बच्चे के दांत निकलते समय घर के सभी लोग उत्साहित होते हैं। छोटे-छोटे दांतों से जब बच्चा हंसता है तो उसको देखकर घर के लोग भी बेहद खुश होते हैं। घर में बच्चे के आते ही हर समय चहल-पहल का माहौल बना रहता है। बच्चे के धीरे-धीरे बढ़े होने पर माता-पिता भी कई नई चीजों को समझ पाते हैं। बच्चे के दांत निकलते समय मां बेहद ही चिंतित रहती है, क्योंकि इस समय बच्चे को कई तरह की परेशानी से गुजरना पड़ता है। लेकिन कुछ सावधानियों और उपायों को अपनाकर आप दांत निकलते समय होने वाली सभी समस्या से बच्चों को राहत प्रदान कर सकती हैं।

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इस लेख में आपको बच्चों के दांत निकलने के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इसमें आपको बच्चों के दांत निकलने की उम्र और समय, बच्चों के दांत निकलने के लक्षण, बच्चों के दांत निकलने का इलाज, बच्चों को दांत निकलते समय कैसे राहत दें और शिशु के दांत निकलते समय क्या न करें आदि बातों के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।

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  1. बच्चों के दांत निकलने का क्या मतलब होता है - Bachon ke dant nikalne ka kya matlab hota hai
  2. बच्चों के दांत निकलने की उम्र और समय - Bachon ke dant nikalne ki umar aur samay
  3. बच्चों के दांत निकलने की प्रक्रिया को चार्ट के द्वारा जानें - Bachon ke dant nikalne ka chart
  4. बच्चों में दांत निकलने के लक्षण - Bachon me dant nikalne ke lakshan
  5. बच्चों को दांत निकलते समय कैसे राहत दें - Bachon ko dant nikalte samay kaise rahat de
  6. बच्चों के दांत निकलने का इलाज - Bachon ke dant nikalne ka ilaj
  7. शिशु के दांत निकलते समय क्या न करें - Shishu ke dant nikalte samay kya na kare
बच्चे के दांत निकलना के डॉक्टर

शिशु में पहली बार दांत आने की प्रक्रिया को टीथिंग (Teething) कहा जाता है। बच्चे में दांत निकलने के लक्षण उसके मुंह में दांत दिखाई देने से करीब दो से तीन महीने पहले ही शुरू हो जाते हैं। हर बच्चे में दांत निकलने की प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है। दांत निकलते समय बच्चे को महसूस होने वाले लक्षण एक महीने से लेकर शिशु के अंतिम दांत निकलने तक भी रह सकते हैं। दांतों का निकलना बच्चों के लिए एक मुश्किल दौर होता है। इस समय आपको और बच्चे को धैर्य की जरूरत होती है। इतना ही नहीं इस समय आपको बच्चे की तकलीफ को कम करने के थोड़े बहुत उपाय अवश्य मालूम होने चाहिए।

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हर बच्चे के शरीर का विकास अलग तरह से होता है और बच्चों के दांत निकलने की कोई निश्चित उम्र नहीं मानी जा सकती है। लेकिन सामान्यतः 4 से 10 माह का हो जाने पर बच्चे के दांत निकलना शुरू हो जाते हैं। आमतौर पर देखा यह जाता है 6 माह की आयु में बच्चों के दांत निकलने लगते हैं। इसके अलावा अन्य दांत (दूध के दांत) आने में दो से तीन सालों का समय लग जाता है। बच्चों में दूध के दांत निकलना काफी हद तक उसके पारिवारिक पैर्टन को निर्भर करता है, जिसके चलते ही कुछ बच्चों के दांत जल्दी, तो कुछ के देरी से निकलते हैं। दांत निकलने की इस प्रक्रिया में दांत मसूड़ों के अंदर से बाहर की ओर आते हैं। 

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सबसे पहले बच्चे के निचले जबड़े में दांत आना शुरू होते हैं। इसमें बच्चे के आगे के दो दांत (Central incisors: सेंट्रल इनसाइजर्स) पहले निकलते हैं, जिसके बाद ऊपरी जबड़े के सामने के दो दांत (Upper central incisors: अपर सेंट्रल इनसाइजर्स) आते हैं। इसके बाद ऊपरी जबड़े के ही दो अन्य दांत आते हैं, जो पहले से आए हुए दांतों के दोनों तरफ निकलते हैं (upper lateral incisors: अपर लेट्रल इनसाइजर्स), इन दांतों के आने के बाद निचले जबड़े में आए दांतों के दोनों तरफ दो अन्य दांत (lower lateral incisors: लोअर लेट्रल इनसाइजर्स) आना शुरू होते हैं।

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इसके बाद बच्चे के मुंह के ऊपरी और निचले हिस्से के दाढ़ के दांत (Upper and lower first molars: अपर व लोअर फर्स्ट मोलर्स) निकलना शुरू होते हैं। दांतों के निकलने की प्रक्रिया में इसके बाद पहले से आए हुए आगे के दांतों और दाढ़ के बीच की जगह को भरने के लिए अन्य दांत (Canines: कैनाइन) आते हैं और सबसे आखिर में जबड़े के अंतिम दाढ़ (second molars: सेकंड मोलर) निकलते हैं।     

ऊपरी हिस्से के दांत    निकलने का समय (महिनों में)
सेंट्रल इनसाइजर्स  10 (8-12)
लैट्रल इनसाइजर्स   11 (9-13)
कैनाइन 19 (16-22)
फस्ट मोलर  16 (13-19)
सेकंड मोलर 29 (25-33)

 

निचले हिस्स के दांत  निकलने का समय (महिनों में)
सेंट्रल इनसाइजर्स 8 (6-10)
लेट्रल इनसाइजर्स 13 (10-16)
कैनाइन   20 (17-23)
फर्स्ट मोलर 16 (14-18)
सेकंड मोलर  27 (23-31)
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बच्चों के दांत निकलते समय उनमें निम्न तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।

  • लार आना - दांत निकलते समय बच्चे के मुंह में अधिक मात्रा में लार आती है। दांत आने की प्रक्रिया के दौरान बच्चे के मुंह में लार अधिक मात्रा में बनने लगती है और इसकी वजह से बच्चा अपने कपड़े भी गीले कर लेता है। (और पढ़ें - दांतों में कीड़ें का इलाज)
     
  • मुंह में रैश होना - ज्यादा लार आने के कारण बच्चे के मुंह में लालिमा, रैशज और घाव हो सकते हैं। इसके अलावा लार की वजह से ही शिशु के ठोड़ी, होंठ और मुंह के आसपास की त्वचा पर दरारें भी हो सकती हैं। (और पढ़ें - दांत का मैल का इलाज)
     
  • मसूड़ों में सूजन आना - दांत निकलते समय मसूड़ों पर दबाव पड़ता है। दांतों का मसूड़ों की त्वचा को चीर कर बाहर आने की प्रक्रिया के दौरान बच्चे के मसूड़ों में सूजन, लालिमा और दर्द होना आम बात है। 
     
  • दांतों का दिखना - दांत निकलते समय बच्चे के मसूड़ों पर दांतों का ऊपरी हिस्सा देखाई देना। (और पढ़ें - पायरिया का इलाज)
     
  • खांसी और स्वरयंत्र में ऐंठन (Coughing and gag reflex) - मुंह में बड़ी मात्रा में लार की उपस्थिति के कारण आपका बच्चा खांसी या स्वरयंत्र (गले का विशेष हिस्सा) में ऐंठन महसूस कर सकता है। अगर आपके बच्चे में सर्दी जुकाम या फ्लू के अन्य लक्षण नहीं दिखाई दें तो ऐसे में आपको परेशान होने के आवश्यकता नहीं है। (और पढ़ें - सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय)
     
  • काटना - जब दांत मसूड़ों से बाहर निकलने वाले होते हैं, तब यह स्थिति बच्चे को काफी परेशान करती है। ऐसे में आपका बच्चा अपने आसपास की सभी चीजों को काटने की कोशिश करता है, जैसे स्तनपान करते समय मां का स्तन, खिलौने, उंगली और अंगूठे आदि। मसूड़ों में उत्पन्न दबाव को कम करने के चलते और आराम पाने के लिए बच्चा ऐसा करता है। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं और उनके समाधान)
     
  • रोना – दांत निकलते समय अधिकतर बच्चे दर्द और असहज महसूस करते हैं, इसलिए वह आम दिनों के मुकाबले ज्यादा रोते हैं। ऐसा खासकर बच्चे के पहले दांत निकलते समय होता है। दूध के दांत निकलते समय बच्चा बेहद ही छोटा होता है और वह बोल भी नहीं पाता, ऐसे में अपनी परेशानी को बताने के लिए बच्चा रोने लगता है। (और पढ़ें - शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं)
     
  • चिड़चिड़ा होना – इस समय बच्चे के मसूड़ों में सूजन और दर्द होता है, जिसकी वजह से वह चिड़चिड़ा हो जाता है। दांत निकलते समय पूरे दिन में कुछ घंटों तक बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है। (और पढ़ें - बच्चे के दाँत निकलते समय होने वाले दर्द और बेचैनी का घरेलू इलाज)
     
  • खाने में रुचि न दिखाना – दांत निकलते समय बच्चे के मसूड़ों में दर्द होता है, जिसकी वजह से बच्चा ज्यादा से ज्यादा तरल चीजें ही लेना पंसद करता है। ऐसे में जब बच्चे का दर्द बढ़ जाता है तो वह भूख और दर्द के चलते रोना शुरू कर देता है। (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के कारण और उनका आयुर्वेदिक समाधान)
     
  • सोने में मुश्किल होना – बच्चे के मसूड़ों में दर्द और सूजन के कारण वह रात में सही तरह से सो भी नहीं पाता है और जाग जाता है।
     
  • कान खींचना और गालों को रगड़ना – ऐसी कई नसें होती हैं जो मसूड़ों, कानों और गालों से गुजरती हैं। ऐसे में मसूड़ों का दर्द के कारण गालों और कानों में भी दर्द होने लगता है। इस दर्द को कम करने के लिए आप बच्चे के कानों को हल्के से खींचे या उसके गालों को प्यार से रगड़े।
     
  • शरीर के तापमान में बदलाव होना – दांत निकलते समय आपके बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक हो सकता है। लेकिन दांत निकलते समय बच्चों को ज्यादा तेज बुखार होता है, इस बात के कोई तथ्य मौजूद नहीं हैं। 

(और पढ़ें - बुखार दूर करने के घरेलू उपाय)

कुछ अन्य स्थितियां जो बच्चे के दांत निकलते समय हो सकती हैं, लेकिन यह सामान्य नहीं होती है और इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह लेने की आवश्यकता पड़ती है।

  • बुखार आना – आपको पहले ही बताया जा चुका है कि दांत निकलने और तेज बुखार आने के बीच कोई संबंध नहीं हैं। इस समय बच्चे के शरीर का तापमान 38 डिग्री सेलसियस (100 डिग्री फारेनहाइट) से ज्यादा नहीं होता है। लेकिन आपके बच्चे को दांत निकलते समय बुखार हो जाए, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से मिलकर इसके सही कारणों का पता लगना चाहिए। (और पढ़ें - दिमागी बुखार का इलाज)
     
  • दस्त होना – दांत निकलते समय बच्चे के मसूड़ों में खुजली होती है, जिसकी वजह से वह अपने आसपास रखी गंदी चीजों को भी सीधे मुंह में डाल लेते हैं, जिसके चलते बच्चे के पाचन तंत्र के निचले हिस्से में संक्रमण होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हल्का संक्रमण होने पर शिशु के पेट में दर्द व अन्य परेशानियां होती है, जबकि गंभीर संक्रमण शिशु में दस्त की समस्या उत्पन्न कर सकता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु की कब्ज का इलाज)
     
  • बच्चे को उल्टी होना – बच्चे के द्वारा दूषित चीजों को मुंह में डालने से उसके पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। इसकी वजह से बच्चे के पेट में दर्द और उसको उल्टी होने लगती हैं।
     
  • नाक का बहना – बहती नाक बच्चे के दांत निकलने का सामान्य लक्षण नहीं होता है। आपके बच्चे को सर्दी जुकाम हो सकता है, ऐसे में आप उसका इलाज कराएं।

(और पढ़ें - शिशु को सर्दी जुकाम होना)

अधिकतर बच्चों में  दांतों का आना ज्यादा परेशानी का कारण नहीं होता है। हालांकि, कुछ बच्चों के लिए यह स्थिति परेशानी का कारण हो सकती है। निम्नलिखित कुछ उपायों से आप या आपके डॉक्टर बच्चे को दांत निकलते समय राहत प्रदान कर सकते हैं।

  1. टीथर्स (Teethers) - टीथर्स ऐसे खिलौने होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से बच्चे के दांत आने के समय उपयोग किया जाता है। इन्हें बच्चा अपने दांतों से दबाता है। आप अपने बच्चे को चबाने के लिए पुराने टीथर्स दे सकते हैं। इनसे बच्चे को नए दांतों की वजह से मसूड़ों पर होने वाले दबाव व दर्द से राहत मिलती है। ठंड़े टीथर्स मसूड़ों में सूजन और दर्द को कम करने में भी मदद करते हैं। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
     
  2. गीले कपड़े - दांत निकलते समय बच्चे को चबाने के लिए एक साफ व गीला कपड़ा भी दिया जा सकता है, यह कपड़ा एक टीथर्स की तरह ही काम आता है।
     
  3. बच्चे का ध्यान अन्य चीजों पर लगाएं - दांत निकलते समय आप अपने बच्चे का ध्यान अन्य चीजों पर लगाने की कोशिश करें। इस दौरान आप बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने, उसको दुलार करने और दर्द से राहत प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करें। बच्चे पर पूरा ध्यान दें और जब भी वह कोई चीज मुंह में डाले तो पूरी तरह से सतर्क रहें। (और पढ़ें - डाउन सिंड्रोम का इलाज)
     
  4. बच्चे को ठंडा खाना दें – यदि आपका बच्चा 6 से 9 महीनों का हो गया हो और आप उसको ठोस आहार देने लगी हों, तो ऐसे में आप बच्चे को ठंड़े फल और सब्जियां दे सकती हैं
     
  5. मसाज करें – इस समय बच्चे को राहत प्रदान करने के लिए उसके मसूडों पर अपनी उंगली या किसी गीले कपड़े से मसाज करें। बच्चे के खाना खाने से ठीक पहले आप ऐसा करें, इससे बच्चे को खाना खाते समय ज्यादा परेशानी नहीं होती है और भर पेट खाना खाने की वजह से बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा भी नहीं होता है। (और पढ़ें - बच्चों की मालिश कैसे करें)
     
  6. बच्चे को आराम करने दें – बच्चे को आराम देने की कोशिश करें, इससे बच्चे को आसानी से गहरी नींद आती है।
     
  7. साफ-सफाई पर ध्यान देना – साफ सफाई पर पूरा ध्यान दें। जितना संभव हो बच्चे के आसपास की चीजों को साफ रखने की कोशिश करें। दांत निकलते समय बच्चे के मुंह से निकलने वाली लार को किसी साफ कपड़े से पोछें। साथ ही इस बात का ध्यान दें कि लार की वजह से बच्चे के मुंह में रैशज न हो। बच्चे के मुंह में दूध के पहले दांत निकलते ही उसे ब्रश कराना शुरू करें। इससे बच्चे के दांतों में कैविटी नहीं होती है। बच्चों के दांतों को ब्रश करने से पहले आपको डॉक्टर से मिलकर, ब्रश करने का सही तरीका और दांतों के लिए सही टूथपेस्ट के बारे में अवश्य जानकारी ले लेनी चाहिए। इसके अलावा बच्चे को खाना खिलाने के बाद उसका मुंह किसी एंटीसेप्टिक से साफ करें। बच्चे के लिए टूथपेस्ट, ब्रश या एंटीसेप्टिक चुनने से पहले आपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

(और पढ़ें - बच्चों के दांतों को कैविटी से बचाने के उपाय)

ज्यादातर बच्चों को दांत निकलते समय किसी इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन दांत निकलते समय आपके बच्चे को ज्यादा परेशानी हो रही हो या उस में अन्य लक्षण दिखाई दें जैसे दस्त, उल्टी, वजन का कम होना या सर्दी जुकाम आदि, तो ऐसे में आपको अपने बच्चे को तुरंत किसी डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

बच्चों के दांत निकलने का इलाज निम्न तरह से विस्तार से बताया जा रहा है।

  • दर्द निवारक दवाएं – दर्द निवारक दवाएं जैसे एसिटामिनोफेन (acetaminophen) या आईब्रुफिन (ibuprofen) और अन्य दवाएं बच्चे को दी जा सकती है। बच्चे को उसकी आयु, वजन और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर दवाओं की खुराक दी जाती है, जो हर बच्चे के लिए अलग-अलग हो सकती है। बिना डॉक्टरी सलाह के बच्चे को किसी भी प्रकार की दवा न दें। (और पढ़ें - डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे)
     
  • सुन्न करने वाली दवाएं -  सुन्न करने वाली जैल क्रीम को बच्चों के मसूड़ों पर लगाया जाता है। यह जैल मुख्य रूप से बच्चे के खाना खाने से पहले लगाए जाते हैं, क्योंकि इससे बच्चे को खाना खाने में मुश्किल नहीं होती है। हालांकि, बच्चों के मुंह से निकलने वाली लार की वजह से यह जैल जल्द ही बाहर आ जाता है और ज्यादा उपयोगी नहीं रहता। इसके साथ ही यह जैल बच्चे के गले को भी सुन्न कर देता है, जिसकी वजह से बच्चें को निगलने में परेशानी होने लगती है।
     
  • अन्य इलाज – आपके बच्चे के लक्षण (जैसे दस्त, उल्टी, सर्दी जुकाम और बुखार) के आधार पर डॉक्टर आपके इलाज को चुन सकते हैं। (और पढ़ें - बच्चे को मिट्टी खाने की आदत)

विशेष नोट – शिशुओं, बच्चों और किशोरों को एस्परिन (Aspirin) नहीं देनी चाहिए, इस दवा से रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome: लिवर और मस्तिष्क संबंधी रोग) हो सकता है। बच्चे और शिशु को किसी भी तरह की दवा देने से पहले डॉक्टरी सलाह अवश्य लें, क्योंकि दवाओं की अधिक खुराक बच्चे के शरीर में जहर की तरह कार्य कर सकती है।

अपने बच्चे को तकलीफ में देखना हर मां-बाप के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में मां-बाप बच्चे की परेशानी को दूर करने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन कई बार मां-बाप के द्वारा किए गए कुछ सामान्य प्रयास बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसी तरह बच्चे के दांत निकलते समय आपको निम्न तरह के उपाय नहीं आजमाने चाहिए।

  1. मसूड़ों पर अल्कोहल रगड़ना – बच्चे के मसूड़ों पर शराब या अल्कोहल रगड़ना खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि हर प्रकार का अल्कोहल बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होता है। (और पढ़ें - शराब की लत छुड़ाने के घरेलू उपाय)
     
  2. लौंग का तेल – लौंग के तेल से बच्चे के सूजे हुए मसूड़ों में जलन होने लगती है। इससे बच्चे के दर्द को कम करना मुश्किल हो जाता है। (और पढ़ें - लौंग के फायदे)
     
  3. फ्रोजन टीथर्स (Frozen teethers) – ठंड से जमे हुए व सख्त टीथर्स बच्चे के मसूड़ों में दर्द को बढ़ा सकते हैं, इससे बच्चे को सर्दी जुकाम और गले में दर्द की समस्या भी हो सकती है। इसकी जगह पर केवल ठंड़े टीथर्स और सामान्य तापमान वाले टीथर्स को ही बच्चों के मुहं में इस्तेमाल करना चाहिए। (और पढ़ें - गले में दर्द के घरेलू उपाय)
     
  4. टीथर्स से बनी माला (Teethers necklace) – कुछ टीथिंग खिलौने बच्चे के गले में पहने जाते हैं। लेकिन आपको इन्हें इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे बच्चे के उलझने की संभावनाएं होती है। साथ ही यह खिलौने बच्चे के गले में भी फंस सकते हैं। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
     
  5. गंदे टीथर्स – बच्चे की साफ सफाई पर पूरा ध्यान दें और बच्चे को गंदे खिलौनों से न खेलने दें। बच्चे को हमेशा साफ से धुले हुए कपड़े और टीथर्स ही चबाने के लिए दें। गंदगी की वजह से बच्चे को संक्रमण होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

दांत निकलना बच्चे के जीवन की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। उचित देखभाल और सही उपायों से आप बच्चे को दांत निकलते समय होने वाले दर्द से राहत प्रदान कर सकती है। बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है कि आप उसे रोने न दें।  

(और पढ़ें - नवजात शिशु के कफ को दूर करने के घरेलू नुस्खें

Dr. Mayur Kumar Goyal

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