मानव शरीर में अंदर और बाहर अरबों बैक्टीरिया होते हैं। इनमें आंत (या गट) का बैक्टीरिया व्यक्ति की सेहत और बीमारी दोनों में एक विशेष भूमिका निभाता है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, गट बैक्टरिया जन्म के दो हफ्ते के भीतर सक्रिय हो जाते हैं। ये शरीर में मौजूद अन्य बैक्टीरिया या कीटाणुओं की रोगजनक प्रजातियों (जैसे एस्चेरिचिया कोलाई या ई कोलाई) को फैलने से रोकते हैं। हालांकि, एक हालिया रिसर्च में यह पता चला है कि आंत के बैक्टीरिया में पाए जाने वाले कई कीटाणुओं (जो बैक्टीरिया ही होते हैं) में ऐसे परिवर्तन होते रहते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।

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स्वास्थ्य विषय से जुड़ी पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित रिसर्च में शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, मानव शरीर के डीएनए में विशेष रूप से होने वाले कुछ बदलावों के कारण कैंसर कोशिकाएं विकसित होती हैं, जिन्हें कई मामलों में रोक पाना मुश्किल होता है। ये कैंसर कोशिकाएं तेजी से शरीर के हिस्सों में फैलती हैं और बड़ी मात्रा में शरीर के नुकसान का कारण बनती हैं।

अंत में इसी की वजह से कैंसर का ट्यूमर विकसित होता है। शरीर में होने वाले ये बदलाव अक्सर पराबैंगनी किरणों या धूम्रपान के संपर्क में आने के कारण होते हैं। बार-बार होने वाले बदलाव एक सेल के भीतर हानिकारक म्यूटेशन की आशंका बढ़ाते हैं, जिससे कैंसर होता है।

कैसे किया गया रिसर्च?
शोध में अध्ययनकर्ताओं ने कृत्रिम आंतें (गट ऑर्गेनॉइड) बनाईं और और ई कोलाई की मदद से उनमें होने वाले परिवर्तनों की जांच की। इसमें पाया गया कि ई कोलाई से पड़ने वाले दबाव से ऑर्गेनॉइड्स में जीनोटॉक्सिन नाम का रसायन पैदा हुआ जो मानव डीएनए को हानि पहुंचाता है। यह भी पता चला कि इस केमिकल में एक पदार्थ और मौजूद था जिसे कोलिबैक्टिन कहते हैं। यह रसायन जहर का काम करता है जो बाद में कैंसर का कारण बनता है। 

इस शोध के पांच महीने बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन ऑर्गेनोड्स सेल्स (कृत्रिम कोशिकाएं) में ये परिवर्तन हुए, वे डीएनए से जुड़ी थीं। इस तरह बैक्टीरिया की मौजूदगी के कारण कोशिकाओं में लगातार बदलाव देखने को मिला।

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डीएनए में चार रासायनिक आधार होते हैं। इनमें से एक है एडेनिन (ए)। रिसर्च के आखिर में शोधकर्ताओं की टीम ने कोलिबैक्टिन के डीएनए को नुकसान पहुंचाने के तरीके का पता लगाना शुरू किया। उन्होंने इसकी मॉलिक्यूल संरचना और यह डीएनए पर कैसे काम करता है इसका पता लगाया। मुख्य खोज यह थी कि कोलिबैक्टिन एक साथ दो 'ए' को बांध सकता है। इससे उनके बीच एक क्रॉसलिंक बनता है जो उन्हें आपस में जोड़ने का काम करता है।

अब अध्ययनकर्ताओं का अगला मकसद यह पता करना था कि यह बैक्टीरिया कैसे कैंसर का कारण बनते हैं। इसके लिए शोधकर्ताओं ने अलग प्रकार के कैंसर के 5,000 से अधिक मरीजों की जांच की। अध्ययन में पता चला कि आंत के कैंसर के पांच प्रतिशत से अधिक मामले बैक्टीरिया से जुड़े थे।

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डीएनए क्या है?
डीएनए एक जटिल, जंजीर जैसा दिखने वाला अणु है जो किसी जीवित जीव की आनुवंशिक विशेषताओं को एन्कोड करता है। यह अधिकांश पौधों और जानवरों में डीएनए राइबोन्यूक्लिक एसिड और प्रोटीन के साथ कॉम्पैक्ट (संकुचित) संरचनाओं के रूप में पाया जाता है, जिसे कोशिका नाभिक (सेल न्यूक्लियस) में रहने वाले गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) कहा जाता है। लाल रक्त कोशिकाओं को छोड़ कर हमारे शरीर की लगभग हर कोशिका में डीएनए या जेनेटिक कोड होता है। इनमें पूरे जीवन के विकास, वृद्धि, प्रजनन और कार्य के लिए निर्देश होते हैं।

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