जब आप ठंडे वातावरण में न भी हो तब भी आपके हाथ पैरों का ठंडा होना आम बात है। यद्यपि, आपके लिए ये परेशानी भरा हो सकता है, लेकिन हाथ पैर ठंडे होना किसी बड़ी समस्या की ओर इशारा नहीं करते हैं। हो सकता है कि आपके शारीरिक तंत्र द्वारा शरीर के तापमान को संतुलित करने का यही तरीका हो।

यदि आपके हाथ पैर लगातार ठंडे हो रहें हैं और उनका रंग भी बदल रहा हो, तब तो यह किसी प्रकार की समस्या का संकेत हो सकता है। हो सकता है कि इस तरह की प्रतिक्रिया से आपका शरीर तंत्रिका या रक्त संचार संबंधी किसी समस्या को बताने का प्रयास कर रहा हो। हाथ पैर ठंडे होने की समस्या कई लोगों को होती है और इस समस्या को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।

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इस लेख में आपको हाथ पैर ठंडे होने के कारण और उपाय के बारे में बताया गया है। साथ ही आपको हाथ पैर ठंडे के लक्षण और हाथ पैर ठंडे होने पर क्या करें आदि विषयों को भी विस्तार से समझाने का प्रयास किया गया है।

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  1. हाथ पैर ठंडे होने के लक्षण - Hath pair thande hone ke lakshan
  2. हाथ पैर ठंडे होने के कारण - Hath pair thande hone ke karan
  3. हाथ पैर ठंडे होने पर क्या करें - Hath pair thande hone pr kya kare

हाथ और पैर ठंडे होन पर आपको निम्नलिखित लक्षण महसूस हो सकते हैं:

अगर आपके हाथों और पैरों में ज्यादा ठंडा लग रही हो तो ऐसे में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। हाथ पैर में ठंड लगना बेशक आम बात हो, लेकिन युवा और स्वस्थ्य व्यक्तियों को इस स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए। 

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हाथ पैर ठंडे होने के कई कारण होते हैं। जिनमें निम्नलिखित बीमारियों को शामिल किया जाता है:

  • फ्रॉस्टबाइट (frostbite):
    फ्रॉस्टबाइट को रोग नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह अधिक ठंड के कारण उत्पन्न स्थिति होती है। इसमें हाथ पैर जमने के कारण त्वचा और ऊतक नष्ट होने लगते हैं। गंभीर फ्रॉस्टबाइट में व्यक्ति की मांसपेशियों, टेंडन (हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाले कठोर व लचीले ऊतक), रक्त वाहिकाएं और नसों को नुकसान होता है। इस स्थिति में त्वचा सिकुड़ जाती है और फटने लगती है। ऐसे में त्वचा को छूने पर कुछ भी महसूस नहीं होता है और इसके परिणामस्वरूफ गैंग्रीन की समस्या शुरू हो जाती है। (और पढ़ें - हाइपोथर्मिया का इलाज)
     
  • एनीमिया:
    एनीमिया अक्सर पीली त्वचा, थकान, कमजोरी और हाथ पैरों के ठंडे होने की वजह बनती है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया व्यक्ति में तब तक नहीं पहचाना जाता जब तक उस व्यक्ति को रेनॉड रोग का अनुभव ना हो। यदि हाथ पैरों को गर्म करने के उपायों को अपनाने के बाद भी आपके हाथ पैर ठंडे रहते हों तो ऐसे में आपको आयरन की जांच करानी चाहिए। (और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपाय)
     
  • डायबिटीज:
    डायबिटीज कई अन्य प्रकार की समस्या का भी कारण बनती है, जिसमें रक्त संचार, हाई बीपी और थायराइड संबंधी समस्याओं की वजह से हाथ पैरों का ठंडा होना आदि को शामिल किया जाता है। (और पढ़ें - शुगर में क्या खाना चाहिए)
     
  • लुपस:
    लुपस की वजह से भी व्यक्ति को हाथ पैर ठंडे होने में समस्या हो सकती है। सिस्टमिक लुपस (systemic lupus) में रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है। इसमें हाथ और पैरों की त्वचा की छोटी रक्त वाहिकाएं सामान्य रक्त प्रवाह को रोकती हैं। जिसकी वजह से हाथ पैर ठंडे होने लगते हैं। (और पढ़ें - नवजात शिशु के सर्दी जुकाम का इलाज)
     
  • रेनॉड रोग:
    ठंडे वातावरण और तनावपूर्ण स्थितियों में जब आपके हाथ पैर की रक्त वाहिकाएं अत्यधिक उत्तेजित हो जाती है, तो यह आपके हाथ पैर जमने का कारण बनती है और इसको ही रेनॉड रोग कहा जाता है। रेनॉड रोग में हाथ पैरों की वाहिकाएं और उंगलियां वासोस्पास्म (vasospasm) की स्थिति में पहुंच जाती हैं। वासोस्पास्म एक विशेष स्थिति होती है जिसमें वाहिकाएं सिकुड़ जाती है और इनमें बहने वाला रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। कुछ समय के बाद यह वाहिकाएं सख्त हो जाती है, जिससे रक्त प्रवाह पहले की अपेक्षा और कम हो जाता है। इसमें व्यक्ति के हाथ पैरों की उंगलियों का रंग पीला और सांवला हो जाता है। (और पढ़ें - पीलिया के घरेलू उपाय)

हाथ पैरों को ठंडे पानी में रखने, ठंडी चीजों को पकड़ने, ठंडी हवा के संपर्क में आने और भावनात्मक तनाव से रेनॉड रोग शुरू होता है। हाथ पैरों को ठंडा करने में योगदान देने वाला प्राइमरी रेनॉड रोग किसी अंतर्निहित समस्या का कारण नहीं होता है। यह एक आनुवांशिक विकार होता है। जबकि सेकेंडरी रेनॉड कई अंतर्निहित रोगों के कारण गंभीर विकार हो सकता है।

हाथ पैर ठंडे होने के अन्य कारण

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हाथ पैर ठंडे होने के लक्षण रेनॉड रोग और गंभीर समस्या का कारण हो तो दवाएं आपकी मदद कर सकती हैं। रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने और रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए आप कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, अल्फा ब्लॉकर्स या वासोडिलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके अलावा नर्व सर्जरी के माध्यम से भी रेनॉड के लक्षणों में आराम मिलता है। हाथ पैरों में छोटे से चीरे की मदद से रक्त वाहिकाओं की आसपास की नस को काट दिया जाता है। इस तरह की सर्जरी को स्मपैथिकटॉमी (sympathectomy) कहा जाता है।

हाथ पैर ठंडे होने से बचने के अन्य उपाय:

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