जिंजीवाइटिस - Gingivitis in Hindi

Dr Razi AhsanBDS,MDS

September 02, 2018

August 17, 2023

जिंजीवाइटिस
जिंजीवाइटिस

जिंजीवाइटिस क्या है?

हममें से अधिकांश लोगों ने अपने जीवनकाल में जिंजीवाइटिस की मामूली समस्या को महसूस किया होगा। यह मसूड़ों में होने वाली सूजन है, जो आमतौर पर जीवाणु (बैक्टीरिया) संक्रमण के कारण होती है। यदि इसका उपचार न किया जाए, तो इसका संक्रमण और भी गंभीर हो सकता है, जिसे पेरिओडोन्टाइटिस (Periodontitis) कहा जाता है।

यह रोग दांतों को सहारा देने वाले ऊतकों को नष्ट कर देता है, जिसमें मसूड़े, मुंह के लिगामेंट्स और दांत के सॉकेट्स शामिल हो सकते हैं।

जिंजीवाइटिस मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं – एक्यूट, आवर्ती (Recurrent), क्रोनिक।

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आपके दांतों पर गंदगी (प्लाक) जमा होने के दीर्घकालिक प्रभावों के कारण जिंजीवाइटिस होता है। प्लाक एक चिपचिपा पदार्थ है, जो बैक्टीरिया, बलगम और भोजन के बचे हुए छोटे टुकड़ों से बनता है। यह दांतों के खुले हुए हिस्सों पर इकट्ठा हो जाता है। यह दांतों की सड़न का भी एक प्रमुख कारण है।

यदि आप प्लाक को नहीं हटाते हैं तो यह टार्टर या कैलकुलस (Tartar or calculus) नामक एक कठोर पदार्थ में बदल जाता है, जो दांत के आधार (मसूड़ों की जोड़ पर) में फंस जाता है। प्लाक और टार्टर मसूड़ों में जलन और तकलीफ पैदा करते हैं। जीवाणु (Bacteria) और उनके द्वारा उत्पन्न किए गए विषाक्त पदार्थ मसूड़ों में संक्रमण, सूजन और उनके कमजोर होने का कारण बनते हैं। मसूड़ों में सूजन की समस्या को गंभीरता से लेना और इसका तुरंत इलाज करवाना जरुरी होता है।

जिंजीवाइटिस और पेरिओडोन्टाइटिस वयस्कों में होने वाली दांतों की क्षति के प्रमुख कारण हैं। मुंह के अंदर की स्वच्छता का ध्यान न रखना मसूड़ों की सूजन का सबसे आम कारण है।

मुंह के अच्छे स्वास्थ्य से जुड़ी आदतें, जैसे– दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना और नियमित रूप से दांतों की जांच करवाने से, जिंजीवाइटिस की समस्या को रोका या कम किया जा सकता है।

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नेशनल ओरल हेल्थ सर्वे (राष्ट्रीय मौखिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण), डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली, 2004 -

राष्ट्रीय मौखिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, पेरियोडोंटल रोग का प्रसार उम्र के साथ बढ़ता जाता है। सर्वेक्षण के अनुसार, इसका प्रसार 12,15, 35-44 और 65-74 आयु के लोगों में क्रमशः 57%, 67.7%, 89.6% और 79.9% रहा, (5 वर्षीय बच्चों में पीरियोनैंटल बीमारी का मूल्यांकन नहीं किया जाता)। बुजुर्गों में इसके प्रसार के कम होने का कारण उनमें दांतों की कमी हो सकती है। 

35-44 आयुवर्ग के लोगों में 17.5% और 65-74 आयुवर्ग के लोगों में 21.4% मध्य श्रेणी का पेरिओडोन्टाइटिस देखा गया।

गंभीर बीमारी वाला पेरियोडोंटल रोग मतलब कम से कम एक दांत की 6mm से अधिक गहराई होना 35-44 आयुवर्ग के लोगों में 7.8% और 65-74 आयु के लोगों में 18.1% रहा।

गौरतलब है कि इसमें कोई भी लिंगभेद नहीं देखा गया और अधिकतर ग्रामीण लोगों में इसका अधिक प्रसार (ज्यादा संख्या में मौजूदगी) देखा गया।

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"नियमित रूप से दाँतों की सफाई"  समूह ने बहुत ही अच्छे ढंग से पेरियोडोंटल रोग के कम होने की बात को दिखाया, साथ ही यह भी बताया कि टूथब्रश का उपयोग, उंगली से की गयी सफाई से काफी बेहतर है। यह सर्वेक्षण मूल रूप से एक प्रसार सर्वेक्षण था, जिसमें जोखिम कारकों पर कम जोर दिया गया था। इस सर्वे ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर एक विश्वसनीय आधारभूत विवरण प्रदान किया।

जिंजीवाइटिस के प्रकार - Types of Gingivitis in Hindi

जिंजीवाइटिस कितने प्रकार का होता है? 

  1. एक्यूट जिंजीवाइटिस –
    यह अचानक शुरू होने वाला, छोटी अवधि का और कष्टकारी हो सकता है।
     
  2. आवर्तक (Recurrent) जिंजीवाइटिस –  
    उपचार के कुछ दिनों बाद पुनः लौट आता है। 
     
  3. क्रोनिक जिंजीवाइटिस – 
    धीमी शुरुआत और दर्द रहित।

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जिंजीवाइटिस के लक्षण - Gingivitis Symptoms in Hindi

जिंजीवाइटिस की पहचान कैसे होती है? 

जिंजीवाइटिस के रोगी में आमतौर पर निम्न संकेतों और लक्षणों में से एक या अधिक देखे जा सकते हैं –

  1. लाल और सूजे हुए मसूड़े, जिनसे बहुत आसानी से रक्तस्राव होता है, यहां तक कि ब्रश या फ्लॉसिंग के दौरान भी।
  2. मुंह की दुर्गन्ध
  3. मसूड़ों पर सफेद धब्बे या प्लाक 
  4. मसूड़ों का ऐसा आकार होना, जैसे वे दांतों से दूर हट रहे हो या जगह छोड़ रहे हो। 
  5. मसूड़ों या दांतों के बीच मवाद
  6. दांतों के ढांचे और उनके बीच मौजूद खाली जगह में बदलाव।
  7. आंशिक रूप से लगाए गए नकली दाँतों के फिट होने के तरीके में बदलाव।

जिंजीवाइटिस होना संभव है और इसके कोई संकेत या लक्षण भी दिखाई नहीं देते, इसलिए दंत चिकित्सक द्वारा नियमित रूप से दाँतों की जाँच कराना रोगी के विशिष्ट जोखिम स्तर को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण है। दंत चिकित्सक मुँह का प्राथमिक उपचार प्रदाता होते हैं और रोग का निदान करने में आवश्यक सारी जानकारी प्रदान करने में सक्षम होंगे। 

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जिंजीवाइटिस के कारण - Gingivitis Causes in Hindi

मसूड़ों की बीमारी के कारण क्या हैं?

मसूड़ों की बीमारी ज्यादातर मुंह की समुचित रूप से सफाई न करने के कारण होती है। इसके कारण प्लाक और कैलकुलस में बैक्टीरिया दांतों पर मौजूद रहता है और मसूड़ों को संक्रमित कर देता है। लेकिन अन्य कारक भी हैं, जो जिंजीवाइटिस के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं। कुछ सामान्य जोखिम कारक निम्नलिखित  हैं –

  1. दांतों की बिलकुल देखभाल न करना।
  2. लार उत्पादन में कमी।
  3. धूम्रपान करने या तंबाकू का सेवन मसूड़ों के ऊतक को स्वस्थ होने से रोकता है।
  4. मधुमेह के कारण रक्त प्रवाह और मसूड़ों की स्वास्थ्य क्षमता को क्षति पहुंचती है।
  5. दौरे रोकने के दवाई जैसी दवाएं मसूड़ों के रोग को बढाती हैं।
  6. कैंसर और कैंसर के उपचार से व्यक्ति में संक्रमण होने की संभावनाएं अधिक हो सकती हैं और मसूड़ों की बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है।
  7. शराब मौखिक रक्षा तंत्र को प्रभावित करती है।
  8. तनाव जीवाणु आक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) को कम करता है।
  9. टेढ़े-मेढ़े या एक दांत के ऊपर दूसरा दांत होने से प्लाक और कैलकुलस को इकट्ठा होने के लिए ज्यादा जगह मिल जाती है और इन्हें साफ करना कठिन हो जाता है।
  10. युवावस्था, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म बंद होना) में होने वाले हार्मोनल बदलाव आमतौर पर जिंजीवाइटिस में वृद्धि से जुड़े हुए हैं। हार्मोन के बढ़ने के कारण मसूड़ों में मौजूद रक्त वाहिकाएं बैक्टीरिया और रासायनिक हमले के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं। युवावस्था में मसूड़ों की बीमारी का प्रसार 70% - 90% के बीच होता है।
  11. गलत आहार, जैसे कि अधिक मात्रा में शुगर और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन और पानी कम मात्रा में पीने से प्लाक के निर्माण में वृद्धि होगी। साथ ही, विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी चिकित्सा को प्रभावित कर देगी।

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जिंजीवाइटिस से बचाव - Prevention of Gingivitis in Hindi

जिंजीवाइटिस की रोकथाम कैसे करनी चाहिए?

जिंजीवाइटिस की रोकथाम करने के लिए तीन मुख्य उपाय किए जा सकते हैं, जो इस प्रकार है: 

  1. स्वास्थ्य सम्बन्धित अच्छी आदतें – 
    पौष्टिक आहार खाना और रक्त में शुगर की मात्रा को सामान्य बनाये रखना मधुमेह (शुगर) के साथ-साथ स्वस्थ मसूड़ों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
     
  2. मौखिक स्वच्छता का ध्यान रखना – 
    इसका अर्थ है कि कम से कम दो बार मतलब कि सुबह उठते ही और रात को सोने से अपने दांतों को ब्रश करना और एक दिन में कम से कम एक बार फ्लॉसिंग करना चाहिए। (दांतों की सफाई करने वाले धागे से दांत साफ करना)। बेहतर होगा कि आप हर बार भोजन या नाश्ता करने के बाद या आपके दंत चिकित्सक की सलाह के मुताबिक ब्रश करें। ब्रश से पहले फ्लॉसिंग करने से आपके दांतों में फंसे हुए भोजन के कण और जीवाणु (बैक्टीरिया) बाहर आ जाते हैं।
     
  3. दांतों की नियमित जांच – 
    आमतौर पर हर 6 से 12 महीनों में अपने दन्त चिकित्सक से दांतों की सफाई करवाएं। यदि आपके अंदर पेरिओडोन्टाइटिस की संभावना को बढ़ाने वाले जोखिम कारक हैं, जैसे कि गला बार-बार सूखना, कुछ दवाएं लेना या धूम्रपान करना – तो अक्सर आपको अनुभवी दन्त चिकित्सक द्वारा दांतों की सफाई कराने की आवश्यकता हो सकती है। वार्षिक दंत एक्स-रे आपके दांतों के उन रोगों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, जो आपके दांतों में होने वाले परिवर्तन को विज़ुअल दंत परीक्षा - डेंटल चेकअप और मॉनिटर द्वारा नहीं दिखा पाता।  

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जिंजीवाइटिस का परीक्षण - Diagnosis of Gingivitis in Hindi

जिंजीवाइटिस का निदान कैसे होता है?

दांतों के परीक्षण के दौरान आपके दंत चिकित्सक आमतौर पर इन चीजों की जांच करते हैं –

  1. आपके दांत, उनकी मेडिकल हिस्ट्री और उनसे जुड़ी परिस्थितियों का अध्ययन करके, आपके लक्षणों को समझा जा सकता है। 
  2. प्लाक और सूजन के लक्षणों को जानने के लिए आपके दांतों, मसूड़ों, मुंह और जीभ की जांच। (और पढ़ें - जीभ के छाले का इलाज)
  3. आपके मसूड़ों और दांतों के बीच की गहराई (pocket depth) को मापना। इसके लिए आपके दांत के नीचे मसूड़ों की सतह में तथा मुंह में कई जगहों पर दांतों की जांच करने वाले एक उपकरण को डाला जाता है। एक स्वस्थ मुंह में मसूड़ों और दांतों के बीच की गहराई आमतौर पर 1 और 3 मिलीमीटर के बीच होती है। 4 मिमी से अधिक गहराई मसूड़ों की बीमारी का संकेत हो सकती है।
  4. मसूड़ों और दांतों के बीच अधिक गहराई होने पर आपके दांतों के डॉक्टर दंत एक्स-रे द्वारा उस गहराई वाले स्थान में हड्डी को होने वाली क्षति की जांच करते हैं। 
  5. अगर यह स्पष्ट नहीं है कि आपके मसूड़े की सूजन का कारण क्या है, तो आपके दंत चिकित्सक स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों की जांच करने के लिए चिकित्सा मूल्यांकन का परामर्श दे सकते हैं। यदि आपकी मसूड़ों की बीमारी ज्यादा बढ़ गयी है तो आपके दंत चिकित्सक आपको मसूड़े के रोग विशेषज्ञ (पेरियोडोंटिस्ट) के पास भेज सकते हैं।

(और पढ़ें - मुंह के छाले का इलाज)

जिंजीवाइटिस का इलाज - Gingivitis Treatment in Hindi

जिंजीवाइटिस का उपचार कैसे किया जाता है?

तत्काल उपचार आमतौर पर मसूड़ों की सूजन के लक्षणों को ठीक कर देता है और इनसे होने वाले मसूड़ों के गंभीर रोग और दांतों के नुकसान को रोकता है। जब आप अच्छी दैनिक दिनचर्या को अपनाते हैं, अपने मुंह की अच्छी देखभाल करते हैं और तम्बाकू के सेवन को बंद कर देते हैं, तो आपके खुद ही सफल उपचार की सीढ़ी के करीब पहुंचने लगते हैं। 

  1. दांतों की पूरी सफाई –
    प्लाक और टार्टर के सभी अंश निकाल दिए जाते हैं (स्केलिंग)। यह प्रक्रिया असहज हो सकती है, खासकर जब रोगी के मसूड़े ज़्यादा संवेदनशील हों या प्लाक और टार्टर काफी मात्रा में जमा हो गए हों।
     
  2. एंटीसेप्टिक माउथ वॉश – 
    यह स्प्रे या जेल (gel) के रूप में हो सकता है, जिसे आमतौर पर एक महीने के लिए उपयोग किया जाता है। इससे  बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद मिलती है। डॉक्टर क्लोरहेक्सिडीन (chlorhexidine) या हेक्शेटिडिने (hexetidine) का परामर्श दे सकते हैं। एंटीसेप्टिक माउथ वॉश के विभिन्न उत्पादों को किसी भी मेडिकल स्टोर से (प्रिस्क्रिप्शन की कोई आवश्यकता नहीं है) खरीदा जा सकता है।
     
  3. एंटीबायोटिक्स – 
    पेरिओडोन्टाइटिस के कुछ गंभीर मामलों में दंत चिकित्सक मसूड़ों में संक्रमण का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का एक छोटा कोर्स लिख सकते हैं। आमतौर पर इस प्रकार के मसूड़ों के संक्रमण के लिए निर्धारित दवाओं के उदाहरणों में मैट्रोनिडाज़ोल (metronidazole) और डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline) शामिल हैं। इन्हें आमतौर पर तीन दिनों के लिए दिन में तीन बार लिया जाता है।

    गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डॉक्सीसाइक्लिन दवा नहीं लेनी चाहिए। डॉक्सीसाइक्लिन गर्भनिरोधक गोली के प्रभाव को भी कम कर सकती है, एेसे में रोगी को गर्भनिरोधक के अन्य साधनों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि उपचार के दौरान और इस टेबलेट की आखिरी डोज लेने के सात दिन बाद तक कंडोम का उपयोग करें।              
                                         
  4. दांतों को ब्रश करना 
    दंत चिकित्सक रोगी के ब्रश करने की तकनीक देखेंगे और यदि आवश्यक होगा तो ठीक से ब्रश करने का तरीका भी बताएंगे। कई दंत चिकित्सकों का कहना है कि अच्छी तरह से ब्रश करने के लिए इलेक्ट्रिक टूथब्रश एक बेहतर विकल्प हो सकता है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यदि नल के पानी में फ्लोराइड की मात्रा कम है तो फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। फ्लोराइड दांतों के इनेमल को मजबूत बनाता है, जो इन्हें सड़न से बचाता है।        
                                         
  5. दांतों की फ्लॉसिंग – 
    दंत चिकित्सक रोगी की फ्लॉसिंग तकनीक की समीक्षा करेंगे और यदि आवश्यक होगा, तो रोगी को यह भी बताएंगे कि इसे ठीक से कैसे करें।
     
  6. दंत समस्याओं का समाधान – 
    अगर कोई दांत टेढ़ा है, नकली दांत ठीक से फिट नहीं हुआ है, दांतों में भराव या दांतों की मरम्मत से जुड़ी कोई दूसरी समस्या (dental restorations) हैं तो इन्हें सुधारने की आवश्यकता होगी। 

दन्त चिकित्सक द्वारा दांतों की अच्छे से सफाई के बाद आमतौर पर मरीज दीर्घकालिक रूप से मुंह को स्वच्छ रखने की आदतें अपनाकर जिंजीवाइटिस से छुटकारा पा सकता है। इस दौरान एक बात ध्यान दें कि यदि जिंजीवाइटिस की समस्या समाप्त हो गई है तो मसूड़ों का रंग दोबारा से गुलाबी हो जाना चाहिए।

(और पढ़ें - मसूड़ों से खून आना)

कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है –

  1. फ्लैप सर्जरी (Flap surgery) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मसूड़ों को उठाकर रखा जाता है, जब तक प्लाक को निकाल नहीं दिया जाता। उसके बाद मसूड़ों को दांत के चारों तरफ अच्छी तरह से फिट करने के लिए उनमें टांके लगाए जाते हैं। 
  2. हड्डी और ऊतक ग्राफ्ट (Bone and tissue grafts) का उपयोग वहां किया जा सकता है, जहां दाँत और जबड़े बहुत ज्यादा क्षतिग्रस्त होते हैं।
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जिंजीवाइटिस के जोखिम और जटिलताएं - Gingivitis Risks & Complications in Hindi

जिंजीवाइटिस से क्या खतरें हो सकते है? 

जिंजीवाइटिस बहुत आम है और यह किसी को भी हो सकता है। जिंजीवाइटिस का खतरा बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं –

  1. मुंह की अच्छे से देखभाल न करना 
  2. धूम्रपान या तम्बाकू का सेवन 
  3. वृद्धावस्था
  4. मुंह का शुष्क होना 
  5. विटामिन सी सहित अन्य पोषक तत्वों की कमी (और पढ़ें - विटामिन सी की कमी)
  6. दांतों की बनावट या ढांचे का ठीक तरह से न बैठ पाना या टेढ़े दांत जो आसानी से साफ नहीं हो पाते
  7. रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाली स्थितियां, जैसे – ल्यूकेमिया, एचआईवी / एड्स या कैंसर के उपचार 
  8. कुछ दवाएं, जैसे – मिर्गी के दौरे के लिए फेनीटोइन (डिलांटिन, फेनीटेक) और, एनजाइना, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य स्थितियों में लिए जाने वाले कुछ कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स
  9. गर्भावस्था, मासिक धर्म चक्र या गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग से होने वाले हार्मोनल परिवर्तन (और पढ़ें - गर्भधारण करने के तरीके)
  10. जेनेटिक्स (अनुवांशिकता)
  11. चिकित्सकीय परिस्थितियाँ, जैसे कि कुछ वायरल और फंगल संक्रमण 

जिंजीवाइटिस से जुड़ी समस्याएं क्या है? 

  1. अनुपचारित जिंजीवाइटिस मसूड़े के रोग को बढ़ा सकता है, जो कि अंतर्निहित ऊतक और हड्डी (पेरिओडोन्टाइटिस) तक फैल सकता है। स्थिति अधिक गंभीर होने पर दांतों को नुकसान हो सकता है।
  2. माना जाता है कि पुरानी जिंजीवल सूजन कुछ बीमारियों, जैसे कि श्वसन रोग, मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग, स्ट्रोक और रूमटॉइड गठिया (rheumatoid arthritis) से जुड़ी होती है। कुछ शोध बताते हैं कि पेरिओडोन्टाइटिस के लिए जिम्मेदार जीवाणु (बैक्टीरिया) मसूड़ों के ऊतक के माध्यम से आपके रक्त में प्रवेश कर सकते हैं। यह संभवत: आपके हृदय, फेफड़े और शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन इस संबंध की पुष्टि करने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
  3. ट्रेंच माउथ (Trench mouth) को नेक्रोटाइज़िंग अल्सरेटिव जिंजीवाइटिस (एनयूजी) (Necrotizing Ulcerative Gingivitis - NUG) भी कहा जाता है। यह जिंजीवाइटिस का एक गंभीर रूप है, जो कष्टदायक, संक्रमित, मसूड़ों से रक्तस्राव और अल्सरेशन का कारण बनता है। ट्रेंच माउथ वर्तमान समय में विकसित राष्ट्रों में दुर्लभ है, हालांकि विकासशील देशों में अल्प पोषण और जीवित रहने की खराब स्थितियों के कारण यह रोग सामान्य रूप से पाया जाता है।  

जिंजीवाइटिस में परहेज़ - What to avoid during Gingivitis in Hindi?

जिंजीवाइटिस में किन चीजों से बचना चाहिए? 

  1. अम्लीय (एसिडिक) फूड से बचें - 
    बैक्टीरिया और अन्य रोगजनक सूक्ष्मजीव अम्लीय वातावरण में पनपते हैं, जो मसूड़ों के रोग में योगदान करते है। एेसे में अम्लीय खाने से बचें। 
     
  2. शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों से बचें - 
    शर्करा युक्त पदार्थ अत्यधिक अम्लीय होते हैं। यही कारण है कि चीनी का अत्यधिक मात्रा में सेवन दांतों की सड़न और मसूड़ों के रोगों को बढ़ाता है।
     
  3. ठंडे पदार्थों से बचें - 
    जब आपके मसूड़े दांतों को सहारा देने वाली नसों को ढीला छोड़ देते हैं, तो नसें खुल जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप ये ठंडे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।

जिंजीवाइटिस में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Gingivitis in Hindi?

जिंजीवाइटिस में क्या खाएं?

  1. सेब –
    भोजन के बाद एक सेब खाना लार के उत्पादन में मदद कर सकता है और दांत पर चिपकने वाले बैक्टीरिया को दूर करके दांतों की क्षति को कम कर सकता है।
     
  2. ग्रीन टी – 
    दिन में एक बार ग्रीन टी पीने से सांसों को ताजा, दांतों को मजबूत और मसूड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है। ग्रीन टी में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट कैंसर से भी रक्षा करते हैं।
     
  3. मेवे और बीज – 
    कैल्शियम की आवश्यक मात्रा में पूर्ति के लिए कई प्रकार के सूखे मेवे और बीज खाएं। आपके दांत और जबड़े मुख्य रुप से कैल्शियम के बने हुए होते हैं, इसलिए इस खनिज को पर्याप्त मात्रा में खाना मसूड़ों के रोग और दांतों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बादाम, कद्दू के बीज और काजू में सबसे अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।
     
  4. अजमोद (celery) – 
    अजमोद को चबाने से अतिरिक्त लार का उत्पादन होता है, जो सड़न पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारता है। यह प्राकृतिक रूप से अपघर्षक (abrasive) सब्जी है, जो मसूड़ों की मालिश और दांतों के बीच सफाई करती है।  
     
  5. गहरे हरे रंग का पत्तेदार साग
    अगली बार जब आप सलाद या सैंडविच बनाएं, तो इसमें पालक या केल (एक प्रकार की गोभी) जैसे सलाद के पत्ते शामिल करें। गहरे हरे रंग का पत्तेदार साग कैल्शियम सहित कई अन्य पोषक तत्वों को बहुतायत में प्रदान करता है, जो स्वस्थ दांतों और मसूड़ों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
     
  6. केले – 
    मैग्नीशियम, पोटेशियम और मैंगनीज से भरपूर केले में मुंह के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक विटामिन पाए जाते है। केला दांतों के इनेमल (enamel) के निर्माण में और दांतों की सड़न व बीमारी के खिलाफ लड़ने में मदद करता है।
     
  7. चीनी रहित च्यूइंग गम –
    चीनी रहित च्यूइंग गम को कभी-कभी चबाना लार प्रवाह को उत्तेजित करता है, जिससे हानिकारक एसिड को बेअसर और दूर करने में मदद मिलती है। स्वस्थ लार प्रवाह मुंह में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को बढ़ाता है और दांतों के इनेमल को मजबूत करता है।
     
  8. साबुत अनाज – 
    ब्राउन राइस, गेंहू का पास्ता और दलिया युक्त एक पौष्टिक आहार आपकी दंत समस्याओं के विकास की संभावना कम कर सकता है। साबुत अनाज प्रचुर मात्रा में विटामिन बी के स्रोत होते हैं, जो आपके मसूड़ों को स्वस्थ रखने और पेरिओडोन्टल बीमारी को दूर रखने में मदद करते हैं।


संदर्भ

  1. National Health Service [Internet] NHS inform; Scottish Government; Gum disease.
  2. Merck Sharp & Dohme Corp. [Internet]. Kenilworth, NJ, USA; Gingivitis.
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Gingivitis.
  4. Anuja Chandra. et al. Epidemiology of periodontal diseases in Indian population since last decade. J Int Soc Prev Community Dent. 2016 Mar-Apr; 6(2): 91–96. PMID: 27114945
  5. American Dental Association. [Internet]. Niagara Falls, New York, U.S.; Gingivitis.

जिंजीवाइटिस की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Gingivitis in Hindi

जिंजीवाइटिस के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।