एस्ट्रियल  (अनकंजुगेटेड) ई3 टेस्ट क्या है?

एस्ट्रियल (ई3) किसी महिला में गर्भावस्था के दौरान बनने वाला प्रमुख एस्ट्रोजन है। एस्ट्रोजन हार्मोन का एक समूह है जो कि महिला के जननांगों के विकास और वृद्धि में अहम भूमिका निभाता है। एस्ट्रोजन के तीन मुख्य प्रकार होते हैं, एस्ट्रोन (ई1), एस्ट्राडियोल (ई2) और एस्ट्रियल (ई3)।

ई3 प्राथमिक रूप से विकसित हो रहे शिशु की एड्रिनल ग्रंथि द्वारा स्रावित किए जाने वाले एक हार्मोन से बनता है। इसके बाद यह हार्मोन गर्भनाल तक संचारित कर दिया जाता है जहां यह कोंजुगेटेड ई3 (विशेष मॉलिक्यूल से बंधा हुआ) और अनकंजुगेटेड ई3 (फ्री ई3) की कुछ मात्रा में बदल दिया जाता है। ई3 टेस्ट में इसी अनकंजुगेटेड ई3 की जांच की जाती है।

किसी गर्भवती महिला में ई3 का स्तर गर्भावस्था और विकसित हो रहे शिशु के स्वास्थ्य के बारे में बताता है। ये स्तर आंठवे हफ्ते से रक्त में बढ़ने लगते हैं और जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ने लगती है ये स्तर भी बढ़ने लगते हैं। प्रसव से लगभग चार हफ्ते पहले ई3 के स्तरों में तेज वृद्धि होती है।

  1. अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट क्यों किया जाता है - Estriol (Unconjugated) E3 Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट से पहले - Estriol (Unconjugated) E3 Test Se Pahle
  3. अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट के दौरान - Estriol (Unconjugated) E3 Test Ke Dauran
  4. अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Estriol (Unconjugated) E3 Test Result and Normal Range

अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट किसलिए किया जाता है?

प्राथमिक तौर पर यह टेस्ट गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के एक मार्कर की तरह प्रयोग किया जाता है। चूंकि ई3 भ्रूण से उत्पन्न होता है इसीलिए यह शिशु के विकास को जानने का बहुत असरदायक तरीका है। आपके डॉक्टर ई3 टेस्ट की सलाह निम्न कारणों से दे सकते हैं:

  • रूटीन सेकेण्ड-ट्राइमेस्टर टेस्टिंग:
    अनकंजुगेटेड ई3 मां के रक्त से गर्भावस्था के विकास की जांच के लिए किए जाने वाले रूटीन टेस्ट का एक भाग होता है।
     
  • गर्भावस्था संबंधित जटिल स्थितियों को निगरानी में रखने के लिए:
    यदि डॉक्टर को आपकी प्रेगनेंसी में किसी प्रकार का खतरा होने का संदेह हो तो वे इस टेस्ट की सलाह नियमित रूप से भी दे सकते हैं। ताकि ई3 के स्तर में हो रहे उतार-चढ़ाव का पता लगाया जा सके।
     
  • ट्रिपल मार्कर टेस्ट के भाग के रूप में:
    ई3 टेस्ट ट्रिपल मार्कर टेस्ट के एक भाग के रूप में भी किया जाता है, जहां माता के रक्त में अल्फा-फेटोप्रोटीन (एएफपी) और ह्यूमन कोरिनोइक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) की भी जांच की जाती है। यह एक स्क्रीनिंग टेस्ट है जो कि शिशु में किसी भी अनुवांशिक विकार की उपस्थिति का पता लगाता है। डॉक्टर ट्रिपल मार्कर टेस्ट की सलाह निम्न स्थितियों में दे सकते हैं:
    • यदि आपकी उम्र 35 से अधिक है 
    • यदि आपके परिवार में व्यक्तियों को जन्मजात विकार हैं 
    • यदि आपको डायबिटीज है और और इंसुलिन थेरेपी पर हैं
    • गर्भावस्था के दौरान यदि आप किसी हानिकारक दवा या रेडिएशन थेरेपी के संपर्क में आए हैं
    • यदि गर्भावस्था के दौरान आपको कोई वायरल संक्रमण हुआ है

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अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट से पहले आपको किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। चूंकि अनकंजुगेटेड ई3 के स्तर हर दिन अलग-अलग होते हैं इसीलिए यह जरूरी है कि टेस्ट हर दिन नियमित समय पर ही हो। यह भी जरूरी है कि आप अपने स्वास्थ्य के बारे में सभी जानकारी डॉक्टर को दें। इसमें निम्न शामिल हैं:

अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह टेस्ट माता के रक्त के सैंपल पर किया जाता है। ब्लड सैंपल लेने में पांच से दस मिनट का समय लगता है। डॉक्टर या नर्स बांह की नस से ब्लड सैंपल लेते हैं। इसके बाद ब्लड सैंपल को एक विशेष कंटेनर में डाल दिया जाता है और आपके बारे में जानकारी लिख कर इसे आगे टेस्ट के लिए लैब में भेज दिया जाता है।

सुई लगने से हल्का सा दर्द हो सकता है लेकिन यह जल्दी ही ठीक हो जाता है । कुछ लोगों को सुई लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है जो कि जल्द ही ठीक हो जाता है। यदि नील ठीक नहीं होता है तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

अनकंजुगेटेड ई3 टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम
जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बीतता है वैसे-वैसे माता के रक्त में ई3 के स्तर भी बढ़ने लगते हैं। दूसरे तिमाही में ई3 की सामान्य संदर्भ वैल्यू टेबल 1 में दी गई है। तीसरी तिमाही में संदर्भ वैल्यू दूसरी तिमाही से पांच-दस गुना अधिक होती है।

टेबल 1: दूसरी तिमाही में अनकंजुगेटेड ई3 की वैल्यू

जितने हफ्ते पूरे हुए हैं 

अनकंजुगेटेड ई3 (नैनोमॉल्स प्रति लीटर)

14

1.68

15

2.33

16

3.17

17

4.17

18

5.33

हालांकि यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि अनकंजुगेटेड ई3 की वैल्यू हर लैब के अनुसार अलग-अलग आ सकती है।

असामान्य परिणाम:
ई3 की सामान्य से कम या अधिक वैल्यू को असामान्य माना जाता है। माता के रक्त में ई3 की सामान्य से कम वैल्यू शिशु में निम्न स्थितियों की ओर संकेत कर सकती है:

  • डाउन सिंड्रोम
  • एड्रिनल ग्रंथि के विकास में असामान्यता
  • न्यूरल ट्यूब के विकास में दोष (जिससे तंत्रिका तंत्र में वृद्धि होती है)
  • स्मिथ-लेमली-ऑपिट्ज सिंड्रोम (एक दुर्लभ विकार जिसमें ई3 को बनाने वाला पदार्थ या प्रीकर्सर नहीं बन पाता है)
  • प्लेसेंटल सल्फेटेस डेफिशियेंसी (अन्य दुर्लभ विकार जिसमें ई3 का सही रूप गर्भनाल तक नहीं पहुंच पाता)

ई3 के सामान्य से अधिक स्तर इमपेंडिंग लेबर या मल्टीपल प्रेगनेंसी (गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होना) की तरफ संकेत कर सकता है।

टेस्ट के परिणामों के बारे में डॉक्टर से बातचीत करें।

ई3 टेस्ट किसी भी विशेष स्थिति के लिए परीक्षणात्मक टेस्ट नहीं है लेकिन यह गर्भवस्था से जुड़ी जटिलताओं का पता लगाने में मदद कर सकता है। डॉक्टर आपके परिणामों को आपकी उम्र, लिंग, वजन, गर्भावस्था के समय और एएफपी व एक्सोजी जैसे टेस्टों के परिणामों के आधार पर बताएंगे। परिणामों के आधार पर वे अन्य टेस्ट करने की सलाह भी दे सकते हैं।

संदर्भ

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  6. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Blood Tests
  7. Emory University School of Medicine [internet]. Department of Human Genetics. Division of Medical Genetics; About Maternal Serum Screening
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