"मेडिसिनल लीच थेरेपी" (MLT) या हीरुडोथेरपी (hirudotherapy) खून चूसने वाली जोंक की मदद से किया जाने वाला उपचार है। इसलिए इसे हिंदी में जोंक चिकित्सा कहा जाता है।

जोंक थेरेपी में एक या अधिक जोंक को आपके शरीर के परेशानी वाले भाग पर रखा जाता है और जब ये जोंक आपका खून पीती है तो एक प्रकार की लार छोड़ती है। यह लार आपकी परेशानी को ठीक करने का काम करती है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि जोंक चिकित्सा क्या है, यह कैसे की जाती है और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं। यह भी बताया गया है कि जोंक थेरेपी किस प्रकार कार्य करती है।

  1. जोंक से इलाज क्या है - Leech therapy kya hai in hindi
  2. जोंक चिकित्सा कैसे करें - Leech therapy kaise kare in hindi
  3. जोंक चिकित्सा के फायदे - Leech therapy ke benefits in hindi
  4. जोंक चिकित्सा के नुकसान - Leech therapy ke side effects in hindi

प्राचीन मिस्र (इजीप्ट) के समय से जोंक या लीच का उपयोग तंत्रिका तंत्र की परेशानी, दाँतों की परेशानी, त्वचा रोग और संक्रमण के उपचार में किया जाता रहा है।

आज के समय जोंक का उपयोग मुख्य रूप से प्लास्टिक सर्जरी और दूसरी माइक्रो सर्जरी में किया जाता है, क्योंकि जोंक खून के थक्के जमने से रोकने वाले पेप्टाइड्स (peptides) और प्रोटीन का स्राव करती है।

जोंक चिकित्सा के एक आसान और कम खर्चीला उपचार होने के चलते अब इस विधि से उपचार में वृद्धि देखी जा रही है।

मेडिसिनल लीच के छोटे-छोटे दाँतों वाले तीन जबड़े होते हैं। वे हमारी त्वचा को काटते हैं और उसमें अपनी लार के साथ एंटीकोग्युलैंट्स (खून को पतला करने वाले) डाल देते हैं। उसके बाद इन जोंक को 20 से 45 मिनट तक इलाज करवा रहे व्यक्ति का खून चूसने दिया जाता है।

लीच थेरपी या जोंक चिकित्सा का उपयोग कई परेशानियों में किया जा सकता है। ऐसे लोग जिनको इस थेरेपी से लाभ हो सकता है, वे निम्नलिखित हैं -

  • जिन लोगों को डायबिटीज की वजह से अंगो के कटने (amputation) का जोखिम हो। 
  • जिन लोगों का दिल का इलाज किया गया हो। 
  • और जो लोग कॉस्मेटिक सर्जरी करवा रहे हों, जिसमें उन्हें कुछ मुलायम उत्तकों के नष्ट होने का जोखिम हो।
  • यह थेरेपी खून के थक्के जमने और वेरिकोस वेंस की समस्या में भी उपयोग की जा सकती है।

जिन लोगों को एनीमिया, खून का थक्का जमने और दिल की धमनियों की समस्या हों उन्हें जोंक चिकित्सा नहीं करवानी चाहिए। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को भी यह उपचार नहीं करवाना चाहिए।

(और पढ़े - धमनियों को साफ करने का इलाज)

जोंक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली जोंक विशेष रूप से उपचार करके चुनी गयी होती हैं। साफ-सुथरी जोंक को उपचार में उपयोग किया जा सकता है।

उपचार के लिए अनुशंषित जोंक आकार में छोटी होती हैं और खून चूसने के बाद उनका अाकार बढ़ जाता है। यह आकार कई बार 12 सेमी से भी ज्यादा हो सकता है। लीच थेरेपी का तरीका निम्नलिखित है - 

  • जोंक आपके शरीर के एक निश्चित हिस्से पर छोड़ी जाती हैं। जोंक चिकित्सा के विशेषज्ञ यह निर्धारित करते हैं कि जोंक को कहाँ छोड़ा जाएँ। 
  • ये जोंक आपकी त्वचा को काट कर आपका खून चूसना शुरू कर देती हैं। खून चूसते हुए इसके एंजाइम और तत्व प्रभावशाली ढंग से काम करते हैं। 
  • जब जोंक खून चूसने का अपना काम पूरा कर लेती हैं तो उन्हें तम्बाकू की सहायता आपके शरीर से हटा दिया जाता हैं।

अधिकांश लोग जो जोंक चिकित्सा करवाते हैं, उन्हें इससे लाभ होता हैं, विशेष रूप से कुछ प्रकार की बिमारियों के उपचार में। इनके  बताया जा रहा है।

(और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपाय)

जोंक चिकित्सा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं -

  • डायबिटीज का इलाज -
    जोंक चिकित्सा मृत उत्तकों को हटाने में उपयोगी है। ये मृत उत्तक मुख्यतः डायबिटीज के रोगी में पाए जाते हैं और उनके डॉक्टर इन्हें हटाने की सलाह देते हैं। जोंक चिकित्सा को जो उत्तक सही से काम नहीं कर रहे उनमें रक्त संचरण में सुधार के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। इससे रक्त संचरण सही होगा और शरीर का वह भाग सही होने लगेगा। (और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए और डायबिटीज डाइट चार्ट)

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  • धमनियों और हृदय रोग का इलाज -
    रक्त संचरण सही होने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य बिमारियों में सुधार होता है। जब जोंक थेरेपी की जाती है तो जोंक पेप्टाइड नामक तत्व का स्राव करती है। यह तत्व थ्रोम्बोसिस (thrombosis) यानी रक्त संचरण तंत्र में खून के थक्के को हटा देता है। जिन लोगों को कोई घाव है, उसे भी ठीक किया जा सकता है। 
     
  • हाई बीपी का इलाज -
    जोंक की लार में बीपी कम करने वाला तत्व भी पाया जाता है। हाई बीपी के इलाज के लिए अपने शरीर के कुछ भागों पर यह थेरेपी उपयोग करने से सीधा आपकी रक्त धमनियों को लाभ होता है। (और पढ़ें - bp kam karne ke upay)
     
  • अंगों की सूजन में आराम -
    जोंक चिकित्सा शरीर के अंदर के अंगों में सूजन के लिए बहुत ही प्रभावशाली उपचार है। हर प्रकार की सूजन जैसे कि पाचन अंगों में सूजन, हेपेटाइटिस और पेन्क्रियाटाइटिस इत्यादि में जोंक चिकित्सा से लाभ हो सकता है। (और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)
     
  • त्वचा की देखभाल -
    फंगल इन्फेक्शन, वायरल इन्फेक्शन और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से होने वाले त्वचा रोग जोंक चिकित्सा से ठीक की जा सकती है। जोंक थेरेपी से दाद, हर्पीस और एक्जिमा जैसे त्वचा रोग का इलाज किया जा सकता है। जोंक की लार में एक विशेष एजेंट पाया जाता है जो हमारी त्वचा की कई परेशानियों को ठीक कर सकता है। कुछ देशों में ब्यूटी सैलून में भी इसका उपयोग किया जाता है।  (और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)
     
  • जोड़ों के दर्द का इलाज -
    जोड़ों में दर्द अधिक उम्र के लोगों में होने वाली सबसे सामान्य परेशानी होती है। जोंक थेरेपी से जोड़ों के दर्द में आराम मिल सकता है क्योंकि जोंक की लार में ऐसे तत्व पाएं जाते हैं जो सूजन में राहत देते हैं। (और पढ़े - पैरों में सूजन के घरेलु उपाय)

जोंक थेरेपी बहुत आसान होती है और किसी अन्य थेरेपी के मुकाबले नुकसान का जोखिम कम होता है। हालांकि, जोंक चिकित्सा के भी कुछ जोखिम हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -

  • एक उचित वातावरण में यह थेरेपी न की जाए तो बैक्टीरियल संक्रमण और कभी-कभी बैक्टीरिया के ड्रग रेसिस्टेंट होने का भी जोखिम होता है। इसलिए जिन लोगों को स्वप्रतिरक्षित रोग (autoimmune disease) और वातावरण के कारण इम्युनिटी कमजोर हो उन्हें जोंक चिकित्सा नहीं करवानी चाहिये। (और पढ़े - रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)
  • जोंक चिकित्सा के एक राउंड के बाद अगर कुछ गलत होता है तो जिस भाग का उपचार किया गया है, वहाँ से खून रिसना शुरू हो सकता है और जोंक ने जहाँ पर काटा वो घाव नहीं भरेगा। 
  • कभी-कभी जोंक शरीर के उस भाग पर चली जाती है जहाँ आपको इलाज की जरुरत नहीं होती, इससे खून का नुकसान होता है।
  • कभी-कभी जोंक चिकित्सा के उपचार के बाद उपचार करवाने वाले को पता चलता है कि उसे जोंक की लार से एलर्जी है। अगर ऐसा कुछ होता है तो उसे यह उपचार नुकसान कर सकता है।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

संदर्भ

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