विटामिन ई  टेस्ट क्या है?

विटामिन ई टेस्ट को टोकोफेरॉल या अल्फा-टोकोफेरॉल टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह टेस्ट खून में विटामिन ई के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है।

विटामिन ई हमारे शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रतिरक्षी कार्यों को बढ़ावा देता है और शरीर से हानिकारक एंटीजन को हटाने में मदद करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है और खून के थक्के जमने से भी रोकता है। 

विटामिन ई की आहार में बताई गई मात्रा वयस्कों के लिए 15 mg प्रतिदिन और बच्चों के लिए 6 से 15 mg प्रतिदिन है। मनुष्यों में इसकी कमी से कोई बीमारी दुर्लभ ही मानी जाती है असामयिक शिशुओं और कुअवशोषण की स्थिति में इसकी कमी से बीमारी हो सकती है। हालाँकि, गर्भवती महिलाओं में विटामिन ई की कमी से हाइपरटेंशन, प्लेसेंटा (गर्भनाल) का टूटना, मिसकैरेज या समय से पहले जन्म जैसी स्थितियों का खतरा बढ़ सकता है।

(और पढ़ें - विटामिन K की कमी से होने वाले रोग)

  1. विटामिन ई टेस्ट क्यों किया जाता है - Vitamin E Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. विटामिन ई से पहले - Vitamin E Test Se Pahle
  3. विटामिन ई के दौरान - Vitamin E Test Ke Dauran
  4. विटामिन ई के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Vitamin E Test Result and Normal Range

विटामिन ई टेस्ट किसलिए किया जाता है?

विटामिन ई या टोकोफ़ेरॉल टेस्ट निम्न के लिए किया जा सकता है:

  • असमय जन्मे शिशुओं में विटामिन ई का स्तर जानने के लिए 
  • किसी व्यक्ति में यह जानने के लिए उसे पर्याप्त विटामिन ई की मात्रा मिल रही है या नहीं 
  • शरीर द्वारा अवशोषित हो रहे विटामिन ई का स्तर जानने के लिए 
  • ब्राउन बाउल सिंड्रोम की जांच के लिए 
  • उन लोगों में पोषण का स्तर जानने के लिए जिन्हें लम्बे समय से नसों के द्वारा (इंट्रावेनस द्रव) पोषण दिया जा रहा है।

विटामिन ई की कम मात्रा लेने से और कम अवशोषण होने से विटामिन ई की कमी हो जाती है इस के लक्षण निम्न हैं:

  • चलते चलते संतुलन बिगड़ना 
  • मस्तिष्क में आने-जाने वाले संकेतों की गति धीमी होना (Slower reflexes)
  • दिखाई देने से संबंधित समस्या
  • मांसपेशियों में कमजोरी

विटामिन ई के सामान्य से अधिक स्तर से निम्न स्थितियाँ हो सकती हैं:

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विटामिन ई टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

टेस्ट के लिए आधे दिन 12 से 16 घंटे तक भूखे रहने की सलाह दी जाती है। 

 

विटामिन ई टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य टेस्ट है जिसमें एक सुई की मदद से खून के सेंपल लिए जाते हैं।

  • आपसे लेटने को या बैठने को कहा जा सकता है और मुठ्ठी बनाने को कहा जाएगा 
  • डॉक्टर आपकी बांह पर एक रबर बैंड बांध देंगे ताकि नस ढूंढने में आसानी हो। 
  • नस मिलने पर खून निकालने वाली जगह को साफ किया जाएगा। 
  • सैंपल लेने के लिए नस में सुई लगाई जाएगी। 
  • पर्याप्त सैंपल मिल जाने पर सुई निकाल दी जाएगी और उस जगह पर बैंडेज लगा दी जाएगी।
  • आपसे इंजेक्शन वाली जगह को हल्का सा दबाने को कहा जाएगा ताकि रक्त का प्रवाह रुक जाए।

विटामिन ई टेस्ट के परिणाम तीन से पांच दिन में आ जाते हैं। 

इस टेस्ट से जुड़े छोटे से खतरे हैं जिनमे हल्का सा नील पड़ना और खून निकालते समय हल्का सा दर्द हो सकता है। हालाँकि, ये लक्षण जल्द ही गायब हो जाते हैं।

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विटामिन ई टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम :
बच्चों में विटामिन ई की सामान्य वैल्यू 3-18.4 µg/mL है, ये वैल्यू वयस्कों में 5.5 to 17 µg/mL तक है। 

असामान्य परिणाम :
विटामिन ई के कम स्तर इस बात का संकेत देते हैं कि व्यक्ति के शरीर में विटामिन ई का अवशोषण कम हो रहा है और यह कम मात्रा में लिया जा रहा है। डॉक्टर इसकी कमी का पता लगाने के लिए कुछ और टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। विटामिन ई का कम स्तर निम्न कारणों से हो सकता है। 

लम्बे समय से विटामिन ई का कम स्तर अटैक्सिया (नस या ब्रेन डैमेज के कारण शरीर का असंतुलित होना और समन्वय का बिगड़ना) और न्यूरोपैथी (गिलैन बैरे सिंड्रोम का एक प्रकार जिसमें ज्ञानेन्द्रियां काम नहीं करती और शरीर के भाग में कुछ भी महसूस नहीं होता) नामक स्थितियों का कारण बन सकता है। विकसित देशों में विटामिन ई की गंभीर कमी लिपिड के अवशोषण संबंधी विकार से जुड़ी होती है। 

विटामिन ई के उच्च स्तर 'विटामिन के' के कार्यों, जैसे रक्त जमाव में रुकावट बन सकता है। इसीलिए, ऐसे मामलों में सप्लीमेंट द्वारा विटामिन ई कम लेना चाहिए। डॉक्टर विटामिन ई का स्तर कम करने के लिए आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं। 

नोट : टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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