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  1. अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्या होता है? - Appendectomy kya hai in hindi?
  2. अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्यों किया जाता है? - Appendectomy kab kiya jata hai?
  3. अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने से पहले की तैयारी - Appendectomy ki taiyari
  4. अपेंडिक्स का ऑपरेशन कैसे होता है? - Appendectomy kaise hota hai?
  5. अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने के बाद देखभाल - Appendectomy hone ke baad dekhbhal
  6. अपेंडिक्स के ऑपरेशन की जटिलताएं - Appendectomy me jatiltaye

अपेंडिक्स का ऑपरेशन (अपेन्डेक्टमी/ एपेन्डेक्टमी; Appendectomy) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके ज़रिये संक्रमित अपेंडिक्स (Appendix) को हटाया जाता है। इस स्थिति को अपेंडिसाइटिस (Appendicitis) कहा जाता है। अपेन्डेक्टमी, जिसे अपेंडिसेक्टोमी (Appendisectomy or Appendicectomy) भी कहा जाता है, एक आम आपातकालीन सर्जरी है। 

अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा पाउच है। यह पेट की निचिले हिस्से में दाँई ओर होता है। अगर आपको अपेंडिसाइटिस है तो आपके अपेंडिक्स को तुरंत निकालने के ज़रूरत होती है। अगर इसका उपचार न किया जाये तो अपेंडिक्स फट सकता है। यह एक मेडिकल एमर्जेन्सी (Emergency; आपातकालीन स्थिति) है।  

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अपेंडिसाइटिस का निदान होने पर आपको इस सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में आपका अपेंडिक्स पीड़ादायक, सूजा हुआ और संक्रमित हो जाता है। आगरा आपको अपेंडिसाइटिस है तो, अपेंडिक्स के फटने का गंभीर जोखिम रहता है और ये लक्षण दिखने के 48 से 72 घंटों में हो सकता है। इस स्थिति में आपके पेट में पेरिटोनाइटिस नामक एक गंभीर जानलेवा संक्रमण हो सकता है। 

अपेंडिसाइटिस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने चिकत्सक को बताएं और मेडिकल सहायता प्राप्त करें:

  1. नाभी के पास अचानक दर्द शुरू होना जो पेट के दाहिने निचले हिस्से तक हो
  2. पेट में सूजन
  3. पेट की मांसपेशियों में अनम्यता (Rigid Abdominal Muscles)
  4. दस्त (और पढ़ें - दस्त के घरेलू उपचार)
  5. मतली (Nausea)
  6. उलटी
  7. भूख कम लगना
  8. लो-ग्रेड बुखार (Low Grade Fever- 98.6° F से ज़्यादा लेकिन 100.4° F से कम)

हालांकि अपेंडिसाइटिस का दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में होता है लेकिन क्योंकि गर्भावस्था में अपेंडिक्स ऊपर हो जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस स्थिति में दर्द पेट के दाहिने ऊपरी भाग में होता है। 

सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा: 

  1. सर्जरी से पहले किये जाने वाले टेस्ट्स/ जांच (Tests Before Surgery)
  2. सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच (Anesthesia Testing Before Surgery)
  3. सर्जरी की योजना (Surgery Planning)
  4. सर्जरी से पहले निर्धारित की गयी दवाइयाँ (Medication Before Surgery)
  5. सर्जरी से पहले फास्टिंग खाली पेट रहना (Fasting Before Surgery)
  6. सर्जरी का दिन (Day Of Surgery)
  7. सामान्य सलाह (General Advice Before Surgery)

इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी

अपेंडिक्स को हटाने की सर्जरी को करने के दो तरीके हैं:

  1. ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy) - यह इस सर्जरी को करने का मानक तरीका है
  2. लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy) - यह कम काटकर या चीरकर की जाने वाली प्रक्रिया है

लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान, सर्जन ओपन सर्जरी करने का निर्णय ले सकते हैं। अगर मरीज़ का अपेंडिक्स फट गया है, तो ऐसे में ओपन सर्जरी की ज़रुरत होती है। 

हाल में, अध्ययनों में कहा जा रहा है कि इंट्रावेनस (नसों में) एंटीबायोटिक्स दिए जाने से भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। हालांकि यह अभी भी विवादास्पद है और अपेन्डेक्टमी को अभी भी उपचार की मानक प्रक्रिया माना जाता है।

ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy)

  1. पेट के निचले भाग में दांयी तरफ एक चीरा काटा जायेगा, जिसकी लम्बाई दो से चार इंच तक होगी।
  2. पेट की मांसपेशियों को हटाया जायेगा और फिर सर्जिकल धागों से बांधकर अपेंडिक्स को निकाला जायेगा। 
  3. अगर रोगी का अपेंडिक्स फट गया है तो आपके उदर को सेलाइन से धोया जायेगा। 
  4. फिर पेट की लाइनिंग और मांसपेशियों को सिला जायेगा और घाव को पट्टियों से ढका जायेगा। चीरे के अंदर द्रव निकालने के लिए एक छोटी ट्यूब लगाई जा सकती है।

लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy)

  1. इस प्रक्रिया में ओपन सर्जरी की तुलना में छोटे चीरे किये जाते हैं। हालांकि चीरों की संख्या ज़्यादा होती है। इस प्रक्रिया में एक से तीन तक चीरे काटे जा सकते हैं। 
  2. एक चीरे से लैप्रोस्कोप (Laparascope), एक लम्बी पतली ट्यूब, डाला जाता है जिससे एक छोटा वीडियो कैमरा और अन्य सर्जिकल उपकरण जुड़े होते हैं। कैमरा की मदद से सर्जन को पेट के अंदरूनी हिस्सों को देखने और उपकरणों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी। 
  3. पेट में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) डालकर पेट को फुलाया जाता है ताकि अंदरूनी हिस्से आसानी से देखे जा सकें। 
  4. अपेंडिक्स को सर्जिकल धागों से बाँध कर बाहर निकाला जाएगा। 
  5. सर्जरी के समाप्त होने पर लैप्रोस्कोप और अन्य उपकरणों को निकला जायेगा और कार्बन डाइऑक्साइड को चीरों से बहार निकलने दिया जायेगा। द्रव निकालने के लिए चीरे के अंदर एक ट्यूब लगायी जा सकती है।
  6. अंत में चीरे को सिल दिया जायेगा और घाव को पट्टियों से ढक दिया जायेगा।

अस्पताल में देखभाल (Hospital Care)

  1. सर्जरी के बाद मरीज़ को रिकवरी रूम में ले जाया जायेगा। चिकत्सकों और नर्सों द्वारा मरीज़ की ह्रदय गति, श्वास, रक्त चाप, नब्ज आदि की जांच की जाएगी और स्थिति नियंत्रण में आते ही मरीज़ को अस्पताल के कमरे में शिफ्ट किया जायेगा।
  2. लैप्रोस्कोपिक सर्जरी आउट-पेशेंट (Out Patient; जिसमें मरीज़ को सर्जरी के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती) आधार पर भी की जा सकती है। 
  3. रिकवरी में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है की सर्जरी किस प्रक्रिया से की गयी है और प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया का कौनसा प्रकार दिया गया था। 
  4. सर्जरी के अंत में चीरे के अंदर लगायी गयी ट्यूब को तब निकाला जायेगा जब आँतों की कार्यवाही सामान्य हो जाएगी। जब तक उस ट्यूब को निकाल नहीं दिया जाता तब तक मरीज़ कुछ खा या पी नहीं पाएंगे। 
  5. आपको आपकी स्थिति के अनुसार दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं।

घर में देखभाल (Recovery At Home)

  1. जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाये तो ध्यान रखें कि आप घाव को साफ़ और सूखा रखते हैं। आपको किस प्रकार नहाना है इसके निर्देश डॉक्टर द्वारा दिए जायेंगे। डॉक्टर द्वारा कुछ समय में टाँके खोल दिए जायेंगे। 
  2. घर आने के बाद भी नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप करवाते रहें। 
  3. ज़्यादा देर तक खड़े रहने पर चीरे की जगह और पेट की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें। 
  4. अगर आपका उपचार लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से हुआ है तो आपको यह लग सकता है कि कार्बन डाइऑक्साइड अभी भी आपके पेट में है। यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी। 
  5. सर्जरी के बाद हर वक़्त बिस्तर पर न रहकर, इधर उधर टहलना रोगी के लिए अच्छा होगा। लेकिन थकाने वाले कार्य न करें। डॉक्टर से पूछें कि आप कबसे काम पर वापिस जा सकते हैं।

निम्न परेशानियां होने पर अपने चिकित्सक को सूचित करें:

  1. बुखार या ठंड लगना (और पढ़ें – बुखार के घरेलू उपचार)
  2. चीरे की जगह पर सूजन, रक्तस्त्राव, लाल होना या अन्य किसी प्रकाव का स्त्राव
  3. चीरे की जगह पर दर्द
  4. उलटी
  5. भूख कम लगना
  6. लगातार खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना
  7. पेट में दर्द, अकड़न या सूजन (और पढ़ें – पेट दर्द का घरेलू इलाज
  8. दो दिन या उससे ज़्यादा समय तक मलत्याग न होना
  9. तीन दिन से ज़्यादा समय से पानी वाले दस्त होना

दोनों प्रक्रियाओं में जटिलताएं और जोखिम कम हैं। लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया में अस्पताल में कम समय तक रहने की आवश्यकता होती है, रिकवरी में कम समय लगता है और संक्रमण का जोखिम भी कम होता है। 
अपेन्डेक्टमी से होने वाले कुछ जोखिम निम्न हैं:

  1. रक्तस्त्राव
  2. घाव पर संक्रमण
  3. पेट में सूजन, संक्रमण या पेट का लाल होना (अगर अपेंडिक्स सर्जरी के दौरान फट जाए तो)
  4. आँतों का अवरुद्ध हो जाना 
  5. आसपास के अंगों में चोट लग जाना

किसी भी तरह की परेशानी होने पर (उपर्लिखित या कोई अन्य समस्या भी) अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर करें। 

संदर्भ

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