फुट कॉर्न (गोखरू) - Foot Corn in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

August 12, 2018

February 01, 2024

फुट कॉर्न
फुट कॉर्न

फुट कॉर्न क्या है?

फैशन के चक्कर में आकर्षक दिखने के लिए तरह-तरह के फुटवियर्स (जूते-चप्पल) का चलन बढ़ गया है। आज हर कोई नए ट्रेंड के अनुसार चलना चाहता है। कई बार बाजार में नए फैशन वाले फुटवियर आरामदायक नहीं होते हैं, इसके बावजूद लोग उन्हें पहनते हैं और फुटकॉर्न (गोखरू) जैसी समस्या से जूझते रहते हैं। आइए जानते हैं क्या होती है फुट कॉर्न की समस्या

फुट कॉर्न, त्वचा की एक मोटी परत होती है, जो घर्षण, रगड़ और दबाव के कारण प्रतिक्रिया करके त्वचा में (खासकर पैरों के तलवे में) उत्पन्न होने लगती हैं। कॉर्न के कारण चलने पर दर्द होता है।

कॉर्न्स अक्सर छोटे-छोटे, परतदार गोल चक्र के आकार के होते हैं, जो आम तौर पर पैरों की उंगलियों के ऊपर, बराबर में या तलवे पर विकसित होते हैं। लेकिन ये कहीं भी विकसित हो सकते हैं। फुट कॉर्न अक्सर दुबले-पतले लोगों के पैरों में होते हैं, क्योंकि उनकी त्वचा में चर्बी (गद्दापन) की कमी होती है।

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इसके साथ ही जो लोग सही फिटिंग के जूते नहीं पहनते हैं या जिनके पैरों में पसीना आता है या वो लोग जो दिन में ज्यादातर समय खड़े रहते हैं, उन लोगों में यह समस्या काफी आम होती हैं। फुट कॉर्न पुरूषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है।

फुट कॉर्न (गोखरू) के प्रकार - Types of Foot Corn in Hindi

फुट कॉर्न के कितने प्रकार के हो सकते हैं?

फुट कॉर्न के निम्न प्रकार होते हैं -

  • एक कठोर फुट कॉर्न एक छोटे और गोल धब्बे की तरह होता है, यह बेजान त्वचा से बनता है जिसके बीच में एक छोटा और कठोर डॉट (निशान) बना होता है।
  • एक मुलायम कॉर्न की सतह काफी पतली होती है, यह सफेद और रबड़ जैसा दिखाई देता है और आम तौर पर पैरों की उंगलियों के बीच होता है।
  • सीड कोर्न छोटे-छोटे एक जैसे कई कॉर्न्स का समूह होता है। अगर ये पैर के उस हिस्से पर हो जाते हैं जहां शरीर का वजन पूरा पड़ता है तो ऐसी जगहों पर हुए कॉर्न को केवल छूने से भी दर्द अनुभव हो सकता है। ऐसा पसीने की नलिकाएं रुकने के कारण होता है।

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फुट कॉर्न (गोखरू) के लक्षण - Foot Corn Symptoms in Hindi

फुट कॉर्न के लक्षण व संकेत क्या हो सकते हैं?

डॉक्टरों के अनुसार, पैर के अंगूठे पर उभरी हुई गांठ होना और उसके आसपास सूजन तथा लालिमा दिखना, चलते समय कठिनाई होना, गोल धब्बे वाली जगह के स्थान पर त्वचा में दर्द होना, त्वचा पर सूखी मोम जैसी परत का उभरना। यह सभी फुट कॉर्न के लक्षण हो सकते हैं।

फुट कॉर्न एक व्यक्ति को ऐसा महसूस करवा सकता है, जैसे कि वह पत्थरों पर चल रहा हो।

नीचे दिए गए लक्षण व संकेत फुट कॉर्न का संकेत दे सकते हैं -

  • एक कठोर तथा ऊपर की तरफ उठा हुआ बंप (गांठ आदि),
  • प्रभावित त्वचा खुरदरी तथा मोटी होना,
  • त्वचा पर सूखी या मोम जैसी परत बनना,
  • त्वचा के अंदर दर्द या छूने पर दर्द महसूस होना,
  • चलने या अन्य गतिविधियां करते समय दर्द महसूस होना, इत्यादि।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

  • अगर कॉर्न में अधिक सूजन व दर्द होने लगे तो, मरीज को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। (और पढ़ें - पैरों में सूजन के घरेलू उपाय
  • कमजोर परिसंचरण, नाजुक त्वचा या तंत्रिका संबंधी समस्याओं वाले मरीजों और जिनको पैर सुन्न होने जैसी समस्या है, उनको घर पर उपचार करने से पहले डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
  • अगर आपने किसी कॉर्न को काट दिया है और वहां से खून निकल रहा है, तो उसमें संक्रमण हो सकता है।
  • अगर किसी कॉर्न से खून या मवाद आदि निकल रहा है, तो उसमें संक्रमण या छाले आदि हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में मेडिकल देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • अगर आपको डायबिटीज, हृदय संबंधी रोग या संचार संबंधी रोग (एक ऐसा रोग जिसमें रक्त और पोषक तत्वों को पूरे शरीर में पहुंचाने वाले सिस्टम में दिक्क्त आ जाएं)  हैं और आपके पैर में कॉर्न विकसित हो जाते हैं, तो इस स्थिति में संक्रमण होने के उच्च जोखिम होते हैं।

फुट कॉर्न (गोखरू) के कारण - Foot Corn Causes in Hindi

फुट कॉर्न (गोखरू) क्यों होता है?

रगड़ व दबाव पड़ना फुट कॉर्न का कारण बन सकता है। यदि आपके पैर में एक कॉलस (Callus/ एक प्रकार का गांठ) विकसित हो जाता है, जिसमें दबाव का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं है, तो किसी डॉक्टर या पोडायट्रिस्ट (पैरों के विशेषज्ञ) द्वारा इसकी जांच की जानी चाहिए। क्योंकि, यह किसी मस्से आदि के कारण भी हो सकता है या कोई बाहरी पदार्थ जैसे कोई लकड़ी का छोटा टुकड़ा या कांटा आदि घुसने पर भी यह विकसित हो सकता है। पैर अधिकतर समय बंद एवं नम वातावरण में रहता है, जो बैक्टीरियल​ और फंगल संक्रमण के पैदा होने के लिए अनुकूल स्थिति है। बैक्टीरियल संक्रमण तब शुरू हो सकता है, जब बैक्टीरिया त्वचा में किसी कट के माध्यम से कॉर्न में प्रवेश करते हैं, बैक्टीरिया संक्रमण के कारण प्रभावित त्वचा से मवाद (पीप) बहने लगता है।

पैरों की त्वचा में कुछ कॉर्न्स ठीक तरीके से न चलने के कारण भी होता है, लेकिन ज्यादातर फुट कॉर्न का कारण ठीक साइज के जूते ना पहनना ही होता है। ऊंची एड़ियों के जूते पहनना भी ऐसी स्थिति पैदा करने का एक मुख्य कारण माना जाता है, क्योंकि ये एड़ियों के हिस्से आने वाले शरीर का दबाव भी पैर के अगले हिस्से पर छोड़ देते हैं। पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या होने की संभावना 4 गुना ज्यादा होती है।

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लगातार एक जैसे खेल खेलने वाले खिलाड़ियों में भी फुट कार्न की समस्या देखने को मिलती है। पैर के तलवों में लगातार एक ही स्थान पर दवाब पड़ने से फूट कॉर्न होने लगते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है, किसी भी स्थिति या परिस्थिति के परिणाम से हाथों व पैरों की उंगलियों में घर्षण व दबाव बढ़ने के कारण कॉर्न्स विकसित होने लगते हैं। ये किसी भी उम्र के लोगों में विकसित हो सकते हैं, लेकिन विशेष रूप से 65 साल की उम्र के बाद यह काफी आम हो जाते हैं। फुट कॉर्न के कुछ जोखिम कारक भी हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • पैरों तथा उनकी उंगलियों की संरचना में असामान्यता।
  • चलने में असामान्यता।
  • खराब फिटिंग के जूते या मौजें।
  • कुछ विशेष प्रकार के डिजाइन वाले जूते, जो पैर के किसी एक हिस्से में अत्याधिक दबाव डालते हैं, उदाहरण के लिए ऊंची ऐड़ियों वाले जूते।
  • किसी उपकरण, औजार या इंस्ट्रूमेंट्स आदि का इस्तेमाल करना, जिससे पैर की किसी एक जगह दबाव पड़ता हो।
  • बिना जुराबों के जूते या सैंडल आदि पहनना, इससे पैरों में घर्षण बढ़ता है।
  • नियमित रूप से नंगे पैर चलना, ऐसे में पैर खुद को बचाने के लिए त्वचा की मोटाई बढ़ाने लगते हैं।
  • दोहराने जाने वाली गतिविधियां, जैसे एक ही तरीके से चलना या दौड़ना।
  • कुछ प्रकार के व्यवसाय, जैसे खेतों या गार्डन आदि में काम करने वाले लोग।
  • वृद्धावस्था, क्योंकि इस उम्र में त्वचा में फैटी टिश्यू कम हो जाते हैं, जिससे त्वचा में गद्दापन (Padding) कम हो जाता है। जिससे फुट कॉर्न आदि विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।

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फुट कॉर्न (गोखरू) से बचाव के उपाय - Prevention of Foot Corn in Hindi

गोखरू की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

  • फुट कॉर्न की रोकथाम करने के लिए, दोनों पैरों का पेशेवर व्यक्ति से नाप करवाकर उचित साइज के जूतें पहनने चाहिए।
  • सुनिश्चित करें कि दोनों जूतों की चौड़ाई और लंबाई एकदम सही हैं, दोनों पैरों का नाप करना जरूरी होता है, क्योकिं दोनों पैरों के आकार में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। अपने पैर की सबसे लंबी उंगली तथा जूते के अगले सिरे के बीच आधा इंच खाली जगह होनी चाहिए। अगर आप जूते में अपने पैरों की उंगलियों को हिला नहीं सकते तो इसका मतलब जूता तंग है।
  • शाम के समय जूतें खरीदें, उस समय पैर पूरी तरह से आकार ले लेते हैं।
  • ऊंची एड़ियों तथा नुकीले नोक वाले जूतों को पहनने से बचें।
  • जूतों की नियमित रूप से मरम्मत होती रहनी चाहिए या उनको बदलते रहना चाहिए। जूतों के क्षतिग्रस्त तलवे कठोर जगहों पर चलने के दौरान कम सुरक्षा दे पाते हैं।
  • जूतों की घिसी हुई या क्षतिग्रस्त एड़ियां, हड्डियों पर असमतल दबाव दे सकती हैं।
  • उंगलियों के नाखून काट कर रखें, पैरों की उंगलियों के नाखून बड़े होने पर, वे जूतों के सिरे से मिल जाते हैं और उंगलियों पर दबाव बना देते हैं, और समय के साथ-साथ कॉर्न विकसित होने लगता है। इस दबाव को कम करने के लिए अपनी उंगलियों के नाखुनों को छोटे रखें।
  • अपने पैरों को हर शाम को साबुन और पानी के साथ धोएं, स्क्रबिंग ब्रश का इस्तेमाल करें।
  • पैरों को धोने और अच्छी तरह से सुखाने के बाद उन पर मॉइश्चराइजिंग क्रीम लगाएं।
  • नियमित रूप से पैरों के विशेषज्ञों से चेक-अप करवाते रहें।
  • नियमित रूप से पमिस स्टोन (झांवां पत्थर) या फुट फाइल का इस्तेमाल करें और कठोर त्वचा को धीरे-धीरे हटाएं।
  • रोजाना साफ-सुथरी जुराबें पहनें और पसीना रोकने के लिए उनमें टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल करते रहें। 

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फुट कॉर्न (गोखरू) का परीक्षण - Diagnosis of Foot Corn in Hindi

गोखरू का परीक्षण कैसे किया जाता है?

  • इस समस्या के परीक्षण के लिए डॉक्टर मरीज के पैरों की जांच करेंगे और त्वचा में मोटाई बढ़ने के कारणों का पता करेंगें, जैसे कोई मस्सा या सिस्ट आदि।
  • अगर कॉर्न या कॉलस किसी शारीरिक असामान्यता के कारण हो रहा है, तो डॉक्टर एक्स-रे करवाने का सुझाव भी दे सकते हैं।

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फुट कॉर्न (गोखरू) का इलाज - Foot Corn Treatment in Hindi

फुट कॉर्न का उपचार क्या है?

अगर आपके पैर में किसी प्रकार का दर्दनाक कॉर्न या कॉलस विकसित हो गया है तो यह बेहतर होगा कि आप किसी पैर से संबंधित विकार के विशेषज्ञ से सलाह लें, जैसे कि एक पोडायट्रिस्ट (Podiatrist)। आपको कॉर्न को खुद काटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, खासकर अगर आप वृद्धावस्था में हैं या आपको डायबिटिज है।

  • केमिकल उपचार - ऐसे कई प्रकार के केमिकल मेडिकल प्रोडक्ट्स हैं जो अलग-अलग तरीक से बेजान त्वचा, कॉर्न और त्वचा की मोटाई को नष्ट करते हैं। ये सभी केमिकल उपचार त्वचा के उपरी सिरे को बदलकर सफेद बना देते हैं, जिससे नष्ट हुऐ ऊतकों को निकालने में आसानी हो जाती है। अगर आपको डायबीटिज है या आपका सर्कुलेशन खराब है तो इन दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • फुटपैड और उंगलियों की सुरक्षा - एक गद्देदार पैड या जूते का अंदरूनी सोल भी बेहतर परिणाम दिखा सकता है, हालांकि यह कॉर्न की जगह पर निर्भर करता है। पैरों के विशेषज्ञ डॉक्टर आपको आपके लिए उचित पैड, जूते का अंदरूनी सोल या अन्य प्रकार के उपकरणों की जानकारी दे सकते हैं
  • जूते व अन्य पैरों में पहनने की चीजें - जूते में पैरों की उंगलियों के लिये पूरी जगह होनी चाहिए, वे अंदर से नरम होने चाहिएं और एड़ियां ज्यादा ऊंची नहीं होनी चाहिए। ठीक जूते का चुनाव करना, आपकी त्वचा में रगड़ या घिसने से बचा सकता है। कई मामलों में रगड़ व दबाव आदि को रोकने पर कॉर्न और कॉलस गायब हो जाते हैं।  
  • ट्रिमिंग (काट-छांट) - त्वचा की अतिरिक्त मोटाई पेशेवर डॉक्टर द्वारा की स्केलपल ब्लेड (एक विशेष छुरी) द्वारा निकाली जाती है। एक बार त्वचा की छंटाई करने के बाद अगर आप ठीक साइज के जूते पहनते हैं, तो यह दोबारा नहीं बढ़ती।
  • सर्जरी – अगर आपके जूते में या पैर में किसी प्रकार की असामान्यता है, जिसके कारण यह समस्या फिर से हो जाती है, और सभी प्रकार के उपचार विफल हैं, तो ऑपरेशन पर विचार किया जा सकता है। उदारहरण के लिए अगर पैर की एक या कईं उंगलियों में किसी प्रकार की असामान्यता या विकृति है तो उनको ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है, या अगर उंगली की हड्डी किसी तरफ बढ़ी हुई है, जिससे वह समस्या खड़ी कर रही है तो उसे काटा जा सकता है। कभी-कभी कॉर्न या कॉलस संक्रमित भी हो जाते हैं। अगर ऐसा होता है, तो इनके आस-पास की त्वचा लाल हो जाती है या जख्म बन जाते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को एंटीबायोटिक्स दवाओं की जरूरत पड़ सकती है।
  • बर्फ की सिकाई - त्वचा में सूजन होने पर बर्फ की सिकाई करने से भी सूजन ठीक हो जाती है। फुट कॉर्न को ठीक करने के लिए आजकल बाजार में कॉर्न प्लास्टर भी मिलने लगे हैं। यह प्लास्टर रिंग की शेप में होता है। इसे कॉर्न वाली जगह पर लगाया जाता है। यह कॉर्न को आराम देने का कार्य करते हैं। इसकी मदद से कॉर्न धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं। डॉ. लक्ष्मीदत्त शुक्ला के अनुसार, इसके कुछ घरेलू इलाज भी हैं। जैसे - अरंडी के तेल की मालिश, सेंधा नमक, सेब का सिरका, लहसुन, पपीता, नींबूविटामिन-ई युक्त चीजों के सेवन से भी कॉर्न की बीमारी ठीक होती है।

फुट कॉर्न उपचार के लिए स्वयं देखभाल - 

  • अपने हाथ या पैर भिगोना - हाथों या पैरों को गर्म पानी से भिगोने से गर्म पानी कॉर्न को नरम बना देता है। जिस से कठोर त्वचा को हटाने में आसानी हो जाती है।
  • त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना - त्वचा को नरम रखने में मदद करने के लिए अपने हाथों और पैरों पर मॉइस्चराइज़र लगाएं।
  • आरामदायक जूते और जुराबें पहनना - हमेशा अच्छी फीटिंग वाले और गद्देदार जूते पहनें।
  • अपने पैरों को अच्छे से सुखाना और उसके बाद कैस्टर तेल (रेंड़ी का तेल) लगाना - कॉर्न को कैस्टर तेल के साथ अच्छे से मॉइस्चराइजिंग करने के बाद कॉर्न के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक विशेष पैड पहनें। 

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संदर्भ

  1. Cleveland Clinic. [Internet]. Cleveland, Ohio. Corns
  2. American Orthopaedic Foot & Ankle Society. About Foot and Ankle Orthopaedic Surgeons. Rosemont, Illinois. [internet].
  3. American Academy of Dermatology. Rosemont (IL), US; How to treat corns and calluses
  4. Health Navigator. Calluses & corns. New Zealand. [internet].
  5. American Podiatric Medical Association. Corns and Calluses. Bethesda, Maryland. [internet].

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