दुनियाभर में दहशत फैलाने के बाद नए कोरोना वायरस सीओवीआईडी-19 ने आखिरकार भारत को भी चिंता में डाल दिया है। बीते फरवरी महीने की शुरुआत में तीन लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद देश में इस जानलेवा विषाणु का कोई नया केस सामने नहीं आ रहा था। केंद्र और राज्य सरकारें डॉक्टरों, स्वास्थ्य अधिकारियों और मेडिकल विशेषज्ञों की मदद से कोरोना वायरस को भारत में फैलने से रोकने में कामयाब दिख रही थीं। लेकिन बीता हफ्ता चिंताजनक खबरें लेकर आया। इनमें कोरोना वायरस के एक-दो नहीं, बल्कि 31 मामलों की पुष्टि की गई।

सरकार की तरफ से यह जानकारी साझा किए जाने के बाद लोगों में मेडिकल मास्क और सैनिटाइजर खरीदने की जबर्दस्त होड़ लग गई। महानगरों में मुंह पर नकाब या रुमाल बांधे लोगों की संख्या बढ़ गई है। वायरस से बचने के लिए ये तरीके अपनाना सही है, लेकिन साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि क्या वाकई में भारतीयों को कोरोना वायरस से डरने की जरूरत है। इस बारे में मेडिकल विशेषज्ञों की अलग-अलग राय सामने आई है।

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चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लोगों को कोरोना वायरस से डरने की नहीं, बल्कि सिर्फ सावधानी और सतर्कता बरतने की जरूरत है। इन लोगों का मानना है कि चूंकि भारत का मौसम नए कोरोना वायरस के लिए अनुकूल नहीं है, इसलिए यहां कोरोना वायरस का लंबे वक्त तक रहना संभव नहीं है। वे यह बात इस आधार पर कहते हैं कि इबोला, सार्स, मार्स और पीले बुखार के वायरसों से दुनियाभर में सैकड़ों मौतें हुईं, लेकिन भारत पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसकी एक बड़ी वजह यहां का मौसम ही है।

गर्मी में वायरस खत्म होने का दावा
यह कई अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जानकारों ने भी कहा है कि विषाणुओं को जीवित रहने और तेजी से फैलने के लिए ठंडे और कम नमी वाली जगह की जरूरत होती है। उनकी मानें तो इस तरह का वातावरण जापान और दक्षिण कोरिया में है, इसीलिए वहां सीओवीआईडी-19 के मामलों की संख्या काफी ज्यादा है। इस आधार पर कुछ डॉक्टरों का कहना है कि भारत में इतनी गर्मी और नमी रहती है कि यहां विषाणुओं का जीवित रहना बहुत मुश्किल है। बता दें कि 2002 में चीन में सैकड़ों लोगों को मारने वाला सार्स कोरोना वायरस नवंबर महीने में सामने आया था और 2003 के जुलाई महीने तक रहा था। इस समय चीन में गर्मी का मौसम रहता है। हो सकता है नए कोरोना वायरस के गर्मी में खत्म होने की डॉक्टरों की आशंका इसी तथ्य पर आधारित हो।

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बंटी हुई है जानकारों की राय
लेकिन दूसरी तरफ, ऐसे मेडिकल विशेषज्ञों की भी कमी नहीं है जिन्होंने इस दावे पर सवाल खड़े किए हैं। इन जानकारों का कहना है कि इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं कि गर्मी के सीजन में नया कोरोना वायरस बेअसर या निष्क्रिय हो सकता है। दरअसल ऐसी रिपोर्टें आई हैं जिनमें बताया गया है कि कैसे सीओवीआईडी-19 नए-नए तरीकों से लोगों को संक्रमित कर रहा है। इस विषाणु की इस क्षमता के कारणों का पता अभी लगाया जा रहा है।

साल 2003 में सार्स कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डेविड हेमन एक और कोरोना वायरस 'मार्स' के बारे में दिलचस्प जानकारी देते हैं। वे बताते हैं कि मार्स 2012 के अगस्त महीने में मिडिल ईस्ट में फैला था, जबकि इस समय वहां काफी तेज गर्मी पड़ती है। ब्रिटेन स्थित एक शोध आधारित विश्वविद्यालय के सदस्य डेविड बताते हैं कि 'निश्चित रूप से' ये वायरस तेज गर्मी में भी फैल सकते हैं। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हाल में कहा था कि अभी सीओवीआईडी-19 की स्थिरता के संबंध में डेटा उपलब्ध नहीं है।

बहरहाल, भारत के मामले एक मजबूत तथ्य यह है कि यहां अभी तक कोरोना वायरस का एक भी गंभीर मामला सामने नहीं आया है। वहीं, देश के जिन नागरिकों में कोरोना वायरस पाया गया, वे किसी विशेष दवा के सेवन के बिना ही, केवल सामान्य उपचार और डॉक्टरी निगरानी से पूरी तरह ठीक हुए हैं।

सावधानी है जरूरी
लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि लोग सावधानी बरतने में लापरवाही करें। यह अभी साबित नहीं हुआ है कि ज्यादा गर्मी के चलते सीओवीआईडी-19 भारत के लिए कम घातक होगा या नहीं। कुछ विशेषज्ञों ने सीओवीआईडी-19 के ऐसे तरीकों से भी फैलने का अनुमान लगाया है, जिनका पता लगाना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल हो सकता है। लिहाजा इसके बचाव में कोताही बरतना सही नहीं है। ऐसा करना न केवल व्यक्तिगत स्तर घातक हो सकता है, बल्कि सरकार के स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की मुश्किलें भी बढ़ा सकता है।

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हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और यहां के चिकित्सा क्षेत्र की हालत संतोषजनक नहीं है। इसके अलावा हमारे कई नागरिक उन देशों में रह रहे हैं जहां नए कोरोना वायरस का असर काफी ज्यादा है। अगर वहां हालात और ज्यादा बिगड़े तो सरकार पर अपने नागरिकों को स्वदेश वापस लाने का दबाव बढ़ेगा। ऐसे में अगर यहां राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्वास्थ्य संकट पैदा हुआ तो सभी को उच्चस्तरीय इलाज मुहैया कराना बहुत मुश्किल हो सकता है।

इसलिए बेहतर यही है कि कुछ समय तक लोग सावधानियां बरतें। दिन में कई बार हाथ धोएं - जहां तक संभव हो भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जाएं - अगर जाएं तो मुंह पर मास्क जरूर लगाएं - सर्दी-जुकाम, खांसी से पीड़ित व्यक्ति से कम से कम तीन से पांच फीट की दूरी बना कर रखें - ऐसे लोगों से हाथ मिलाने से फिलहाल परहेज करें - अगर किसी वजह से उस व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो हाथों को धोए बिना मुंह पर हाथ न लगाएं - याद रखें, हाथ को कम से कम 20 सेकंड तक अच्छे से रगड़ कर धोना है। इसके अलावा घर के बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखें। नया कोरोना वायरस बड़ी उम्र के लोगों और हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी और डायबिटीज जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा जानलेवा है।

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