हीमोग्लोबिन को कभी-कभी एचबी (Hb) भी कहा जाता है, यह एक "कॉम्प्लेक्स प्रोटीन" होता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है और इसमें आयरन के अणु पाए जाते है। हीमोग्लोबिन का मुख्य कार्य ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के ऊतकों तक ले जाना होता है। कार्बन डाइऑक्साइड की जगह पर ऊतकों (टिशूस) तक ऑक्सीजन पहुंचाना और कार्बन डाइऑक्साइड को वापस फेफड़ों तक ले जाना भी हीमोग्लोबिन का ही काम होता है, जहां से कार्बन डाइऑक्साइड को वापस शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। हीमोग्लोबिन में उपस्थित आयरन, लाल रक्त कोशिकाओं की सामान्य आकृति बनाए रखने में मदद करते हैं।

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आगे इस लेख में आपको हेलोग्लोबिन के टेस्ट के बारे में बताया जाएगा - इसको कब, क्यों और कैसे किया जाता है, और साथ ही इसका खर्च कितना होता है। आप यह भी जानेंगे कि इस टेस्ट से पहले क्या तयारी करनी होती है और हीमोग्लोबिन टेस्ट के बाद सावधानियां क्या बरतनी होती है। 

  1. हीमोग्लोबिन टेस्ट क्या होता है? - What is Hemoglobin (Hb) Test in Hindi?
  2. हीमोग्लोबिन टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Hemoglobin (Hb) Test in Hindi
  3. हीमोग्लोबिन टेस्ट से पहले - Before Hemoglobin (Hb) Test in Hindi
  4. हीमोग्लोबिन टेस्ट के दौरान - During Hemoglobin (Hb) Test in Hindi
  5. हीमोग्लोबिन टेस्ट के बाद - After Hemoglobin (Hb) Test in Hindi
  6. हीमोग्लोबिन टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Hemoglobin (Hb) Test in Hindi
  7. हीमोग्लोबिन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Hemoglobin (Hb) Test Result and Normal Range in Hindi
  8. हीमोग्लोबिन टेस्ट कब करवाना चाहिए? - When to get tested with Hemoglobin Test in Hindi

हीमोग्लोबिन टेस्ट क्या होता है?

हीमोग्लोबिन टेस्ट की मदद से आपके खून में हीमोग्लोबिन के स्तर को मापा जाता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन होता है जो फेफड़ों से शरीर के सभी भागों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। यदि आपके हीमोग्लोबिन का स्तर असामान्य है, तो यह आपके खून में किसी प्रकार के विकार का संकेत दे सकता है।

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आगे जानिये हीमोग्लोबिन टेस्ट क्यों किया जाता है -

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एचबी टेस्ट क्यों किया जाता है?

हीमोग्लोबिन टेस्ट को अक्सर एनीमिया की जांच करने के लिए किया जाता है। एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके खून में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से काफी कम हो जाती है।

हीमोग्लोबिन टेस्ट का उपयोग निम्न के लिए भी किया जा सकता है:

  • एनीमिया और पोलिसिथिमिया (Polycythemia: लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाना) का पता लगाने और उनकी गंभीरता की जांच करने के लिए 
  • इलाज के प्रति एनीमिया या पोलिसिथिमिया की प्रतिक्रिया पर नजर रखने के लिए
  • यदि एनीमिया गंभीर है तो खून चढ़ाने या अन्य किसी उचित इलाज का चयन करने के लिए

हीमोग्लोबिन टेस्ट की मदद से खून में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन की मात्रा का विश्लेषण किया जाता है। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा शरीर को ऑक्सीजन देने और कार्बन डाइऑक्साइड को फेफड़ों में ले जाने की रक्त क्षमता का संकेत देती है। जब खून में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है तो हीमोग्लोबिन का स्तर भी बढ़ने लगता है। जब शरीर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में कमी कर देता है तो इससे हीमोग्लोबिन के स्तर में भी कमी होने लगती है, जो एनीमिया का संकेत होता है। 

हीमोग्लोबिन टेस्ट को अक्सर अन्य कई प्रकार के परीक्षणों के साथ भी किया जाता है, जैसे​ हेमाटोक्रिट (इस टेस्ट की मदद से आपके खून में लाल रक्त कोशिकाओं के प्रतिशत को मापा जाता है) और ​कम्पलीट ब्लड काउंट (इस टेस्ट की मदद से आपके खून में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या और प्रकार का आंकलन किया जाता है)। 

हीमोग्लोबिन टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

हीमोग्लोबिन टेस्ट से पहले आप सामान्य रूप से रोजाना खाई जाने वाली चीजें खा सकते हैं, लेकिन इन बातों का ध्यान रखें क्योंकि ये सभी कारक हीमोग्लोबिन टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं:

  • यदि हीमोग्लोबिन टेस्ट के साथ यदि कोई अन्य टेस्ट किया जा रहा है जिसमें कुछ खाने-पीने से मना किया गया हो, तो टेस्ट करवाने के लिए खाली पेट ही जाएँ।
  • यदि आप किसी प्रकार की दवाएं ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को पहले ही इस बारे में बता दें क्योंकि कुछ प्रकार की दवाएं हीमोग्लोबिन टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं।
  • यदि आपने हाल ही में रक्तदान किया है या आपको खून चढ़ाया गया है तो टेस्ट से पहले ही डॉक्टर को इस बारे में बता देना चाहिए।
  • यदि आप धूम्रपान करते हैं तो भी डॉक्टर को इस बारे में बता दें।

टेस्ट करवाने जाने के लिए आधी बाजू वाली शर्ट व टी शर्ट पहनने से भी आपके लिए काफी आसानी रहती है। 

(और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के लिए घरेलू उपाय)

हीमोग्लोबिन टेस्ट कैसे किया जाता है?

टेस्ट के दौरान आपकी बाजू की नस में सुई लगाकर खून का सेंपल निकाला जाता है। सबसे पहले डॉक्टर त्वचा में जहां पर सुई लगानी है वहां से एंटिसेप्टिक के साथ साफ करेंगे। उसके बाद त्वचा के ऊपरी हिस्से को पट्टी से बांध देंगे जिससे नसों में खून का बहाव रुक जाता है और नसें फूलने लग जाती है। नसें साफ दिखाई देने के बाद डॉक्टर नस में सुई लगा देते हैं और उसे जुड़ी शीशी या सीरिंज में खून के सेंपल को भर लेते हैं।

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हीमोग्लोबिन टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

सेंपल लेने के बाद डॉक्टर पहले बाजू पर बांधी गई पट्टी को खोल देते हैं और फिर सुई को निकाल लेते हैं। सुई वाले स्थान पर रुई का टुकड़ा या बैंडेज लगा दी जाती है जो खून बहने से रोकती है। खून के सेंपल का विश्लेषण करने के लिए उसे लैब में भेज दिया जाता है।

सेंपल निकालने की प्रक्रिया में आपको थोड़े से समय के लिए हल्की सी तकलीफ महसूस हो सकती है। सुई लगाने के दौरान एक हल्की सी चुभन महसूस होती है।

हीमोग्लोबिन टेस्ट होने के बाद आप वापस अपने दिन की सामान्य गतिविधियों में जा सकते हैं।

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हीमोग्लोबिन टेस्ट से क्या जोखिम हो सकते हैं?

खून का सेंपल निकालने की प्रक्रिया में कोई खास जोखिम नहीं होता है। जहां पर सुई लगाई जाती है वहां पर चुभन महसूस होना और बाद में वहां पर नीला निशान पड़ जाना इसके मुख्य जोखिम होते हैं। हालांकि, ये समस्याएं आमतौर पर जल्दी ही और अपने आप ठीक हो जाती हैं। 

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हीमोग्लोबिन टेस्ट के रिजल्ट और नॉर्मल रेंज

हीमोग्लोबिन के स्तर की नॉर्मल रेंज इस प्रकार है :

  • पुरुषों के लिए 13.5 से 17.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर
  • महिलाओं के लिए 12.1 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर 
  • गर्भवती महिलाओं के लिए 11 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर
  • बच्चों के लिए 11 से 16 ग्राम प्रति डेसीलीटर

बच्चों के लिए हीमोग्लोबिन के स्तर की सामान्य सीमा उनकी उम्र और लिंग के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। 

हीमोग्लोबिन का सामान्य से कम स्तर - 

यदि आपका हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो गया है तो यह एनीमिया का संकेत देता है। एनीमिया के कई रूप होते हैं जो अलग-अलग कारणों से विकसित होते हैं। इनमें निम्न शामिल हैं:

यदि पहले कभी आपको एनीमिया है, और टेस्ट में आपका हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम आया है, जो यह संकेत देता है कि आपको अपने इलाज में कुछ बदलाव करने की जरूरत है। 

हीमोग्लोबिन का सामान्य से अधिक स्तर - 

यदि आपके हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से अधिक है तो इसके निम्न कारण हो सकते हैं:

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हीमोग्लोबिन टेस्ट कब करवाना चाहिए?

हीमोग्लोबिन टेस्ट को ब्लड टेस्ट के रूप में सामान्य स्वास्थ्य की जांच करने के लिए और एनीमिया व उसकी गंभीरता की जांच करने के लिए किया जाता है। 

कुछ सामान्य लक्षण जिनके महसूस होने पर डॉक्टर हीमोग्लोबिन टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं:

कुछ अन्य ऐसी वजह भी हो सकती हैं जिनके कारण डॉक्टर आपको हीमोग्लोबिन टेस्ट करवाने सा सुझाव दे सकते हैं:

  • यदि किसी प्रकार की चोट या ऑपरेशन के दौरान आपकी काफी खून बहा है।
  • यदि आपके माता-पिता या परिवार में ऐसा कोई सदस्य है जो को सिकल सेल एनीमिया जैसा कोई खून संबंधी विकार है।
  • यदि आप गर्भवती हैं
  • यदि आपको किसी प्रकार का संक्रमण है
  • यदि आप भोजन से पर्याप्त मात्रा में आयरन प्राप्त नहीं कर पा रहे
  • यदि आपको किसी प्रकार की मेडिकल समस्या है जो आपके हीमोग्लोबिन स्तर को प्रभावित करती है।

हीमोग्लोबिन टेस्ट से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या डॉक्टर से सलाह लिए बिना भी हीमोग्लोबिन टेस्ट करवा सकते हैं?

Dr. Haleema Yezdani MBBS , सामान्य चिकित्सा

हां, आप डॉक्टर से सलाह लिए बिना भी हीमोग्लोबिन टेस्ट करवा सकते हैं। इसके लिए आपको सी.बी.सी टेस्ट करवाना होगा।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

हीमोग्लोबिन लेवल का 18 से ऊपर आने का क्या मतलब है?

Dr. Braj Bhushan Ojha BAMS , गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक

अगर 2-3 टेस्ट के बाद भी आपके हीमोग्लोबिन का लेवल 18 से ऊपर रहता है तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए, वह आपके कुछ और टेस्ट करवाएंगें।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या हीमोग्लोबिन की कम मात्रा और पीरियड्स के अनियमित होने में कोई संबंध है?

Dr. Manju Shekhawat MBBS , सामान्य चिकित्सा

आमतौर पर महिलाओं में पीरियड्स के दौरान 70 से 80 मि.ली. खून का बहाव हो जाता है, जिस वजह से  महिलाओं में आयरन की कमी के कारण  एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। इस वजह से महिलाओं में पीरियड्स अनियमित भी हो सकते हैं।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या सिगरेट पीने से हीमोग्लोबिन लेवल पर असर पड़ता है?

Dr. Rahul Poddar MBBS, DNB, MBBS, DNB , सामान्य शल्यचिकित्सा

जी हां, सिगरेट पीने से हीमोग्लोबिन का लेवल सामान्य से अधिक बढ़ जाता है।

संदर्भ

  1. Khaled SA, Seifeldei GS. Splenomegaly in Patients With Sideropenic Anemias: Clinical and Hematologic Significance. J Hematol. 2016;5(3): 83-93.
  2. Tortora G and Derrickson B, Principles of anatomy and physiology, 14th Ed Wiley. Chapter 19. The cardiovascular system: the blood pp 662-668.
  3. Drew P. Oxford handbook of clinical and laboratory investigation, 4th Ed 2018. Oxford University Press, Chapter 1 Symptoms and signs pp 10-11.
  4. National Health Portal India. Centre for Health Informatics. National Institute of Health and Family Welfare: Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), Government of India; Iron Deficiency Anemia
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  7. Parker M, Han Z, Abu-Haydar E, Matsiko E, Iyakaremye D, Tuyisenge L, et al. An evaluation of hemoglobin measurement tools and their accuracy and reliability when screening for child anemia in Rwanda: A randomized study. PLoS ONE. 2018;13(1): e0187663. https://doi.org/ 10.1371/journal.pone.0187663
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