खिचड़ी एक प्राचीन आयुर्वेदिक नुस्खा है, जो काफी लम्बे समय से आहार का हिस्सा रहा है। इसको पचाना काफी आसान है और इससे शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद मिलती है।

आप सभी ने खिचड़ी के बारे में सुना होगा, खासकर जब आपके परिवार में कोई बीमार हो या जब कोई बीमारी से ठीक हो रहा हों। आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोग खिचड़ी का नाम सुनते ही अजीब सा चेहरा बना लेते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उनको लगता है कि खिचड़ी केवल बीमार लोगों का ही भोजन होता है। लेकिन वास्तव में खिचड़ी के सेवन से आप कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह शरीर को पोषण प्रदान करती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल कर शुद्ध करती है। यह दाल और चावल से तैयार सबसे आसान भोजन होता है। इसका दही, लस्सी, अचार या सब्जियों के साथ सेवन किया जा सकता है।

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  1. खिचड़ी के फायदे - Khichdi Benefits in Hindi
  2. खिचड़ी बनाने की विधि - Khichidi Recipe in Hindi

इसे किसी मसाले के बिना पौष्टिक, हल्के और सरल भोजन के रूप में जाना जाता है। यह डॉक्टरों द्वारा रोगियों, विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों को खाने की सलाह दी जाती। यह उन लोगों द्वारा काफी पसंद की जाती है जो आयुर्वेद के सात्त्विक आहार का पालन करते हैं। तो आइये जानते हैं इससे होने वाले अद्भुत लाभों के बारे में -

खिचड़ी खाने के फायदे प्रोटीन के लिए - Khichdi for Protein in Hindi

खिचड़ी कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का एक स्थिर संतुलन होती है। मूंग खिचड़ी में उपयोग किये जाने वाली मुख्य सामग्री होती है, जो आहार फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, विटामिन सी और पोटेशियम का एक बड़ा स्रोत हैं। इसमें न केवल 10 आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं बल्कि इसमें कम्पलीट प्रोटीन भी होता है। शुद्ध घी के साथ इसका सेवन करने से आपको पोषक तत्वों, प्रोटीन, जटिल कार्बोहाइड्रेट और वसा की उचित मात्रा मिलती है। खिचड़ी तैयार करते समय सब्जियों का उपयोग करना भी बहुत ही लाभकारी होता है।

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खिचड़ी के फायदे हैं सीलिएक (उदर संबंधी) रोग में सहायक - Khichdi for Celiac Disease in Hindi

जो लोग ग्लूटेन संवेदनशील (जिन लोगों को ग्लूटेन से एलर्जी होती है) होते हैं या सीलिएक (Celiac/ उदर संबंधी) बीमारी से पीड़ित होते हैं, उन्हें ग्लूटेन की प्रोसेसिंग में समस्या होती है, जो गेहूं और जौ जैसे कुछ अनाज में पाया जाता है। ऐसे में आप वैकल्पिक दिन पर खिचड़ी खाने का विकल्प चुन सकते हैं, क्योंकि यह पर्याप्त पोषण प्रदान करता है और यह हल्का और ग्लूटेन-मुक्त होता है। बहुत से लोग जो इस बीमारी से पीड़ित नहीं हैं, वे अपनी जीवनशैली में परिवर्तन के रूप में लस-मुक्त भोजन का भी चयन करते हैं। वे भी खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं। 

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खिचड़ी के लाभ दिलाएं त्रिदोष से मुक्ति - Khichdi for Tridosha in Hindi

यह पकवान दिन के किसी भी समय ( सुबह, शाम या रात) परोसा जा सकता है। इसे तैयार करना बहुत ही आसान होता है। यह शरीर को मजबूत करने और तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) को स्थिर करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है। यह एक त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) रहित भोजन है, जिसका शरीर पर सुखदायक प्रभाव पड़ता है। यह चावल और मूंग से बना पौष्टिक पकवान, घी के साथ पकाया जाता है जिसमें नमक और हल्दी जैसे मसाले भी उपयोग किये जाते है।

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खिचड़ी के गुण बढ़ाएं पाचन शक्ति को - Khichdi for Digestion in Hindi

दही के साथ खाए जाने वाले खिचड़ी, आँतों के लिए एक बहुत ही लाभकारी भोजन होता है और इसके अलावा यह खराब पेट को ठीक करने में मदद करता है। यह एक पौष्टिक भोजन है जो बच्चों और बुजुर्गों के लिए पोषक तत्वों से भरपूर होता है। उनके लिए पचाने में आसान होता है क्योंकि दोनों की ही चयापचय की दर धीमी होती है और उनकी पाचन शक्ति जटिल पोषक तत्वों को पचाने में बहुत कमजोर होती है।

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खिचड़ी का सेवन होता है शिशुओं के लिए लाभकारी - Khichdi for Babies in Hindi

खिचड़ी शिशुओं के लिए एक पौष्टिक भोजन है। खिचड़ी प्रोटीन, आहार फाइबर और अन्य विटामिनों और खनिजों का एक सही मिश्रण है, जो शरीर द्वारा समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी होती है क्योंकि इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। 

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आप चावल के साथ खिचड़ी बना सकते हैं और मूंग और चने की दाल आदि को भी आप खिचड़ी बनाते समय उपयोग कर सकते हैं। आप सब्जियों और दलिया का भी उपयोग कर सकते हैं। पारंपरिक व्यंजनों के अनुसार 'घी' एक महत्वपूर्ण घटक है। आप पौष्टिक मूल्य को बढ़ाने के साथ-साथ, इसकी गार्निशिंग और सर्विसिंग वैल्यू बढ़ाने के लिए नट्स (बादाम, पिस्ता, काजू, चिरौंजी, चिल्गोजा) और ड्राई फ्रूट्स (किशमिश, कटे हुए खुबानी) भी मिक्स कर सकते हैं। आम तौर पर खिचड़ी दही, कढ़ी और अचार के साथ परोसी जाती है। पारंपरिक खिचड़ी मसालेदार नहीं होती है।

सामग्री

  1. 1 कप बासमती चावल
  2. आधा कप धुली हुई मूंग की दाल
  3. 1 चम्मच मक्खन या घी
  4. 1 चम्मच सरसों के बीज (वैकल्पिक)
  5. आधा चम्मच जीरा पाउडर
  6. आधा चम्मच हल्दी पाउडर
  7. एक चुटकी हींग

तैयारी

  1. चावल और दाल को अलग-अलग अच्छे से साफ करें।
  2. अब दाल और चावल को ठंडे पानी में दो से तीन बार धोएं। इस प्रक्रिया को फिर से दोहराएं जब तक कि पानी साफ निकल न जाए। अब चावल और दाल को पैन या एक खाना पकाने के बर्तन में लें।
  3. खाना पकाने वाले बर्तन में 3 कप पानी डालकर उबाल लें। दाल और चावल को चलाते समय मसाले तैयार करें।
  4. मध्यम आंच पर कढ़ाई में घी डाल दें।
  5. अपनी पसंद और स्वाद के अनुसार सरसों के बीज, जीरा, हल्दी और हींग पाउडर जैसे विभिन्न मसालें मिलाएं।
  6. पके हुए चावल और दाल में इस मसाले के मिश्रण को डालें।
  7. इसे अब लगभग 35 मिनट तक उबाल लें। इसके बाद गर्मागर्म परोसें।

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