काइरोप्रैक्टिक एक ऐसी उपचार पद्धति है जिसमें काइरोप्रैक्टर नामक थेरेपिस्ट अपने हाथों के प्रयोग से आपको हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों की परेशानियों में राहत प्रदान करते हैं।

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"वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ काइरोप्रैक्टिक" के अनुसार काइरोप्रैक्टिक का अर्थ है “मानव शरीर के हड्डियों के तंत्र में किसी तरह के यांत्रिक विकार तथा इन विकारों से शरीर के नर्वस तंत्र और सामान्य स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव के उपचार और बचाव से जुड़ा एक स्वास्थ्य संबंधी पेशा जिसमें रीढ़ की हड्डी के एडजस्टमेंट और अन्य जोड़ों तथा मुलायम टिश्यू पर हाथों से दबाव डाल कर उपचार करने पर ज़ोर दिया जाता है।”

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काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा को एक वैकल्पिक और सहायक इलाज माना जाता है, इसका मतलब यह है कि काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा को पारंपरिक चिकित्सा उपचार नहीं माना जाता है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा क्या है, काइरोप्रैक्टिक उपचार कैसे किया जाता है तथा काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा के लाभ और नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।

  1. काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा क्या है - Chiropractic treatment kya hai in hindi
  2. काइरोप्रैक्टिक उपचार कैसे होता है - Chiropractic treatment procedure in hindi
  3. काइरोप्रैक्टिक उपचार के फायदे - Chiropractic treatment benefits in hindi
  4. काइरोप्रैक्टिक उपचार के नुकसान - Chiropractic treatment side effects in hindi

काइरोप्रैक्टिक हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) और हड्डियों के तंत्र में आने वाले किसी विकार का बिना किसी ऑपरेशन के किए जाने वाले उपचार का ही एक प्रकार है। आमतौर पर काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा के उपयोग से रीढ़ की हड्डी और इसके आस-पास के क्षेत्र में उपचार किया जाता है।

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विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि आमतौर पर कमर के निचले हिस्से में दर्द के इलाज के साथ-साथ लंबर हर्नियेटेड डिस्क (यह स्लिप डिस्क का ही एक प्रकार है। यह परेशानी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में होती है) के इलाज में रेडिक्यूलोपेथी के लिए और गर्दन दर्द जैसी अन्य परेशानियों के लिए काइरोप्रैक्टर द्वारा हाथों से की जाने वाली थेरेपी उपयोग की जाती है।

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काइरोप्रैक्टर द्वारा हाथों का उपयोग करके रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालने के पीछे सिद्धांत यह है कि अगर हमारे शरीर का हड्डी तंत्र सही स्वरुप में आ जाता है तो बिना किसी सर्जरी या दवा के शरीर स्वयं इस परेशानी को ठीक कर लेता है। यह दबाव इसलिए उपयोग किया जाता है ताकि टिश्यू में किसी दुर्घटना जैसे गिरने से चोट लगने या पीठ को बिना सहारा दिए बैठने आदि कारण से जोड़ों को हिलाने डुलाने में होने वाली परेशानी को दूर किया जा सके।

काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा का उपयोग मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों और इनसे जुड़े टिश्युओं जैसे कि कार्टिलेज, लिगामेंट्स और टेंडन्स में होने वाले दर्द के इलाज के लिए एक वैकल्पिक उपचार के रूप में प्रमुख रूप से किया जाता है। कभी-कभी इसका उपयोग किसी अन्य परंपरागत चिकित्सा के साथ संयोजन में भी किया जाता है।

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आप जब पहली बार इलाज करवाने जाते हैं तो आपके काइरोप्रैक्टर आपके स्वास्थ्य के बारे में सवाल करेंगे और आपकी रीढ़ की हड्डी पर केंद्रित कुछ शारीरिक जाँच भी करेंगे। आपके काइरोप्रैक्टर एक्स-रे जैसी किसी अन्य जाँच के लिए भी कह सकते हैं। इस सब के बाद अगर आपके काइरोप्रैक्टर को लगता है कि आप के लिए काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा उचित रहेगी तो फिर वे आपके लिए उपचार की एक योजना बनाते हैं।

काइरोप्रैक्टिक चिकित्सा के ऊपर किये जाने वाले अधिकांश शोध रीढ़ की हड्डी में समायोजन या हेरफेर पर ही केंद्रित रहे हैं। रीढ़ की हड्डी में समायोजन या हेरफेर सिरदर्द, गर्दन दर्द, कंधों और घुटनों के जोड़ों में परेशानी और मोच आने से होने वाले विकार में लाभ कर सकता है।

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दुनिया भर में काइरोप्रैक्टर द्वारा रीढ़ की हड्डी के समायोजन के 100 से अधिक प्रकार उपयोग किए जाते हैं। कुछ काइरोप्रैक्टर ताकत लगाकर मरोड़ने की तकनीक उपयोग करते हैं तो कुछ अन्य अधिक सौम्य तरीका उपयोग करते हैं जिसमें रीढ़ की हड्डी को हिलाया डुलाया जाता है।

इसके साथ ही काइरोप्रैक्टर ठंडा या गर्म सेक करने की चिकित्सा, इलेक्ट्रिक स्टिमुलेशन (बिजली के हल्के प्रवाह से कोशिकाओं में उत्तेजना पैदा करना), रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करने वाले उपकरण और टिश्युओं को गर्मी देने के लिए अल्ट्रासाउंड इत्यादि तरीकों का भी उपयोग करते हैं।

आपके इलाज के लिए जो भी तकनीक उपयोग की जाए, अधिकांश तकनीकों का उपयोग एक गद्देदार और एडजस्ट की जा सकने वाली मेज पर किया जाता है। जरुरत के अनुसार मेज के हिस्सों को ऊपर नीचे किया जा सकता है। पीड़ित को आमतौर पर एक निश्चित स्थिति में इस पर बैठा कर या सुला कर इलाज शुरू किया जाता है।

इसके बाद आपके काइरोप्रैक्टर जोड़ों पर अचानक एक उचित सीमा में ताकत का प्रयोग करके जोड़ों की सामान्य गति से अधिक मोड़ने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने से आपको हड्डियों के कड़कने की आवाज सुनाई दे सकती है।

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शोधकर्ताओं ने रीढ़ की हड्डी के समायोजन या हेरफेर के कारण कमर, गर्दन और कंधों के दर्द से लेकर अस्थमा, कार्पल टनल सिंड्रोम, फाइब्रोमायल्जिया और सिरदर्द जैसी परेशानियों में होने वाले लाभ पर कई अध्ययन किए।

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कमर के दर्द पर केंद्रित अधिकांश अध्ययनों में रीढ़ की हड्डी के समायोजन या हेरफेर का लाभ दिखता है। हाथों से की जाने वाली थेरेपी से होने वाले लाभ के वैज्ञानिक सबूतों की 2010 में की गयी समीक्षा के अनुसार रीढ़ की हड्डी का समायोजन कमर दर्द, माइग्रेन और गर्दन से संबंधित सिरदर्द, गर्दन दर्द, कंधों के दर्द व घुटनों के दर्द और मोच से जुड़े विकार में मदद करता है।

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हालाँकि इस समीक्षा के अनुसार अस्थमा, हाइपरटेंशन (हाई बीपी) और मासिक धर्म में दर्द के लिए कोई लाभ नहीं पता चले हैं तथा कुछ अन्य परेशानियों जैसे फाइब्रोमायल्जिया, पीठ के बीच में दर्द, पीएमएस, साइटिका इत्यादि में इसके लाभ को बताने के लिए उपलब्ध अध्ययन पर्याप्त नहीं है।

ये ध्यान रहे कि इस उपचार से किसी-किसी को कोई लाभ नहीं महसूस होता है और अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है कि उपचार लेने के बाद भी लक्षणों में कोई सुधार नहीं दिख रहा है तो आपके लिए यह एक उचित विकल्प नहीं है, अपने डॉक्टर से बात करें और कोई अन्य उपचार लें।

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अगर उपचार करने वाला अच्छे से प्रशिक्षित है तो आमतौर पर काइरोप्रैक्टिक उपचार सुरक्षित होता है। गंभीर प्रभाव बहुत ही कम होते हैं। किंतु कुछ लोगों को हल्के नुकसान जैसे सिरदर्द, थकान या इलाज करने वाली जगह पर दर्द हो सकता है। चोट लगने की आशंका और इससे होने वाले फायदे के बारे में कम जानकारी के चलते यह आज भी एक विवादास्पद थेरेपी बनी हुई है।

जिन लोगों को ओस्टियोपोरोसिस, रीढ़ की हड्डी में संपीड़न (spinal cord compression) या इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस है या जो लोग खून पतला करने की दवा ले रहें हैं उन्हें काइरोप्रैक्टिक उपचार नहीं करवाना चाहिए। जिनको सुन्न होना, झुनझुनी और हाथ या पांव में कमजोरी आने की परेशानी है तो उन्हें भी यह उपचार नहीं कराना चाहिए।

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इसके अलावा कैंसर के मरीज अगर यह चिकित्सा करवाना चाहते हैं तो उन्हें पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और अगर वे अनुमति दे तो ही इस थेरेपी का उपयोग करें।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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