क्रेनिओसिनोस्टोसिस - Craniosynostosis in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

February 05, 2020

March 06, 2020

क्रेनिओसिनोस्टोसिस
क्रेनिओसिनोस्टोसिस

क्रेनिओसिनोस्टोसिस एक जन्मजात दोष है, जिसमें बच्चे की खोपड़ी के सूचर पूरी तरह से विकसित होने से पहले बंद हो जाते हैं। सूचर का मतलब है खोपड़ी की हड्डियों के बीच का जोड़, जहां हड्डी और रेशेदार ऊतक आपस में टाइट होते हैं। इस विकार में सूचर बंद हो जाते हैं, लेकिन मस्तिष्क का विकास लगातार होता रहता है, जिस कारण सिर का आकार असामान्य रूप से बड़ा हो जाता है। 

सामान्य स्थिति में, शैशवावस्था के दौरान ये सूचर लचीले होते हैं और यह तब तक सौम्य बने रहते हैं, जब तक कि बच्चा लगभग 2 साल का नहीं हो जाता है। इसके बाद ये सूचर मुलायम से कठोर होने लगते हैं और बंद हो जाते हैं। ऐसे में यदि खोपड़ी की हड्डियां लचीली रहेंगी तो बच्चे के मस्तिष्क को विकसित होने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सकेगा।

इसके विपरीत यानी जब खोपड़ी के यह सूचर (जोड़) समय से पहले बंद हो जाते हैं और दिमाग का विकास जारी रहता है, तो ऐसे में खोपड़ी का आकार असामान्य हो जाता है। क्रेनिओसिनोस्टोसिस की वजह से मस्तिष्क में दबाव भी बढ़ सकता है, जिससे देखने में दिक्कत और सीखने की समस्याएं हो सकती है।

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क्रेनिओसिनोस्टोसिस के लक्षण

क्रेनिओसिनोस्टोसिस के लक्षण आमतौर पर जन्म के समय या जन्म के कुछ महीनों बाद स्पष्ट हो जाते हैं। इस विकार के लक्षणों में शामिल हैं :

  • असामान्य आकार की खोपड़ी
  • बच्चे के सिर के ऊपरी हिस्से पर एक असामान्य व मुलायम हिस्सा
  • बच्चे के सिर की असामान्य वृद्धि

बच्चे के क्रेनिओसिनोस्टोसिस के प्रकार के आधार पर कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :

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क्रेनिओसिनोस्टोसिस के कारण

हर 2,500 शिशुओं में से लगभग एक बच्चा क्रेनिओसिनोस्टोसिस विकार से ग्रस्त होता है। हालांकि, यह स्थिति दुर्लभ है, लेकिन इस विकार के कारण प्रभावित शिशुओं की खोपड़ी जेनेटिक सिंड्रोम के कारण बहुत जल्दी खराब या असामान्य हो जाती है। जेनेटिक सिंड्रोमों में शामिल हैं :

  • एपर्ट सिंड्रोम
  • कारपेंटर सिंड्रोम
  • क्राउजोन सिंड्रोम
  • फिफर सिंड्रोम
  • सेथ्रे-चोटजेन सिंड्रोम

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क्रेनिओसिनोस्टोसिस का निदान

डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के जरिए क्रेनिओसिनोस्टोसिस का निदान कर सकते हैं। वे बीमारी की पुष्टि के लिए कभी-कभी एक सीटी (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) स्कैन का उपयोग कर सकते हैं। इस टेस्ट के जरिए आसानी से बच्चे की खोपड़ी में सूचर के बंद होने का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा आनुवंशिक परीक्षण और अन्य शारीरिक विशेषताओं का विश्लेषण करने के बाद डॉक्टर इस विकार के कारण का पता लगा सकते हैं।

क्रेनिओसिनोस्टोसिस का इलाज

क्रेनिओसिनोस्टोसिस के उपचार में सिर के आकार को सही करने और मस्तिष्क के सामान्य विकास के लिए सर्जरी की मदद ली जा सकती है। हालांकि, क्रेनिओसिनोस्टोसिस से ग्रसित हल्के मामलों में बच्चों को सर्जिकल उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि, वे अपनी खोपड़ी के आकार को ठीक करने के लिए एक विशेष हेलमेट पहन सकते हैं, जिससे उनका मस्तिष्क सामान्य रूप से बढ़ सकता है। जबकि गंभीर मामलों में इस विकार का उचित समय पर निदान और उपचार जरूरी है, इससे आपके बच्चे के मस्तिष्क को बढ़ने व विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह मिल सकेगी।

चूंकि गर्भ में या नवजातों में इस समस्या को आसानी से पहचाना जा सकता है, ऐसे में जल्द उपचार शुरू कर देना फायदेमंद होता है, क्योंकि जन्म के समय हड्डियां सौम्य होती हैं। इसलिए उन्हें सामान्य रूप में लाया जा सकता है।