समोआ में इन दिनों खसरे का बड़ा प्रकोप है। हालात इस कदर खराब हैं कि समोआ में इस बीमारी (खसरे) ने अक्टूबर के मध्य से लेकर अब तक महामारी का रूप ले लिया है। पूरे देश में रूबेला वायरस ने अबतक 5,552 लोगों को अपना शिकार बनाया है, जिनमें से 79 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

समोआ सरकार ने ट्वीट कर इस बाबत जानकारी देते हुए आंकड़ों को साझा किया। सरकार के ट्वीट के मुताबिक पिछले 24 घंटे (23 दिसंबर 2019 तक) के अंदर इस घातक बीमारी से जुड़े  32 नए मामले सामने आए हैं। इसके बाद खसरे से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़कर साढ़े 5 हजार के पार हो गई। हालांकि, पिछले 24 घंटे के दौरान खसरे यानी रूबेला वायरस के कारण किसी की मौत नहीं हुई है।

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क्या है खसरा?
खसरा (रूबेला या मीजल्स) एक बेहद ही गंभीर संक्रामक रोग है, जो संक्रमित बलगम और लार के संपर्क में आने की वजह से फैलता है। अगर खसरे से पीड़ित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो वायरस हवा में फैल जाता है। हालांकि, यह बचपन में होने वाला एक संक्रामक रोग है।

गौरतलब है कि खसरा, जो कि पहले बहुत आम बीमारी थी, लेकिन अब खसरे के वायरस को वैक्सीन (टीकाकरण) से रोका जा सकता है।

82 नए मरीज अस्पताल में भर्ती
समोआ की हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हाल ही में खसरे से ग्रसित 82 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिसमें गंभीर बीमार 8 बच्चों और 2 वयस्कों को आईसीयू में भर्ती कराया गया। इसके अलाावा 3 गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं, 22 दिसंबर तक 94 मरीजों को खसरे का टीका लगाया चुका है।

रूबेला का वायरस फैलने के बाद से अस्पतालों में भर्ती किए गए खसरे के मामलों की कुल संख्या 1795 है। इसमें से 1634 या 91 प्रतिशत रोगियों को छुट्टी दे दी गई है।

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क्या हैं खसरे के कारण और लक्षण?
रूबेला वायरस के संपर्क में आने के 10 से 14 दिनों के बाद खसरे की बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, जो कि इस प्रकार से हो सकते हैं -

इन लक्षणों के साथ खसरे की बीमारी को पहचाना जा सकता है। वहीं खसरा होने के कई कारण हो सकते हैं।

  • खसरा, रूबेला वायरस की वजह से होता है, जो संक्रमित बच्चे या वयस्क के नाक और गले को प्रभावित करता है।
  • जब कोई खसरे से पीड़ित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो संक्रमित बूंदें हवा में फैल जाती हैं और दूसरे व्यक्ति में सांस लेने के दौरान ट्रांसफर हो जाती हैं।
  • इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति संक्रमित सतह को छूने के बाद अपनी उंगलियों को मुंह और नाक में डालता है  या अपनी आंखों को रगड़ता तो इस स्थिति में वायरस फैलने की आशंका होती है।

खसरे से कैसे करें बचाव?
खसरे का वायरस कई घंटों के लिए सतह पर रह सकता है। चूंकि संक्रमित कण हवा में फैल जाते हैं और सतहों पर होते हैं, इसलिए बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। खसरे से ग्रसित होने के बाद आमतौर पर संक्रमण लगभग 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाता है। 

क्या है खसरे का इलाज?
इस बीमारी का इलाज भी संभव है। जिन लोगों को और छोटे बच्चों को खसरे का टीका नहीं लगा है, उन्हें इस बीमारी के 72 घंटे के भीतर ही टीका लगवा देना चाहिए, ताकि वो बीमारी से अपना बचाव कर सुरक्षित रह सकें। अगर टीके के बाद भी खसरा बढ़ता है तो वो आमतौर पर सामान्य और कम समय के लिए होगा।

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कुल मिलाकर खसरा एक गंभीर बीमारी है। जिसका ताजा उदाहरण समोआ देश है, जहां इस बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है। इसके चलते कई लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अब भी कई मरीज अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। इसलिए जितना मुमकिन हो, बीमारी के लक्षण महसूस होने पर तुरंत इसका बचाव और इलाज शुरू कर देना चाहिए।

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