कोकीन टेस्ट क्या है?

कोकीन एक उत्तेजक ड्रग (दवा) है, जो कि केंद्रीय तांत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड) प्रभावित करके, कुछ समय के लिए उत्साह पैदा करता है। इसे "कोक" (Coke) के नाम से भी जाना जाता है, इससे गंभीर रूप से नशे की लत हो जाती है।

कोकीन को शरीर से निकलने में आधे घंटे का समय लगता है, यदि इसे शराब या अल्कोहॉल के साथ मिला कर लिया जाए तो यह और भी अधिक समय तक शरीर में रहता है। हालांकि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से कोकीन का उपयोग कर रहा है, तो अन्य लोगों की तुलना में इसे शरीर से निकलने में अधिक समय लगता है। ये लक्षण शरीर में ड्रग की पहचान का एक जरिया या तरीका बन चुके हैं।

कोकीन टेस्ट को शरीर के द्रव या बालों में कोकीन के मेटाबोलाइट की पहचान करने के लिए किया जाता है। मेटाबॉलाइट वो पदार्थ है, जो शरीर द्वारा एक रसायन की प्रक्रिया के दौरान बनाया जाता है। जब कोकीन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो शरीर में बेंजोइलेक्गोनाइन (Benzoylecgonine) नामक एक पदार्थ बनता है, जिसकी पहचान सैंपल में की जा सकती है।

कोकीन लेने के दो दिन बाद तक भी लार और खून में इसके मेटाबोलाइट दिखाई दे जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में कोकीन लेता है, तो कोकीन लेने के तीन दिन बाद ही उनके यूरिन में कोकीन के मेटाबोलाइट मिल जाएंगे।

  1. कोकीन टेस्ट क्यों किया जाता है - Cocaine Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. कोकीन टेस्ट से पहले - Cocaine Test Se Pahle
  3. कोकीन टेस्ट के दौरान - Cocaine Test Ke Dauran
  4. कोकीन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Cocaine Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

कोकीन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

निम्न कारणों से कोकीन टेस्ट किया जाता है:

  • कर्मचारियों की जांच के लिए:
    कई कंपनियां नौकरी देने से पहले अब कर्मचारियों में ड्रग की जांच करती हैं, ताकि कंपनी में एक अच्छा माहौल बना रहे।
     
  • कानूनी कारवाही:
    कई बार कानूनी कारवाही में व्यक्ति में नशी की लत का पता लगाने के लिए यह स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में किया जाता है।
     
  • स्पोर्ट्स स्क्रीनिंग:
    खेल प्रतियोगिताओं से पहले खिलाड़ियों का ड्रग स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि खिलाड़ी कोई उत्तेजक ड्रग तो नहीं ले रहा। ये टेस्ट स्पोर्ट्स स्क्रीनिंग का एक भाग भी हो सकता है।
     
  • यदि किसी व्यक्ति को पुलिस ने ड्रग्स ले कर ड्राइविंग करने पर पकड़ा है तो भी ये टेस्ट किया जाता है।
  • कुछ बीमा एजेंसी भी व्यक्ति में नशे की लत की जांच करने के लिए यह टेस्ट करवाने को कह सकती हैं।
  • नशे की लत के लिए दिए जा रहे इलाज की प्रतिक्रिया देखने के लिए, भी यह टेस्ट किया जा सकता है।

कोकीन की लत के लक्षण निम्न हैं:

  • शरीर पर निशान जो बताते हैं, कि व्यक्ति ड्रग्स इंजेक्शन से ले रहा है
  • बेचैनी, ठीक से न खड़े हो पाना या ठीक से न बैठ पाना 
  • कोकीन सूंघने के कारण नाक से खून निकलना या नाक बहना 
  • बढ़ी (फैली) हुई आंख की पुतली
  • बार-बार होठों पर से जीभ फेरना
  • कोकीन स्मोक करने के कारण उंगलियां या होठों का जला हुआ होना 
  • चिड़चिड़ापन होना और बिना किसी विषय के अनुचित बातें बोलते रहना 
  • अत्यधिक आत्मविश्वासी और बहस करने वाले 
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कोकीन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

कोकीन की विषाक्तता की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड, यूरिन, लार, पसीने या बाल में से किसी का भी परीक्षण कर सकते हैं। बताई गई चीज़ों के सैंपल लेने के लिए किसी भी तरह की तैयारी की जरूरत नहीं होती। केवल लार के टेस्ट के लिए व्यक्ति को सैंपल देने से पहले मुंह ठीक प्रकार से धो लेना चाहिए। यदि आप कोई भी दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो टेस्ट से पहले ही इसके बारे में डॉक्टर को बता दें क्योंकि कुछ दवाएं टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं।

कोकीन टेस्ट कैसे किया जाता है?

अलग-अलग लोगों को कोकीन टेस्ट करने के लिए अलग-अलग तरीके बताए जाते हैं। आमतौर पर ज्यादातर यूरिन टेस्ट करने के लिए कहा जाता है। वैसे एक सलाइवा या लार टेस्ट भी कई जगहों पर करने के लिए कहा जाता है। निम्न सूची से प्रत्येक टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में कुछ जानकारी मिलती है:

  • यूरिन टेस्ट:
    यूरिन सैंपल लेने से पहले जननांगों को ठीक प्रकार से साफ किया जाना चाहिए और इसके बाद सैंपल को साफ व कीटाणुरहित शीशी में ले लेना चाहिए। सैंपल में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप न हो इसके लिए कभी-कभी किसी निरीक्षक की जरूरत भी हो सकती है।
     
  • सलाइवा टेस्ट:
    सलाइवा का सैंपल लेने के लिए एक विशेष उपकरण का प्रयोग किया जा सकता है। सैंपल लेने के बाद उसे एक ट्यूब में डाला जाता है। यदि आपके मुंह से पर्याप्त सलाइवा या लार नहीं आ रही है, तो डॉक्टर आपको सैंपल लेने से पहले एक कैंडी दे सकते हैं ताकि पर्याप्त मात्रा में सैंपल मिल जाए। चूंकि, ये टेस्ट बिना चीरा लगाए किया जाता है इसलिए ये कुछ ही मामलों में किया जाता है।
     
  • ब्लड टेस्ट:
    डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लेंगे। सुई लगने की वजह से आपको हल्का सा दर्द हो सकता है। हालांकि, ये जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
     
  • पसीने का टेस्ट:
    पसीने का सैंपल लेने के लिए आपकी त्वचा पर एक विशेष प्रकार का पैच लगाया जाता है।
     
  • बालों का टेस्ट:
    कोकीन की पहचान करने के लिए बालों का सैंपल लिया जा सकता है।
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कोकीन टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
कोकीन टेस्ट के सामान्य परिणामों को आमतौर पर नेगेटिव रिजल्ट कहा जाता है। इसका मतलब है, कि सैंपल में कोकीन के मेटाबोलाइट नहीं है। यह इस बात का संकेत देता है, कि व्यक्ति ड्रग्स नहीं लेता है।

अगर सैंपल में सेडीमेंट दिखाई देते हैं या यूरिन धुंधला दिखता है तो परिणाम गलत तरह से भी नेगेटिव आ सकते हैं। यहां तक कि कुछ लोग सैंपल में कुछ पदार्थ मिलाकर खराब कर देते हैं ताकि सैंपल में कोकीन मेटाबोलाइट की पहचान से बचा जा सके।

असामान्य परिणाम:
कोकीन टेस्ट के परिणामों में असामान्य परिणाम को पॉजिटिव लिखा जाता है। इसका मतलब है कि सैंपल में मेटाबोलाइट मौजूद हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि व्यक्ति ड्रग्स लेता है।

कभी-कभी सर्दी-जुकाम की दवाओं, एंटीबायोटिक और इबुप्रोफेन के प्रयोग से भी परिणाम गलत आ सकते हैं।

संदर्भ

  1. University of Rochester Medical Center [Internet]. Rochester (NY): University of Rochester Medical Center; Cocaine Screen
  2. University of Iowa Hospitals and Clinics. University of Iowa Health Care [internet]. Iowa. U.S. Urine drug testing
  3. National Institute of Drug Abuse. National Institute of Health [internet]. U.K. Signs of Cocaine Use
  4. Wilson DD. McGraw-Hill’s Manual of Laboratory & Diagnostic Tests. McGraw-Hill. 2008. Pp:560.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Cocaine
  6. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Drug Testing
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