सेंपल में पायी गयी संख्या की औसत लेना सबसे सटीक रिजल्ट दे सकता है।

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय)

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वीर्य की जांच क्यों की जाती है?

पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी की जांच करने के लिए -

जब किसी दंपत्ति को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है तो पुरुष के वीर्य की जांच की जाती है। पुरुष के प्रजनन क्षमता में कमी का पता करने में यह टेस्ट डॉक्टर की मदद करता है। यदि प्रजनन क्षमता में कमी का कारण शुक्राणुओं की कमी या शुक्राणु संबंधी अन्य विकार है, तो वीर्य की जांच की मदद से इसका भी पता लगाया जा सकता है। 

पुरुष नसबंदी सफल हुई है या नहीं यह जानने के लिए - 

जिन पुरुषों की नसबंदी हुई है उनके वीर्य में शुक्राणु है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए वीर्य की जांच की जाती है। पुरुष नसबंदी में वृषण से लिंग तक शुक्राणुओं को पहुंचाने वाली ट्यूब को बीच से बंद कर दिया जाता है। पुरुष नसबंदी के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि वीर्य में कोई शुक्राणु नहीं है डॉक्टर एक महीने में एक बार वीर्य की जांच करवाने का सुझाव देते हैं। वीर्य की जांच तीन महीनों तक की जाती है।

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वीर्य की जांच करवाने से पहले क्या किया जाता है?

डॉक्टर आपको इस बारे में बताएंगे कि वीर्य की जांच करवाने से पहले आपको क्या तैयारियां करनी चाहिए। वीर्य की जांच के सटीक रिजल्ट पाने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करना जरूरी होता है। 

वीर्य का एक अच्छा सेंपल प्राप्त करने के लिए बातों का ध्यान रखें:

  • टेस्ट करवाने से पहले 24 से 72 घंटे तक स्खलन ना करें (और पढ़ें - शीघ्र स्खलन का इलाज)
  • टेस्ट करवाने से पहले दो से पांच दिन तक शराबचायकॉफी और अन्य ड्रग जैसे कोकीन और भांग आदि का सेवन ना करें। 
  • यदि आप किसी भी प्रकार की हर्बल दवा खा रहे हैं तो उनके बारे में अपने डॉक्टर को बताएं और अगर डॉक्टर उनको छोड़ने के लिए कहते हैं तो उनके द्वारा निर्धारित समय तक दवाओं को छोड़ दें। 
  • यदि आप किसी भी प्रकार की हार्मोन दवाएं खा रहे हैं तो डॉक्टर के कहने के अनुसार उन्हें छोड़ दें।

इसके अलावा यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, सप्लीमेंट्स या कोई अन्य उत्पाद लेते हैं तो टेस्ट करवाने से पहले ही डॉक्टर को उनके बारे में अच्छे से बता दें।

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वीर्य जांच के दौरान क्या किया जाता है?

आपको वीर्य की जांच करने के लिए अपने डॉक्टर या लैब को वीर्य का सेंपल देना होता है। वीर्य का सेंपल लेने के मुख्य चार तरीके हैं:

  • हस्तमैथुन
  • कंडोम के साथ सेक्स करना
  • सेक्स करते समय स्खलन से पहले लिंग को बाहर निकालना
  • विद्युत उपकरणों द्वारा उत्तेजना से स्खलन करना

वीर्य का साफ सेंपल प्राप्त करने के लिए हस्तमैथुन को ही प्राथमिकता दी जाती है। 

(और पढ़ें - सुरक्षित सेक्स कैसे करें)

वीर्य का एक अच्छा सेंपल प्राप्त करना - 

टेस्ट करने के लिए वीर्य का एक अच्छा सेंपल प्राप्त करने के लिए दो मुख्य कारक महत्वपूर्ण हैं। 

  • पहला - वीर्य को शरीर के तापमान पर ही रखा जाना चाहिए। क्योंकि यदि इसको अधिक गर्म या अधिक ठंडे तापमान पर रखा जाए तो इससे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो जाते हैं।
  • दूसरा - वीर्य शरीर से निकलने के 30 से 60 मिनट के भीतर ही टेस्ट करवाने के लिए भेज दिया जाना चाहिए। 

टेस्ट में हस्तक्षेप - 

कुछ ऐसे कारक हैं जो टेस्ट के रिजल्ट पर गलत प्रभाव डालते हैं:

  • वीर्य का शुक्राणुनाशकों (Spermicide) के संपर्क में आना
  • जब आप बीमार या तनाव ग्रस्त हो उस समय वीर्य की जांच करने के लिए सेंपल लेना
  • लैब के तकनीशियन द्वारा कोई भूल या गलती हो जाना
  • वीर्य का सेंपल दूषित होना

शुक्राणु विश्लेषण से जुड़े कोई ज्ञात जोखिम नहीं हैं।

यदि वीर्य के सेंपल को ठीक तरीके से संभालने के बावजूद भी उसका रिजल्ट सामान्य सीमा में नहीं आता तो, आपके डॉक्टर आपसे पूछ सकते हैं कि आप निम्न में से किसी पदार्थ का सेवन तो नहीं कर रहे (क्योंकि यह सभी शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित कर सकते हैं):

  • शराब
  • कैफीन
  • हर्बल दवाएं
  • डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं में इस्तेमाल किये जाने वाले ड्रग जो शुक्राणुओं की संख्या को कम कर देते हैं, जैसे, सिमेटिडाइन (Cimetidine)
  • ड्रग्स या अन्य नशीले पदार्थ
  • तंबाकू

घर पर वीर्य की जांच करना - 

वीर्य की जांच करने के लिए घर पर किये जाने वाले टेस्ट भी उपलब्ध हैं। हालांकि ये सिर्फ शुक्राणुओं की संख्या की ही जांच करते हैं। घर पर किये जाने वाले टेस्ट शुक्राणुओं के आकार और उनकी गतिशीलता का विश्लेषण नहीं करते।

वीर्य की जांच के लिए घर पर किये जाने वाले टेस्ट का रिजल्ट अक्सर 10 मिनट में आ जाता है। यदि घर पर किये जाने वाले टेस्ट के रिजल्ट में शुक्राणुओं की संख्या सामान्य (एक मिलीमीटर वीर्य में दो करोड़ शुक्राणु) आती है तो जरूरी नहीं है कि इसका मतलब यही है कि पुरुष प्रजनन करने में सक्षम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि घर पर की जाने वाली वीर्य की जांच में पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी के सभी संभावित कारणों की जांच नहीं की जा सकती।

यदि आप प्रजनन शक्ति को लेकर चिंतित हैं तो घर की बजाए लैब में जाकर विशेषज्ञों से टेस्ट करवाना ही आपके लिए बेहतर है क्योंकि लैब में आपकी प्रजनन शक्ति का व्यापक रूप से मूल्यांकन किया जाता है।

वीर्य विश्लेषण के बाद क्या किया जाता है?

वीर्य की जांच से सटीक परिणाम सेंपल को काफी सावधानी से संभाल कर रखना पड़ता है और कई सेंपल का टेस्ट करना पड़ता है। इस टेस्ट से कई प्रकार की जानकारी मिलती हैं जो पुरुष की प्रजनन शक्ति को प्रभावित करने वाले कारकों का पता लगाने में मदद करती हैं। वीर्य का सेंपल लेने के 24 घंटे से 1 हफ्ते बाद टेस्ट का रिजल्ट आ जाता है। यदि आपके टेस्ट का रिजल्ट असामान्य आता है तो डॉक्टर आपको प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास भेज सकते हैं।

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वीर्य की जांच का रिजल्ट और नॉर्मल वैल्यू

वीर्य की जांच का सामान्य रिजल्ट - 

जब डॉक्टर सीमेन टेस्ट के रिजल्ट को पढ़ते हैं तो उनको बहुत सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। पुरुष नसबंदी के बाद की जाने वाली वीर्य की जांच में सिर्फ शुक्राणुओं की उपस्थिति की जांच की जाती है। लेकिन प्रजनन क्षमता में कमी या प्रजनन संबंधी समस्याओं के लिए किये जाने वाले वीर्य के टेस्ट में वीर्य की काफी गहराई से जांच की जाती है। वीर्य की जांच में डॉक्टर निम्न सभी कारकों की ध्यानपूर्वक जांच करते हैं।

  1. शुक्राणुओं की आकृति - वीर्य की जांच का रिजल्ट सामान्य होने के लिए 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु सामान्य आकृति में होने चाहिए। यदि किसी व्यक्ति के वीर्य के सेंपल में 50 प्रतिशत से भी अधिक ऐसे शुक्राणु हैं जिनकी आकृति असामान्य है तो उससे उसकी प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है। टेस्ट के दौरान शुक्राणुओं के सिर, बीच का हिस्सा और पूंछ की जांच की जाती है। यह भी संभव है कि शुक्राणु पूरी तरह से परिपक्व ना हों जिसके कारण वह अंडे को निषेचित नहीं कर पाते हैं।
  2. शुक्राणुओं की गतिशीलता - स्खलन के 1 घंटे के बाद भी वीर्य में 50 प्रतिशत से भी अधिक शुक्राणुओं का सामान्य रूप से गतिशील रहना जरूरी होता है क्योंकि शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचना पड़ता है। एक मशीन शुक्राणुओं की गतिशीलता का मूल्यांकन करती है और उनकी गतिशीलता की स्थिति 0 से 4 के पैमाने पर मापती है। अंक 0 का मतलब है कि शुक्राणु बिलकुल भी नहीं हिल रहे और 3 व 4 अंक बताते हैं कि शुक्राणु सामान्य रूप से गतिशील हैं।
  3. पीएच स्तर - वीर्य की जांच में पीएच की नॉर्मल वैल्यू 7.2 ले 7.8 होती है। यदि पीएच का स्तर 8.0 से ऊपर है तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। यदि पीएच का स्तर 7.0 से नीचे आए तो यह वीर्य का सेंपल दूषित होने का या पुरुष की स्खलन करने वाली नलिकाएं रुकी हुई होने का संकेत देता है। (और पढ़ें - एसटीडी रोग)
  4. वीर्य की मात्रा - वीर्य की जांच का सटीक और सामान्य रिजल्ट पाने के लिए वीर्य का कम से कम 2 मिलीमीटर सेंपल लिया जाना चाहिए। यदि सेंपल की मात्रा कम है तो उसमें अंडे को निषेचित करने वाले शुक्राणुओं की संख्या भी कम होगी। 
  5. पतला होना (Liquefaction) - वीर्य पतला होने से पहले 15 से 30 मिनट का समय लेता है। वैसे तो वीर्य काफी गाढ़ा होता है लेकिन इसके पतला हो जाने की क्षमता शुक्राणुओं को हिलने में मदद करती है। यदि वीर्य 15 से 30 मिनट तक तरल रूप में ना बदल पाए तो इसका असर पुरुष की प्रजनन शक्ति पर पड़ता है।
  6. शुक्राणुओं की संख्या - वीर्य की जांच के सामान्य रिजल्ट में शुक्राणुओं की संख्या 2 करोड़ से 20 करोड़ होती है। शुक्राणु की संख्या की जांच करने वाले टेस्ट को स्पर्म डेंसिटी (Sperm density) के नाम से भी जाना जाता है। वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या जितनी कम होती है, गर्भधारण धारण करने में उतनी ही मुश्किल होती है। 
  7. शुक्राणु कैसे दिखते हैं (Appearance) - वीर्य की जांच के सामान्य रिजल्ट में शुक्राणु धुंधले सफेद या धुंधले-पारदर्शी होते हैं। यदि शुक्राणुओं में लाल या ब्राउन रंग के धब्बे दिखाई देते हैं तो यह खून की उपस्थिति का संकेत होता है। यदि शुक्राणुओं में पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं तो यह पीलिया या किसी दवाई के साइड इफेक्ट का संकेत देते हैं। 

वीर्य की जांच के असामान्य रिजल्ट - 

यदि शुक्राणु असामान्य हैं तो उनको अंडे तक पहुंचने और उसे निषेचित करने में परेशानी होती है जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। वीर्य का जांच का असामान्य रिजल्ट निम्न का संकेत दे सकता है:

यदि आपका रिजल्ट असामान्य आया है तो डॉक्टर आपको कुछ अन्य टेस्ट करवाने के सुझाव दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
 

संदर्भ

  1. Vasan SS. Semen analysis and sperm function tests: How much to test?. Indian journal of urology: IJU: journal of the Urological Society of India. 2011 Jan;27(1):41.
  2. Niederberger CS. Male infertility. In: Wein AJ, Kavoussi LR, Partin AW, Peters CA, eds. Campbell-Walsh Urology. 11th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2016:chap 24.
  3. Barak S, Baker HWG. Clinical Management of Male Infertility. [Updated 2016 Feb 5]. In: Feingold KR, Anawalt B, Boyce A, et al., editors. Endotext [Internet]. South Dartmouth (MA): MDText.com, Inc.; 2000-.
  4. Menkveld R. Clinical significance of the low normal sperm morphology value as proposed in the fifth edition of the WHO Laboratory Manual for the Examination and Processing of Human Semen. Asian journal of andrology. 2010 Jan;12(1):47.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Semen Analysis
  6. Henry's Clinical Diagnosis and Management by Laboratory Methods. 22nd ed. McPherson R, Pincus M, eds. Philadelphia, PA: Saunders Elsevier: 2011, Pp 406-407.

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