मूत्र असंयमिता (पेशाब न रोक पाना) - Urinary Incontinence in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

June 28, 2017

January 31, 2024

मूत्र असंयमिता
मूत्र असंयमिता

क्या होता है मूत्र असंयमिता?

मूत्र असंयमिता (Urinary incontinence) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अनैच्छिक रूप से पेशाब का रिसाव होने लगता है। यह पेशाब को ना रोक पाने की स्थिति होती है, इसका मतलब मरीज उस समय भी पेशाब कर देता है, जब वह नहीं चाहता। इसमें शरीर में मूत्र को कंट्रोल करने वाले स्फिंक्टर (Sphincter) नष्ट या कमजोर पड़ जाते हैं। मूत्र असंयमिता एक सामान्य समस्या होती है। इसकी गंभीरता की सीमा खांसने या छींकने पर पेशाब रिसने से लेकर पेशाब करने की अचानक व तीव्र इच्छा जागना और टॉयलेट तक जाने तक कंट्रोल ना कर पाना है। यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ लोगों में और आम हो जाती है, हालांकि उम्र बढ़ने पर यह समस्या होना अनिवार्य नहीं है। मूत्र असंयमिता की समस्या पुरूषों से ज्यादा महिलाओं में होती है। महिलाओं में इस समस्या को गर्भावस्था, बच्चे को जन्म देना और मासिक धर्म आदि पैदा कर सकते हैं। मूत्राशय की मांसपेशियां कमजोर होना या अधिक ऑवररिएक्टिव होना, या नसों में किसी प्रकार की क्षति होना भी मूत्र असंयमिता का कारण बनती हैं। पेशाब ना रोक पाने की समस्या खुद में एक रोग नहीं होता, यह किसी रोग या समस्या का लक्षण भी हो सकता है। महिलाओं में मूत्र असयंमिता की जाँच करने में शारीरिक परीक्षण और अल्ट्रासाउंड आदि शामिल हैं। मूत्र असयंमिता के उपचार में बिहेवियरल और नोन-फार्माकोलोजिक, सर्जरी, कैथेटराइजेशन और इन सभी का संयोजन शामिल हो सकता है।

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पेशाब न रोक पाने के प्रकार - Types of Urinary Incontinence in Hindi

मूत्र असंयमिता के कितने प्रकार हो सकते हैं?

मूत्र असंयमिता को सामान्यतः तीन प्रकारों में बांटा जाता है। मरीज एक समय में एक से ज्यादा प्रकार का अनुभव कर सकते हैं। इसके निम्न प्रकार होते हैं:

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तनाव असंयमिता-

तनाव असंयमिता कुछ विशेष प्रकार की शारीरिक गतिविधियों से शुरू होती है। उदाहरण के लिए जैसे खांसी, छींक, हंसना या व्यायाम आदि करते समय मूत्राशय का नियंत्रण खो देना। कुछ ऐसे व्यायाम जो मूत्र को नियंत्रित करने वाले स्फिंटर पर दबाव डालते हैं, वे मूत्र असयंमिता का कारण बन सकते हैं।

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इच्छा असंयमिता-

यह तब होता है, जब अचानक से पेशाब करने की एक तीव्र इच्छा जागती है, और उस समय मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं हो पाता। इच्छा असंयमिता में पेशाब करने की इच्छा होने के बाद मरीज के पास बाथरूम तक जाने तक का नियंत्रण नहीं हो पाता।

(और पढ़ें - पेशाब में जलन क्यों होती है)

ऑवरफ्लो असंयमिता-

ऑवरफ्लो की समस्या तब हो सकती है, जब आप पेशाब करते समय अपने मूत्राशय को पूरी तरह खाली नहीं करते हैं। बाद में बचा हुआ मूत्र मूत्राशय से रिसने लगता है।

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पेशाब न रोक पाने के लक्षण - Urinary Incontinence Symptoms in Hindi

मूत्र असंयमिता के लक्षण व संकेत क्या हो सकते हैं?

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तनाव असंयमिता के लक्षण:

  1. अनैच्छिक रूप से मूत्र रिसना, खासकर जब आप खांस, छींक या हंस रहे हों।
  2. पेशाब की छोटी या थोड़ी ज्यादा मात्रा रिसना।
  3. आमतौर पर रिसने के दौरान पेशाब की मात्रा थोड़ी ही होती है, लेकिन कई बार पेशाब की अधिक मात्रा भी निकल सकती है, खासकर जब मूत्राशय अत्याधिक भरा हुआ हो।

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तीव्र इच्छा के लक्षण:

  1. पेशाब करने की अचानक से तीव्र तथा नियंत्रित ना हो सकने वाली इच्छा जागना।
  2. अक्सर पेशाब की इच्छा जागने और पेशाब निकलने के बीच कुछ ही सेकेंड का समय होता है।
  3. अक्सर पोजीशन बदलने से और यहां तक कि बहते पानी की आवाज सुनकर भी पेशाब करने की इच्छा हो जाती है।
  4. पेशाब करने के लिए मरीज को रात के समय में भी कई बार उठना पड़ सकता है।
  5. सेक्स के दौरान भी पेशाब का रिसाव हो सकता है, विशेष रूप से चरम सीमा (Orgasm) के समय। (और पढ़ें - सेक्स के दौरान की जाने वाली गलतियां और sex karne ke tarike)
  6. पेशाब रिसाव के दौरान पेशाब की मात्रा अधिक या बहुत अधिक भी हो सकती है, हालांकि थोड़ी मात्रा आम है।

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मूत्र असयंमिता के दोनों प्रकार के लक्षण एक साथ दिखाई देना भी आम होता है, इसे मिश्रित असंयमिता (Mixed Incontinence) कहा जाता है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

(और पढ़ें - पेशाब रुकने का इलाज)

यदि पेशाब रिसने की समस्या बार-बार हो रही है और इससे जीवन में समस्याएं खड़ी हो रही है, तो ऐसे में डॉक्टर को दिखाना चाहिए। पेशाब रिसने की समस्या से निम्न समस्याएं हो सकती हैं, जैसे-

  1. अधिक गंभीर समस्याओं की शुरुआत।
  2. इसके कारण मरीज अपनी काफी सारी गतिविधियों को नहीं कर पाते और सामाजिक संबंधों से भी बचने लगते हैं।
  3. एक दम से पेशाब की इच्छा से हड़बड़ी हो जाती है और बूढ़े लोगों के लिए गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

(और पढ़ें - योनि में इन्फेक्शन का इलाज)

कुछ ऐसे लक्षण, जिनके दिखाई देने या महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए, जैसे-

  1. बोलने या चलने में कठिनाई,
  2. शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी या झुनझुनी,
  3. देखने में कमी, ( और पढ़ें - आंखों की रोशनी कैसे बढ़ाएं)
  4. उलझन महसूस होना,
  5. चेतना में कमी, (और पढ़ें - बेहोशी का इलाज)
  6. आंतों के नियंत्रण में कमी इत्यादि।

और पढ़ें - गर्भावस्था में बार बार पेशाब आने का कारण)

पेशाब न रोक पाने के कारण और जोखिम कारक - Urinary Incontinence Causes & Risk Factors in Hindi

मूत्र असयंमिता के कारण व जोखिम कारक:

मूत्र असयंमिता खुद एक रोग नहीं होता, यह एक लक्षण होता है। यह रोजाना की आदतों, अंतर्निहित मेडिकल स्थितियों या कुछ अन्य शारीरिक समस्याओं के कारण हो सकता है। डॉक्टर द्वारा पूरे शरीर की अच्छी तरह से जांच, मूत्र असयंमिता के पीछे छिपे उसके कारण को बता सकता है।

अस्थायी मूत्र असंयमिता-

कुछ प्रकार की दवाएं, खाद्य व पेय पदार्थ मूत्र बनने की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। ये मूत्राशय को उत्तेजित करते हैं और मूत्र की मात्रा को बढ़ा देते हैं। इन पदार्थों में शामिल हैं-

(और पढ़ें - दवाइयों के फायदे, नुकसान और बाकि जानकारी)

मूत्र असयंमिता निम्न स्थितियों के कारण भी हो सकता है-

  1. मूत्र पथ में संक्रमण – संक्रमण मूत्राशय को उत्तेजित कर सकता है, जिस कारण से अचानक से पेशाब करने की तीव्र इच्छा जाग सकती है और कई बार पेशाब रिसने लगता है।
  2. कब्ज – मलाशय (गुदा) मूत्राशय के पास ही स्थित होती है और इन दोनों को बहुत सारी नसें आपस में जोड़ती हैं। (और पढ़ें - कब्ज का घरेलू उपाय)

अंतर्निहित शारीरिक समस्याओं और बदलावों के कारण होने वाली मूत्र असंयम भी एक स्थायी स्थिति बन सकती है, जिनमें निम्नलिखित शामिल है:

  • गर्भावस्था – हार्मोन में बदलाव या भ्रूण का वजन बढ़ने से भी तनाव असंयमिता हो सकती है। ( और पढ़ें - गर्भावस्था के लक्षण)
  • बच्चे को जन्म देना (प्रसव) – योनि द्वारा डीलिवरी से वे नसें कमजोर पड़ जाती हैं, जो मूत्राशय नियंत्रण के लिए जरूरी होती हैं। जिस कारण मूत्राशय असंयमिता की समस्या होने लगती है। ( और पढ़ें - नार्मल डिलीवरी कैसे होती है)
  • उम्र के साथ बदलाव – उम्र बढ़ने के साथ-साथ मूत्राशय द्वारा मूत्र संग्रह करने की क्षमता भी कम होने लगती है। उम्र के साथ-साथ मूत्राशय का संकुचन होना भी मूत्र असयंमिता का एक आम कारण होता है।
  • रजोनिवृत्ति – रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन (Estrogen) बनने की मात्रा कम हो जाती है। एस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन होता है, जो मूत्राशय और मूत्रमार्ग को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इन ऊतकों के क्षय होने से मूत्र असयंमिता की स्थिति बढ़ सकती है। ( और पढ़ें - एस्ट्रोजन स्तर बढ़ने का कारण)
  • हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) – महिलाओं में मूत्राशय और गर्भाशय दोनों एक साथ कई मांसपेशियों और लिगामेंट्स से जुड़े होते हैं। किसी भी प्रकार की सर्जरी जिसमें महिलाओं की प्रजनन प्रणाली (गर्भाशय निकालने समेत) शामिल होती है, ये सभी सर्जरी मूत्र असयंमिता का कारण बन सकती हैं।
  • पौरुष ग्रंथि की सूजन – खासकर यह अधिक उम्र वाले पुरूषों में होती है। मूत्र असयंमिता अक्सर पौरुष ग्रंथि के आकार बढ़ने से ही होता है। इस स्थिति को बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BHP) के नाम से भी जाना जाता है। ( और पढ़ें - अंडकोष में सूजन का इलाज)
  • पौरुष ग्रंथि में कैंसर – पुरुषों में तनाव असयंमिता और तीव्र इच्छा असयंमिता, ये दोनों अनुपचारित पौरुष ग्रंथि के कैंसर से भी जुड़ी हो सकती हैं। लेकिन ज्यादातर बार मूत्र असंयमिता की समस्या पौरुष ग्रंथि में कैंसर के इलाज का एक साइड इफेक्ट होता है।
  • रुकावटें (Obstruction) – मूत्र पथ में कहीं भी ट्यूमर बनने से पेशाब के सामान्य बहाव में रूकावटें आने लगती हैं, जिस कारण से ऑवरफ्लो असंयमिता की समस्या होने लगती है। मूत्राशय की पथरी भी कई बार पेशाब के रिसाव का कारण बन सकती है। ( और पढ़ें - पथरी का इलाज)
  • न्यूरोलोजिकल डिसऑर्डर - पार्किंसंस रोग, स्ट्रोक, मस्तिष्क में ट्यूमर या रीढ़ की हड्डी जैसे समस्याएं नसों के नियंत्रण में हस्तक्षेप कर सकती हैं।

जोखिम कारक –

  • लिंग (Gender) – महिलाओं में तनाव असयंमिता होने की संभावना अधिक होती है। गर्भावस्था, प्रसव, रजोनिवृत्ति और सामान्य महिला शरीर रचना इन सभी बदलावों का कारण बन सकती हैं। हालांकि, जिन पुरूषों को पौरुष ग्रंथि से जुड़ी समस्याएं हैं उन्हें इच्छा और ऑवरफ्लो मूत्र असयंमिता होने की समस्या ज्यादा होती है। ( और पढ़ें - मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव)
  • उम्र – जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे मूत्राशय और मूत्रपथ की नसों की शक्ति भी कम होने लगती हैं। उम्र के बदलाव के साथ-साथ मूत्राशय द्वारा मूत्र संग्रह और नियंत्रित करने की शक्ति भी कम हो जाती है और अनैच्छिक पेशाब रिसाव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • अधिक वजन होना – वजन ज्यादा होने से मूत्राशय और उसके आस-पास की नसों पर दबाव पड़ने लगता है। इससे उनमें कमजोरी आने लगती है और खांसी या छींक के समय वे पेशाब को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। (और पढ़ें - वजन कम करने के तरीके)

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  • धूम्रपान – तंबाकू का सेवन करने से भी मूत्र असंयमिता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)
  • पारिवारिक इतिहास – अगर परिवार के किसी सदस्य को मूत्र असयंमिता की समस्या है, खासकर तीव्र इच्छा मूत्र असयंमिता की समस्या है, तो परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी इस समस्या के जोखिम बढ़ जाते हैं।
  • अन्य प्रकार के रोग – न्योरोलोजिकल रोग और मधुमेह जैसे रोग भी मूत्र असयंमिता की समस्या के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

(और पढ़ें - शुगर का इलाज)

पेशाब न रोक पाने के बचाव के उपाय - Prevention of Urinary Incontinence in Hindi

मूत्र असयंमिता की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

मूत्र असंयमिता की हर बार रोकथाम कर पाना संभव नहीं है। हालांकि कुछ बातों का ध्यान रखने से इसके जोखिमों को कम किया जा सकता है।

(और पढ़ें - संतुलित आहार किसे कहते है)

  • स्वस्थ वजन बनाए रखें, (और पढ़ें - वजन कम करने का डाइट चार्ट)
  • पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज का अभ्यास करें,
  • मूत्राशय को उत्तेजित करने वाले पदार्थों का सेवन ना करें, जैसे जैसे अल्कोहल, कैफीन और अन्य अम्लीय खाद्य पदार्थ।
  • फाइबर में उच्च मात्रा वाली चीजें खाएं, क्योंकि फाइबर कब्ज को खत्म करता है। (और पढ़ें - कब्ज का इलाज)
  • धूम्रपान ना करें और इसको छोड़ने के लिए डॉक्टर से मदद प्राप्त करें।

(और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के सरल तरीके)

पेशाब न रोक पाने का परीक्षण - Diagnosis of Urinary Incontinence in Hindi

मूत्र असयंमिता का परीक्षण​/ निदान कैसे किया जाता है?

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

मूत्र असयंमिता की जांच के लिए डॉक्टर मरीज की पिछली मेडिकल जानकारी और शारीरिक परीक्षण रिपोर्ट मांग सकता है। जिन गतिविधियों से मूत्र असयंमिता की समस्या होती है, जाँच हेतु डॉक्टर मरीज को वे गतिविधियां करने के लिए भी बोल सकते हैं, जैसे खांसी आदि। डॉक्टर पेल्विक फ्लोर मांसपिशियों की मजबूती की जांच करने के लिए योनि की जांच कर सकते हैं। पुरुषों में पौरुष ग्रंथि के आकार की जांच कर सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रोस्टेट कैंसर सर्जरी)

कुछ अन्य टेस्ट जिनकी आवश्यकता पड़ सकती है, जैसे-

  1. मूत्र विश्लेषण – यह टेस्ट संक्रमण और अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। (और पढ़ें - यूरिन टेस्ट क्या है)
  2. खून टेस्ट – गुर्दें के कार्यों की जांच करने के लिए खून टेस्ट किया जाता है। (और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)
  3. तनाव टेस्ट – डॉक्टर मरीज को खुद पर अचानक से किसी प्रकार का दबाव डालने के लिए कह सकते हैं और इस दौरान डॉक्टर पेशाब के रिसने की जांच करते हैं।
  4. यूरोडायनामिक टेस्टिंग – इस टेस्ट से यह जांच की जाती हैं कि मूत्राशय और मूत्र पथ के स्फिंक्टर (पेशाब को रोकने वाला यंत्र) पेशाब के कितने दबाव तक को सहन कर पाता है।
  5. मूत्राशयचित्र (Cystogram) – यह एक एक्स-रे प्रक्रिया होती है, जो मूत्राशय का चित्र दिखाती है। (और पढ़ें - एक्स रे क्या है)
  6. मूत्राशयदर्शन (Cystoscopy) – यह एक पतली ट्यूब होती है जिसके सिरे पर लैंस लगा होता है, इसको मूत्रमार्ग में डाला जाता है। इसकी मदद से डॉक्टर मूत्र पथ की असामान्यताओं को देख पाते हैं।
  7. यह जांच करना की पेशाब करने के बाद मूत्राशय में कितना पेशाब बच जाता है। (और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट क्या है)
  8. पेल्विक अल्ट्रासाउंड एक तस्वीर प्रदान करता है, जिसमें किसी भी प्रकार की असमान्यता का पता लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - अल्ट्रासाउंड परीक्षण)

पेशाब न रोक पाने का उपचार - Urinary Incontinence Treatment in Hindi

मूत्र असयंमिता का उपचार कैसे किया जाता है?

मूत्र असयंमिता का उपचार उसके प्रकार, गंभीरता और उसके अंतर्निहित कारणों के आधार पर किया जाता है। कई बार उपचारों के एक संयोजन (कई उपचार एक साथ) की आवश्यकता भी पड़ जाती है। अगर कोईं अंतर्निहित समस्या इस लक्षण का कारण बन रही है तो उस समस्या का पहला उपचार निम्न हो सकता है-

(और पढ़ें - यूरेटेरोस्कोपी)

बिहेवियरल तकनीकें:

  • ब्लैडर ट्रेनिंग – इस ट्रेनिंग में पेशाब करने की इच्छा जागने के बाद उसको कुछ देर तक कंट्रोल करना सीखाया जाता है। इस ट्रेनिंग में पेशाब की इच्छा होने के बाद उसे 10 मिनट तक कंट्रोल करके रखने की कोशिश की जा सकती है। इसका लक्ष्य केवल यात्रा के दौरान शौचालय के समय की अवधि को लंबा करना होता है।
  • डबल वाइडिंग (Double Voiding) – ऑवरफ्लो असयंमिता से बचने के लिए इस तकनीक के दौरान पेशाब करने के दौरान मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करना सिखाया जाता है। डबल वाइडिंग का मतलब होता है पेशाब करना और फिर कुछ मिनट प्रतीक्षा करना और फिर से पेशाब करना।
  • सैड्यूल्ड टॉयलेट ट्रिप्स – इस तकनीक में पेशाब करने की इच्छा की प्रतीक्षा करने की बजाय हर दो से चार घंटे के अंदर पेशाब करने की आदत डालना।
  • द्रव व आहार प्रबंधन – मूत्राशय के नियंत्रण को फिर से हासिल करने के लिए कुछ विशेष खाद्य व पेय पदार्थों को दिया जाता है। इस दौरान अल्कोहल, कैफीन व अन्य अम्लीय पदार्थों का सेवन बंद कर दिया जाता है। तरल पदार्थों की खपत को कम करना, वजन कम करना और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना भी समस्या को कम कर सकते हैं।

पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की एक्सरसाइज –

मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए डॉक्टर कुछ एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं, जिससे पेशाब के रिसाव पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है। इन एक्सरसाइजों को कीगल एक्सरसाइज के नाम से भी जाना जाता है। तनाव असयंमिता के लिए ये एक्सरसाइज काफी प्रभावी होती हैं और तीव्र इच्छा असयंमिता में भी यह काफी फायदेमंद हो सकती हैं।

पेल्विक फ्लोर मांसपेशी एक्सरसाइज करते समय यह महसूस करना होता है कि आप मूत्र को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं और उसके बाद:

  • जिस मांसपेशी का इस्तेमाल आप पेशाब को रोकने के लिए करते हैं, उसको लगातार 5 सेकेंड तक सिकोड़कर रखने की कोशिश करें और फिर 5 सेकेंड तक ढीला छोड़ दें। (अगर यह कठिन हो रहा है तो 5 सेकेंड की जगह आप 2 सेकेंड का इस्तेमाल कर सकते हैं)
  • एक बार में 10 सेकिंड तक अपनी मांसपेशी संकुचित रखने का अभ्यास करें।
  • हर बार में 10 सेट करते हुऐ एक दिन में कम से कम 3 बार यह एक्सरसाइज करने का लक्ष्य बनाने की कोशिश करें।

(और पढ़ें - स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने के तरीके)

दवाएं –

मूत्र असयंमिता के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • एंटीकोलिनर्जिक्स (Anticholinergics) – ये दवाएं ऑवररिएक्टिव मूत्राशय को शांत करने का काम करती हैं, जिससे तीव्र इच्छा मूत्र असयंमिता से राहत मिलती है।
  • मीराबेगरॉन (Mirabegron) – इस दवा का इस्तेमाल भी तीव्र इच्छा मूत्र असंयमिता का इलाज करने के लिए किया जाता है। ये दवाएं मूत्राशय को शिथिल बना देती हैं, जिससे उसमें मूत्र संग्रह की मात्रा बढ़ जाती है। इसके साथ ही एक बार में अधिक मात्रा में पेशाब करने तथा अच्छी तरह से मूत्राशय को खाली करने में भी ये दवाएं काफी मदद करती हैं।
  • अल्फा ब्लॉकर्स (Alpha blockers) – पुरूषों में तीव्र इच्छा और ऑवरफ्लो असंयमिता का उपचार करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाएं मूत्राशय की मांसपेशियों और पौरुष ग्रंथि की मांसपेशियों के तंतुओं को शिथिल बना देती है, जिससे मूत्राशय को अच्छे से खाली करने में आसानी हो जाती है।

इंटरवेश्नल थेरेपी (Interventional Therapies) –

इंटरवेश्नल थेरेपी, जो मूत्र असंयमिता पर नियंत्रण करने में मदद करती है:

  • बोटुलाइनम टोक्सिक टाइप – A (Botox) – इसे 'बोटोक्स' भी कहा जाता है। मूत्राशय की मांसपेशी में बोटोक्स का इन्जेक्शन उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है, जिनका मूत्राशय ऑवररिएक्टिव होता है। बोटोक्स इन्जेक्श्न का इस्तेमाल डॉक्टर सिर्फ तब करते हैं, जब अन्य प्रकार के उपचार असफल हो जाते हैं।

सर्जरी -

अगर अन्य प्रक्रियाएं काम ना कर पाएं, तो मूत्र असंयमिता का कारण बनने वाली समस्याओं के लिए कुछ सर्जिकल प्रक्रियाएं की जा सकती हैं।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

जीवन शैली और आत्म देखभाल (Lifestyle and self-care)

मूत्र रिसाव की समस्या होने पर त्वचा में जलन भी हो सकती है, जिसकी रोकथाम करने के लिए अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत पड़ती है:

  • अपने आप को साफ करने के लिए खीसा (Washcloth) का इस्तेमाल करें।
  • गीली त्वचा को खुली हवा में सुखाएं।
  • बार-बार धोने या और गीला होने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से मूत्राशय के संक्रमण के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा कम हो सकती है।
  • बेरियर क्रीम का इस्तेमाल करें, जैसे पेट्रोलियम जैली, कोका बटर आदि, जो त्वचा को पेशाब के संपर्क में आने से बचा सकें।

(और पढ़ें - पेट्रोलियम जेली के फायदे)

अगर आपको तीव्र इच्छा असंयमिता या रात के समय अधिक समस्या होती है, तो टॉयलेट को सुविधाजनक रखें और ज्यादा दूरी पर ना रहें:

  • बेड व टॉयलेट के रास्ते में आने वाली हर चीज जैसे कोई फर्नीचर या कालीन आदि को हटा दें, क्योंकि तीव्र इच्छा में हड़बड़ी के दौरान इनसे टक्कर लग सकती है।
  • रात के समय रास्ते को स्पष्ट तथा उजागर रखने के लिए किसी टॉर्च या नाइट लाइट का इस्तेमाल करें, जिससे गिरने की संभावनाएं कम हो जाती है।
  • अपने कमरे में एक बेडसाइड कमोड (Bedside Commode) रखें।

(और पढ़ें - अंडाशय में सिस्ट हटाने की सर्जरी)

अन्य उपाय:

  • पैड – पेशाब के रिसाव को सोखने के लिए मरीज अंडरवियर के नीचे एक पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • वयस्क डायपर – कपड़ों को सूखा रखने के लिए मरीज वयस्क डायपर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
  • डिस्पोजेबल पैड – कुर्सियों और बेड आदि को पेशाब से सुरक्षित रखने के लिए डिस्पोजेबल पैड का इस्तेमाल किया जाता है।
  • स्पेशल स्कीन क्लींजर व क्रीम – क्लींजर का इस्तेमाल मूत्रमार्ग के आस-पास पेशाब से उत्तेजित होने वाली त्वचा को बचाने के लिए किया जाता है। क्रीम का इस्तेमाल पेशाब को त्वचा के संपर्क में आने से रोकने के लिए किया जाता है।


संदर्भ

  1. National Association for Continence. URINARY INCONTINENCE OVERVIEW. USA [Internet]
  2. National Institute on Aging [internet]: US Department of Health and Human Services; Urinary Incontinence in Older Adults
  3. Urology Care Foundation [Internet]. American Urological Association; What is Urinary Incontinence?
  4. Office on Women's Health [Internet] U.S. Department of Health and Human Services; Urinary incontinence.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Urinary Incontinence

मूत्र असंयमिता (पेशाब न रोक पाना) की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Urinary Incontinence in Hindi

मूत्र असंयमिता (पेशाब न रोक पाना) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।