आप में से ज्यादातर लोग फिट और वजन कम करने के लिए कार्डियो को बेहद अहम मानते हैं, लेकिन आपके लिए यह भी जानना बेहद जरूरी है कि वेट ट्रेनिंग भी आपको पतला करने और फैट को बर्न करने में मदद करती है। आप वेट ट्रेनिंग या तो डंबल की मदद से कर सकते हैं या मशीन के इस्तेमाल से भी कर सकते हैं। वेट ट्रेनिंग करने से आपकी मांसपेशियों में दर्द हो सकता है इसलिए शुरू करने से पहले वार्म अप एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज जरूर करें।

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आइये आपको इस लेख में वेट ट्रेनिंग के बारे और अधिक जानकारी देते हैं -

  1. वेट ट्रेनिंग क्या है - Weight training kya hai
  2. वेट ट्रेनिंग बेनिफिट्स - Weight training benefits
  3. वेट ट्रेनिंग के नियम - Weight training ke niyam
  4. वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज - Weight training exercise
  5. वेट ट्रेनिंग करने का तरीका - Weight training karne ka tarika
  6. एक्सरसाइज के लिए वेट को चुनने के टिप्स - Exercise ke liye weight ko chunne ke tips

वेट ट्रेनंग में कई प्रकार के व्यायाम होते हैं जो मांसपेशियों के समूह के लिए बने होते हैं, जैसे चेस्ट, कमर, कंधे, बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, कोर और शरीर का निचला हिस्सा।

जब आप अपनी नार्मल शारीरिक गतिविधि से ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं तो आपकी मांसपेशियों के साथ-साथ, हड्डियों और कनेक्टिव टिशू (ऊतक और अंगों को जोड़ने वाले ऊतक) भी मजबूत होने लगते हैं। इससे "लीन मसल टिशु" (lean muscle tissue – ऐसे मांसपेशियां जिनके ऊतकों में फैट न हो ) बनना शुरू हो जाते हैं।

वसा वाली मांसपेशियों के मुकाबले लीन मसल टिशु चयापचय के रूप में अधिक सक्रीय होते हैं। जिसका मतलब है कि अगर आप एक्सरसाइज नहीं कर रहे हैं तब भी पूरे दिन आपकी कैलोरी बर्न होती रहती हैं।

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अक्सर, लोग कार्डियो को करने के लिए वेट छोड़ देते हैं, खासकर महिलायें क्योंकि उन्हें उभरी हुई मांसपेशियों के बनने का डर होता है। अगर आपको स्ट्रेंथ ट्रेनिंग प्रोग्राम को शुरू करने में थोड़ी झिझक महसूस होती है, तो यह जानकर आपको प्रेरणा मिलेगी कि वेट लिफ्टिंग से आपके शरीर को काफी फायदे पहुँचते हैं। 

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वेट ट्रेनिंग करने के निम्नलिखित कुछ फायदे हमने आपको दिए हुए हैं –

  • वेट ट्रेनिंग से आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं, खासकर यह महिलाओं के लिए अहम है।
  • वेट ट्रेनिंग कनेक्टिव टिशू को मजबूत करती है - जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ेगी, उतना ही आपके "टेंडन्स" (Tendons: मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाले लचीले ऊतक) और लिगामेंट्स (दो हड्डियों को जोड़ने वाले लचीले और नरम ऊतक) को सुरक्षित रखने की जरूरत होती है और एक मजबूत शरीर ऐसे में आपकी मदद करता है।
  • वेट ट्रेनिंग से आप मजबूत होते हैं और मांसपेशियों में मजबूती बढ़ती है - इससे रोजाना की गतिविधियों को करने में आसानी होती है।
  • वेट ट्रेनिंग करने से किसी भी तरह की चोट लगने की संभावना कम हो जाती है।
  • इससे आपका आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ता है।
  • वेट ट्रेनिंग करने से समन्वय (coordination) और शरीर का संतुलन सुधरता है।

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वेट ट्रेनिंग शुरू करने से पहले आपके लिए उसके नियम जाने बेहद जरूरी हैं –

  • ओवरलोड -
    लीन मसल टिशू बनाने के लिए सबसे पहले जितना आपकी मांसपेशियों को आदत है, उससे ज्यादा वजन उठाने की कोशिश करें। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि आप जितना ज्यादा वजन उठाएंगे, आपके शरीर को उतना ही वजन उठाने की आदत हो जाएगी। साधारण शब्दों में कहें तो, उतना वजन उठायें, जिससे आप इच्छा अनुसार तय की गयी रिपीटिशन (एक सेट में एक वर्कआउट को कई बार दोहराने की प्रक्रिया) को कर सकें। वेट इतना होना चाहिए, जिससे आपको आखरी रिपीटिशन करने में मुश्किल तो होगी, लेकिन फिर भी आप उसे अच्छे से कर पाएं। (और पढ़ें - चेस्ट बढ़ाने की एक्सरसाइज)
     
  • धीरे-धीरे एक्सरसाइज की इंटेंसिटी को बढ़ाएं -
    आप जितना वेट उठा रहे हैं, उसे धीरे-धीरे बढ़ाएं। ऐसा करने के लिए आप कई तरीक अपना सकते हैं, जैसे
    • पहले से ज्यादा वेट उठाने की कोशिश करें
    • सेट या रिपीटिशन में बदलाव लाएं
    • व्यायाम में बदलाव करें
    • अलग तरह की एक्सरसाइज करें
    आप इस तरह के बदलाव साप्ताहिक या मासिक रूप से कर सकते हैं। (और पढ़ें - फिट रहने के लिए एक्सरसाइज)
     
  • जरूरत के अनुसार वेट ट्रेनिंग करें -
    अगर आप अपनी स्ट्रेंथ को बढ़ाना चाहते हैं, तो उसी से संबंधित वेट ट्रेनिंग करें। वजन कम करने के लिए, आपको सर्किट ट्रेनिंग करनी चाहिए (circuit training)। इससे आपको वजन घटाने में मदद मिलेगी। (और पढ़ें - ताकत बढ़ाने के उपाय)
     
  • रेस्ट और रिकवरी को न भूलें -
    जैसे वर्कआउट के दिन जरूरी हैं, वैसे ही आराम के दिन भी बेहद जरूरी माने जाते हैं। आराम के दिनों में आपकी मांसपेशियां बढ़ और बदल रही होती हैं, तो इस बात को सुनिश्चित कर लें कि आप मांसपेशियों के समूह (चेस्ट, कमर, कंधे, बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, कोर और शरीर का निचला हिस्सा।) से संबंधित वेट ट्रेनिंग को एक हफ्ते में दो दिन से ज्यादा न करें। (और पढ़ें - प्रोटीन पाउडर के फायदे)
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अब बारी है आठ से दस एक्सरसाइज का चयन करने की, जो सारी मांसपेशियों के समूह पर काम करेंगी। हर मांसपेशियों के समूह के लिए निम्नलिखित एक्सरसाइज में से एक जरूर करें। बड़ी मांसपेशियों जैसे चेस्ट, कमर और पैर के लिए आप एक से अधिक एक्सरसाइज कर सकते हैं। इनको करने के लिए कई प्रकार के उपकरण की ज़रुरत होती है, तो आपके पास जो उपकरण है उसके अनुसार अपनी एक्सरसाइज का चयन कर सकते हैं।

  • चेस्ट - चेस्ट प्रेसेस, चेस्ट फ्लाई, पुशअप्स, बेंच प्रेस।
  • कमर - वन आर्म रो, डबल आर्म रो, लेट पुलडाउन, रिवर्स फ्लाई, बैक एक्सटेंशन।
  • कंधे - ओवरहेड प्रेसेस, लेटरल रेसेस (lateral raises), फ्रंट रेसेस, अपराइट रो।
  • बाइसेप्स - डंबल बाइसेप्स कर्ल्स, हैमर कर्ल्स, कंसन्ट्रेशन कर्ल्स, रेसिस्टेंस बैंड कर्ल्स।
  • ट्राइसेप्स - लायिंग ट्राइसेप्स एक्स्टेंशन, सीटेड एक्सटेंशन, ट्राइसेप्स डिप्स, किकबैक।
  • शरीर का निचला हिस्सा - स्क्वाट्स, लंजेस, डेडलिफ्ट्स, काफ रेसेस, लेग प्रेसेस, स्टेप अप्स।
  • पेट का निचला क्षेत्र - बॉल क्रंचेस, वूडचोप्स, प्लैंक्स, नी ट्रक ऑन द बॉल।

अगर आप शरीर के किसी ख़ास क्षेत्र पर ध्यान देना चाहते हैं, जैसे एब्स बनाने हैं या कूल्हों के आसपास की चर्बी को कम करना है, तो जरूरी है कि आप सभी मांसपेशियों के समूह पर ध्यान दें। केवल उसी क्षेत्र के लिए एक्सरसाइज करने से किसी भी तरह का फायदा नहीं पहुँचता। जैसे एब्स के लिए क्रंचेस या जांघों के लिए लेग लिफ्ट करने से आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाएंगे।

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ज्यादातर विशेषज्ञ कहते हैं कि वेट ट्रेनिंग पहले बड़ी मांसपेशियों से करें फिर धीरे-धीरे छोटी मांसपेशियों पर आएं। लेकिन आप एक जगह सीमित महसूस न करें। आप कोई भी एक्सरसाइज किसी भी क्रम में कर सकते हैं और इस तरह क्रम में बदलाव लाने से आप खुद को चुनौती भी दे पाएंगे।

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वेट ट्रेनिंग करने का तरीका इस प्रकार है -

1. अपने रिपीटिशन और सेट्स का चयन करें –

"द अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ स्पोर्ट्स मेडिसिन" की सलाह है कि स्ट्रेंथ के लिए आपको 4 से 6 रिपीटिशन करना चाहिए, मांसपेशियों की मजबूती के लिए 8 से 12 रिपीटिशन और मांसपेशियों का स्टैमिना बढ़ाने के लिए 10 से 15 रिपीटिशन करना चाहिए। आमतौर पर आपको निम्नलिखित तरीके से सेट और रिपीटिशन करनी चाहिए -

  • फैट लॉस के लिए - एक से तीन सेट में 10 से 12 रिपीटिशन करें। उतना वजन उठायें, जिससे आप इच्छा अनुसार तय की गयी रिपीटिशन को कर पायें।
  • मांसपेशियों को बढ़ाने के लिए - तीन या उससे ज्यादा सेट में 6 से 8 रिपीटिशन करें। जो लोग वेट ट्रेनिंग के लिए नए हैं, इस स्तर तक पहुंचने के लिए पहले खुद को कुछ हफ्ते तक तैयार करें।
  • स्वस्थ और मजबूत होने के लिए - एक से तीन सेट में 12 से 16 रिपीटिशन करें। इसमें उतना वजन उठायें, जिससे आप इच्छा अनुसार तय की गयी रिपीटिशन को कर सकें।

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2. एक्सरसाइज के बीच आराम –

ट्रेनिंग का दूसरा हिस्सा एक्सरसाइज करना नहीं है, एक्सरसाइज के बीच आराम करना है। यह अनुभव से आता है, लेकिन आमतौर पर जितना अधिक रिपीटिशन होगी उतना कम आराम होगा। अगर आप 15 रिपीटिशन कर रहे हैं तो एक्सरसाइज के बीच में 30 से 60 सेकेंड तक आराम कर सकते हैं। अगर आप 4 से 6 रिपीटिशन में भारी वजन उठा रहे हैं तो दो या उससे अधिक मिनट तक आराम कर सकते हैं।

3. वर्कआउट के बीच आराम करना -

"द अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ स्पोर्ट्स मेडिसिन" की सलाह है कि हफ्ते में दो से तीन बार प्रत्येक मांसपेशियों के समूह की एक्सरसाइज करें। लेकिन, प्रत्येक हफ्ते आप कितनी बार वेट उठाएंगे, वो आपके ट्रेनिंग की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। मांसपेशियों की मरम्मत और विकास के लिए, आपको वर्कआउट सत्र के बीच 48 घंटे का आराम लेना चाहिए। अगर आप तेज गति के वर्कआउट कर रहे हैं तो आपको और अधिक आराम की जरूरत होती है।

4. ट्रेनिंग के लिए सही वेट चुनें -

वेट को उठाने का चयन अक्सर रिपीटिशन और सेट्स पर निर्भर करता है। आम नियम तो यह है कि आप हमेशा इतना ही वजन उठायें, जिससे इच्छा अनुसार तय की गयी रिपीटिशन पूरी हो सके। वेट इतना होना चाहिए, जिससे आप आखरी रिपीटिशन अच्छे से कर पाएं। हालाकिं अगर आप वेट ट्रेनिंग के लिए नए हैं या कोई चिकित्स्य व स्वास्थ्य समस्या है तो आप ट्रेनिंग करते समय पूरी तरह से खुद को न थकाएं। इसके अलावा ऐसे वजन का चयन करें, जिसे आखरी रिपीटिशन में भी आप संभाल सकें।

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एक्सरसाइज के लिए वेट को चुनने के टिप्स इस प्रकार हैं -

  1. जितनी बड़ी मांसपेशियां, उतना अधिक वेट -
    जाँघों, कूल्हों, चेस्ट और कमर की मांसपेशियां आमतौर पर छोटी मांसपेशियों के मुकाबले (जैसे कंधे, हाथ, एब्स और पैर) अधिक वजन को सहन कर सकते हैं। उदहारण के तौर पर, आप स्क्वाट के लिए लगभग 7 से 10 किलो और चेस्ट प्रेस के लिए 5 से 7 किलो का उपयोग कर सकते हैं।
     
  2. आप आमतौर पर मशीन पर डंबल की तुलना में अधिक वजन उठा सकते हैं -
    मशीन के साथ एक्सरसाइज करने के लिए आप दोनों हाथ और दोनों पैर का इस्तेमाल करते हैं जबकि डंबल्स के साथ प्रत्येक हाथ और पैर अलग-अलग कार्य करते हैं। तो, अगर आप 15 से 20 किलो वजन चेस्ट प्रेस मशीन पर सहन कर सकते हैं, तो आप केवल प्रति डंबल 7 या 10 किलो ही सम्भाल पाएंगे।
     
  3. सही तकनीक पर ध्यान दें -
    अगर आप वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज के लिए नए हैं तो जरूरी है कि आप वेट लिफ्ट पर ध्यान देने की बजाए सभी वर्कआउट को अच्छी तरह से करने पर ध्यान दें।
     
  4. धैर्य रखें -
    आपके लिए सही वेट क्या है, यह जानने के लिए आपको कई वर्कआउट की जरूरत पड़ सकती है।

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नोट - वेट ट्रेनिंग या वेट लिफिटिंग किसी प्रशिक्षित कोच या ट्रेनर की निगरानी में ही करें।

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