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गर्भावस्था एक फिजियोलॉजिकल प्रक्रिया है, जिसमें एक बच्चा अपनी मां के गर्भ में नौ महीने तक पलता है। सी सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी बच्चे को मां के गर्भ से बाहर निकालने की एक सर्जिकल प्रक्रिया है। आमतौर पर शिशु का जन्म बर्थ कैनाल से होता है, जिसे वेजाइनल डिलीवरी कहा जाता है। लेकिन कई बार कुछ समस्याओं के कारण सामान्य डिलीवरी नहीं हो पाती है और सिजेरियन डिलीवरी करने की जरूरत पड़ती है। सी सेक्शन के बाद बच्चे और मां का अधिक ध्यान रखा जाना बहुत आवश्यक है। सर्जरी के समय डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। इस सर्जरी से कुछ खतरे हो सकते हैं जैसे योनि से स्त्राव, ब्लीडिंग, बुखार, दर्द आदि। जिनका ध्यान डॉक्टर से समय-समय पर मिलकर रखा जा सकता है।

  1. सिजेरियन ऑपरेशन क्या होता है? - C Section kya hota hai in hindi
  2. सिजेरियन ऑपरेशन क्यों किया जाता है? - C Section delivery kab hoti hai
  3. सिजेरियन ऑपरेशन होने से पहले की तैयारी - C-Section ki taiyari
  4. सिजेरियन ऑपरेशन कैसे किया जाता है? - Cesarean Delivery kaise hoti hai?
  5. सिजेरियन ऑपरेशन के बाद देखभाल - Cesarean Delivery ke baad dekhbhal
  6. सिजेरियन ऑपरेशन के खतरे - Cesarean Delivery ke khatre
  7. सिजेरियन डिलीवरी कैसे होती है वीडियो - How to do cesarean delivery video in Hindi

जब पुरुष का शुक्राणु महिला के शरीर में शारीरिक संबंध के बाद जा कर अंडे से मिलता है, तो महिला गर्भधारण कर पाती है। यह फर्टिलाइज हुआ अंडा गर्भ की परत से जुड़ जाता है और एक शिशु के रूप में विकसित होने लगता है। गर्भावस्था का सबसे सामान्य संकेत है पीरियड्स न आना। गर्भावस्था को पूरा होने में लगभग चालीस हफ्तों का समय लगता है। यह पूरी प्रक्रिया तीन भागों में पूरी होती है, जिन्हें तिमाही कहा जाता है। तीन महीने मिलकर एक तिमाही बनाते हैं और तीन तिमाही नौ माह।

आमतौर पर शिशु को योनि से बाहर निकाला जाता है। यह शिशु को जन्म देने की प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह माता और शिशु दोनों के लिए अच्छी होती है।

सी सेक्शन डिलीवरी को सिजेरियन डिलीवरी भी कहा जाता है, जिसमें शिशु को माता के गर्भ से पेट में चीरे लगाकर निकाला जाता है। शिशु को बाहर निकालने के बाद पेट और गर्भाशय को सिल दिया जाता है। वे टांकें जिनका प्रयोग गर्भाशय को बंद करने के लिए किया जाता है शरीर में स्वयं ही कुछ समय में घुल जाते हैं। अधिकतर डिलीवरी योनि द्वारा ही होती हैं, लेकिन कई बार कुछ जटिलताओं या खतरों के चलते सिजेरियन डिलीवरी की जाती है। कभी-कभी केवल यही तरीका होता है, जिससे माता व शिशु का जीवन बचाया जा सकता है।

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सी-सेक्शन की योजना तब बनाई जाती है जब सामान्य वजाइनल डिलीवरी में कोई समस्या होती है। ऐसे बहुत से कारण होते हैं, जिनकी वजह से सी सेक्शन डिलीवरी की जाती है जिसमें माता की इच्छा भी शामिल होती है। कई बार कोई समस्या नहीं भी होने पर कुछ महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी करवाना चाहती हैं। सर्जरी की योजना डिलीवरी डेट से पहले खतरों का आकलन करने के बाद बनाई जाती है। घरवालों, माता-पिता, डॉक्टर आदि से बातचीत करके सर्जरी की योजना बनाई जाएगी। कभी-कभी लेबर पेन शुरू होने के कारण आपातकालीन स्थिति में भी सी-सेक्शन सर्जरी की जा सकती है।

सी-सेक्शन निम्न कारणों से किया जा सकता है -

  • यदि आपकी श्रोणि में कोई समस्या है, जिसके कारण बर्थ कैनाल से शिशु को जन्म देना मुश्किल हो जाता है। श्रोणि एक हड्डी का ढांचा जो कि पेट के पास होता है जिसमें कूल्हे की हड्डी होती है, यह कमर के निचले भाग और पैरों को जोड़ती है।
  • आपकी श्रोणि का आकार छोटा है।
  • शिशु के सिर का आकार बर्थ कैनाल से बड़ा है और उसमें से निकल नहीं सकता है।
  • लेबर में इतना ज्यादा दर्द नहीं हो पा रहा है कि मांसपेशियां सिकुड़ें और गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय का निचला हिस्सा) खुल पाए और शिशु बर्थ कैनाल से बाहर आ पाए
  • यदि गर्भनाल पिचक जाती है। गर्भनाल शिशु के गर्भ में होने के दौरान उस तक ऑक्सीजन युक्त रक्त और सभी पोषण पहुंचाती है और शिशु के शरीर से अपशिष्ट पदार्थ भी निकालती है।
  • यदि शिशु के हृदय की दर असामान्य है या किसी अन्य मेडिकल स्थिति के कारण सामान्य डिलीवरी नहीं होती तो शिशु को सिजेरियन डिलीवरी द्वारा निकाला जाता है और उसका ट्रीटमेंट किया जाता है।
  • यदि आपको लंबे समय से कोई रोग है जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि
  • जब मधुमेह गर्भावस्था के दौरान होता है तो इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। इसमें जटिलताएं हो सकती हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज से ग्रस्त माता के गर्भ से सिजेरियन डिलीवरी द्वारा निकले शिशु का वजन अन्य शिशु की तुलना में अधिक होगा।
  • आमतौर पर शिशु को जब निकाला जाता है तो पहले उसका सिर बर्थ कैनाल से बाहर आता है। हालांकि, कुछ मामलों में शिशु के पैर पहले बाहर आते दिखाई देते हैं जिस स्थिति को ब्रीच कहा जाता है, ऐसी स्थिति में सी सेक्शन डिलीवरी की जाती है।
  • जब आपके गर्भ में दो शिशु हैं और पहला शिशु सिर के बजाय पैरों से बर्थ कैनाल से बाहर आ रहा है तो भी सी सेक्शन किया जाता है।
  • यदि आपने पहले सी सेक्शन द्वारा शिशु को जन्म दिया है।
  • यदि आपकी गर्भावस्था में कोई खतरा है।
  • यदि आपको जननांग से संबंधित रोग है जैसे जेनिटल हर्पीस तो यह बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है कि आप शिशु को वेजाइनल डिलीवरी द्वारा निकालें, क्योंकि इसमें शिशु संक्रमित हो सकता है।
  • यदि आपको गर्भनाल से जुड़ी समस्या है जैसे प्लेसेंटा प्रिविया जिसमें गर्भनाल अपने स्थान से हिल कर गर्भाशय के नीचे पहुंच जाती है, यह शिशु के बाहर निकलने के रास्ते को अवरुद्ध कर सकती है, जिससे योनि से रक्तस्त्राव हो सकता है।
  • यदि आपके गर्भ में कैंसर है जो बर्थ कैनाल को अवरुद्ध कर रहा है।

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सिजेरियन डिलीवरी करवाने से पहले कुछ विशेष चीजों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि यह सर्जरी सफलतापूर्वक की जा सके और सर्जरी के बाद व दौरान कोई भी जटिलता न हो।

  • डॉक्टर किसी भी तरह की असामान्यता की जांच करने के लिए आपसे एमआरआई, एक्स रे, सिटी स्कैन और लैब टेस्ट करवाने के लिए कहेंगे जैसे ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट
  • आपको सर्जरी से छह घंटे पहले भूखे रहने को कहा जाएगा, साथ ही आप इस दौरान कुछ भी खा या पी नहीं सकते हैं।
  • सर्जरी करने से पहले सुन्न करने वाली दवा की जांच की जाएगी। ताकि अगर आपको एनेस्थीसिया से कोई एलर्जी है तो पता लगाया जा सके।
  • आपके रक्त के प्रकार का और रक्त अस्पताल में मौजूद होना चाहिए। ताकि किसी भी तरह की जटिलता या मुश्किल पैदा होने पर रक्त मिल सके जैसे रक्त वाहिका में चोट जिसके कारण रक्त की क्षति हो सकती है।
  • डॉक्टर आपकी सर्जरी को प्लान करेंगे और इसमें आपको सहभागिता की पूरी जरूरत होगी। यदि आपको सर्जरी से जुड़े कोई प्रश्न या संदेह हों, तो डॉक्टर से पूछ लें।
  • यदि आपको लंबे समय से कोई रोग है तो डॉक्टर को बता दें, जैसे उच्च रक्तचाप या डायबिटीज।
  • यदि सर्जरी से पहले आप कोई भी दवा ले रहे हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें 
  • यदि आपको धूम्रपान या शराब की लत है तो भी डॉक्टर को बता दें।
  • आपको सर्जरी के लिए जाने से पहले एक अनुमति फॉर्म भरने के लिए कहा जाएगा।
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  • आपको सर्जरी के लिए तैयार करने के बाद डॉक्टर आपको एनेस्थीसिया देंगे, ताकि आपको प्रक्रिया के दौरान बिल्कुल दर्द महसूस न हो।
  • एनेस्थीसिया को रीढ़ की हड्डी में दिया जाता है, ताकि आपके कमर के निचले हिस्से को सुन्न किया जा सके और आप सर्जरी के दौरान होश में रहें, लेकिन आपको कोई दर्द महसूस न हो।
  • आपके शरीर को सुन्न करने का एक अन्य तरीका जनरल एनेस्थीसिया है, जिसमें आपका पूरा शरीर सुन्न हो जाता है और आपको सर्जरी के दौरान होश नहीं रहता है।
  • आपकी नस में एक छोटी ट्यूब लगाई जाती है, जिसे कैथीटर कहा जाता है इसके सिरे पर एक सुई होती है। कैथिटर के द्वारा आपको दवाएं और द्रव दिए जाते हैं।
  • आपके पेट को धोकर साफ़ किया जाता है, ताकि इस पर कोई भी कीटाणु न हो
  • आपके जननांग के बालों को साफ कर दिया जाएगा या छोटा काट दिया जाएगा।
  • सर्जन जो कि सी सेक्शन करने के विशेषज्ञ हैं आपके पेट पर एक चीरा लगाएंगे। ये चीरा लगभग दस सेंटीमीटर का होगा इसे बिकिनी कट भी कहा जाता है। यह प्यूबिक हेयर लाइन (जहाँ से जननांग के बाल शुरू होते हैं) जो कि पेट के निचले हिस्से में होती है से बनाया जाता है। सर्जन एक टेड़ा कट भी लगा सकते हैं जो कि आपकी नाभि से प्यूबिक हेयर लाइन तक हो सकता है।
  • कट लगाने के बाद मांसपेशियों को तब तक हटाया जाता है, जब तक कि गर्भाशय ठीक तरह से दिखाई नहीं देने लगता है जो कि सीधाई या लम्बाई किसी भी तरह से लगाई जा सकती है ताकि शिशु को देखा जा सके।
  • इस कट से शिशु को बाहर निकाला जाता है। शिशु के नाक और मुंह को तुरंत साफ़ किया जाता है ताकि अतिरिक्त द्रव को निकाला जा सके। इससे शिशु को सांस लेने में मदद मिलेगी।
  • शिशु को बाहर निकालने के बाद नाभि ठूंठ जो कि अब भी जुड़ी हुई है उसे तेजी से पकड़ कर काटा जाता है।
  • वहां से शिशु को उठाकर माता को दिखाया जाता है।
  • अब शिशु को नर्स फुल बॉडी एग्जामिनेशन के लिए ले जाती हैं, ताकि यह जांच की जा सके कि शिशु स्वस्थ है।
  • गर्भाशय के अंदर मौजूद द्रव को एम्नियोटिक फ्लूइड कहा जाता है इसे बाहर निकाला जाता है और एक कट लगाकर गर्भनाल को भी निकाल लिया जाता है।
  • इस प्रक्रिया के बाद गर्भाशय पर बने चीरों को वापस बंद कर दिया जाता है और पेट को सिल दिया जाता है।
  • सी सेक्शन की कीमत भारत में 46,500 से 80,000 रुपये तक है। यह एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में अलग भी हो सकती है।

सर्जरी के बाद देख-रेख
अस्पताल में -

  • सी सेक्शन के बाद आपको अस्पताल में तीन से चार दिन तक रहने को कहा जा सकता है।
  • गर्भाशय पर लगे टांके स्वयं ही शरीर में घुल जाएंगे, लेकिन पेट पर लगाए टांकों को ठीक होने में समय लगेगा।
  • सर्जरी के बाद आपको रिकवरी रूम में ले जाया जाएगा। आपके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और अगर शिशु स्वस्थ पैदा हुआ है तो इसे रिकवरी रूम में आपके साथ रखा जाएगा। यदि शिशु किसी असामान्यता के साथ पैदा हुआ है, तो इसे विशेष कमरे में रखा जाएगा, ताकि उसके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके।
  • जब आप एनेस्थीसिया से ठीक हो रहे हैं, तो आपको शुरुआत में कुछ भी खाने-पीने में तकलीफ होगी। ऐसे में आपको एक नस में ट्यूब लगाकर द्रव दिए जाएंगे।
  • आप पहला दूध निकलने के बाद शिशु को स्तनपान करवा सकती हैं। मां का पहला दूध कई सारे जरूरी पोषक तत्वों से भरा होता है जो शिशु की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और उसे संक्रमणों से लड़ने की शक्ति देते हैं।
  •  डॉक्टर आपको पेन किलर दवाएं भी देंगे।

घर पर -

  • आपको सी सेक्शन के बाद ठीक होने में चार से छह हफ्ते का समय लग सकता है। तो घर जाने के बाद आपको अपने स्वास्थ्य की पूरी देखरेख करनी है।
  • क्योंकि यह एक बड़ी सर्जरी है, तो इसमें आपको कुछ दिनों तक पूरी तरह से आराम करना होगा।
  • कोशिश करें कि पहले छह हफ्ते कुछ भी भारी काम न करें और अपना व अपने शिशु का पूरा ध्यान रखें।
  • शिशु से अधिक भारी कोई भी चीज न उठाएं।
  • 2 -3 हफ्ते तक सीढ़ियां न चढ़ें।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, ताकि आपको कब्ज न हो।
  • सर्जरी के कुछ दिनों बाद तक संभोग न करें।
  • खुश रहें और किसी भी तरह का तनाव लेने से बचें। इससे आप और शिशु स्वस्थ रहेंगे।
  • पोषक तत्व लें और आहार में हरी सब्जियां और फल शामिल करें।
  • घाव को पानी न लगने दें और इसे सूखा व साफ़ रखें।
  • अपने पेट पर किसी भी तरह का दबाव न डालें और कोशिश करें कि आप खुद को ज्यादा न खींचें।
  • अपने पेट को बैठते व खड़े होते समय सहारा दें।

सी सेक्शन सर्जरी में आमतौर पर कोई समस्या नहीं होती है, यह एक सफल और सुरक्षित प्रक्रिया है। हालांकि, इससे कुछ जटिलताएं व खतरे जुड़े हुए हैं जो कि सर्जरी के दौरान व बाद में हो सकते हैं। इनके बारे में नीचे बताया गया है।

सर्जरी के दौरान

  • सुन्न करने वाली दवा से एलर्जी या कोई तकलीफ होना
  • सर्जरी से आसपास के अंग को क्षति पहुंचना
  • अगर प्रक्रिया के दौरान कोई रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो आपको अत्यधिक रक्तस्त्राव जो सकता है।
  • यदि सी सेक्शन सर्जरी डिलीवरी को निर्धारित तारिख से 39 दिन पहले किया जा रहा है तो शिशु को सांस लेने में समस्या हो सकती है।
  • गर्भाशय में चीरा लगाते समय शिशु को चोट लग सकती है।

सर्जरी के बाद

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संदर्भ

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