फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड क्या है?

फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड कई सारे स्कैन की एक सीरीज है, जो कि अंडाशय को देखने और ओवुलेशन की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट को फॉलिक्युलर ट्रैकिंग या फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग कहा जाता है।

ओवरी महिला के प्रजनन अंगों का एक जोड़ा होता है, जिसमें हजारों छोटी-छोटी द्रव से भरी थैलियां होती हैं जिन्हें फॉलिकल्स कहा जाता है और जिनमें अंडे विकसित होते हैं। मासिक धर्म की शुरुआत में इनमें से कुछ फॉलिकल्स बढ़ना शुरू हो जाते हैं। हालांकि, मध्य चक्र तक केवल एक डोमिनेंट फॉलिकल पर्याप्त रूप से विकसित हो पाता, जो टूटकर एक परिपक्व अंडा शरीर में स्त्रावित कर दे। मासिक धर्म चक्र की वह अवस्था जिसमें ओवरी एक स्वस्थ अंडा स्त्रावित करती है, उसे ओवुलेशन कहा जाता है। इसके बाद अंडा फेलोपियन ट्यूब में फर्टिलाइजेशन (शुक्राणु के साथ में जिससे एक नया जीवन बनता है) का इंतजार करता है।

फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड में मासिक धर्म चक्र के दौरान समय-समय पर स्क्रीनिंग की जाती है, जिससे फॉलिकल्स के विकास में मदद मिलती है और ओवुलेशन के सटीक समय का पता लगाया जा सकता है। इससे दम्पत्तियों को सेक्स करने का सही समय पता चल जाता है और उनकी बच्चा पाने संभावना की बढ़ जाती है।

फॉलिक्युलर स्टडी ट्रान्सवजाइनल अल्ट्रासाउंड द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक प्रोब या ट्रेन्ड्यूसर को योनि में डाला जाता है। ये ट्रांसड्यूसर ध्वनि तरंगें पैदा करता है और आंतरिक अंगों द्वारा प्रदर्शित तरंगों को लेता है। इन प्रदर्शित तरंगों को अल्ट्रासाउंड मशीन की मदद से गर्भाशय और अंडाशय की साफ तस्वीरें स्क्रीन पर निकालने के लिए प्रयोग करती है। जिसमें कि अंडाशय में मौजूद फॉलिकल्स पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

  1. फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड किसे नहीं करवाना चाहिए - Follicular monitoring ultrasound kaun nahi karwa sakta hai
  2. फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग क्यों किया जाता है - Follicular study ultrasound kyu kiya jata hai
  3. फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग अल्ट्रासाउंड के दौरान - Follicular study ultrasound ke dauran
  4. फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड करवाते समय कैसा महसूस होता है - Follicular monitoring ultrasound ke dauran kaisa mehsoos hota hai
  5. फॉलिक्युलर स्टडी रिपोर्ट से क्या पता चलता है - Follicular monitoring ultrasound ke parinam kya batate hain
  6. फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड से जुड़े जोखिम और फायदे क्या हैं - Follicular monitoring ultrasound ke jokhim aur fayde kya hai
  7. फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग के बाद क्या होता है - Follicular study ultrasound ke baad kya hota hai
  8. फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड के साथ कौन से अन्य टेस्ट किए जा सकते हैं - Follicular monitoring ultrasound ke sath kaun se test kiye jate hain

जिन महिलाओं को लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, उन्हें इस टेस्ट को न करवाने की सलाह दी जाती है।

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फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है?

डॉक्टर निम्न स्थितियों में इस टेस्ट को करने की सलाह दे सकते हैं -

  • नपुसंकता -
    फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड इनफर्टिलिटी की जांच करने के लिए प्रथम कदम है। वे महिलाएं जिन्हें एक वर्ष से गर्भ धारण करने में समस्या आ रही है, उन्हें फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी जाती है।

  • अनियमित मासिक धर्म -
    यदि आप गर्भवती होने का प्रयास कर रही हैं लेकिन आपको अनियमित मासिक धर्म की समस्या है तो डॉक्टर आपके प्रजनन दिनों की जांच करने के लिए आपसे फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कह सकते हैं। जिससे आपकी गर्भ धारण करने की संभावना बढ़ जाएगी।

  • इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (लैब में अंडे द्वारा गर्भाधान करवाना) -
    फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का एक जरूरी भाग है, क्योंकि यह महिला के फॉलिकल्स की नियमित अंतराल पर जांच करने में और इस बात का पता लगाने में मदद करता है कि महिला के महीने के किस समय में ओव्युलेट होने की संभावना अधिक है।

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड स्कैन ओवरियन फॉलिकल्स के अध्ययन के लिए किया जाता है। यह स्कैन या तो किसी डॉक्टर द्वारा या फिर किसी सोनोग्राफर द्वारा किया जाएगा। यह निम्न प्रक्रिया द्वारा होगा -

  • आपसे कमर के नीचे के वस्त्र उतारने को कहा जाएगा और उनके बजाय एक चादर से खुद को ढकने की सलाह दी जाएगी
  • एक विशेष टेबल पर आपको घुटने मोड़ कर कमर के बल लेटने को कहा जाएगा। ऐसे में आपके कूल्हे हल्के से उठे हुए होंगे।
  • एक बार ठीक पोजीशन में आ जाने पर डॉक्टर एक छोटे प्रोब को आपकी योनि के अंदर डालेंगे। प्रोब को कंडोम और जेल से ढका जाएगा, इसका आकार उंगली से हल्का सा बड़ा होता है और इसे केवल दो से तीन इंच ही योनि में डाला जाता है।
  • एक बार प्रोब लग जाने पर डॉक्टर इसे आराम से हिलाएंगे ताकि गर्भाशय और अंडाशय की सटीक तस्वीर प्राप्त की जा सकें।
  • प्रोब द्वारा ली गई तस्वीरों को अल्ट्रासाउंड मशीन स्क्रीन प्रदर्शित करती है।
  • इस टेस्ट में लगभग 15 मिनट का समय लगता है।

फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड मासिक धर्म चक्र के सातवें दिन किया जाता है और हर दो दिन के अंतराल में तब तक किया जाता है जब तक डॉक्टर को ओवुलेशन के सबूत नहीं मिल जाते हैं। जो मरीज इन विट्रो फर्टिलाइजेशन करवा रहे हैं, उनके लिए यह मासिक धर्म चक्र के दूसरे या तीसरे दिन किया जाता है।

यह टेस्ट पूरी तरह से दर्दरहित है। हालांकि, जब डॉक्टर योनि में प्रोब डालेंगे तो आपको थोड़ा असामान्य या बेचैनी सी महसूस हो सकती है।

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इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर दम्पत्ति को महीने के सबसे फर्टाइल दिनों के बारे में बता सकते हैं, जिससे कि वे उस निश्चित समय के दौरान सम्भोग कर के गर्भ धारण करने की संभावना को बढ़ा सकें। इसके साथ ही यह टेस्ट गर्भाशय की आंतरिक दीवारों की मोटाई की जांच करता है, जो कि मासिक धर्म के दिन का पता लगाने का एक पैरामीटर है।

इसके साथ ही इस टेस्ट से निम्न किसी भी असमानता का पता लगाया जा सकता है -

  • ओवरियन फॉलिकल का बढ़ने में विफल हो जाना
  • फॉलिकल के विकास का धीमा होना
  • ल्यूटिनाइज़्ड अनरप्चरड फॉलिकल सिंड्रोम (ओवरी में फॉलिकल का स्त्राव न हो पाना)
  • बढ़े हुए अंडाशय जो कि कई सारे फॉलिकल स्त्रावित कर रहे हों, यह पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का एक मुख्य घटक है।

ड्रग द्वारा की गई फोलिकल ग्रोथ के मामलों जैसे असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी। यह टेस्ट डॉक्टर को फॉलिकल पर नजर रखने और फॉलिकल की परिपक्वता पर नजर रखने में मदद करता है, जिससे शुक्राणु का महिला के गर्भ से मिलन का समय निर्धारित हो सके। फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड यह जानने में भी मदद करता है कि कहीं दी गई ड्रग ट्रीटमेंट से आपको हाइपरएक्टिविटी न हुई हो, जिसके कारण आपके शरीर में बड़ी या अधिक फॉलिकल्स बनने लग सकते हैं।

फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड से जुड़े जोखिम और फायदे क्या हैं?

इस टेस्ट से कोई भी खतरा जुड़ा हुआ नहीं है।

इस टेस्ट के निम्न फायदे हैं -

  • यह प्रक्रिया दर्दरहित है
  • इस टेस्ट में किसी भी तरह की रेडिएशन का प्रयोग नहीं होता है
  • आमतौर पर इसमें किसी भी इंजेक्शन का भी प्रयोग नहीं किया जाता है
  • अत्यधिक फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगें आपको शरीर के छोटे भागों की भी विस्तृत तस्वीर प्रदान करेगी

चूंकि, इस टेस्ट के कोई भी अतिरिक्त प्रभाव नहीं है तो आप फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड के बाद अपनी सामान्य दिनचर्या पर वापस लौट सकते हैं।

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आपके डॉक्टर फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड के साथ निम्न टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं -

  • हार्मोन की कार्यशीलता जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट
  • हिस्टेरोसेलपिनोग्राम
  • हिस्टेरोस्कोपी (एक प्रक्रिया जो कि गर्भाशय के अंदर देखने में मदद करती है)
  • लेप्रोस्कोपी (एक प्रक्रिया जिसमें पेट के अंदर पतली ट्यूब लगाई जाती है ताकि गर्भाशय, ओवरी और फेलोपियन ट्यूब पर नजर रखी जा सके)
  • एंडोमेट्रियल बायोप्सी (एक प्रक्रिया, जिसमें टेस्टिंग के लिए गर्भाशय के आंतरिक परत से छोटे ऊतक के सैंपल को लिया जाता है)

फॉलिक्युलर स्टडी अल्ट्रासाउंड कंट्रास्ट के साथ नहीं किया जाना चाहिए।

संदर्भ

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