महिला नसबंदी सबसे बेहतर और प्रभावी गर्भनिरोधक उपायों में से एक है। यह उपाय वे महिलाएं अपनाती है जो अपना परिवार पूरा कर चुकी है। महिला नसबंदी को अंग्रेजी में ट्यूबेक्टोमी या ट्यूबल लिगेशन या फीमेल स्टरलाइजेशन आदि नामों से जाना जाता है।

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भारत में राष्ट्रीय स्वास्थय सर्वेक्षण के अनुसार 2005-06 में 15-49 के आयु वर्ग की 37 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं ने नसबंदी करवाई जो कुल उपयोग किये जाने वाले गर्भनिरोधक उपायों का 66 प्रतिशत हिस्सा था।

इस लेख में महिला नसबंदी के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें बताया गया है कि महिला नसबंदी क्या है, कैसे होती है, महिला नसबंदी के बाद क्या सावधानी रखे, साथ ही यह भी बताया गया है कि महिला नसबंदी के फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं। लेख में सरकार की महिला नसबंदी योजना के बारे में भी बताया गया है।

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  1. महिला नसबंदी क्या है - Mahila nasbandi kya hai in hindi
  2. महिला नसबंदी कैसे होती है - Mahila nasbandi kaise hoti hai in hindi
  3. महिला नसबंदी के बाद सावधानी - Mahila nasbandi ke baad sawdhani in hindi
  4. महिला नसबंदी के फायदे - Mahila nasbandi ke fayde in hindi
  5. महिला नसबंदी के नुकसान - Mahila nasbandi ke nuksan in hindi
  6. महिला नसबंदी योजना - Mahila nasbandi yojana in hindi

महिला नसबंदी एक प्रभावी गर्भनिरोधक उपाय है जिसका उद्देश्य किसी भी महिला को हमेशा के लिए गर्भ धारण से सुरक्षा प्रदान करना होता है।

इस महिला नसबंदी ऑपरेशन में आमतौर पर अंडाशय से गर्भाशय तक अंडे ले जाने वाली नली फैलोपिन ट्यूब को या तो अवरुद्ध किया जाता है या उसे बीच से काट दिया जाता है ताकि अंडे गर्भ तक पहुँच न सके और गर्भ धारण न हो।

ये काफी छोटा ऑपरेशन होता है और ऑपरेशन करवाने के बाद महिला को सामान्य रूप से उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है।

अधिकांश मामलों में महिला नसबंदी 99 प्रतिशत प्रभावी होती है और 200 में से केवल 1 महिला के ऑपरेशन के बाद भी गर्भवती होने की आशंका होती है।

विकासशील देशों में ट्यूबक्टोमी के दौरान सीज़ेरियन ऑपरेशन और मिनी लैपरोटोमी अधिक लोकप्रिय विधियां हैं जबकि विकसित देशों में "लैप्रोस्कोपिक नसबंदी" और "हिस्टोरोस्कोपिक ट्यूबल ओक्लुज़न" (hysteroscopic tubal occlusion) पसंदीदा तरीके हैं।

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आमतौर पर नसबंदी का ऑपरेशन जनरल एनेस्थेटिक देकर किया जाता है किंतु लोकल या रीजनल एनेस्थेटिक देकर भी यह ऑपरेशन किया जा सकता है। अधिकांश महिलाओं में यह ऑपरेशन लैप्रोस्कोप एक विशेष टेलिस्कोप की मदद से किया जाता है।

लैप्रोस्कोप को आपके पेट में एक छोटा सा छेद करके अंदर डाला जाता है। लैप्रोस्कोप से सर्जन ये देखते हैं कि ऑपरेशन सही हो रहा है। इसके बाद एक ओर छोटा चीरा लगा कर ट्यूब को अवरुद्ध करने का उपकरण डाला जाता है। इसके लिए कई तरीकों का उपयोग किया जाता है। अक्सर ट्यूब में क्लिप या रिंग को लगाया जाता है। ये क्लिप या रिंग ट्यूब में अवरोध पैदा करके अंडे को स्पर्म के साथ मिलने से रोकते हैं।

कुछ महिलाओं में थोड़ा बड़ा चीरा लगा कर पारंपरिक तरीके से ऑपरेशन करने की जरुरत होती है। यह तब अधिक जरुरी होता है जब उनको पहले भी कई ऑपरेशन हुए हो या मोटापा हो तो लेप्रोस्कोपी में जोखिम हो सकता है। इस तरह के ऑपरेशन को मिनी-लैपरोटोमी कहा जाता है।

अगर फेलोपिन ट्यूब को अवरुद्ध करने से काम नहीं बनता है तो ट्यूब का एक हिस्सा या फिर पूरी ट्यूब निकाली जा सकती है। इसे “सल्पीनजेक्टोमी” (salpingectomy) कहा जाता है।

नसबंदी जब सिजेरियन डिलीवरी के लिए चीरा लगाया जाता है तब भी की जा सकती है। बच्चा पैदा होने के बाद यह ऑपरेशन किया जा सकता है।

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महिला नसबंदी ऑपरेशन करवाने के बाद निम्नलिखित सावधानियां रखनी होती हैं -

  • सर्जन के पास फॉलो अप के लिए जाने का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
  • दवाई और एंटी बायोटिक्स का कोर्स पूरा करें।
  • अगर आपको बुखार, लगातार पेट दर्द, चीरे से खून या पीप आ रहे हो तो अपने सर्जन को सूचित करें। (और पढ़े - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
  • अपने सर्जन के बताए अनुसार या ऑपरेशन के बाद सात दिन तक सेक्स नहीं करें।
  • अगर आपके पीरियड नहीं आते है या पीरियड में देरी हो रही है तो अपने सर्जन को बताएं।

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महिला नसबंदी उन महिलाओं के लिए एक प्रभावी और अच्छा विकल्प है जो गर्भ नियंत्रण का एक स्थायी उपाय करना चाहती है। यह अधिकांश महिलाओं के लिए सुरक्षित है और असफलता की दर भी बहुत कम है।

नसबंदी से दूसरे गर्भनिरोधक उपायों जैसे कि गर्भनिरोधक गोलियां, गर्भनिरोधक इंजेक्शन, इम्प्लांट्स या फिर कोई इंट्रायूटेरियन उपकरण (आईयूडी) आदि के सामान साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए यह प्रक्रिया आपके हार्मोन, माहवारी और कामेच्छा को प्रभावित नहीं करती है।

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कुछ तथ्य यह भी बताते है कि महिला नसबंदी से अंडाशय का कैंसर होने की आशंका भी कम हो जाती है।

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नसबंदी एक स्थायी प्रक्रिया है और इसे बदलना कठिन है। कुछ महिलाओं को ऑपरेशन करवाने के बाद भविष्य में पछतावा हो सकता है, विशेष कर तब जब उनकी परिस्थितियां बदल जाती है।

बहुत ही कम ऐसा होता है की ऑपरेशन फैल हो जाए और आप गर्भवती हो जाएं, ऐसे में गर्भाशय के बाहर ही गर्भ ठहरने की अधिक आशंका होती है, इसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है। इस तरह का गर्भ आमतौर पर फेलोपिन ट्यूब में ठहरता है। अगर ऐसा होता है तो आपको तत्काल इलाज की जरुरत पड़ती है। अगर आपको लगता है कि नसबंदी करवाने के बाद भी आप गर्भवती हो गयी है या बिना बात के खून आ रहा है या पेट में दर्द हो रहा है तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाए।

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पुरुष नसबंदी की तुलना में महिला नसबंदी करवाना न तो आसान है और न ही उतना प्रभावशाली। लैप्रोस्कोप का उपयोग करने से थोड़ा जोखिम होता है क्योंकि बिना कोई इमेज देखे ऑपरेशन करना पड़ता है। इसका मतलब यह है की सर्जन को यह नहीं दिखता है कि वह पेट के अंदर उपकरण कैसे लगा रहा है। यह बात आपको थोड़ा परेशान कर सकती है किंतु घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि आपके डॉक्टर उपकरण लगाते हुए काफी सावधानी रखते हैं ताकि किसी अन्य अंग को नुकसान न हो और अधिकांश मामलों में ऐसी कोई परेशानी नहीं होती है।

नसबंदी आपको सेक्स द्वारा फैलने वाली बिमारियों से नहीं बचाती है इसलिए अगर आपको लगता है कि आपको एसटीआई का जोखिम हो सकता है तो कंडोम का उपयोग करें।

किसी भी अन्य ऑपरेशन की तरह इसमें भी चीरे वाली जगह पर संक्रमण हो सकता है और जनरल एनेस्थेटिक का हल्का जोखिम हो सकता है। आपको पेट में परेशानी, गैस बनना और दर्द हो सकता है।

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भारत में महिला नसबंदी यानि ट्यूबेक्टोमी और पुरुष नसबंदी यानि वासेक्टोमी प्रोग्राम चलाया जाता है जो स्वैच्छिक होता है और जोड़े जो प्रक्रिया उनको सबसे उपयुक्त लगती है उसका चयन करते हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान भारत में 40,92,806 नसबंदी ऑपरेशन किये गए हैं।

सरकार की योजना के अनुसार अगर इस ऑपरेशन में किसी की मृत्यु हो जाती है या ऑपरेशन असफल हो जाता है तो सरकार उस परिवार को मुआवजा देती है।

ऑपरेशन के 7 दिन के अंदर मृत्यु हो जाती है तो 2,00,000 रुपये, हॉस्पिटल से जाने के 8-30 दिन के अंदर अगर मृत्यु हो जाती है तो 50,000 रुपये, अगर ऑपरेशन असफल हो जाता है तो 30,000 रुपये और हॉस्पिटल के अंदर ऑपरेशन का सारा खर्च और हॉस्पिटल से जाने की तारीख से 60 तक ऑपरेशन के कारण कोई परेशानी हो तो उसका खर्च सरकार देती है। जो कि अधिकतम 25,000 रुपये है।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।
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