परिचय

खून में सीडी 4 टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है, जो यह बताता है कि खून में कितनी मात्रा में सीडी 4 कोशिकाएं मौजूद हैं। सीडी 4 कोशिकाएं एक प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं। इन्हें टी कोशिकाएं (T cells)  भी कहा जाता है। ये कोशिकाएं खून के माध्यम से आपके पूरे शरीर में घूमती हैं और बैक्टीरिया, वायरस व अन्य रोगाणुओं को नष्ट करती हैं। 

ये कोशिकाएं रोगों से लड़ती हैं। लिम्फोसाइट एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका होती है, जिसकी दो श्रेणियां होती हैं टी कोशिका (T cells) और बी कोशिका (B cells)। टी कोशिकाएं वायरल इन्फेक्शन से लड़ती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है, जबकि बी कोशिकाएं बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ती है। 

कभी-कभी शरीर में सीडी 4 कोशिकाओं की मात्रा बहुत ज्यादा या बहुत कम हो जाती है। इसका मतलब होता है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर पा रही है। 

यदि आप एचआईवी से ग्रस्त हैं, तो असरदार एंटीवायरल ट्रीटमेंट लेकर आप अपना सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या सामान्य रख सकते हैं और एचआईवी के लक्षणों व उससे होने वाली अन्य समस्याओं को कंट्रोल में रख सकते हैं साथ ही लंबे समय तक जीवन जी सकते हैं।

अध्ययन के द्वारा यह पता चला है कि एचआईवी से ग्रस्त जो व्यक्ति नियमित रूप से अपने उपचार करवाते हैं, वे एक स्वस्थ व्यक्ति (जो एचआईवी से ग्रस्त नहीं हैं) की तरह जीवन जी सकते हैं।

कुछ लोगों में सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या बहुत कम होती है। ऐसे लोगों को एंटीवायरल दवाओं के साथ-साथ कुछ विशेष प्रकार की दवाएं लेने की आवश्यकता पड़ सकती है, जो कुछ विशेष प्रकार के संक्रमणों की रोकथाम करती हैं। जब एंटीवायरल दवाओं की मदद से सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है।

(और पढ़ें - लिम्फोमा के लक्षण)

  1. सीडी 4 टेस्ट क्या होता है? - What is CD4 Test in Hindi?
  2. सीडी 4 टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of CD4 Test in Hindi
  3. सीडी 4 टेस्ट से पहले - Before CD4 Test in Hindi
  4. सीडी 4 टेस्ट के दौरान - During CD4 Test in Hindi
  5. सीडी 4 टेस्ट के बाद - After CD4 Test in Hindi
  6. सीडी 4 टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of CD4 Test in Hindi
  7. सीडी 4 टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - CD4 Test Result and Normal Range in Hindi

सीडी 4 टेस्ट क्या है?

सीडी 4 टेस्ट को “टी सेल टेस्ट” (T cell test) भी कहा जाता है। इस टेस्ट में लिम्फोसाइट नामक एक विशेष प्रकार की रक्त कोशिका की जांच की जाती है। सीडी 4 टेस्ट की मदद से शरीर में मौजूद कुल सीडी 4 कोशिकाओं की गिनती नहीं की जा सकती, लेकिन खून के सेंपल में मौजूद सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या का पता लगाया जा सकता है। जिससे यह पता चल जाता है कि एचआईवी किस स्टेज पर है और उससे क्या परिणाम हो सकते हैं। यह टेस्ट बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की सही स्थिति को प्रदर्शित करता है। 

सीडी 4 टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर यह निर्णय कर पाते हैं, कि मरीज के जीवन में सुधार करने के लिए क्या किया जा सकता है।

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सीडी 4 क्यों किया जाता है?

यदि आप में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं, तो डॉक्टर सीडी 4 टेस्ट कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको लिम्फ नोड्स से संबंधित कोई रोग है, तो भी यह टेस्ट किया जा सकता है। लिम्फ नोड्स एक छोटी ग्रंथि होती है, जो सफेद रक्त कोशिकाएं बनाती है। ऐसी बीमारियों का इलाज करने के दौरान भी इस टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इलाज कितने अच्छे से काम कर पा रहा है। 

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यदि आपको एचआईवी जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना देने वाले रोग हैं, तो डॉक्टर सीडी 4 टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं। खून का कैंसर व अन्य प्रकार के कैंसर आदि का इलाज करने के लिए भी सीडी 4 टेस्ट किया जा सकता है। 

प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने पर ये लक्षण विकसित हो सकते हैं:

  • बार-बार संक्रमण होना
  • किसी बीमारी से ठीक होने में कठिनाई
  • इलाज के बावजूद संक्रमण ठीक ना होना
  • बार-बार फंगल इन्फेक्शन होना जैसे यीस्ट इन्फेक्शन
  • बार-बार परजीवी संक्रमण होना
  • बैक्टीरिया से गंभीर संक्रमण होना या फिर किसी ऐसे रोगाणु से गंभीर संक्रमण हो जाना जिनसे आमतौर पर गंभीर संक्रमण होने की संभावना कम होती है। 

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सीडी 4 टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

इस टेस्ट से पहले कोई विशेष तैयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि कुछ ऐसी बातें है, जो टेस्ट से पहले अपने ध्यान में रखनी जरूरी होती हैं।

यदि आप किसी प्रकार की दवा या सप्लीमेंट्स ले रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बता दें। क्योंकि कुछ प्रकार की दवाएं सीडी 4 के रिजल्ट में बदलाव कर सकती हैं, इसलिए डॉक्टर इन्हें कुछ समय के लिए छोड़ने के लिए भी कह सकते हैं। 

दवाएं व अन्य उपचार जो सीडी 4 के रिजल्ट में बदलाव कर सकते हैं:

हाल ही में हुआ गंभीर तनाव या फिर कुछ ही समय पहले हुआ ऑपरेशन भी आपके सीडी 4 टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है। यदि आपके साथ कुछ ऐसा हुआ है, तो टेस्ट करवाने से पहले ही इस बारे में डॉक्टर को बता दें। 

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सीडी 4 टेस्ट कैसे किया जाता है?

सीडी 4 टेस्ट करने के लिए मरीज के खून से सेंपल लिया जाता है। सीडी 4 टेस्ट एक साधारण खून टेस्ट होता है जो लैब में तकनीशियन द्वारा किया जाता है। इस टेस्ट के लिए सेंपल के रूप में थोड़ी सी मात्रा में खून की आवश्यकता होती है। खून निकालने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की बाजू का निरीक्षण करते हैं, और फिर:

  • डॉक्टर मरीज की बाजू के उस क्षेत्र को एंटीसेप्टिक के द्वारा साफ करते हैं जहां से सुई लगानी होती है। ताकि संक्रमण से बचाव किया जा सके।
  • उसके बाद बाजू के ऊपरी हिस्से में एक पट्टी को बांध दिया जाता है। जिससे नसों में खून का बहाव रुक जाता है और वह उभर कर साफ-साफ दिखाई देने लग जाती हैं। 
  • जब नस साफ दिखाई देने लग जाती है, तो उसमें सुई लगाई जाती है और खून निकाल लिया जाता है। सुई के साथ सिरिंज, शीशी या फिर एक ट्यूब जुड़ी होती है, जिसमें खून का सैंपल भरा जाता है। यदि अधिक टेस्ट करने है तो खून के सैंपल को अधिक मात्रा में निकाला जा सकता है। सैंपल निकालने में कुछ ही मिनट का समय लगता है। (और पढ़ें - सफेद रक्त कोशिकाएं कैसे बढ़ाएं)
  • खून निकालने के दौरान आपको थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है। इस दौरान अक्सर कुछ चुभने जैसा दर्द महसूस होता है। अपनी बाजू को ढीला रखने से दर्द में थोड़ा आराम मिल सकता है। 
  • पर्याप्त मात्रा में खून का सेंपल निकाल लेने के बाद, तकनीशियन बाजू के ऊपरी हिस्से से पट्टी खोल देते हैं और फिर सुई को निकाल लेते हैं। सुई निकालने के बाद सुई वाली जगह पर रुई का टुकड़ा रख दिया जाता है और वे आपको उस जगह पर थोड़ा दबाव देकर रखने के लिए भी कह सकते हैं। ऐसा करने से सुई वाले स्थान से खून बहना बंद हो जाता है और किसी प्रकार का निशान भी नहीं पड़ता। (और पढ़ें - इंजेक्शन लगाने का सही तरीका

खून निकालने के कि प्रक्रिया दर्दनाक नहीं होती और इसमें कुछ ही मिनट का समय लगता  है। सैंपल लेने के कुछ ही समय बाद आप घर जा सकते हैं। लिए गए सैंपल को लेबोरेटरी भेजा जाता जाता है, जहां पर सफेद रक्त कोशिकाओं के प्रकार और उनकी संख्या की जांच की जाती है।

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सीडी 4 टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

इलाज के लिए अगर आपको और भी टेस्ट की आवश्यकता है तो इस रिपोर्ट के आधार पर आपके डॉक्टर आपसे इस बारे में चर्चा करेंगे। यदि आपके टेस्ट का रिजल्ट सामान्य से ऊपर या नीचे है, तो डॉक्टर उसके इलाज के तरीके भी समझा सकते हैं। 

यदि आपकी टी कोशिकाओं का स्तर कम हो गया है तो उनको वापस बढ़ाने कुछ दवाएं लिखी जा सकती हैं। ध्यान दें कि कोई ऐसा विशेष खाद्य पदार्थ नहीं है, जो खून में इन कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि, स्वस्थ आहार का सेवन करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। 

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सीडी 4 टेस्ट से क्या खतरा हो सकता है?

इस टेस्ट से बहुत ही कम जोखिम जुड़े हैं। हालांकि जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी कोई समस्या है और वे सीडी 4 टेस्ट करवाते हैं तो उनमें स्वस्थ लोगों के मुकाबले संक्रमण होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। 

खून का सेंपल लेने से संबंधित कुछ जोखिम हो सकते हैं, जैसे:

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यह टेस्ट अक्सर उन लोगों का किया जाता है, जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। इसलिए, किसी स्वस्थ व्यक्ति के मुकाबले इन व्यक्तियों में खून निकालने के बाद संक्रमण होने के जोखिम अधिक होते हैं। 

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सीडी4 काउंट टेस्ट का परिणाम और नॉर्मल रेंज

नॉर्मल रिजल्ट : खून में सीडी4+ कोशिकाओं की नॉर्मल रेंज 410-1590 कोशिका प्रति घन मिलीमीटर (/mm3) है। यदि परीक्षण परिणाम इस सीमा के भीतर हैं तो यह एआरटी के प्रभावी होने का संकेत है। हालांकि, इसके परिणामों की व्याख्या नैदानिक प्रश्नों के आधार पर ही की जानी चाहिए। इस परीक्षण का उपयोग एचआईवी परीक्षण के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कई एक्यूट वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के साथ अन्य चिकित्सीय समस्याएं भी सीडी4+ कोशिकाओं की संख्या में कमी का कारण बन सकती हैं।

एबनॉर्मल रिजल्ट : कोशिकाओं का रेंज 250 और 500 कोशिका प्रति घन मिलीमीटर प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी का संकेत माना जाता है। इस स्थिति में रोगी को गंभीर रूप के बैक्टीरियल संक्रमण जैसे निमोनिया, मेनिनजाइटिस, फेफड़ों का टीबी और ओरल कैंडिडायसिस जैसे फंगल संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा रोगी में एक महीने से अधिक समय तक लगातार दस्त होने, शरीर के वजन में लगातार कमी आने, लगातार बुखार और एनीमिया जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।

यदि रोगी में सीडी4 परीक्षण का परिणाम 200 सेल प्रति क्यूबिक मिलीमीटर से कम आता है तो यह एचआईवी वायरस के एड्स का रूप लेने का संकेत हो सकता है। एड्स के लक्षणों में शामिल हैं -

  • एचआईवी वेस्टिंग सिंड्रोम
  • रिकरंट सर्व बैक्टीरियल निमोनिया
  • जननांगों के आसपास क्रोनिक हर्पीज सिंप्लेक्स इंफेक्शन, जो एक महीने से अधिक समय तक बना रहता है
  • ओसोफेगल कैंडिआसिस या ब्रोंकी या फेफड़ों का कैंडिडायसिस
  • एक्सट्रा पलमोनरी टीबी, इस स्थिति में टीबी सिर्फ फेफड़ों तक ही सीमित नहीं रहता है यह रीढ़ जैसे अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।
  • कापोसी सर्कोमा (रक्त वाहिकाओं से उत्पन्न होने वाला घातक स्किन ट्यूमर)
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का टोक्सोप्लाज़मोसिस
  • एचआईवी एन्सेफैलोपैथी
  • लक्षण संबंधी एचआईवी नेफ्रोपैथी या एचआईवी असोसिएटेड कार्डियोमायोपैथी

सीडी4+ कोशिकाओं की कमी चिकित्सकीय रूप से एआरटी शुरू करने का संकेत होता है। सीडी4+ कोशिकाओं का स्तर 350 कोशिका प्रति घन मिलीमीटर से कम हो जाने पर एआरटी को शुरू करने की सलाह दी जाती है। सीडी4+ कोशिकाओं का स्तर 350 कोशिका प्रति घन मिलीमीटर से कम हो जाने की स्थिति में गर्भवती महिला और भ्रूण को होने वाले जोखिम को कम करने में एआरटी फायदेमंद हो सकता है।

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संदर्भ

  1. US Department of Veteran Affairs; CD4 count (or T-cell count). [Updated Feb 8 2018]
  2. Jameson JL, Kasper DL, Fauci AS, Longo DL, Hauser SL, Loscalzo J. Harrison’s Principles of Internal Medicine. 20th ed. USA: McGraw Hill education; 2018. Chapter 342, Introduction to the immune system pp 2451-2479.
  3. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; Laboratory Guidelines for enumerating CD4 T Lymphocytes in the context of HIV/AIDS
  4. Provan D. Oxford handbook of clinical and laboratory investigation. 4th ed. Oxford, UK: Oxford university press; 2018. Chapter 4, Immunology and allergy pp 334-380
  5. National Institute of Health. AIDS info [internet]: Bethesda (MA), US. US Department of Health and Human Services CD4 Count
  6. Nathan Ford, Graeme Meintjes, Marco Vitoria, Greg Greene, and Tom Chiller. The evolving role of CD4 cell counts in HIV care. 1746-630X Copyright 2017 Wolters Kluwer Health, Inc.
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