जब महिलाएं गर्भवती होती हैं तो उनके एनीमिया से ग्रस्त होने की सम्भावना बढ़ जाती है। जब गर्भावस्था में एनीमिया होता है, तब रक्त में, ऊतकों और भ्रूण को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells) में कमी आ जाती है।

गर्भावस्था के दौरान, शरीर स्वयं बच्चे के विकास के लिए अतिरिक्त रक्त बनाता है। लेकिन यदि उसे पर्याप्त मात्रा में आयरन और अन्य पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, तो शरीर इस अतिरिक्त रक्त को बनाने के लिए आवश्यक लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर पाता।

गर्भावस्था में हल्का एनीमिया होना सामान्य है। लेकिन कम आयरन और विटामिन के सेवन से या अन्य कारणों से यह अधिक गंभीर रूप ले सकता है।

एनीमिया के कारण थकान और कमज़ोरी महसूस होती है। यदि यह गंभीर है और इसका इलाज नहीं होता तो इसके कारण समय से पूर्व बच्चे के जन्म जैसी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

तो आइये जानते हैं गर्भावस्था में होने वाली खून की कमी के लक्षण, कारण, उपचार और इससे बचाव के उपाय। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याएं और उनका समाधान)

  1. प्रेगनेंसी में एनीमिया के प्रकार - Types of anemia during pregnancy in Hindi
  2. प्रेगनेंसी में हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए - What should be the haemoglobin count during pregnancy in Hindi
  3. गर्भावस्था में खून की कमी के लक्षण - Anemia during pregnancy symptoms in Hindi
  4. प्रेगनेंसी में एनीमिया होने के कारण और के जोखिम कारक - Anemia during pregnancy causes & risk factors in Hindi
  5. प्रेगनेंसी में एनीमिया के जोखिम कारक - Anemia in pregnancy risk factors in Hindi
  6. गर्भावस्था में एनीमिया की जांच - Test for anemia in pregnancy in Hindi
  7. प्रेगनेंसी में एनीमिया का इलाज - Anemia treatment in pregnancy in Hindi
  8. गर्भावस्था में एनीमिया की वजह से होने वाली जटिलताएं - Complications due to anemia during pregnancy in Hindi
  9. प्रेगनेंसी में एनीमिया से बचाव - Prevention of anemia during pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के दौरान कई प्रकार के एनीमिया विकसित हो सकते हैं। जैसे:

  1. आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया।
  2. फोलेट की कमी से होने वाला एनीमिया।
  3. विटामिन बी 12 की कमी से होने वाला एनीमिया।

इनका वर्णन इस प्रकार है :

आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (Iron deficiency anemia): इस प्रकार का एनीमिया तब होता है जब शरीर में आवश्यक मात्रा में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) बनाने के लिए पर्याप्त आयरन नहीं होता है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन होता है। लाल रक्त कोशिकाएं फेफड़ों से शरीर के अन्य भागों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं।

आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया में, रक्त पूरे शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता है। गर्भावस्था में एनीमिया का सबसे प्रमुख कारण आयरन की कमी होना है। (और पढ़ें - आयरन के स्रोत, फायदे और नुकसान)

फोलेट की कमी से होने वाला एनीमिया (Folate deficiency anemia): फोलेट स्वाभाविक रूप से कुछ खाद्य पदार्थों जैसे हरी पत्तेदार सब्जियों आदि में पाया जाता है। यह विटामिन बी का ही एक प्रकार है। शरीर को लाल रक्त कोशिकाओं समेत नयी कोशिकाओं के उत्पादन के लिए फोलेट की आवश्यकता होती है। (और पढ़ें - विटामिन बी के स्रोत, फायदे और नुकसान)

गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं को अतिरिक्त फोलेट की आवश्यकता होती है। लेकिन कभी-कभी उन्हें आहार से पर्याप्त फोलेट नहीं मिल पाता है। जब ऐसा होता है, तब शरीर ऑक्सीजन को पूरे शरीर के ऊतकों में पहुंचाने के लिए पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर पाता है। फोलेट की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा बनाये गए उत्पादों को फोलिक एसिड कहा जाता है।

फोलेट की कमी से जन्म के समय कुछ असामान्यताएं हो सकती हैं, जैसे तंत्रिका ट्यूब असामान्यता या स्पाइना बिफिडा (Spina bifida) - इसे दरार युक्त रीढ़ भी कहते हैं और जन्म के समय बच्चे का वज़न कम होना।

विटामिन बी 12 की कमी से होने वाला एनीमिया (Vitamin B12 deficiency anemia): शरीर को स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए विटामिन बी 12 की आवश्यकता होती है अगर गर्भवती महिला को पर्याप्त विटामिन बी 12 आहार से नहीं मिल पाता है, तो उसका शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर सकता। जो महिलाएं मांस, मुर्गा, डेयरी उत्पाद और अंडे नहीं खातीं, उनमें विटामिन बी 12 की कमी होने का अधिक खतरा होता है। जिस कारण तंत्रिका ट्यूब में असामान्यताएं (Neural tube abnormalities) और समय से पूर्व प्रसव हो सकता है। (और पढ़ें - चिकन के फायदे और नुकसान)

प्रसव के दौरान और बाद में रक्त की क्षति के कारण भी एनीमिया हो सकता है। (और पढ़ें - विटामिन के फायदे)

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हवा में मौजूद ऑक्सीजन हम सांस के रूप में ग्रहण करते हैं। यह ऑक्सीजन शरीर की कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन द्वारा पहुंचाई जाता है। हीमोग्लोबिन की सामान्य मात्रा उम्र, किशोरावस्था की शुरुआत और व्यक्ति के लिंग पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए -

  • नवजात शिशु में: 17 से 22 ग्राम / डेसीलीटर
  • 1 सप्ताह के शिशुओं में: 15 से 20 ग्राम / डेसीलीटर
  • शिशु के 1 माह की उम्र में: 11 से 15 ग्राम / डेसीलीटर
  • बच्चे में: 11 से 13 ग्राम / डेसीलीटर
  • वयस्क पुरुषों में: 14 से 18 ग्रा / डेसीलीटर
  • वयस्क महिलाओं में: 12 से 16 ग्राम / डेसीलीटर
  • मध्यम आयु के बाद पुरुषों में: 12.4 से 14.9 ग्राम / डेसीलीटर
  • मध्यम आयु के बाद महिलाओं में: 11.7 से 13.8 ग्राम / डेसीलीटर

गर्भावस्था में स्वाभाविक रूप से हीमोग्लोबिन 10.5 ग्राम / डेसीलीटर तक कम हो सकता है। गर्भावस्था के समय यह एनीमिक स्थिति सामान्य है।

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. त्वचा, होंठ और नाखूनों में पीलापन।
  2. थकान और कमज़ोरी महसूस करना।
  3. चक्कर आना।
  4. सांस लेने में परेशानी।
  5. धड़कन का तेज़ होना।

एनीमिया के प्रारंभिक दौर में, लक्षण स्पष्ट नहीं हो पाते हैं और कई लक्षण ऐसे होते हैं जो एनीमिया के बजाय गर्भावस्था के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए बच्चे के जन्म के पूर्व होने वाले टेस्ट में एनीमिया की जांच के लिए नियमित रूप से रक्त परीक्षण ज़रूर करायें।

प्रेगनेंसी में एनीमिया क्यों होता है? 

गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन के स्तर में गिरावट के कारण खून की कमी होती है। निम्न तरीकों से लाल रक्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और एनीमिया का कारण बनती हैं -

  1. भोजन में आयरन की पर्याप्त मात्रा न होना।
  2. स्वयं गर्भवस्था इसका बहुत बड़ा कारण है क्योंकि आयरन का उत्पादन महिला के शरीर में रक्त की मात्रा में वृद्धि करने के लिए आवश्यक है। आयरन के पूरक के बिना केवल भोजन से, भ्रूण में रक्त की आपूर्ति करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

 

प्रेगनेंसी में एनीमिया होने के जोखिम कारक क्या है?

सभी गर्भवती महिलाओं के एनीमिया से ग्रस्त होने का खतरा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें सामान्य से अधिक आयरन और फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। लेकिन इसके होने का जोखिम अधिक होता है यदि कोई महिला:

  1. एक से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली हो।
  2. जल्दी जल्दी दो बार गर्भधारण किया हो।
  3. मॉर्निंग सिकनेस के कारण अत्यधिक उल्टी होती हों।
  4. किशोरावस्था में गर्भवती हो।
  5. आयरन से समृद्ध खाद्य पदार्थों को कम खाती हो।
  6. गर्भवती होने से पहले एनीमिया से ग्रस्त हो।
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सभी गर्भवती महिलाओं के एनीमिया से ग्रस्त होने का खतरा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें सामान्य से अधिक आयरन और फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। लेकिन इसके होने का जोखिम अधिक होता है यदि कोई महिला:

  1. एक से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली हो।
  2. जल्दी जल्दी दो बार गर्भधारण किया हो।
  3. मॉर्निंग सिकनेस के कारण अत्यधिक उल्टी होती हों।
  4. किशोरावस्था में गर्भवती हो।
  5. आयरन से समृद्ध खाद्य पदार्थों को कम खाती हो।
  6. गर्भवती होने से पहले एनीमिया से ग्रस्त हो।

प्रेगनेंसी के दौरान जन्म के पूर्व पहली बार जांच में (Prenatal test) रक्त परीक्षण ज़रूर किया जाता है। ताकि डॉक्टर जांच कर सकें कि महिला को एनीमिया है या नहीं। आमतौर पर रक्त परीक्षण में निम्न जांचें की जाती हैं:

  1. हीमोग्लोबिन परीक्षण (Hemoglobin test): इसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा मापी जाती है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला आयरन से समृद्ध प्रोटीन होता है जो शरीर में फेफड़ों से ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है।
  2. हीमैटोक्रिट टेस्ट (Hematocrit test): इसमें रक्त के नमूने में लाल रक्त कोशिकाओं का प्रतिशत मापा जाता है। यदि महिला का हीमोग्लोबिन या हीमैटोक्रिट का स्तर सामान्य से कम है, तो उसे आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया हो सकता है। डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए कि महिला को आयरन की ही कमी है, अन्य रक्त परीक्षणों की जांच कर सकते हैं।

यहां तक कि अगर गर्भावस्था की शुरुआत में किसी महिला को एनीमिया नहीं निकलता है तो डॉक्टर दूसरे या तीसरे तिमाही में एनीमिया की जांच करने के लिए और रक्त परीक्षण करते हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी टेस्ट)

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर अन्य विटामिन के साथ आयरन या फोलिक एसिड पूरक आवश्यकतानुसार लेने चाहिए। डॉक्टर भोजन में आयरन और फोलिक एसिड से युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करने को भी कह सकते हैं। (और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपाय)

इसके अलावा एक विशिष्ट अवधि के बाद डॉक्टर एक और रक्त परीक्षण कराने के लिए कहेंगे ताकि वो यह जांच सकें कि हीमोग्लोबिन और हीमैटोक्रिट के स्तर में कितना सुधार हुआ है।

विटामिन बी 12 की कमी से होने वाले एनीमिया के इलाज के लिए, डॉक्टर विटामिन बी 12 पूरक लेने की सलाह देते हैं।

डॉक्टर आहार में पशुओं से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थ शामिल करने का सुझाव भी दे सकते हैं, जैसे:

  1. मांस
  2. अंडे
  3. दुग्ध उत्पाद

डॉक्टर, हिमैटोलॉजिस्ट (Hematologist) से इलाज करने को भी कह सकते हैं। ये भी डॉक्टर ही होते हैं लेकिन ये एनीमिया विशेषज्ञ होते हैं। 

(और पढ़ें - अंडे के फायदे)

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गर्भावस्था के दौरान गंभीर और आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया का यदि समय पर इलाज नहीं कराया गया तो इसके निम्न जोखिम हो सकते हैं -

  1. समय से पूर्व या कम वज़न वाले बच्चे का जन्म
  2. खून चढ़ाना (यदि प्रसव के दौरान अत्यधिक मात्रा में रक्त निकल जाता है)
  3. प्रसव के बाद डिप्रेशन (Postpartum depression)
  4. बच्चे को एनीमिया होना
  5. बच्चे में देर से विकास होना।

फोलेट की कमी से होने वाले एनीमिया का भी यदि उपचार न हो तो निम्न जोखिम होने का खतरा बढ़ सकता है -

  1. समय से पूर्व या कम वज़न वाले बच्चे का जन्म
  2. बच्चे में रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क सम्बन्धी गंभीर रोग हो सकते हैं।

अनुपचारित विटामिन बी 12 की कमी से बच्चे की तंत्रिका ट्यूब में असामान्यता उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन करें। संतुलित भोजन खाएं और आहार में आयरन से समृद्ध खाद्य पदार्थ अधिक शामिल करें।

प्रतिदिन कम से कम तीन बार भोजन करें और आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाएं, जैसे:

  1. बिना चर्बी का मांस, मुर्गा और मछली। (और पढ़ें - मछली खाने के लाभ और नुकसान)
  2. पत्तेदार हरी सब्जियां (जैसे पालक, ब्रोकली)। (और पढ़ें - ब्रोकली के फायदे और नुकसान)
  3. आयरन समृद्ध अनाज। 
  4. फलियां, मसूर की दाल और टोफू।
  5. नट्स और बीज
  6. अंडे

विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, शरीर में आयरन को अवशोषित करने में सहायता कर सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  1. खट्टे फल और जूस
  2. स्ट्रॉबेरी (और पढ़ें - स्ट्रॉबेरी के फायदे)
  3. कीवी (और पढ़ें - किवी के फायदे और नुकसान)
  4. टमाटर
  5. बेल पेपर (Bell peppers)

इसके अलावा, फोलेट की कमी से होने वाले एनीमिया से बचाव के लिए फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ अपने भोजन में शामिल करें। जैसे:

  1. हरी पत्तेदार सब्जियां
  2. खट्टे फल और रस
  3. सूखी फलियां
  4. फोलिक एसिड से संपन्न अनाज और रोटियां।

गर्भावस्था के दौरान विटामिन और फोलिक एसिड लेने के लिए डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। शाकाहारी महिलाओं को प्रेगनेंसी और स्तनपान कराने के दौरान विटामिन बी 12 पूरक के सेवन की आवश्यकता पर डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

(स्वस्थ गर्भावस्था के बाद अपने बच्चों का कूल नाम रखने के लिए पढ़ें - बच्चों के कूल नाम)

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